पर्यायवाची शब्द किसे कहते हैं | JNV Class 6th Hindi solutions
भाषा में शब्द और अर्थ दोनों का अपना विशिष्ट स्थान एवं महत्त्व है। एक अर्थ के द्योतन हेतु एक शब्द विशेष होता है। परंतु भाषा-प्रयोग की दृष्टि से उस एक ही शब्द का अनेक बार प्रयोग उचित प्रतीत नहीं होता। ऐसी परिस्थिति में निहितार्थ की अभिव्यक्ति हेतु उसी के समान अर्थ प्रतीति कराने वाले अन्य शब्द का प्रयोग किया जाता है। ऐसे समानार्थी शब्द ही पर्यायवाची शब्द कहलाते हैं।
पर्यायवाची शब्द के परिभाषा
पर्यायवाची शब्द को व्याकरण में कुछ इस तरह से बताया गया है।
– किसी शब्द को बताने के लिए दूसरे शब्दों का प्रयोग, जिनके मतलब सामान होता है उन्हें पर्यायवाची शब्द कहते है।
या फिर
– सामान अर्थ वाले दो या उससे अधिक शब्द जो के एक ही शब्द, बस्तु या फिर चीजों को दर्शाता हो उन्हें पर्यायवाची शब्द कहते है।
इससे हमें यह मालूम होता है कि पर्यायवाची शब्द के कई स्वरुप होने के वाबजूद उनके मतलब एक सामान ही होते है। उदाहरण स्वरूप – हवा के पर्यायवाची शब्द पवन, बायु अदि है। भले ही यह शब्द एक दूसरे से काफी अलग तथा इनके उच्चारण भी अलग अलग होते है फिर भी इनके मतलब एक सामान ही होता है।
पर्यायवाची शब्द के प्रकार या भेद
बाकि शब्दो के तरह इसके संज्ञा तो है लेकिन इसके कोई प्रकार या भेद नहीं होते है। क्यों के पर्यायवाची शब्द या समानार्थी शब्द कोई निर्दिष्ट नियम से नहीं बनते है। जैसे की एक बस्तु को कई लोग भिन्न भिन्न नजरिये से देखते है, ऐसे ही पर्यायवाची शब्द के भिन्न भिन्न रूप होते है, जिनका सठीक अंदाजा लगाना मुश्किल है।
पर्यायवाची शब्द सिर्फ हिंदी ही नहीं बल्कि दुनिया के सभी भाषा में आप देख सकते है। क्यों के भिन्न भिन्न प्रान्तों में बाटे होने के कारण एक ही शब्द के भिन्न भिन्न शब्द निकल कर आते है।
कुछ पर्यायवाची शब्द के उदहारण
अग्नि : आग, वह्नि, पावक, अनल, वायुसख, दहन, धूमकेतु, वैश्वानर ।
असुर : दनुज, दानव, दैत्य, राक्षस, यातुधान, निशिचर, निशाचर, रजनीचर ।
अनुपम : अपूर्व, अनोखा, अद्भुत, अनूठा, अद्वितीय, अतुल ।
अमृत : पीयूष, सुधा, अमिय, जीवनोदक, सोम, सुरभोग ।
अश्व : वाजी, हय, घोटक, घोड़ा, सैन्धव, तुरग, तुरंग ।
अधर : ओठ, ओष्ठ, रदन, होंठ, रदपट ।
अर्जुन : सव्यसाची, पार्थ, गाण्डीवधारी ।
अन्धा : नेत्रहीन, सूरदास, अन्ध, चक्षुविहीन ।
अंग : भाग, हिस्सा, अंश, अवयव ।
अंतःपुर : रनिवास, जनानखाना, भोग, हरम ।
अक्षर : वर्ण, हरफ, हर्फ ।
अनार : दाड़िम, शुकप्रिय, रामबीज ।
अपमान : अनादर, तिरस्कार, बेइज्जती, अवमान ।
अंधकार : अंधेरा, तम, तिमिर, अंधियारा ।
अतिथि : मेहमान, पाहुन, अभ्यागत, आगन्तुक ।
अनाज : अन्न, धान्य, शस्य, गल्ला ।
अध्यापक : शिक्षक, आचार्य, गुरु, व्याख्याता, प्रवक्ता ।
अहंकार : मान, अभिमान, दम्भ, दर्प, गर्व, घमण्ड ।
अंक : गोद, क्रोड़, चिह्न ।
अँगिया : चोली, कंचुकी, केंचुली ।
आभूषण : आभरण, गहना, जेवर, भूषण, अलंकार ।
आँधी : तूफान, अंधड़, बवण्डर, झंझावात ।
आज्ञा : आदेश, हुक्म, निर्देश, अनुमति ।
आत्मा : जीव, देव, चैतन्य, क्षेत्रज्ञ |
आँख : नेत्र, लोचन, नयन, चक्षु, दृग, अक्षि, अम्बक, दृष्टि, विलोचन ।
आकाश : द्यौ, व्योम, गगन, अभ्र, अम्बर, नभ, अन्तरिक्ष, आसमान, अनन्त ।
आम : आम्र, चूत, रसाल, अमृतफल, सहकार, अतिसौरभ, च्युत, (आम का पेड़ ) ।
आनन्द : मोद, प्रमोद, हर्ष, आमोद, सुख, प्रसन्नता, आह्लाद, उल्लास ।
आश्रम : मठ, विहार, कुटी, स्तर, अखाड़ा, तपोवन ।
इच्छा : आकांक्षा, ईप्सा, अभिलाषा, चाह, कामना, मनोरथ, स्पृहा, ईहा, वांछा, लालसा, उत्साह ।
इन्द्र : सुरपति, मघवा, पुरन्दर, वॉसव, , देवराज, शक्र शचीपति ।
इन्द्राणी : इन्द्रवधू, शची, इन्द्रा, पुलोमजा ।
ईश्वर : अज, ब्रह्म, भगवान, परमात्मा, परमेश्वर, प्रभु, परमपिता ।
इन्द्रधनुष : सरधनु, शक्रचाप, इन्द्रायुध, सप्तवर्ण, सुरचाप ।
उदार : असंकीर्ण, उच्चाशय ।
उपवन : उद्यान, बाग, बगीचा, वाटिका ।
उत्पत्ति : उद्भव, जन्म, आविर्भाव, जनन ।
उद्दण्ड : उच्छृंखल, दुर्विनीत, दुष्ट ।
ऊँट : उष्ट्र, महाग्रीव, लम्बोष्ठ ।
ऋषि : मुनि, संत, मंत्रद्रष्टा ।
एकान्त : निर्जन, शून्य, सुनसान ।
एकता : समानता, ऐक्य, मेल, एका ।
ऐश्वर्य : वैभव, श्री, सम्पदा, सम्पत्ति ।
ऐरावत : गजेन्द्र, इन्द्रवाहन, अभ्रमातंग ।
ओस : तुषार, हिमकण, हिमसीकर, हिमबिन्दु, तुहिनकण ।
कपड़ा : वस्त्र, पट, वसन, अम्बर, चीर ।
कमल : सरोज, जलज, अब्ज, पंकज, अरविन्द, पद्म, कंज, शतदल, अम्बुज, सरसिज, नलिन, तामरस, राजीव, नीरज, कुशेशम, इन्दीवर ।
कपट : छल, धोखा, वंचना ।
कला : कौशल, हुनर, विद्या ।
कन्या : कुमारी, कुँआरि, अविवाहिता, अनूढ़ा ।
कबूतर : कपोत, पारावत, रक्तलोचन, हारीत ।
किरण : मरीचि, मयूख, अंशु, कर, रश्मि, प्रभा, अर्चि, गो।
कुबेर : किन्नरेश, यक्षराज, धनद, धनाधिप, राजराज, यक्षपति ।
कुत्ता : श्वान, कुक्कुर, सारमेय, शुनक ।
कुहरा : कुहासा, कुहा, कुहेलिका, कुहरधुम ।
क्रोध : गुस्सा, कोप, रोष, आवेश, तैश ।
कृष्ण : गोपीनाथ, केशव कंसारि गोपीवल्लभ, गिरधर, हरि, दामोदर, यदुनन्दन, गोपाल, कन्हैया, बिहारी, मोहन, देवकीनंदन, माधव, द्वारिकाधीश ।
किनारा : तीर, तट, कगर, कुल ।
कल्याण : क्षेम, मंगल ।
काक : काग, कौआ, वायस, एकाक्ष ।
केश : बाल, कच, अलक, कुन्तल ।
कान : कर्ण, श्रुतिपट ।
केशर : कुंकुम, जाफरान, कश्मीरज ।
केला : कदली, भानुफला, रम्भाफल, गजवसा ।
कोयल : कोकिल, पिक, वसन्तदूत, कलकण्ठ, वनप्रिया ।
क्रूर : निर्दय, निर्मम, दुष्ट ।
कामदेव : मदन, रतिपति, मार, स्मर, कन्दर्प, अनंग, पंचशर, मनसिज ।
कण्ठ : ग्रीवा, गला, शिरोधरा ।
कर : हाथ, हस्त, बाहु, पाणि, भुज ।
कपूर : कर्पूर, धनसार, हिमवालुका ।
कर्तव्य : कर्म, कृत्य, विधेय।
कली : कलिका, मुकुल ।
कायाकल्प : शरीर-शोधन, पुनर्रचना, पुनर्निर्माण ।
कुशल : चतुर, दक्ष, प्रवीण, निपुण, पटु ।
कान्ति : सुषमा, आभा, प्रभा, छटा, द्युति ।
कल्पवृक्ष : कल्पद्रुम, कल्पतरु, पारिजात, देवद्रुम ।
कस्तूरी : मृगमद, मदलता ।
खंभा : खंभ, स्तम्भ ।
खून : रक्त, लहू, शोणित, रुधिर, लोहित ।
खोज : अनुसंधान, तलाश, अन्वेषण ।
खेल : क्रीड़ा, केलि, तमाशा ।
खिड़की : वातायन, झरोखा, गवाक्ष |
गरुड़ : खगपति, खगेश, नागांतक, वैनतेय, सुपर्ण ।
गण : समूह, समुदाय, दूत, अनुचर, अनुयायी ।
गुप्त : छिपा, गूढ़, रहस्यपूर्ण, परोक्ष ।
गेंद : कन्दुक, गेन्दुक, गिरिक ।
गेह : घर, निकेतन, भवन, सदन, आगार, आयतन, आवास, निलय, धाम, गृह ।
गदहा : खर, गर्दभ, धूसर, रासभ, बेशर, चक्रीवान्, वैशाखनन्दन ।
गणेश : लम्बोदर, एकदन्त, मूषकवाहन, गजवदन, गजानन, विनायक, गणपति, विघ्ननाशक, भवानीनन्दन, महाकाय, मोदकप्रिय मोक्षदाता ।
गंगा : देवनदी, सुरसरित, भागीरथी, जाह्नवी, मन्दाकिनी, देवापागा, ध्रुवनन्दा ।
घी : घृत, क्षीरसार, अमृतसार, हव्य ।
घट : घड़ा, कलश, कुम्भ ।
घाटा : हानि, टोटा, क्षति ।
चंदन : मलय, दिव्यगंध, हरिगंध, दारूसार, मलयज ।
चन्द्रिका : चाँदनी, ज्योत्स्ना, कौमुदी, चन्द्रप्रभा ।
चाँदी : रजत, गातरूप ।
चन्द्र : चाँद, चन्द्रमा, हिमांशु, सुधांशु, सुधाकर, सुधाधर, राकेश, शशि, सारंग, निशाकर, निशापति, रजनीपति, मृगांक, कलानिधि ।
छाया : कांति, प्रतिबिम्ब ।
जंगल : वन, कानन, अटवी, विजन, अरण्य, विपिन ।
ज्योति : प्रकाश, लौ, प्रभा, अग्निशिखा, उजाला । :
जिह्वा : रसना, जीभ, ललना ।
जल : नीर, सलिल, उदक, पानी, अम्बु, तोय, वारि, पय, अमृत मेघपुष्प ।
झण्डा : ध्वज, पताका, केतु ।
झूट : असत्य, मिथ्या, मृषा, अनृत ।
ठग : वंचक, छली, धूर्त ।
डरावना : भयंकर, कराल, भीषण |
तरुण : युवा, जवान ।
तोता : शुक, सूआ, कीर, सुग्गा, सुअटा, दाड़िमप्रिय ।
तलवार : असि, खड़ग, खंग, करवाल, चन्द्रहास ।
तरकस : तूणीर, निषंग ।
तारा : तारक, नक्षत्र |
तालाब : सर, सरोवर, तड़ाग, हृद, पुष्कर, जलाशय, पद्माकर ।
थोडा : अल्प, स्वल्प, किंचित्, इंचमात्र ।
थन : स्तन, कुच, पयोधर, उरोज ।
दास : अनुचर, चाकर, सेवक, नौकर, भृत्य, किंकर, परिचारक ।
देवता : सुर, अमर, देव, त्रिदश ।
द्रव्य : धन, वित्त, सम्पदा, विभूति, दौलत, सम्पत्ति, अर्थ।
दीन : गरीब, निर्धन, कंगाल ।
दुर्जन : दुष्ट, खल, पामर, बदमाश ।
दीषक : दीप, प्रदीप, दीया |
दूध : क्षीर, दुग्ध, स्तन्य |
दया : करुणा, कृपा, प्रसाद, अनुकंपा, अनुग्रह ।
देह : शरीर, तन, विग्रह, काया, वपु ।
दाँत : दन्त, दर्शन ।
दुर्गा : काली, चण्डी, चामुण्डा, सिंहवाहिनी, गौरी, शक्ति।
धरती : धरा, वसुधा, पृथ्वी, मेदिनी, वसुंधरा, धरणी, धरित्री, मही, अचला, अवनि, भू ।
धनुष : चाप, धनु, धन्वा, कमान ।
धर्म : पंथ, सम्प्रदाय, मत, कर्तव्य ।
ध्रुव : अचल, दृढ़, पक्का, कील ।
नारी : महिला, स्त्री, अबला, ललना, औरत, वामा, कान्ता, रमणी, वनिता ।
नरक : यमपुर, यमलोक, यमालय ।
नारद : देवर्षि, ब्रह्मर्षि, ब्रह्मपुत्र ।
नमस्कार : नमस्ते, प्रणाम, अभिवादन, सलाम ।
नाश : विनाश, क्षय, विध्वंस, ध्वंस ।
निर्मल : अमल, पावन, पवित्र, विमल, स्वच्छ, निष्कल्मष ।
नदी : सरिता, तटिनी, आपगा, निम्नगा, निर्झरिणी, कूलंकषा, तरंगिणी, नदिया ।
नौका : नाव, तरिणी, जलयान, जलपात्र, तरी, बेड़ा, डोंगी, पतंग, नैया ।
नीति : रीति, नय, राजविद्या ।
पत्थर : प्रस्तर, पाषाण, पाहन ।
परिणय : शादी, विवाह, पाणिग्रहण, ब्याह ।
पिशाच : भूत, प्रेत, पिशाचरु ।
पराग : रज, पुष्परज, कुसुमरज, पुष्पधूलि ।
पार्वती : गौरी, गिरिजा, भवानी, शिवानी ।
पेड़ : वृक्ष, पादप, तरु, विटप, रुख ।
प्रेम : प्रीति, राग, लगाव, स्नेह, अनुरक्ति, प्यार, अनुराग।
प्रातः काल : सुबह, सवेरा, भोर, प्रभात, विहान, उषाकाल ।
पुत्री : तनया, सुता, बेटी, आत्मजा, दुहिता, नन्दिनी, तनुजा ।
पुष्प : फूल, सुमन, कुसुम, प्रसून पुहुप ।
पर्वत : भूधर, शैल, अचल, महीधर, गिरि, नग, तुंग, अद्रि, पहाड़ ।
पण्डित : सुधी, विद्वान, कोविद, बुध, धीर, मनीषी, प्राज्ञ, विचक्षण ।
पुत्र : तनय, सुत, बेटा, लड़का, आत्मज, तनुज ।
पत्नी : भार्या, दारा, गृहिणी, कलत्र, प्राणप्रिया, अर्धांगिनी ।
पति : भर्ता, वल्लभ, स्वामी, आर्यपुत्र, नाथ, भतार, बालम, मालिका ।
पक्षी : विहंग, विहग, खग, पखेरू, परिन्दा, चिड़िया, शकुन्त, अण्डज, द्विज, नभचर ।
बाण : तीर, शर, विशिख, आशुग, शिलीमुख, इषु, नाराच ।
बिजली : चंचला, चपला, विद्युत्, सौदामनी, दामिनी, तड़ित, बिजुरी, क्षणप्रभा ।
ब्रह्मा : आत्मभू, स्वयम्भू, चतुरानन, पितामह, हिरण्यगर्भ, लोकेश, विधि, विधाता ।
बन्दर : वानर, कपि, शाखामृग, मर्कट ।
ब्राह्मण : द्विज, भूसुर, भूदेव, विप्र ।
बुद्धि : मति, मनीषा, प्रज्ञा, धी।
बाज : श्येन, करग, शशघातक ।
बाघ : चित्रक, व्याघ्र ।
बर्तन : पात्र, बासन ।
बहिन : भगिनी, अनुजा, सहोदरा ।
भौंरा : भ्रमर, भृंग, भँवरा, अलि, मधुप, मधुकर ।
भाई : भ्राता, भैया, बन्धु, सहोदर ।
मुख : आनन, मुँह, वदन ।
मोक्ष : मुक्ति, निर्वाण, परमधाम, कैवल्य, परमगति ।
मार्ग : मग, पथ, राह, रास्ता ।
मदिरा : सुरा, वारुणी, मद, शराब, हाला, दारू, नाहणी।
मेघ : घन, जलधर, वारिद, बादल, नीरद, वारिधर, पर्योद, अम्बुद, पयोधर, बर्षा, बरसात, वृष्टि, बारिश ।
मूर्ख : जड़, अज्ञ, मूढ़, निर्बुद्धि ।
मित्र : सखा, साथी, सहचर, सुहृद, दोस्त, मीत ।
महादेव : शंकर, शिव, नीलकण्ठ, त्रिलोचन, भव, पशुपति, शशिशेखर, मदनरिपु, हर, गिरिजापति, चन्द्रमौलि, पिनाकी, महेश्वर, भूतेश्वर ।
मठा : छाछ, तक्र, गोरस ।
माखन : नवनीत, लौनी, मक्खन, दधिसार ।
मेंढक : दादुर, भेक, मंडूक ।
मृत्यु : मरण, निधन, स्वर्गवास, देहावसान ।
मोर : मयूर, शिखी, केकी, शिवसुतवाहन ।
मोती : मुक्ता, मौक्तिक, सीपिज ।
मुर्गा : कुक्कुट, ताम्रचूड़
मैना : सारी सारिका, कलहप्रिया ।
मृग : हिरन, कुरंग, सारंग, हरिण ।
मछली : मत्स्य, झख, मीन, जलजीवन, सफरी (शफरी) ।
यम : यमराज, सूर्यपुत्र, अंतक, धर्मराज, कृतान्त ।
यमुना : जमुना, कालिन्दी, रवितनया, अर्कजा, रविसुता, सूर्यतनया, सूर्यसुता, कृष्णा ।
यज्ञ : मख, याग, होम, अध्वर, जज्ञ ।
रमा : श्री, लक्ष्मी, कमला, विष्णुप्रिया ।
रण : युद्ध, संग्राम, समर ।
राम : रघुपति राघव, रघुवर, सीतापति, कौशलेन्द्र, दशरथसुत, रघुनाथ ।
राधा : ब्रजरानी, राधिका, कृष्ण-प्रिया ।
रावण : दशानन दशकंध, दशशीश, लंकेश ।
रात्रि : शर्वरी, निशा, रात, रैन, रजनी, यामिनी, त्रियामा, विभावरी, क्षणदा ।
राजा : नृप, भूप, महीप, महीपति, नरपति, नरेश, भूपति, सम्राट् ।
लज्जा : शर्म, लाज, हया, व्रीड़ा ।
लक्ष्मण : सौमित्र, रामानुज, शेषावतार, लखन ।
लक्षण : चिह्न, निशान, लच्छन, लक्खन ।
लहर : तरंग, वीचि, ऊर्मि ।
लौह : अयस, सार, लोहा ।
विष्णु : गरुड़ध्वज, अच्युत, जनार्दन, चक्रपाणि, नारायण, दामोदर, केशव, माधव, गोविन्द, लक्ष्मीपति ।
वृक्ष : तरु, द्रुम, पादप, विटप, अगम, पेड़, गाछ ।
विधवा : अनाथा, पतिहीना ।
वज्र : कुलिश, पवि, अशनि ।
वणिक : व्यापारी, बनिया, वैश्य ।
वैदेही : मैथिली, जानकी, सीता, विदेहनन्दिनी ।
विष : जहर, गरल, हलाहल, कालकूट ।
वायु : वात, हवा, समीर, अनिल, बयार, मारुत, पवन ।
शत्रु : अरि, रिपु, प्रतिपक्षी, दुश्मन ।
शहद : मधु, पुष्पासव ।
सुन्दर : रुचिर, चारु, रम्य, सुहावना, मनोहर, रमणीक, चित्ताकर्षक, ललित ।
सूर्य : मार्तण्ड, दिनकर, रवि, भास्कर, मरीची, प्रभाकर, सविता, पतंग, दिवाकर, हंस, आदित्य, भानु, अंशुमाली।
सिंह : शार्दूल, पंचमुख, मृगराज, मृगेन्द्र, केशरी, केहरी, केशी, महावीर, वनराज, शेर ।
समूह : समुदाय, वृन्द, गण, संघ, पुंज, दल, झुण्ड, मण्डली, टोली, जत्था, निकाय ।
सरस्वती : ब्राह्मी, भारती, शारदा, वीणावादिनी, वीणापाणि, वागीशा, वागेश्वरी ।
सर्प : अहि, भुजंग, विषधर, व्याल, फणी, उरग, पत्रग, नाग, साँप ।
सोना : सुवर्ण, स्वर्ण, कंचन, कनक, हिरण्य ।
सेना : चमू, कटक, सैन्य, अनी, फौज ।
संसार : लोक, जग, जगत, भुवन, दुनिया, विश्व ।
स्तुति : प्रशंसा, स्तवन, बड़ाई ।
सखी : सहेली, सहचरी, अली ।
सर्व : सब, सकल, निखिल, सम्पूर्ण समग्र ।
समीप : पास, निकट, सन्निकट ।
हिमालय : हिमाद्रि पर्वतराज हिमगिरि हिमालय ।
हाथी : गज, दन्ती, कुंजर, वारण, हिरद, मातंग, वितुण्ड, द्विप, नाग, कटी, कुम्भी।
हनुमान : कपीश, पवनसुत, आंजनेय, केसरीनन्दन, बजरंगवली, महावीर ।
क्षुब्ध : क्रुद्ध, कुपित, व्याकुल, विह्वल ।
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