प्रारम्भिक पाठ्यक्रम में भाषा निर्धारित कीजिए।
उत्तर – प्रारम्भिक विद्यालयों में लोअर – प्राइमरी कक्षाओं अर्थात् कक्षा 1, 2, 3 में केवल मातृभाषा का अध्ययन होना चाहिए। प्रथम तीन वर्षों में किसी अन्य भाषा को प्रारम्भ करना ठीक नहीं है। प्रारम्भिक विद्यालय की अन्तिम दो कक्षाओं में किसी दूसरी भाषा को प्रारम्भ किया जा सकता है। यह दूसरी भाषा अहिन्दी – प्रदेशों में निश्चित रूप से राष्ट्रभाषा हिन्दी होनी चाहिए और हिन्दी प्रदेशों में संस्कृत के कुछ सरल श्लोकों का परिचय दिया जा सकता है। के वैसे अच्छा यही है कि प्रारम्भिक स्तर पर केवल मातृभाषा ही रहे ।
हिन्दी साहित्य के पाठ्यक्रम में प्राचीन और नवोदित साहित्यकारों की राष्ट्रीय एकता और आदर्शों से प्राणित करने वाली रचनाओं का संकलन किया जाये।
साहित्य की विभिन्न विधाओं कविता, कहानी, निबन्ध, नाटक, एकांकी, उपन्यास और संस्मरण आदि में अनेक राष्ट्रीय एकता से अनुप्राणित रचनाएँ आज भी उपलब्ध हैं। उनका संकलन कर विद्यालयों में उपलब्ध कराया जाये।
वर्तमान पाठ्यक्रम में प्रश्नोत्तरी की सहायता से राष्ट्रीय एकता का विकास करने का प्रयास किया जाना चाहिए। ऐसे प्रश्नों की सृष्टि कुशल एवं परिश्रमी अध्यापकों की शिक्षण शैली पर निर्भर है।
प्राथमिक स्तर में बातचीत के द्वारा भाषा-ज्ञान की वृद्धि के साथ राष्ट्रीय एकता की भावना का विकास किया जाये। उसके लिए इस तरह के प्रश्न सहायक होंगे –
1. तुम पढ़ने कहाँ आते हो ? (विद्यालय)2. विद्यालय में कौन पढ़ने आते हैं ? (लड़के)3. ये लड़के तुम्हारे कौन हैं ? (सहपाठी)4. सहपाठियों के साथ कैसे रहना चाहिए ? (मिलकर)5. तुम अपनी सामग्री सुरक्षित क्यों रखते हो ? (हानि न हो)6. विद्यालय किसका है ? (हमारा है)7. विद्यालय की सामग्री किसकी है ? (हमारी है)8. विद्यालय सामग्री की रक्षा किसको करनी चाहिए। (हमको)9. हम सबको किसने जन्म दिया ? (ईश्वर ने)10. हम सब कौन है ? (भाई-भाई)11. सबको मिलकर क्यों रहना चाहिए ? (शक्ति बढ़े)12. सब छात्रों को मिलकर रहने से किसका नाम ऊँचा होता है ? (विद्यालय का)13. देश के सब लोगों को कैसे रहना चाहिए ? (मिलकर)14. सम्पूर्ण देशवासी क्या कहलाते हैं ? (भारतवासी)15. धर्म, जाति, गाँव और राष्ट्र में सबसे अधिक महत्त्व किसको दोगे ? (राष्ट्र को)16. तुम किस राष्ट्र के निवासी हो ? (भारतवर्ष के)17. कौन-सी भावना की आवश्यकता है ? (एकता)
- सबसे सुन्दर देश भारतवर्ष है।
- सभी धर्मावलम्बी भारतवर्ष में स्वतन्त्रापूर्वक अपने धर्म का पालन करते हैं ।
- सभी जातियों को परस्पर मिलकर रहना चाहिए।
- सभी प्राणी ईश्वर के अंश हैं।
- भारतवर्ष की उन्नति के लिए एकता आवश्यक है। “
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