पिछड़े बालक से आप क्या समझते हैं ? इसकी विशेषताओं एवं कारणों की विवेचना करें।
प्रश्न – पिछड़े बालक से आप क्या समझते हैं ? इसकी विशेषताओं एवं कारणों की विवेचना करें।
(What do you understand by backward children. ? Discuss its Characteristics and causes.)
उत्तर- पिछड़े बालकों के अन्तर्गत उन बालकों को रखा जाता है जो अपनी आयु के अधिकांश साथियों की गति से नहीं सीख पाते हैं। समूह की अपेक्षा उनके सीखने की गति काफी मन्द होती है। सिरिल बर्ट (Cyril Burt, 1950) ने अपनी पुस्तक ‘The Backward child’, p. 77 में पिछड़े बालक का अर्थ स्पष्ट करते हुए लिखा है कि “एक पिछड़ा बालक वह है जो लगभग दस वर्ष का होता है और जो अपनी कक्षा का कार्य अपनी आयु के अन्य बालकों की गति से नहीं कर पाता है। ” (“A backward child is one who, in midschool career (i.e. about ten and a half yeras) is unable to do the work of the class next below that which is normal for his age.”) इस परिभाषा में मुख्य जोर इस बात पर दिया गया है कि पिछड़ा बालक वह है जो लगभग 10½ वर्ष की आयु में अपनी कक्ष से नीचे की कक्षा का कार्य नहीं कर पाता है। पिछड़ा बालक तो किसी भी कक्षा में हो सकता है। इसके लिए आयु का बन्धन लगाना उपर्युक्त प्रतीत नहीं होता है। भारतीय बालकों में पिछड़ा बालक उस बालक को कहना अधिक उपर्युक्त है तो अपनी कक्षा में अन्य बालकों की अपेक्षा बहुत अधिक मन्द गति से सीखता हो ।
पिछड़े बालकों की विशेषताएँ
(Characteristics)
पिछड़े बालकों की कुछ प्रमुख विशेषताएँ निम्न प्रकार से हैं- ( 1 ) इनके सीखने की गति धीमी भी होती है। (2) इनकी शारीरिक, मानसिक योग्यताओं की अपेक्षा इनकी शैक्षिक उपलब्धि कम होती है। (3) विद्यालय के पाठ्यक्रमों का लाभ उठाने में असमर्थ होते हैं। (4) सामान्य शिक्षण विधियों द्वारा शिक्षा ग्रणह करने में असमर्थ होते हैं । ( 5 ) इनका व्यवहार असमायोजित होता है। (6) बुद्धि-परीक्षणों पर इनकी IQ का विस्तार 90-110 तक होता है। (7) बहुधा जीवन में निराशा का अनुभव करते हैं। (8) व्यवहार से समस्याओं की अभिव्यक्ति होती है। (9) अपनी कक्षा में इनकी अपनी शैक्षिक उपलब्धि सबसे कम होती है।
पिछड़ेपन के कारण
(Causes of Backwardness )
- स्वास्थ्य (Health)– पिछड़े बालक स्वास्थ्य की दृष्टि से कमजोर होते हैं। अपने कमजोर स्वास्थ्य के कारण भी अपनी पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान नहीं दे पाते हैं।
- शारीरिक रोग (Physical Disease) — इनकी अस्वस्थता का कारण सम्भवतः इनमें विभिन्न रोगों का होना है। इनकी पाचनशक्ती दुर्बल होती है। इनकी ग्रन्थियाँ ठीक प्रकार से कार्य नहीं करती है। थोड़ा-सा मानसिक कार्य करते ही थकान और सिर दर्द का अनुभव करते हैं। मौसम के बुखार, खाँसी, नजला, जुकाम आदि भी इनको समय-समय पर होते रहते हैं।
- शारीरिक दोष (Physical Defect)– पिछड़े बालकों में अनेक प्रकार के शारीरिक दोष भी पाए जाते हैं, जैसे हकलाना, तुतलाना, कम सुनना, कम देखना, शारीरिक दुर्बलता आदि। इन शशीरिक दोषों के कारण भी बालक में अपनी कक्षा के अधिकांश बालकों के समान शैक्षिक उपलब्धि नहीं रहती है।
- निम्न बौद्धिक स्तर (Low Intelligence)—– अधिकांश मनोवैज्ञानिकों एवं शिक्षाशास्त्रियों का मत है कि लगभग 90% पिछड़े बालकों का बौद्धिक स्तर सामान्य बालकों की अपेक्षा निम्न होता है। जैसा पहले बताया जा चुका है कि उनकी IQ का विस्तार 90-110 तक होता है। इनकी IQ पर उच्च शैक्षिक उपलब्धि उस समय सम्भव नहीं है जब उनमें अनेक शारीरिक रोग और शारीरिक दोष हों ।
- निर्धन परिवार (Poor Family)– बहुधा ऐसे बालक निर्धन परिवारों से होते हैं। निर्धन परिवार से होने के कारण उन्हें पौष्टिक और पर्याप्त मात्रा में भोजन नहीं मिल पाता है। फलस्वरूप उनका शारीरिक और बौद्धिक विकास उतना नहीं हो पाता है जितना होना चाहिए। निर्धन परिवार का होने से उनको वह और उतनी सुविधाएँ प्राप्त नहीं हो पाती हैं कि वह कक्षा के अधिकांश विद्यार्थियों की भाँति शिक्षा ग्रहण कर लें । बहुधा यह भी देखा गया है कि निर्धन परिवार का होने के कारण बालक को अपनी जीविका कमानी पड़ती है। इनके लिए वह कोई भी छोटे-मोटे काम करके अपना जीवन चलाने की पहले सोचता है और पढ़ने की बाद में।
- अधिक सदस्यों वाला परिवार (Large Family) – जब परिवार में सदस्यों की संख्या अधिक होती है तो स्थान के अभाव और शोरगुल के कारण पढ़ने वाले बच्चे पढ़ नहीं पाते हैं। इस कारण भी उनकी शैक्षिक उपलब्धि सामान्य बालकों की भाँति नहीं हो पाती है।
- पारिवारिक वातावरण (Family Environment) — कुछ परिवारों में आए दिन लड़ाई-झगड़ा और मारपीट होती रहती है। जब परिवार में मन-मुटाव होता है और लड़ाई-झगड़े की स्थिति होती है तब इस प्रकार के वातावरण में बालकों के पढ़ने का कोई भी वातावरण नहीं रहता है। वह पढ़ते समय पारिवारिक स्थिति के सम्बन्ध में अधिक विचार करते हैं और पढ़ाई में मन कम लगता है।
- माता-पिता का दृष्टिकोण (Parents’ Views) – बालकों की शैक्षिक उपलब्धि माता-पिता के दृष्टिकोण पर भी आधारित है। माता-पिता को बालक कितना लाड़ प्यार करते हैं, कितना नियन्त्रण करते हैं और कितनी स्वतन्त्रता देते है, यह सब कारक बालकों की शैक्षिक उपलब्धि के प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं।
- माता-पिता का कम शिक्षित होना (Low Education of Parent’s ) – बालक के माता-पिता जब अधिक शिक्षित नहीं होते हैं तो बालक की पढ़ाई की ओर अधिक ध्यान नहीं देते हैं। इस अवस्था में वह बालक की पढ़ाई की दृष्टि से उचित मार्ग दर्शन नहीं कर पाते हैं।
- माता-पिता की आदतें ( Parent’s Habits) — माता-पिता की आदतें, जैसे आलस्य, कामचोरी, काम करने में लापरवाही, काम धीरे-धीरे करना आदि, इस प्रकार की आदतों का बालक पर गम्भीर प्रभाव पड़ता है। जब वह इन आदतों को अपना लेता है तो स्वाभाविक है कि वह इन आदतों के कारण कक्षा में पिछड़ा रह जायेगा।
- विद्यालय (School)– विद्यालय में सुविधाएँ, विद्यालय में अनुपस्थिति, विद्यालय में शिक्षकों की योग्यता स्तर, आदि सब कुछ भी बालक के पिछड़ेपन का कारण हो सकता है। इसके लिये अधिक आवश्यक है कि — (1) विद्यालय के अध्यापकों का व्यवहार स्नेहपूर्ण और सहायता करने वाला होना चाहिए। (2) पुस्तकालय, प्रयोगशाला तथा अन्य आवश्यक अध्ययन सामग्री प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होनी चाहिए। (3) खेलकूद और सांस्कृतिक विकास के साधन भी उपलब्ध होने चाहिए। (4) मनोवैज्ञानिक और आधुनिक शिक्षा पद्धतियों का उपयोग करके पिछड़े बालकों के पिछड़ेपन को दूर करने का प्रयास हो । (5) पिछड़े बालकों का पाठ्यक्रम सामान्य बालकों की अपेक्षा कुछ भिन्न होना चाहिए।
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