बोध-परीक्षण या गद्यांश पर आधारित प्रश्न | JNV Class 6th Hindi solutions
बोध-परीक्षण या गद्यांश पर आधारित प्रश्न | JNV Class 6th Hindi solutions
बोध-परीक्षण या गद्यांश पर आधारित प्रश्न
किसी भाषा की जानकारी पूर्ण रूप से है या नहीं, इसका ज्ञान अपठित अंशों से किये गये प्रश्नों के सटीक उत्तर से ही ज्ञात होता है जिसे ‘बोधपरीक्षण’ (comprehension) कहा जाता है। यदि हमें किसी भाषा का कोई गद्यांश या पद्यांश दे दिया जाय और उसे पढ़कर यदि हम उसके बारे में दिये गये प्रश्नों के ठीक उत्तर दे पाते हैं तो समझना चाहिए कि उस भाषा में हमारी पूर्ण जानकारी है। गद्यांशों और पद्यांशों को बार-बार पढ़कर उनके बारे में किये गये प्रश्नों का अपनी भाषा में उत्तर देने का अभ्यास करने से हमारी बोध-शक्ति का उत्तम विकास होता है ।
बोध-परीक्षण के सामान्य अनुदेश :
1. सर्वप्रथम मूल अवतरण को कई बार ध्यानपूर्वक पढ़ें जिससे कि मूल भाव को समझने में दिक्कत न हो।
2. मूल अवतरण के मूल भावों व विशिष्ट शब्दों को रेखांकित कर देना चाहिए जिससे कि सही उत्तर खोजने में दिक्कत न हो।
3. दिये गये सभी प्रश्नों के उत्तर मूल अवतरण में ही विद्यमान रहते इसलिए परीक्षार्थी को चाहिए कि मूल अवतरण से ही उत्तर को खोजें, न कि बाहर से ।
4. दिये गये प्रश्नों के क्रम के अनुसार ही मूल अवतरण से प्रश्नों का उत्तर खोजें । इससे उत्तर खोजने में काफी सुविधा होगी।
5. किसी भी दिये गये प्रश्न के उत्तर के लिए अपनी ओर से कुछ भी न जोड़ें ।
6. बहुविकल्पीय प्रश्नों के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिए होते है। उनमें से एक ही विकल्प सही होता है शेष विकल्प सही नहीं होते हैं। प्रत्येक विकल्प पर विचार करके गद्यांश को ध्यान में रखकर सही उतर दें ।
7. शीर्षक सदैव केन्द्रीय भाव को ध्यान में रखकर यथासम्भव सरल, संक्षिप्त और मूलभाव को व्यक्त करने वाला होना चाहिए ।
उपर्युक्त तथ्यों को निम्नलिखित उदाहरणों द्वारा स्पष्ट करते हैं :
निम्नलिखित गद्यांशों को सावधानीपूर्वक पढ़ें एवं प्रश्नों के सही उत्तर को निर्देशानुसार चिह्नित करें । परीक्षार्थियों की सुविधा के लिए बोध-परीक्षण के कुछ उदाहरण प्रस्तुत हैं—
उदाहरण 1.
इस संसार में धन ही सब कुछ नहीं है । धन की पूजा सदैव नहीं होती । इतिहास साक्षी है कि उन व्यक्तियों की कीर्ति अक्षय है जिन्होंने केवल धनोपार्जन में ही अपना जीवन नहीं बिताया वरन् ऐसे कार्य भी किये जिनसे मानव समाज का कल्याण हुआ। जिन लोगों का उद्देश्य केवल धन बटोरना रहा है, उनकी प्रतिष्ठा स्थायी नहीं रही है। पूजा उन्हीं की की गई है जिन्होंने मानव-समाज की भलाई की और उसके कल्याण के क्षेत्र में योगदान दिया । जिन्होंने धन को ही सब कुछ समझा उन्हें किसी ने जाना तक नहीं कि वे कौन थे और कहाँ गए ? मानव समाज स्वार्थ की पूजा नहीं करता ।
1. किसकी पूजा सदैव नहीं होती ?
(1) जमीन की
(2) धन की
(3) मकान की
(4) पद की
2. उनकी कीर्ति अक्षय है जिन्होंने —
(1) धनोपार्जन किया
(2) अपने ग्रंथ लिखे
(3) मानव समाज का कल्याण किया
(4) अनेक चुनाव जीते
3. उनकी प्रतिष्ठा स्थायी नहीं रही जिन्होंने—
(1) धन बटोरा
(2) बड़े-बड़े पद प्राप्त किये
(3) जमीन खरीदी
(4) अनेक युद्ध जीते
4. पूजा उन्हीं की की गई है, जिन्होंने—
(1) रक्तदान किया
(2) विद्वानों का सम्मान किया
(3)मानव समाज की भलाई
(4) श्रेष्ठ साहित्य की रचना की
5. मानव समाज किसकी उपासना नहीं करता ?
(1) धन की
(2) ज्ञान की
(3) वैभव की
(4) स्वार्थ की
उदाहरण 2.
यदि तुम भविष्य को अपनी मुट्ठी में बन्द करना चाहते हो तो समय के प्रत्येक क्षण का उपयोग करो । प्रत्येक क्षण तुम्हारी प्रगति का क्षण है। जीवन की दौड़ वास्तव में विद्यार्थी जीवन में आरम्भ होती है। जिन विद्यार्थियों की दृष्टि दूर भविष्य के क्षितिज में अपने लक्ष्य को ढूँढ़ने में लगी होती है वे विश्राम नहीं किया करते ।
1. इस गद्यांश में संज्ञा शब्द कुल कितनी बार प्रयुक्त हुए हैं ?
(1) 15
(2) 14
(3) 27
(4) 18
2. गद्यांश में विशेषण शब्द कुल कितनी बार प्रयुक्त हुए हैं ?
(1) 0
(2) 1
(3) 3
(4) 2
3. गद्यांश में स्पष्ट रूप से कारक के शब्द कुल कितनी बार प्रयुक्त हुए हैं ?
(1) 13
(2) 12
(3) 11
(4) 14
4. गद्यांश में सर्वनाम शब्द ‘वे’ निम्नलिखित के लिए प्रयुक्त हुआ है—
(1) लक्ष्य
(2) विद्यार्थी जीवन
(3) विद्यार्थियों
(4) क्षितिज
5. गद्यांश में निम्नलिखित में किसको मुट्ठी में बन्द करने का संकेत किया गया है ?
(1) लक्ष्य
(2) क्षण
(3) प्रगति
(4) भविष्य
उत्तरमाला
उदाहरण 1.
1. (2), 2. (3), 3. (1), 4. (3), 5. (4)
उदाहरण 2.
1. (4), 2. (3), 3. (1), 4. (3), 5. (4)
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