भाषा अधिगम अर्थात् भाषा सीखने की प्रक्रिया को समझाते हुए, बच्चों के भाषा सीखने के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों का उल्लेख कीजिए।

प्रश्न – भाषा अधिगम अर्थात् भाषा सीखने की प्रक्रिया को समझाते हुए, बच्चों के भाषा सीखने के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों का उल्लेख कीजिए। 
उत्तर – भाषा-अधिगम की प्रक्रिया
भाषा-अधिगम की प्रक्रिया से अभिप्राय है44 ‘भाषा या किसी विषय के विभिन्न अंगों से ज्ञान प्राप्त करना । ” अधिगम की प्रक्रिया को प्रेरणा का परिणाम कहा जाता है। भाषा-अधिगम अनिवार्य रूप से सृजनात्मक प्रक्रिया है।
समय-समय पर बदलने वाली, सामाजिक तथा बौद्धिक प्रवृत्तियों के सीखने के लिए औपचारिक और अनौपचारिक शिक्षा की जरूरत होती है। हर एक व्यक्ति में अपने विचारों और भावों को प्रकट करने की सहज प्रवृत्ति होती है। बालक जिस प्रकार वातावरण में रहता है, उस भाषा को अनुकरण के द्वारा सीख जाता है।
भाषा-अधिगम में व्यक्तित्व भेद पाए जाते हैं। प्रायः बालिकाएँ बालकों की अपेक्षा भाषा को बोलने की दृष्टि से जल्दी सीख जाती हैं। जो वाक्य वे बोलती हैं, उनमें अधिक शब्द पाए जाते हैं।
भाषा-अधिगम में प्रायः निम्न कठिनाइयाँ आती हैं –
(i) सीखने वाले की पृष्ठभूमि (वातावरण),
(ii) दैहिक अस्वस्थता या विकृति,
(iii) शब्दों के शुद्ध अर्थ का ज्ञान न होना,
(iv) भयभीत रहना, ,
(v) संकोची स्वभाव,
(vi) आत्मविश्वास का अभाव
(vii) मानसिक अस्वस्थता ।
भाषा सीखने में क्रियाशीलता का बड़ा महत्त्व है । बाल्यावस्था में भाषा सीखने की शक्ति स्वाभाविक होती है तथा विशेष रूप से सक्रिय होती है। भाषा-अधिगम को आदत निर्माण की प्रक्रिया भी कह सकते हैं।
भाषा को सीखना कौशल के सीखने के समान होता है। इसमें अभ्यास और आवृत्ति का बड़ा महत्त्व है। कौशल की तरह भाषा सीख लेने पर उसका व्यवहार या प्रयोग यन्त्रवत् हो जाता है।
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