बिहार के किसान आंदोलन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

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प्रश्न – बिहार के किसान आंदोलन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

उत्तर – नीलहों के अत्याचार से बिहार के चम्पारण के किसान पस्त थे। 1916 में काँग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में चम्पारण के एक किसान राजकुमार शुक्ल ने सबका ध्यान इस समस्या की ओर आकृष्ट किया। गाँधीजी, राजेन्द्र प्रसाद, मजरुल हक, जे०बी० कृपलानी, नरहरि पारिख और महादेव देसाई के साथ 1917 में वहाँ पहुँचे और किसानों की हालत की विस्तृत जाँच-पड़ताल करने लगे। उन्हें गिरफ्तार कर जिला न्यायालय में मुकदमा चलाया गया। परन्तु बिहार सरकार ने कमिश्नर और जिला न्यायालय को यह आदेश दिया कि इस मुकदमे को वापस ले लिया जाए। किसानों के कष्टों की जानकारी हासिल करने के लिए एक जाँच समिति का गठन किया गया जिसके एक सदस्य स्वयं गाँधीजी थे। स्थानीय महाजनों और गाँव के मुख्तियारों ने भी गाँधीजी को काफी सहयोग दिया। परन्तु सबसे अधिक सहयोग किसानों और उनके स्थानीय नेताओं से मिला।

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