भाषा विकास को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना करें ।
प्रश्न – भाषा विकास को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना करें ।
उत्तर – भाषा विकास को प्रभावित करने वाले कारक
- पारिवारिक स्थितियाँ (Family conditions)— बच्चे जिस परिवार में जन्म लेते हैं उस परिवार का गहरा प्रभाव उनके भाषा विकास पर कई रूपों में पड़ता है। इस संदर्भ में माता-पिता की भूमिका काफी अहम होती है। विशेष रूप से बच्चों की भाषा के विकास में माता की भूमिका सर्वोपरि है। जो माताएँ जागरूक एवं शिक्षित होती हैं। वे अपने बच्चों के साथ बातचीत (baby talk) करते हैं। इससे बच्चे को नये-नये शब्दों को सीखने का मौका मिलता है जिससे उनका शब्द भंडार विकसित हो जाता है। दूसरा लाभ यह होता है कि वे शब्दों का सही उच्चारण करना सीखते हैं। इसलिए उनकी भाषा शुद्ध एवं आकर्षक बन जाती है। यह एक वास्तविकता है कि बच्चे की भाषा उसी रूप में विकसित होती है जिस रूप में वे दूसरों से शब्दों को सुनते है। माता के अतिरिक्त पिता तथा परिवार के अन्य सदस्य भी इसमें सहयोग देते हैं तो बच्चे का भाषा- विकास समुचित रूप से सम्भव होता है। जिस परिवार में यह सुविधा उपलब्ध नहीं होती है उस परिवार के बच्चे की भाषा दोषपूर्ण बन जाती है।
बच्चों की भाषा के विकास पर परिवार के आकार, बच्चों का जन्मक्रम, सामाजिक आर्थिक स्थिति, आदि का भी निश्चित प्रभाव पड़ता है। जिस परिवार का आकार बड़ा होता है अर्थात जिस परिवार में बच्चों की संख्या अधिक होती है, वहाँ माता-पिता के लिए यह सम्भव नहीं होता है कि वे बच्चों की भाषा के समुचित विकास पर ध्यान दे सके। लेकिन जहाँ परिवार का आकार छोटा होता है वहाँ बच्चों की भाषा के समुचित विकास पर ध्यान देना सम्भव होता है। पियाजे (Piaget) ने अपने अध्ययन में पाया कि बड़े आकार के परिवार की अपेक्षा छोटे आकार के परिवार में बच्चों का भाषा- विकास अधिक सफल होता है। इसी तरह जन्मक्रम, भाई-बहन की संख्या, आदि का प्रभाव भी बच्चों के भाषा- विकास पर पड़ता है। ब्रॉडी (Brody) के अनुसार पहले बच्चे का भाषा- विकास दूसरे या तीसरे बच्चों की अपेक्षा बेहतर होता है; क्योंकि माता-पिता उनकी निगरानी अधिक करते हैं। इसी तरह सामाजिक-आर्थिक स्थिति भी भाषा – विकास का एक महत्त्वपूर्ण निर्धारक है।हरलॉक (Hurlock, 1988) के अनुसार, निम्न सामाजिक आर्थिक स्थिति वाले बच्चों की अपेक्षा उच्च सामाजिक आर्थिक स्थिति वाले बच्चों की भाषा का विकास अधिक अच्छा होता है। संपन्न परिवार के माता-पिता को अपने बच्चों के साथ बातचीत करने, निजी शिक्षकों की व्यवस्था करने, पौष्टिक आहार देने, बच्चों को स्वस्थ रखने तथा अच्छे विद्यालय में नामांकन कराने की सुविधाएँ उपलब्ध रहती हैं लेकिन असंपन्न परिवार में बच्चे इन सुविधाओं से प्रायः वंचित रहते हैं। इसलिए लाभान्वित बच्चों की भाषा वंचित बच्चों की भाषा से बेहतर होना स्वाभाविक है।
- पड़ोस एवं अभिजातसमूह (Neighbourhood & Peer group)—बच्चे की आयु बढ़ने पर उनका संपर्क पड़ोसियों के साथ स्थापित होने लगता है। बच्चे की आयु, यौन, रुचि, आदि के अनुकूल सह- समूह अर्थात अभिजात समूह (peer group) का निर्माण होता है | यदि पड़ोस के लोग तथा सह-समूह के बच्चे की भाषा उत्तम होती है तो उसके साथ रहने वाले बच्चे की भाषा समुचित रूप से विकसित होती है। दूसरी ओर यदि पड़ोसियों की भाषा का विकास दोषपूर्ण बन जाता है। हरलॉक के अनुसार, भाषा के विकास में अनुकरण का हाथ होता है। अतः तुतलाना, हकलाना, नकियाना, आदि भाषा त्रुटि वाले बच्चों के साथ रहने वाले सामान्य बच्चों में भी इन त्रुटियों के विकसित हो जाने की सम्भावना बनी रहती है।
- खेल तथा खेल के साथी (Play and playmates) — बच्चों का कुछ समय खेल गुजरता है। गंदा खेल खेलने वाले बच्चों की भाषा दूषित बन जाती है, जबकि अच्छे खेलों में भाग लेने वाले बच्चों की भाषा अच्छी बनती है। इसी तरह खेल में भाग लेने वाले बच्चों की भाषा यदि अच्छी होती है तो उनके साथ रहने वाले बच्चों की भाषा समुचित रूप में विकसित होती है। इसीलिए गुलिक (Gullick) ने कहा है कि माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को अच्छे खेलों तथा अच्छे साथियों के साथ रहने की प्रेरणा दें ।
- भाषा की संख्या (Number of language ) – बच्चों के भाषा – विकास के सम्बन्ध में एक विवादग्रस्त समस्या यह है कि बच्चों को कौन-सी भाषा पहले सीखायी जाये और एक समय में कितनी भाषा की शिक्षा दी जाय । इस संदर्भ में अधिक मनोवैज्ञानिकों का विचार यह है कि बच्चों को एक समय में केवल एक भाषा की शिक्षा दी जाय और वह भी मातृभाषा की शिक्षा। मैककार्थी (McCarthy) ने अपने अध्ययनों के आधार पर कहा है कि जिन बच्चों को सबसे पहले मातृभाषा सिखलायी जाती है उनकी भाषा का विकास अधिक समुचित रूप से होता है। एक समय में एक भाषा की शिक्षा देने से भाषा दोष के विकसित होने की सम्भावना नहीं रहती है। मातृभाषा के अतिरिक्त किसी दूसरी भाषा की शिक्षा पहले देने से भाषा विकास कठिन बन जाता है तथा उसकी सहजता एवं सरलता समाप्त हो जाती है। एक समय में कई भाषा की शिक्षा देने से तुतलाना, हकलाना, आदि भाषा – दोष के विकसित होने की सम्भावना रहती है ।
- शिक्षालय ( School)– बच्चों के भाषा – विकास पर प्राथमिक विद्यालयों का प्रभाव कई रूपों में पड़ता है। यदि शिक्षालय का स्तर ऊँचा हो तो भाषा का विकास अधिक सफल होता है। यदि विद्यालय के शिक्षक योग्य हों और अच्छी भाषा का उपयोग करते हों तो बच्चों की भाषा का विकास बेहतर होगा। यदि विद्यालय में अच्छे परिवार के बच्चे पढ़ते हों और अच्छी भाषा का उपयोग करते हों तो बच्चे की भाषा सामान्य रूप से विकसित होगी। दूसरी ओर यदि शिक्षालय की स्थिति विपरीत हो तो बच्चे की भाषा दोषी बन जाएगी।
अतः प्रारंभिक आयु में बच्चों की भाषा को समुचित रूप में विकसित करने के लिए माता-पिता, अभिभावक तथा शिक्षक को उपर्युक्त बातों को ध्यान में रखकर उचित व्यवस्था करना चाहिए। यह व्यवस्था जिस हद तक उपयुक्त हो सकेगी; बच्चों की भाषा का विकास उसी हद तक सफल हो सकेगा ।
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