परागण किसे कहते हैं? परागण पर वर्षा होने का क्या प्रभाव पड़ता है ?
प्रश्न – परागण किसे कहते हैं? परागण पर वर्षा होने का क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर – जब परागकोषों में परागकण पूर्ण विकसित हो जाते हैं तब परागकोष फट जाते हैं और परागकण बिखर जाते हैं। ये परागकण विभिन्न माध्यमों जैसे हवा, जल, कीट आदि के द्वारा जायांग के वर्तिकाग्र पर पहुँचते हैं। इस क्रिया को परागकण कहा जाता है।
यदि परागकण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर स्थानांतरित होते हैं तो यह स्वपरागण कहलाता है। वर्षा ‘होने पर परागकण धुलकर मिट्टी से चिपक जाएँगे। अतः परागकण नहीं हो पाएगा।
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