बच्चों के साहित्य की पाठ्यचर्या एवं पाठ्यक्रम में भूमिका समझाइए |

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प्रश्न – बच्चों के साहित्य की पाठ्यचर्या एवं पाठ्यक्रम में भूमिका समझाइए | 

उत्तर – बाल साहित्य – बालकों की रुचि, आवश्यकता, कल्याण, मनोविकास, व्यक्तिगत, सामाजिक, सांस्कृतिक, मानसिक विकास को ध्यान में रखकर रचा जाने वाला साहित्य बाल साहित्य कहलाता है।

बाल साहित्य की विशेषताएँ

  1. बाल साहित्य की भाषा बालकों के भाषा-ज्ञान को ध्यान में रखकर सरल, सुबोध व सुपाठ्य रखी जाती है।
  2. बाल साहित्य में प्रयुक्त शैली बच्चों की अवस्था के अनुसार सरल व प्रवाहपूर्ण होती है ताकि बच्चे उसे सहजतापूर्वक पढ़ने के लिए प्रेरित हो तथा वे उन्हें भाव ग्रहण में कोई कठिनाई न हो।
  3. बाल साहित्य में समाहित विषय-वस्तु बालकों की आवश्यकता व उपयोगिता को ध्यान में रखकर नियोजित की जाती है।
  4. बाल साहित्य में पर्याप्त मात्रा में दृश्य सामग्री को स्थान दिया जाता है, जैसे-कार्टून, कहानी या विषय से सम्बन्धित चित्र आदि।
  5. बाल साहित्य में बालोपयोगी नूतन जानकारियाँ हो जाती हैं।
  6. बाल साहित्य की विषय वस्तु बहुमुखी होती है। इसमें सामाजिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक, आर्थिक व राजीतिक विषयों में पर्याप्त स्थान दिया जाता है।
  7. इसमें बाल गीतों तथा बच्चों की रचनाओं को भी छापा जाता है जिससे बालक रचना कार्य के लिए प्रेरित होते हैं।
  8. इसमें बालकों की रुचि और मनोरंजन की भी प्रमुखता दी जाती है।

पढ़ना सीखने-सिखाने में बाल साहित्य की भूमिका

पढ़ना सीखने-सिखाने में बाल साहित्य की भूमिका को निम्नलिखित बिन्दुओं में समझा जा सकता है-

  1. बाल साहित्य से बालकों में पठन की प्रवृत्ति का विकास होता है।
  2. बाल साहित्य द्वारा बालकों में व्यक्तिगत पठन, मौखिक  गहन पठन, पठन, द्रुतपठन की प्रवृत्ति विकसित होती है।
  3. बाल साहित्य के श्रवण से छात्रों में श्रवण कौशल का विकास होता है।
  4. प्राय: बालक कहानी, चुटकुले, गीत आदि का सस्वर पाठ करते हैं जिससे वे स्वर पठन में कुशल हो जाते हैं।
  5. बाल साहित्य के पढ़ने से बच्चों में अर्थ ग्रहण, सार ग्रहण, विवेचन करने तथा पढ़ने के पश्चात् अपनी प्रतिक्रिया देने जैसे गुणों का विकास होता है जो पढ़ने की प्रक्रिया के महत्त्वपूर्ण पहलू हैं।
  6. बाल साहित्य के माध्यम से बच्चों में कविता, गीत, कहानी आदि रचने के लिए प्रवृत्त होते हैं जिससे उनमें रचनात्मकता का विकास होता है।
  7. बाल साहित्य को सहायक सामग्री के रूप में अपना कर भाषा शिक्षक छात्रों को भाषा सिखाने का प्रयास कर सकता है।

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