भाषा और संज्ञान की पियाजे की थ्योरी स्पष्ट कीजिए।

प्रश्न – भाषा और संज्ञान की पियाजे की थ्योरी स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – संज्ञान (Cognition )
संज्ञान वह मानसिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा जीवन को किसी वस्तु, घटना या परिस्थिति का बोध होता है अथवा ज्ञान प्राप्त होता है। इसके अन्तर्गत प्रत्यक्षीकरण पहचान है तर्क, निर्णय तथा अवधारणा जैसी मानसिक क्रियायें संहितं होती हैं। तीन कोटियाँ जिनमें समस्त मानसिक क्रियायें वर्गीकृत की जाती हैं वे हैं संज्ञान (Cognition), भावबोध (Affection) और क्रियावृत्ति (Connation), उदाहरणार्थ अचानक सामने भूमि पर रेंगते हुए जीव को देखकर सर्प का बोध होता है, (संज्ञान) । फलस्वरूप भयं की संवेगात्मक अनुभूति होती है, (भावबोध)। तदुपरान्त भागने की तत्परता या क्रिया होती है, ( क्रियावृत्ति) । आजकल यह माना जाता है कि यदि छात्र किसी शैक्षिक परिस्थिति के सब पार्श्वों को संज्ञान समझ लेता है तो सर्वोत्तम होता है।
ज्यां पियाजे तथा पूर्व-स्कूल शिक्षा
पियाजे ने पूर्व-स्कूल शिक्षा के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डाला है अतः उसके सिद्धान्त पूर्व- स्कूल शिक्षाविदों का उचित मार्ग-दर्शन करने में सहायक सिद्ध होते हैं। वे इस अवस्था के अनुरूप पाठ्यक्रम निर्माण करते हैं। साथ ही वे इस प्रकार के क्रियाकलापों के बारे में सोचते हैं, जिनसे बालक की बुद्धि का विकास होता है। तदुपरान्त वे इन क्रियाकलापों के आयोजन का प्रबन्ध करते हैं। पियाजे ने इस बात पर विशेष बल दिया है कि पूर्व-स्कूल शिक्षा छात्रों के बौद्धिक विकास के लिए आवश्यक है कि क्रियाशील वातावरण हो ताकि बच्चे क्रियाशील रहें। बच्चे के संज्ञात्मक विकास (Cognitive Development) के लिए मूर्त वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए, शब्दों, परिभाषाओं और नियमों का नहीं।
पियाजे के सिद्धान्तों पर शिक्षण सामग्री
पियाजे ने छात्रों के विकास के लिए अनेक प्रकार की खेल क्रियायें बनाईं। इस प्रकार की दो क्रियाओं का ब्यौरा दिया जा रहा है।
खेल क्रिया नं. 1
निपुणता – वस्तुओं के आकारों का प्रेक्षण, समानताओं तथा भिन्नताओं को पहचानना।
सामग्री–12-18 इंच के दो टैन बोर्ड तथा कार्ड बोर्ड, रंगदार पैंसिलें, छोटी वस्तुएँ, ब्लाक, चाबी, कंघा, पुस्तकें, बटन, ख़िलौने, पेपर, क्लिप ढकने आदि ।
क्रिया—छात्र डिब्बे में से एक समय में एक वस्तु निकालता है और उसका नाम बताता है और वह उसी वस्तु को उचित स्थान पर रखने का प्रयास करता है। इसी प्रकार की क्रियाओं में बच्चे बहुत रुचि रखते हैं।
अध्यापक द्वारा कार्य आरम्भ करना – अध्यापक इस प्रकार के बच्चों के साथ वार्तालाप करते हैं। क्या आप इस कुंजी की शक्ल बता सकते हैं ? आपने इसको चुना है। कौनी-सी वस्तु गोल है ? कितनी वस्तुएँ सही हैं ? कितनी सफेद हैं ? कितनी लाल हैं। इन सभी वस्तुओं को मुझे दिखाओ। उस वस्तु को बताओं जिससे ताला खुलता है आदि।
खेल क्रिया नं. 2
इस खेल द्वारा बच्चा अपने प्राकृतिक वातावरण के बारे में जानकारी प्राप्त करता है। किस प्रकार के पशु-पक्षी हैं, वे कहाँ रहते हैं, उनके कैसे चित्र बनाये जाते हैं।
सामग्री–9 से 12 टैग, कागज की शीटें, तस्वीरें, पानी, भूमि में, में देखते हुए पशुओं के चित्र जो कि पानी में, वायु में तथा भूमि पर रहते हैं। हवा
क्रिया– बच्चे उपर्युक्त वर्ग के पक्षियों की तस्वीरें छाँटते हैं और उनको उचित स्थान पर इक्ट्ठा करते हैं।
अध्यापक द्वारा क्रिया – अध्यापक निम्नलिखित प्रकार के प्रश्न छात्र से पूछता  है –
1. कौन से पशु जल में रहते हैं ?
2. कौन से पक्षी वायु में रहते हैं ?
3. कौन से पशु भूमि पर रहते हैं ?
4. एक ऐसा पशु बताओं जो भूमि पर रहते है और पानी में भी।
5. क्या आप सबसे छोटे और बड़े पक्षी का नाम बता सकते हो, आदि ।
पियाजे के विचारों का सारांश — मोटे तौर पर उनकी निम्नलिखित मान्यताएँ थीं –
1. बच्चा प्रौढ़ नहीं है।
2. बच्चा खाली बर्तन नहीं जिसे धीरे-धीरे ज्ञान से भर जाता है।
3. बच्चे का अपना स्वतन्त्र व्यक्तित्व है।
4. बच्चे का बौद्धिक विकास एक निश्चित और निर्धारित क्रम और चरणों में होता है।
5. बुद्धि का विकास जन्म के साथ बँधा हुआ है। ज्यों-ज्यों शरीर एवं अवयवों का विकास होता रहता है त्यों-त्यों स्वतः बुद्धि विकसित होती जाती है।
6. बुद्धि का विकास के लिए उपर्युक्त क्रियाएँ जरूरी हैं।
7. बच्चा जन्म से ही अंग एवं अवयव संचालन आदि दैहिक क्रियाओं से लैस होकर आता है। वही आगे चलकर सोचने-विचारने का एक पूरा तन्त्र प्रदान करती हैं ।
8. शिक्षक बच्चे के लिए सीखने, खोजने और अपने स्वतन्त्र निष्कर्ष निकाल सकने के लिए उपयुक्त वातावरण निर्मित करें।
9. कक्षा में पढ़ते समय, खेल के मैदान में और अनौपचारिक क्षणों में भी बच्चे के प्रति हममें हमारी सहानुभूति होनी चाहिए।
10. बच्चे को स्नेह और सम्मान मिलना चाहिए ।
11. सीखने में क्रिया की आधारित भूमिका है।
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