भारत पाकिस्तान संबंधों पर आतंकवादी गतिविधियों एवं आपसी अविश्वास के बादल मंडरा रहे हैं। दोनों राष्ट्रों के मध्य सौहार्दपूर्ण संबंध स्थापित करने के लिए खेल-कूद एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसी सौम्यशक्ति का प्रयोग किस सीमा तक किया जाना चाहिए? उचित उदाहरण सहित समझाइए ।
पाकिस्तान की सेना ने सोवियत संघ के विरुद्ध अफगानिस्तान में जिहाद का नारा देकर आतंकियों की मदद की । उसी प्रकार पाकिस्तान 1980 के बाद से भारत में भी आतंकियों का भेज रहा है। जम्मू कश्मीर के मुद्दे को लेकर पाकिस्तान लगातार आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा, जिसको देश की सेना माकूल जबाव दे रही है।
दोनों देशों के बीच कई ऐसे मुद्दे हैं जो तनाव एवं आपसी अविश्वास को दर्शाते हैं जैसे कश्मीर विवाद, सिंधु जल विवाद, आतंकवाद, घुसपैठ इत्यादि। जो देशों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध स्थापित करने में बड़ी बाधा है। इस जटिल संबंध को सुलझाने हेतु कई प्रयास किए गए हैं जैसे शिमला, ताशकंद, आगरा एवं लाहौर जैसे समझौते किये गए। इनसे तनाव में तो अवश्य कमी आई लेकिन समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकाला जा सका। भारत एक शांति प्रिय देश है और अपने पड़ोसियों के साथ और अन्य सभी राष्ट्रों के साथ शांतिपूर्ण संबंध बनाकर रखने की इच्छा रखता है, लेकिन पाकिस्तान की ओर से की जाने वाली गतिविधियों के कारण भारत को भी पाकिस्तान के संबंध में अपनी नीति में बदलाव करना पड़ता है। जम्मू-कश्मीर के कारगिल में हुए युद्ध के समय भी आतंकी सीमा पार कर देश में दाखिल हो गए थे और कश्मीर की कारगिल पहाड़ी के पास अपना ठिकाना बना रहे थे। इसका पता चलने पर भारतीय सेना ने उनके खिलाफ अभियान आरंभ किया और युद्ध में पाकिस्तान को पराजित कर कारगिल पर कब्जा किया।
पाकिसतान आरंभ से ही फियादिनों को भारत के विरुद्ध इस्तेमाल करता रहा है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आई एस आई इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, वह इन आतंकियों को मदद करती है, उन्हें ट्रेनिंग देती है, धन उपलब्ध कराती है ताकि ये आतंकी भारत में सीमा पार कर प्रवेश कर सकें और अपने कार्यों को अंजाम दे सकें। पाकिस्तान के आतंकी संगठन ‘लश्कर ए तय्यबा’ के आतंकी कई बार सीमा पार कर देश में प्रवेश कर चुके हैं, जिनकी सहायता पाकिस्तानी सेना और आईएसआई करती है ।
वर्तमान में भारत ने इस समस्या को सुलझाने के लिए अपनी ओर से प्रयास आरंभ किया है, जिसमें खेल-कूद, सामाजिक- सांस्कृतिक आदान-प्रदान राजनीतिक कूटनीति इत्यादि मूल्यों का प्रयोग संबंध को बेहतर करने के लिए किया जा रहा है। यह दोनों देशों के बीच विश्वास बहाल करने की एक पहल है। इसके अंतर्गत
- भारतीय सिनेमा को पाकिस्तान में रिलीज किया जा रहा है, क्योंकि भारतीय सिनेमा पाकिस्तान में काफी लोकप्रिय है।
- कई गायक और कलाकार दोनों देशों के एक दूसरे के देशों में काफी लोकप्रिय है। उन्हें भी प्रयास करना चाहिए ।
- क्रिकेट डिप्लोमेसी- क्रिकेट दोनों देशों के बीच काफी लोकप्रिय खेल रहा है। इस कारण यह संभवतः दोनों देशों के बीच विवाद को खत्म करने में योगदान कर सकता है।
लेकिन ये सारी पहल तभी हो सकती है जब सीज फायर लागू हो। लेकिन जहां सीमा पार से गोलाबारी आरंभ हुई कि शांति के ये सभी प्रयास अनायास ही समाप्त हो जाते हैं। और स्थिति तनावपूर्ण हो जाती है। भारत ने अपनी डिप्लोमेसी में बदलाव करते हुए सॉफ्ट पॉवर और हार्ड पावर की अवधारणा विकसित की है। सॉफ्ट पॉवर के अंतर्गत दोनों देशों के बीच बातचीत कर समस्याओं का समाधान निकालने का प्रयास किया जाता है। लेकिन सरकार ऐसी कोई भी डिप्लोमेसी सीमा पर जवानों की जान की कीमत पर नहीं करती है। क्योंकि सरकार और देश के लिए सीमा पर सुरक्षा कर रहें जवानों की जिंदगी ज्यादा अहम है।
निष्कर्ष : आपसी संबंधों को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक है कि दोनों देश की सरकारें आपसी विश्वास बहाली के प्रयास करें। क्रिकेट डिप्लोमैसी एक तरीका हो सकता है क्योंकि यह समान रूप से दोनों देशों में लोकप्रिय है। एक क्रिकेट श्रृंखला या फूटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन दोनों देशों के बीच किया जाना चाहिए। पकड़े गए मछुआरों और कैदियों का आदान प्रदान भी आपसी संबंध को सौहार्दपूर्ण बनाने में सहायक हो सकता है। दोनों देश विकास के लिए आपस में मिल जुलकर कार्य करें, ताकि दक्षिण एशिया में शांति बहाली के साथ-साथ विकास भी हो सके। वर्तमान में दोनों देश परमाणु सम्पन्न राष्ट्र हैं, इसलिए दोनों को ही यह समझना होगा की कोई भी एक काठोर निर्णय दोनों के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
मीडिया ने हाल के दिनों में अपना दायरा काफी बड़ा कर लिया है, साथ ही इसकी काफी जिम्मेवारी है कि वो एक दूसरे के विरुद्ध दुष्प्रचार न करें। किसी ऐसे समाचार को न प्रसारित करें जिससे दोनों के बीच तनाव उत्पन्न हो । जहां तक संभव हो संबंध सामान्य बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए ।
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