भारतीय स्त्रियों को प्राप्त शैक्षिक अवसरों की समानात पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें ।
प्रश्न – भारतीय स्त्रियों को प्राप्त शैक्षिक अवसरों की समानात पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें ।
उत्तर – भारत की जनगणना (2001) के अनुसार भारत में वर्ष 2001 में 102 करोड़ 70 लाख 15 हजार और 257 व्यक्ति थे। उनमें से 49.57 करोड़ स्त्रियाँ थी । भारत में स्त्रियों में साक्षरता 54.1% है जबकि पुरुषों में यह 75.9% है । मुस्लिम और घुमन्तू सदस्यों की स्त्रियों में साक्षरता दर बहुत अधिक है। अनुसूचित जातियों और जनजातियों की स्त्रियों में असारक्षता बहुत अधिक है। 1996 में भारत सरकार द्वारा प्रकाशित National Policy on Education 1986-Programme of Action में यह स्वीकार किया गया था। शिक्षा व्यवस्था स्त्रियों की समानता की दिशा में पर्याप्त योगदान नहीं कर पायी है । अतः सरकार ने इस दिशा में निम्नांकित कार्य करने की नीति बनायी थी –
- लड़कियों के लिये प्राथमिक शिक्षा की योजना बनायी जाये ।
- स्त्रियों के लिये (आयु वर्ग 15-35 जिनकी संख्या 1995 तक अनुमानतः 6.8 करोड़े होने वाली थी) प्रौढ़ शिक्षा का कार्य बनाया जाये ।
- लड़कियों/स्त्रियों को व्यावसायिक व तकनीकी शिक्षा दिलवायी जाये ।
- स्त्रियों की शैक्षिक समानता हेतु विविध प्रकार की क्रियाएँ की जाये ।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने यह प्रस्तावित किया था की भारतीय स्त्रियों की दशा में परिवर्त्तन लाने के लिए शिक्षा को हस्तक्षेप करना होगा। यह तय किया गया था कि-
- शिक्षा को हस्तक्षेप करने की भूमिका निभानी होगी ।
- पाठ्यक्रमों और पुस्तकों की पुनः रचना करनी होगी जिससे नये मूल्यों का विकास हो सके ।
- व्यावसायिक तकनीकी और प्रोफेशनल शिक्षा में स्त्रियों के प्रवेश का विस्तार किया जायेगा ।
- स्त्रियों को शैक्षिक अवसरों की समानता प्राप्त हो सके, इसके लिए गतिशील प्रबन्ध ढाँचा सृजित करना होगा ।
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