भारत के प्रमुख बड़े पैमाने के उद्योग भौगोलिक दृष्टि से कुछ विशेष क्षेत्रों में ही स्थापित हो पाए हैं, इसके कारणों की व्याख्या करें एवं भारत के प्रमुख बुनियादी उद्योगों की व्याख्या करें ।

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प्रश्न – भारत के प्रमुख बड़े पैमाने के उद्योग भौगोलिक दृष्टि से कुछ विशेष क्षेत्रों में ही स्थापित हो पाए हैं, इसके कारणों की व्याख्या करें एवं भारत के प्रमुख बुनियादी उद्योगों की व्याख्या करें ।
उत्तर – 

बड़े पैमाने के उद्योग वे उद्योग हैं जो कम से कम तीन विशेषताओं को संयोजित करते हैं: मशीनरी का उपयोग, श्रम या रोजगार, और कारखाना अधिनियम या विवाद अधिनियम जैसे नियामक उपायों के अनुप्रयोग। भारत के प्रमुख बड़े उद्योगों में चाय उद्योग, जूट उद्योग, सीमेंट उद्योग, चीनी उद्योग, कागज उद्योग, इंजीनियरिंग उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग, सॉफ्टवेयर उद्योग, ऑटोमोबाइल उद्योग आदि शामिल किये जाते हैं ।

ये बड़े पैमाने के उद्योग देश के कुछ निश्चित भौगोलिक क्षेत्रों में अवस्थित हैं। इन उद्योगों की अवस्थिति के लिए निम्नलिखित कारणों को उत्तरदायी ठहराया जा सकता है –

  • कच्चे माल के स्रोत केंद्रों से निकटता –  चूंकि बड़े पैमाने के उद्योगों के तहत वृहत स्तर पर उत्पादन का कार्य संपन्न होता है, चूँकि इन उद्योगों द्वारा बड़े पैमाने पर कच्चे माल का उपभोग किया जाता है। इसलिए, इन उद्योगों में इनपुट- लागत को कम करने के लिए विचारपूर्वक (deliberately) कच्चे माल के स्रोत केंद्रों के निकट स्थापित किया जाता है। उदाहरण के लिए: चाय और जूट उद्योगों को बहुत बड़ी मात्रा में कच्चे माल की आवश्यकता होती है और इसलिए, उन्हें चाय बागानों और जूट उत्पादक क्षेत्रों के पास स्थापित करना आर्थिक रूप से विवेकपूर्ण निर्णय है।

भारत के चाय उद्योग दो क्षेत्रों में अवस्थित हैं- अधिकांश दार्जिलिंग की पहाड़ियों और असोम की घाटियाँ में जबकि अल्प मात्रा में ये बागान पश्चिमी और पूर्वी घाटों के संगम क्षेत्र में अवस्थित हैं। ये दोनों क्षेत्र चाय एस्टेट (ESTATE) के रूप में जाने जाते हैं। इसी तरह, जूट उद्योग पश्चिम बंगाल के डेल्टा क्षेत्र जैसे जूट उत्पादक क्षेत्रों के निकट अवस्थित हैं।

विभेदित कुशल श्रमशक्ति की उपलब्धता (Availability of differentiated skilled manpower): चूंकि इन बड़े पैमाने के उद्योगों के लिए कार्यबल महत्वपूर्ण है, विभेदित कुशल श्रमशक्ति की उपलब्धता अभी भी वृहत पैमाने के उद्योगों की अवस्थिति के लिए एक महत्वपूर्ण निध रिक है। यह निर्धारक कारक उन उद्योगों के मामले में और भी अधिक प्रभावी हो जाते हैं जो कुशल श्रमबल की मांग करते हैं जैसे कि इंजीनियरिंग उद्योग, सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग, सॉफ्टवेयर उद्योग, ऑटोमोबाइल उद्योग आदि । बैंगलोर, हैदराबाद, पुणे आदि जैसे शहरों का सूचना प्रौद्योगिकी केंद्र (IT hub) के रूप में उभरना इस तथ्य के महत्वपूर्ण साक्ष्य हैं। ये सूचना प्रौद्यिकी केंद्र (IT hub) शहर उच्च शिक्षा के प्रमुख संस्थानों जैसे आईआईटी, आईआईएम, आईआईएसईआर, आदि से कुछ ही दूरी पर स्थित हैं।

  • अवसंरचना  – इन बड़े पैमाने के उद्योगों को सहयोग करने और उन्हें सतत् रूप में बनाए रखने के लिए आधारभूत ढाँचे की बहुत बड़ी भूमिका है। बड़े पैमाने के उद्योगों के अवस्थिति के निर्धारक कारकों के तौर पर सड़क, राजमार्ग, बंदरगाहों तक पहुंच, विद्युत् शक्ति आदि, जैसे रैखिक अवसंरचना का भी महत्वपूर्ण प्रभाव होता है। उदाहरण के लिए भारत सरकार केवल अच्छी तरह से जुड़े क्षेत्रों के साथ औद्योगिक गलियारे की स्थापना करने की योजना पर विचार कर रही है । औद्योगिक कॉरिडोर परियोजना के तहत कवरेज के लिए जिन क्षेत्रों को चिन्हित या चयनित किया गया है, वे रेखीय आधारभूत संरचना परियोजना विस्तार के भी महत्वपूर्ण प्रमाण बन रहे हैं।
  • बंदरगाहों तक पहुंच  –  निर्यात के दृष्टिकोण से बड़े उद्योग महत्वपूर्ण हैं। वे वस्तुओं और सेवाओं के एक महत्वपूर्ण अंश का निर्यात करते हैं जिसके लिए बंदरगाहों तक पहुंच अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह बड़े पैमाने पर उद्योगों की अवस्थिति के लिए सबसे महत्वपूर्ण निर्धारण कारकों में से एक है।
  • दक्षता, भौगोलिक स्थिति, और अन्य द्वितीयक कारक – प्राथमिक कारकों के अलावा, कुछ अन्य कारक भी हैं जैसे कि दक्षता, कानून और व्यवस्था की स्थिति, शासन की स्थिति, सर्वोत्तम अनुकूल भौगोलिक स्थिति आदि जो देश के भीतर बड़े पैमाने के उद्योगों की स्थापना के लिए अवस्थिति निर्धारण में महत्वपूर्ण निर्धारक के रूप में कार्य करते हैं। ।

भारत के कुछ प्रमुख उपयोग – 

भारतीय अर्थव्यवस्था में चाय उद्योग का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। यह देश के पारंपरिक उद्योगों में से एक है। भारत दुनिया में चाय का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता देश है और विश्व के कुल उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी लगभग 27 प्रतिशत और विश्व व्यापार में हिस्सेदारी लगभग 13 प्रतिशत है। भारत के कुल घरेलू चाय उत्पादन का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा निर्यात किया जाता है। भारत में चाय उद्योग अनेक समस्याओं से जूझ रहा है उदाहरण के तौर परः

  • निर्यात बाजार में कीमतो में उतार-चढ़ाव,
  • उत्पादन की उच्च इकाई लागत,
  • लंदन चाय नीलामी बाजार ( London Tea auction) पर अत्यधिक निर्भरता,
  • खराब गुणवत्ता,
  • घरेलू और विदेशी बाजार में नए औसत की बढ़ती मांग और
  • निर्यात बाजार में अन्य देशों से बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा।

इसी तरह, सभी उद्योगों में, सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग हाल ही में विकसित देश का सबसे महत्वपूर्ण उद्योग है। भारत अब पूरी दुनिया में सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग के प्रसार और विकास में एक प्रमुख भूमिका निभा रहा है। इसी तरह, सॉफ्टवेयर उद्योग भी अर्थव्यवस्था के सबसे तेजी से बढ़ते हुए क्षेत्रों में से एक के रूप में उभरा है, जिसके विस्तार की भी एक बड़ी क्षमता है। सॉफ्टवेयर में, अपने प्रचुर तकनीकी श्रम शक्ति कौशल के साथ देश की ताकत अच्छी तरह से पहचानी या स्वीकृत की जाती है।

इस तथ्य पर ध्यान देते हुए कि प्रत्येक वर्ष, भारत को अपनी युवा आबादी को समायोजित करने के लिए कम से कम 12-13 मिलियन नई नौकरियां सृजित करने की आवश्यकता होती है, बड़े पैमाने पर आधारित उद्योगों को सरकार द्वारा अत्यधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। उन उद्योगों की तर्कसंगत रूप से मूल्यांकन करने की आवश्यकता है और उनके भीतर किसी भी तरह के सुधार की आवश्यकता होने पर आवश्यक हस्तक्षेप भी किया जाना चाहिए। वर्तमान समय में, उन उद्योगों की हमारे आर्थिक और सामाजिक दीर्घकालिक उद्देश्यों की सेवा करने के लिए अच्छी तरह से पोषित किया जाना चाहिए।

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