भारत ‘कृषि विपणन’ का वर्णन कीजिए एवं कृषि विपणन व्यवस्था की कमजोरियों को बताइए। कृषि उपज विपणन व्यवस्था में सुधार की दृष्टि से बिहार सरकार द्वारा क्या उपाय किए गए हैं।

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प्रश्न – भारत ‘कृषि विपणन’ का वर्णन कीजिए एवं कृषि विपणन व्यवस्था की कमजोरियों को बताइए। कृषि उपज विपणन व्यवस्था में सुधार की दृष्टि से बिहार सरकार द्वारा क्या उपाय किए गए हैं।
उत्तर –  कृषि विपणन में मूलरूप से कृषि के सामानों की खरीदा जाता है। प्राचीन काल में जब गाँव की अर्थव्यवस्था उतनी अच्छी नहीं थी, तो लोग अपने सामानों को गाँव में ही नगद या वस्तु विनिमय के आधार पर बेच देते थे। लेकिन वर्तमान में यह काफी विस्तृत हो चुका है। कृषि से जुड़े सामान उपभोक्ता तक पहुंचने से पहले ही एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक हस्तातंरित हो जाते हैं। इसमें तीन तरह के कार्य होते हैं। वस्तु को तैयार करना, बेचने की तैयारी और उसका वितरण। किसी भी कृषि से संबंधित वस्तु की बिक्री उस उत्पाद की मांग और उत्पादन के समय पर निर्भर करती है। भारत में कृषि विपणन के अंतर्गत कृषि विपणन सहकारी समिति सार्वजनिक व्यापार और कृषि व्यापार नीति का समावेशन है।

कृषि विपणन-सहकारी समिति – सहकारी समितियों के सदस्य किसान होते हैं जो कि अपने अतिरेक उत्पाद को समितियों में बेच देते हैं। जो किसान को वित्तीय व्यवस्था उपलब्ध कराती हैं। ताकि किसान अपनी गतिविधियां सुचारू रूप से चला सकें। यह समितियाँ अपने सदस्यों और गैर-सदस्यों से भी कृषि उत्पादन को एकत्रित करती हैं। इन समितियों को बाजार की जानकारी होती है। तथा अनुकूल समय आने पर बाजार में उसे बेच देती हैं जो कि बाजार की स्थिति पर निर्भर करता है। यदि उन्हें लगता हैं कि भविष्य में कीमत बढ़ सकती है तब ये उन्हें अपने पास संचित रखती हैं। समान्यत: ये समितियाँ कई गाँवों में अपना अभियान चलाती हैं। इसलिए इनकी गतिविधियां प्रभावपूर्ण होती हैं। सहकारी विपणन संस्थाओं के कुछ महत्वपूर्ण लाभ निम्नवत हैं –

  1. विपणन समितियां एकत्रित मोलभाव करती हैं। किसी एक किसान के पास मोलभाव की कम क्षमता होती है तथा उसे कृषि उत्पाद से अच्छी कीमत नहीं मिलती है। लेकिन समितियां इस प्रणाली द्वारा बाजार से अच्छी कीमत प्राप्त करती हैं।
  2. विपणन समितियां किसानों को आकस्मिक वित्त उपलब्ध कराती हैं ताकि वह बाजार से तुलनातम्क कीमत प्राप्त करने के लिए अपनी फसल को अपने पास रख सके।
  3. ये समितियाँ किसानों को बढ़िया उत्पादन करने के लिए प्रेरित करती हैं।
  4. ये समितियाँ दलालों को समाप्त करती हैं और किसानों को अधिकतम कीमत दिलाने की कोशिश करती हैं।

भारत में कृषि विपणन की समस्याएं –  भारत में कृषि सुधार में कृषि विपणन भी सुधार की प्रक्रिया में है। फिर भी कुछ कमियां है –

  1. भंडारण की समस्या – भारत में अभी भंडारण की उचित व्यवस्था नहीं है, ताकि किसान अपने उत्पादन कुछ समय के लिए रोक सकें। इसके अलावा कृषि उत्पाद भंडार गृहों में नष्ट हो जाता है। इससे किसानों को बाजार से अपने फसलों की उचित कीमत नही मिल पाती है।
  2. यातायात की समस्या –  भारत में अभी तक कई हजार गाँव सड़क से नहीं जुड़े हैं या फिर गाँवों का मुख्य सड़कों से संपर्क नहीं है। इसमें उत्पादन को बाजार ले जाना मुश्किल होता है।
  3. आधारभूत संरचना की कमी –  किसानों को अपनी फसलों की सही कीमत मिलने के लिए जरूरी होता है कि वह अपनी फसल को सही कीमत पर बेचने के लिए संगठित हों क्योंकि एक तरफ मंडिया गाँवों से दूर होती हैं, जहां भंडारण की व्यवस्था नहीं है। इसलिए उनको पर्याप्त कीमत नहीं मिल पाती है। इसके अलावा बिचौलिये एवं दलाल उनसे अधिकांश ले लेते हैं।
  4. वायदा बाजार की अनियमिता –  कुल कृषि विपणन में वायदा कारोबार का अधिक अंश है। इसलिए जरूरी है कि कृषक समुदाय को इसके बारे में समुचित जानकारी दी जाए।

बिहार में कृषि विपणन –  बिहार में कृषि की विकास दर काफी धीमी है। यहां तकनीक का अभाव एवं उचित बाजार प्रणाली नहीं होने के कारण किसानों को उतना लाभ नहीं मिलता है जितना वो मेहनत करते हैं। किसान अपने अतिरिक्त उत्पादों को बाजार तक आसानी से नहीं पहुंचा पाते हैं, जिससे उनका उत्पाद बर्बाद हो जाता है।

बिहार सरकार द्वारा भंडारण क्षमता में सुधार हेतु व्यापार मंडल, राज्य खाद्यान्न निगम तथा केंन्द्रीय भंडारण निगम को जमीन उपलब्ध कराई जा रही है। साथ ही अब सरकार द्वारा उन्हें वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। बिहार देश का प्रथम राज्य है, जिसने एपीएमसी को समाप्त कर दिया। एपीएमसी एक्ट के तहत गठित बाजार समितियां एवं उपबाजार समितियां धीरे-धीरे सामाजिक सन्दर्भ में कृषि उत्पादों के मूल्य में वृद्धि एवं कृषकों के शोषण में सहायक बने हुए थे। वस्तुतः इन समितियों द्वारा कृषि उत्पादों के स्वतंत्र प्रवाह में अवरोध उत्पन्न किए जा रहे थे। इसके अलावा बिहार सरकार द्वारा विपणन प्रणाली में सुधार हेतु परिवहन व्यवस्था का विकास, भंडारण का विस्तार, खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा दिया जा रहा है। कृषि क्षेत्र में सुधार हेतु बिहार सरकार द्वारा किए जाने वाले प्रयास:-

बिहार में दुग्ध उत्पादों को छोड़ कर बाकि किसी भी उत्पाद के लिए सहकारी विपणन समिति की स्थापना नही की गई है। इसलिए कृषि उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है कि ऐसी सहकारी विपणन समिति की स्थापना शेष सभी कृषि उत्पादों के लिए किया जाए।

सरकार द्वारा कृषि उत्पादों से संबंधित बाजार तंत्र को और मजबूत किया जा रहा है। इन उत्पादों को सिर्फ बिहार में ही नहीं, बल्कि बिहार के बाहर भी भेजने का प्रयास सरकार द्वारा किया जा रहा है, ताकि किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य मिल सके और साथ ही साथ उनके उत्पादों का प्रसार भी हो। इसके लिए निजी क्षेत्र को इसमें शामिल किया जा रहा है। इसके लिए कई संगठनों, संस्थाएं एवं घरेलू लोगों से भी संपर्क किया गया ताकि किसानों का उत्पाद ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सके।

  • किसानों को उनके कृषि का उचित मूल्य प्राप्त हो सके न सिर्फ उचित मूल्य प्राप्त हो सके बल्कि सही समय पर हो सके। किसानों को नई तकनीकों से अवगत कराया जा रहा है। ताकि कृषि क्षेत्र में नई तकनीकों का इस्तेमाल कर वो अपनी कृषि उत्पादकता को बढ़ा सके।
  • किसानों को कृषि से संबंधित नई जानकारी उपलब्ध कराना, मौसम से संबंधित जानकारी देना, नवीन जानकारियों से अवगत कराना आदि के लिए प्रयास बिहार सरकार द्वारा किया जा रहा है।

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