निम्नलिखित श्लोक की सप्रसंग व्याख्या करें –
प्रश्न – निम्नलिखित श्लोक की सप्रसंग व्याख्या करें –
स्थितिः सौकर्यमूला हि सर्वेषामपि संहते।
सजातीनां सुखं दृष्ट्वा के न धावन्ति जन्तवः ॥
उत्तर – प्रस्तुत श्लोक ‘पीयूषम्’ पाठ्यपुस्तक के ‘अलसकथा’ नामक पाठ से लिया गया है। इस पाठ के लेखक मैथिलकोकिल विद्यापति हैं, जो संस्कृतभाषा के भी विद्वान् हैं। इस श्लोक के माध्यम से वैसे लोगों पर व्यंग्य किया गया है, जो बिना परिश्रम किए सुख से जीवन बिताना चाहते हैं। विद्यापति का कहना है कि कुछ धूर्त आलसियों को मिल रहे सुख को देखकर स्वयं भी आलसी होने का स्वांग रचकर मंत्री द्वारा दिए जा रहे भोजन एवं वस्त्र ग्रहण करने लगते हैं, जबकि वे स्वभाव से आलसी नहीं हैं। वे बनावटी आलसी होने का नाटक कर बिना परिश्रम किए भोजन ग्रहण करते हैं। इसका तात्पर्य है कि मानवीय प्रवृत्ति है कि जब हम दूसरे को बिना प्रयास सुख-सुविधा में देखते हैं, तो हमलोग भी बिना परिश्रम किए सम्पूर्ण सुख-सुविधा का उपभोग दूसरे का हक मारकर कर लेते हैं ।
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