बालचर पर निबंध लिखें।

प्रश्न – बालचर पर निबंध लिखें। (Write an essay an scouting.)
उत्तर- स्काउटिंग के संचालक सर राबट पावल (Sir Robert-Powell) के कथनानुसार ‘स्काउटिंग’ एक प्रकार का खेल है जिसमें अवकाश के समय बड़े भाई अपने छोटे भाईयों के साथ सम्मिलित होकर उन्हें सत्संग का अवसर देते हैं और ऐसी बातें सिखाते हैं जिनसे सयाने होने पर वे अच्छे नागरिक बन सके ।
सेकण्ड्री एजुकेशन कमीशन (1952-53) की रिपोर्ट में स्काउटिंग के लाभ इस प्रकार से बताए गए :
बच्चों में चरित्र-निर्माण तथा नागरिकता की भावना भरने के लिए स्काउटिंग एक अति उत्तम साधन है । इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह हर आयु के बच्चों के लिए लाभप्रद है और उनकी शक्तियों को ठीक मार्ग पर लाने में सहायक सिद्ध होता है । इसके अनेक प्रकार के कार्यक्रम अर्थात् खेल, कैम्प लगाना, व्यावहारिक कार्य आदि सामाजिक सेवा, अच्छा व्यवहार तथा हरेक प्रकार की स्थिति का सामना करने की कार्यक्षमता छात्रों में भरते हैं ।
स्काउटिंग के संचालक सर बेडन पावल बहुत ही उच्चकोटि के मनोवैज्ञानिक विद्वान थे । उन्होंने इसकी स्थापना 1908 ई. के लगभग की । उस समय दक्षिणी अफ्रीका में बोअर युद्ध हो रहा था । युद्ध के समय छोटे-छोटे बालकों द्वारा अनेक प्रकार के कार्य करवाए गए । लड़ाई के पश्चात् उन्होंने जनसेवा के लिए इस संस्था का प्रचार किया । वे बहुत ही दूरदर्शी व्यक्ति थे । थोड़े ही समय के पश्चात् इस संस्था की विभिन्न शाखाएँ संसार के भिन्न-भिन्न देशों में स्थापित हो गईं ।
भारतवर्ष में इस संस्था का जन्म 1911 ई. में हुआ। परंतु इसके पश्चात् प्रथम महायुद्ध के समय श्रीमती ऐनी बेसेन्ट ने इस संस्था को आगे बढ़ाने के लिए बहुत कार्य किया |
स्काउटिंग द्वारा छात्रों में इस प्रकार के गुण – ईमानदारी, पवित्रता, सत्यता, आत्म-स्फूर्ति, परिश्रम की महत्ता, निष्काम सेवा, भ्रातृ-भाव, स्वामिभक्ति तथा नेतृत्व आदि का विकास होता है । बालचर संस्था छात्रों की मनोवैज्ञानिक प्रवृत्तियों को ध्यान में रखकर उचित मार्ग दिखाती है ।
इसमें कोई सन्देह नहीं कि यदि इस संस्था को ठीक प्रकार से चलाया जाए तो आजकल के छात्रों में अनुशासनहीता के जो लक्षण शिक्षा केन्द्रों में दिखाई देते हैं, वे कदापि न रहें । संस्था द्वारा बच्चों की मनोवैज्ञानिक आकांक्षाओं की तृप्ति होती है। निस्सन्देह इस संस्था के संस्थापक बहुत बड़े मनोवैज्ञानिक थे । यह संस्था राजनीति से बाहर, असाम्प्रदायिक, ऐच्छिक तथा गैरसरकारी है ।
> स्काउटिंग के शैक्षिक मूल्य (Advantages of Scouting)
स्काउटिंग के लाभ इस प्रकार हैं- (i) परिश्रम की महत्ता – यह सच है कि साधारण छात्र स्वयं अपने हाथ से काम करने में जी चुराता है । वह अपने लिए काम करने में स्वाभिमानी नहीं होता। यह संस्था छात्रों को रचनात्मक कार्य करने का अवसर प्रदान करके उनके हृदय में स्वयं काम करने की भावना जागृत करती है और स्वयं काम करके आनन्दित होने के विचारों को प्रबल करती है ।
(ii) भ्रातृभाव – संसार के बहुत से दुःख केवल इस कारण से हैं कि भ्रातृभाव की कमी है । यदि मानवता को जीवित रखना है तो छात्रों में जो कुछ वर्षों के पश्चात् संसार में महत्वपूर्ण काम करने वाला व्यक्ति बन जाते हैं, भ्रातृत्व की भावना जागृत कराने के लिए भरसक प्रयत्न होना चाहिए । बालचर संस्था के जब कैम्प लगते हैं तो सब धर्मों के, जातियों के, अनेक वर्णों के छात्र बिना किसी भेदभाव के सम्मिलित होते हैं ।
(iii) व्यावहारिक निपुणता – स्काउटिंग में छात्रों को इस प्रकार के अनेक कार्य करने पड़ते हैं जिनके द्वारा उनमें व्यावहारिक कार्यक्षमता आती है, जैसे-तैरने का अभ्यास, घोड़े की सवारी, दुखियों की सेवा करना, रोगियों को सहायता देना, कुल्हाड़ी चलाना, गाँठें बाँधना आदि कार्य ।
(iv) सामाजिक सेवा की शिक्षा – प्रायः यह देखा गया है कि मेलों में, उत्सवों में, जलसों आदि में स्काउट बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य करते हैं। समाज पर किसी आपत्ति के समय, जैसे बाढ़ का आना, भूचाल आना, कहीं आग लगना आदि अवसरों पर ये अग्रसर होते हैं। नगर की सफाई, प्रौढ़ शिक्षा तथा स्वास्थ्य के नियमों का जनता में प्रचार आदि कार्य भी स्काउटों द्वारा किए जाते हैं ।
(v) मूल प्रवृत्तियों का उन्नयन – बच्चों में परस्पर गुट बनाकर लड़ने-झगड़ने की जो प्रवृत्ति होती है, उसे हटाने में स्काउटों के खेल तथा उनकी टोलियों की प्रतियोगिताएँ समर्थ होती हैं।
यौन भावना (Sex Instinct) का उन्नयन प्रकृति के साथ सम्पर्क में आने से होता है। आत्माभिमान का उन्नयन अपने दल को ठीक नेतृत्व प्रदान करने में सहायक होता है। इसी प्रकार दूसरी प्रवृत्तियों के उत्थान के लिए अनेक प्रकार के सुअवसर प्राप्त होते हैं ।
(vi) प्रकृति प्रेम – स्काउटिंग में भ्रमण करने तथा प्राकृतिक सौन्दर्य को देखने तथा मनन करने के अनेक अवसर मिलते हैं जिनका प्रभाव छात्रों के मानसिक, शारीरिक तथा नैतिक विकास पर पड़ता है। कहा जाता है कि वनोपसेवन स्काउटिंग का प्राण है । यदि इसको स्काउटिंग से निकाल दिया जाए तो स्काउटिंग क्रिया नीरस हो जाती है । जो छात्र घरों में ही पलते हैं, जिनका सम्पर्क बाहरी दुनिया से नहीं हो सकता, जो प्रकृति के दर्शन नहीं करते, जो वनोपसेवन का अवसर प्राप्त नहीं कर पाते, उनकी दशा ठीक उस फूल के पौधे की भाँति है जो बनावटी वातावरण में रखकर नष्ट कर दिया जाता है । जब तक छात्र स्वच्छ वायु और जल के प्राकृतिक रूप से परिचित नहीं होता, तब तक उसके जीवन का विकास नहीं होता ।
(vii) साहस की भावना – बाहरी जीवन छात्रों को इस प्रकार अवसर प्रदान करता है जिससे उनकी जानने की जिज्ञासा पूर्ण होती है । आत्म अनुभव द्वारा शिक्षा ग्रहण करने का अवसर मिलता है। दुनिया के बारे में वास्तविक ज्ञान अपने अनुभव द्वारा उन्हें प्राप्त होता है । अनुभव तो जीवन की सफलता के लिए आवश्यक है, जो वनोपसेवन में छात्र को पग-पग पर होता है । खतरा मोल लेने की शक्ति उसमें आती हैं। बाहरी जीवन स्काउटिंग का प्राण है ।
प्रो. रसल (Bertrand Russell) ने स्काउटिंग के लाभ इस प्रकार बताए हैं प्रकृति-प्रेमी स्काउटिंग की इसलिए प्रशंसा करता है क्योंकि इससे छात्र प्रकृति के स हैं । उपदेशक इसकी आचार प्रवृत्ति की प्रशंसा करता है । स्वास्थ्य में रुचि रखने वाले इसके स्वास्थ्यवर्धक कामों की प्रशंसा करते हैं। माता-पिता प्रसन्न होते हैं कि उनके बच्चे स्काउटिंग के कार्यक्रमों में भाग लेकर शरारती नहीं बनते, परंतु एक शिक्षाशास्त्री के विचारों में स्काउटिंग की गतिविधियाँ गैर-जिम्मेदार, मनमौजी तथा चंचल छात्रों को अच्छे नागरिक, सन्मार्गगामी, विश्वासपात्र तथा अवलम्बन के योग्य बनाती है। छात्र प्रसन्न होता है क्योंकि स्काउटिंग द्वारा उसकी मूल प्रवृत्तियों के अनुकूल कार्य प्रदान ।
बालचर संस्था में आयु के अनुसार तीन वर्ग होते हैं । आठ वर्ष से बारह वर्ष की आयु तक के बालक Cubs कहलाते हैं । बारह से अठारह वर्ष तक के ‘स्काउट’ कहलाते हैं। अठारह वर्ष से अधिक आयु के ‘रोबर’ कहलाते हैं । परंतु साधारणतया हम सभी को स्काउट अथवा बालचर पुकारते हैं । जिस प्रकार बालचर संस्था लड़कों के लिए है उसी प्रकार Girl Guiding लड़कियों के लिए है। ।
अच्छे स्काउट मास्टर के गुण (Qualities of Scout Master)-विद्यालय में स्काउटिंग मार्गदर्शन होता है। एक अच्छे स्काउट मास्टर में अग्रलिखित बातों का होना अति आवश्यक है-
(i) उसका व्यवहार इस प्रकार का हो कि वह बालकों के साथ सभ्य ढंग से घुल-मिल सके । वह अपने आपको बहुत ऊँचा न समझकर बालचरों के साथ खेल-कूदे तथा उनके कार्यों में शामिल होता रहे ।
(ii) वह मनोविज्ञान के सिद्धांतों को जानने वाला हो । भिन्न-भिन्न अवस्थाओं के छात्रों के विचार, आचार तथा आवश्यकताओं को भली-भाँति समझने की क्षमता रखता हो । छात्रों के उत्तरोत्तर विकास में किन-किन कठिनाइयों को दूर करना चाहिए, इस रहस्य का उसे ज्ञान हो ।
(iii) प्रत्येक छात्र के साथ उसका व्यक्तिगत सम्पर्क हो ताकि वह उनकी व्यक्तिगत कठिनाइयों को देखकर उनको दूर करने के उपाय सोच सके ।
(iv) उसे सामूहिक भावना के महत्व को समझकर प्रत्येक स्काउट में सामूहिक भावना भरने का प्रयत्न करना चाहिए ।
(v) उसे स्काउट-कला में दक्ष होना चाहिए ।
(vi) वह स्वयं स्काउट संस्था के नियमों का पालन करने वाला हो ।
(vii) स्काउट मास्टर को निस्वार्थी होना चाहिए । यह काम वही शिक्षक कर सकता है जो इसे धन या उन्नति का साधन नहीं मानता । वेतन वृद्धि का लालच कभी भी स्काउट आंदोलन को उन्नति के पथ पर नहीं ले जा सकता ।
(viii) स्काउट मास्टर में स्काउटिंग के प्रति उत्साह होना चाहिए ।
(ix) उसको केवल दिखावे के कार्य ही न करके ठोस कार्य करने चाहिए ।
(x) उसका नारा “Come on ” होना चाहिए न कि “Go on” अर्थात् ‘आओ हम सब जुट जाएँ’ न कि केवल ‘तुम ही कार्य करो’ आदेश न देकर स्वयं कार्य करके आदर्श स्थापित करना चाहिए । काम में
> विद्यालय में स्काउट ट्रिप चलाना (Organizing Scout Trip in School)
(i) बत्तीस छात्रों से अधिक स्काउट एक ट्रिप में नहीं होने चाहिए ।
(ii) स्काउट बनने के लिए छात्रों को चुनाव ठीक ढंग से होना चाहिए ।
(iii) प्रारम्भिक प्रशिक्षण बाह्य जीवन से आरम्भ होनी चाहिए। पिकनिक का प्रबंध करके स्काउटिंग के बारे में कुछ बताया जाए ।
(iv) सप्ताह में दो बार स्कूल से डेढ़ घंटा पहले या बाद में छात्रों को स्काउटिंग की शिक्षा दी जाए ।
(v) स्काउट टोलियों की प्रतियोगिताएँ होनी चाहिए ताकि स्काउटों में कार्यक्षमता आए ।
(vi) जहाँ तक सम्भव हो सके, विद्यालय में एक कमरा इस कार्य के लिए नियत कर दिया जाए ।
(vii) जहाँ तक हो सके, सारे दल को एक साथ ही शिक्षा नहीं देनी चाहिए । टोली के नेताओं को स्वयं स्काउट मास्टर शिक्षा दे ।
(viii) स्काउट दल के पास पर्याप्त सामान होना चाहिए । रस्से, पट्टियों, कंपास, फर्स्ट एड बॉक्स, लाठियाँ तथा पिकनिक का सारा सामान स्कूल में होना चाहिए । समय-समय पर सामाजिक सेवा करने के अवसर स्काउटों को प्रदान करने चाहिए ।
(ix) कैम्प फायर होने चाहिए ।
(x) प्रत्येक दल के कार्य का लेखा-जोखा रखना चाहिए ।
(xi) निर्धन छात्र यदि यूनिफार्म न बना सकें तो इस पर जोर नहीं देना चाहिए । इसके लिए विद्यालय द्वारा सहायता दी जाए ।
(xii) छुट्टियों में स्काउटिंग कैम्प लगाने चाहिए ।
(xiii) स्काउटिंग का काम केवल स्कूल के निरीक्षण के समय ही नहीं होना चाहिए, बल्कि सारा वर्ष काम चालू रहना चाहिए ।
(xiv) अधिक रैलियाँ नहीं होनी चाहिए । उनसे केवल दिखावा ही बढ़ता है ।
(xv) स्काउटिंग का काम स्कूल में किसी लगन वाले तथा सेवा – भाव रखने वाले शिक्षक के अधीन होना चाहिए ।
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