बच्चों की भाषा सीखने की क्षमता और भाषा सीखने की प्रक्रिया में योगदान करने वाले कारकों का उल्लेख कीजिए ।

प्रश्न – बच्चों की भाषा सीखने की क्षमता और भाषा सीखने की प्रक्रिया में योगदान करने वाले कारकों का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर- बच्चों की भाषा सीखने की क्षमता और भाषा सीखने की प्रक्रिया में योगदान करने वाले कारक निम्नलिखित हैं-
1. विषय सामग्री का स्वरूप (Nature of Subject-matter) — भाषा सीखने की क्रिया पर सीखी जाने वाली विषय-सामग्री का प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। कठिन और अर्थहीन सामग्री की अपेक्षा सरल और अर्थपूर्ण सामग्री अधिक शीघ्रता और सरलता से सीख ली जाती है। इसी प्रकार, अनियोजित सामग्री की तुलना में ‘सरल से कठिन की ओर’ (From Simple to Difficult) सिद्धान्त पर नियोजित सामग्री सीखने की क्रिया को सरलता प्रदान करती है।
2. बालकों का शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य (Physical and Mental Health of Children) — जो छात्र, शारीरिक और मानसिक दृष्टि से स्वस्थ होते हैं, वे सीखने में रुचि लेते हैं और भाषा शीघ्र सीखते हैं। इसके विपरीत शारीरिक या मानसिक रोगों से पीड़ित छात्र सीखने में किसी प्रकार की रुचि नहीं लेते हैं। फलतः वे किसी भाषा को बहुत देर में और कम सीख पाते हैं।
3. परिपक्वता (Maturation) – शारीरिक और मानसिक परिपक्वता वाले छात्र नये भाषा पाठ को सीखने के लिए सदैव तत्पर और उत्सुक रहते हैं। अतः वे सीखने में किसी प्रकार की कठिनाई का अनुभव नहीं करते हैं। यदि छात्रों में शारीरिक और मानसिक परिपक्वता नहीं होती है, तो सीखने में उनके समय और शक्ति का नाश होता है। कोलेसेनिक (Kolesnik, p. 56) के अनुसार, “परिपक्वता और सीखना पृथक् प्रक्रियाएँ नहीं है, वरन् एक-दूसरे से अविच्छिन्न रूप में सम्बद्ध और एक-दूसरे पर निर्भर हैं। “
4. सीखने का समय व थकान (Time of Learning and Fatigue)—सीखने का समय सीखने की क्रिया को प्रभावित करता है; उदाहरणार्थ, जब छात्र विद्यालय आते हैं, तब उनमें स्फूर्ति होती हैं। अतः उनको सीखने में सुगमता होती है। जैसे-जैसे शिक्षण के घण्टे में बीतते जाते हैं, वैसे-वैसे उनकी स्फूर्ति में शिथिलता आती जाती है और वे थकान का अनुभव करने लगते हैं। परिणामतः उनकी सीखने की क्रिया मन्द हो जाती है।
5. सीखने की इच्छा (Will to Learn ) – यदि छात्रों में भाषा को सीखने की इच्छा होती है, तो वे प्रतिकूल परिस्थितियों में भी उसे सीख लेते हैं। अतः अध्यापक का यह प्रमुख कर्त्तव्य है कि वह छात्रों की इच्छा शक्ति को दृढ़ बनाये । इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उसे उनकी रुचि और जिज्ञासा को जाग्रत करना चाहिए।
6. प्रेरणा (Motivation) — भाषा सीखने की प्रक्रिय में प्रेरकों (Motives) का स्थान सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता है। प्रेरक बालकों को नई बातें सीखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। अतः यदि अध्यापक चाहता है कि उसके छात्र नये पाठ को सीखें, तो वह प्रशंसा, प्रोत्साहन प्रतिद्वन्द्विता आदि विधियों का प्रयोग करके उनको प्रेरित करे। स्टीफेन्स (Stephens, pp. 350-351) के विचारानुसार– “शिक्षक के पास जितने भी साधन उपलब्ध हैं, उनमें प्रेरणा सम्भवतः सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है । “
7. अध्यापक व सीखने की प्रक्रिया (Teacher and Learning Process )— सीखने की प्रक्रिया में पथ-प्रदर्शक के रूप में शिक्षक का स्थान अति महत्त्वपूर्ण है। उसके कार्यों और विचारों, व्यवहार और व्यक्तित्व, ज्ञान और शिक्षण विधि का छात्रों के सीखने पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। इन बातों में शिक्षक का स्तर जितना ऊँचा होता है, सीखने की प्रक्रिया उतनी ही तीव्र और सरल होती है।
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