भाषा विकास से आप क्या समझते हैं ? भाषा विकास की अवस्थाओं का वर्णन करें।

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प्रश्न – भाषा विकास से आप क्या समझते हैं ? भाषा विकास की अवस्थाओं का वर्णन करें।

उत्तर- भाषा एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। लेकिन, इस प्रक्रिया का स्वरूप बालक की परिपक्वता (maturation) से निर्धारित होती है। इस दृष्टिकोण से भाषा- विकास का अर्थ वह योग्यता है जो बालक की परिपक्वता के अनुपात में उसे अपने भावों (feelings) तथा विचारों (ideas) को दूसरों तक पहुँचाने अथवा तथा दूसरों के भावों तथा विचारों को ग्रहण करने में सहायक होती है। शुरु में नवजात शिशु केवल रोता है, फिर बलबलाता है, फिर एक शब्द द्वारा अपने भाव या विचार की अभिव्यक्ति करता है और अति जटिल वाक्यों के माध्यम से व्यक्त करने में सक्षम बन जाता है। मौखिक भाषा बहुत प्रारंभिक वर्षों में ही विकसित हो जाती है। तीन वर्ष की आयु तक बच्चे बातचीत करने में काफी निपुण बन जाते हैं। प्राक् विद्यालय वर्षों (preschool years) के अन्त तक वाक्यों को समझने तथा बोलने के योग्य बन जाते हैं और लिखित भाषा का उपयोग भी करने लगते है ( Gleason, 1981;.Menyuk, 1982)।

भाषा विकास की अवस्थाएँ

बाल-मनोवैज्ञानिकों के अनुसार भाषा- विकास की निम्नलिखित अवस्थाएँ (stages) या चरण (steps) होते हैं :

  1. जन्म रोदन (Birth cry) — इस अवस्था या चरण में बच्चे में रोने का व्यवहार देखा जाता है। जन्म के बाद बच्चे में यही क्रिया सबसे पहले देखी जाती है। कुछ मनोवैज्ञानिक इसे भाषा-विकास की प्रथम अवस्था मानते हैं। उनके अनुसार बच्चे रोदन के माध्यम से अपने भाव या विचार की अभिव्यक्ति करते हैं। इसलिए रोदन भी एक भाषा है। लेकिन, अधिकांश मनोवैज्ञानिक जन्म रोदन को भाषा नहीं मानते हैं। उनके अनुसार रोदन के पीछे शारीरिक कष्ट होता है, किसी भाव या विचार की अभिव्यक्ति नहीं ।
  2. बलबलाने की अवस्था (Babbling stage) — इस अवस्था में बच्चे अस्पष्ट ध्वनि की अभिव्यक्ति करते हैं। इस ध्वनि के माध्यम से वे अपने विचारों तथा भावों को दूसरों तक पहुँचाने का प्रयास करते हैं। इसी कारण बलबलाने के व्यवहार को भाषा के रूप में परिभाषित किया जाता है।
  3. एक शब्दीय अवस्था (One word sentence stage) — भाषा विकास की तीसरी अवस्था में बच्चे एक शब्द का उच्चारण करने लगते हैं। वे एक शब्द बोलकर पूरे वाक्य का काम लेते हैं। सामान्य: वे संज्ञान शब्द पहले बोलते हैं। यह बात उल्लेखनीय है कि भाषा- विकास का आधार श्रवण संवेदना है। बच्चे दूसरों को जिन शब्दों का उच्चारण करते सुनते हैं प्रायः वे उन्हीं शब्दों का उच्चारण करना सीख लेते हैं। बच्चे अक्सर दादा, दादी, माँ, मम्मी, पापा आदि शब्दों का उच्चारण करना अपनी सांस्कृतिक प्रतिवेश के अनुसार सीख लेते हैं। यह अवस्था एक वर्ष की आयु से एक वर्ष तथा छः माह अथवा दो वर्ष की आयु तक रहती है।
  4. सरल वाक्य अवस्था (Simple sentence stage) — इस अवस्था में बच्चे सरल वाक्य बोलना सीख लेते हैं। अब वे एक संज्ञा के साथ क्रिया (verb) लगा कर बोलने लगते हैं। जैसे— पानी ला, दूध दो इत्यादि । इसी प्रकार माँ दूध दे, दादी पानी ला, आदि सरल वाक्य बोलने लगते हैं। यह अवस्था दो वर्ष की आयु में दो वर्ष तथा छः माह अथवा तीन वर्ष की अवधि में देखी जाती है।
  5. जटिल वाक्य अवस्था (Complex sentence stage)– यह अवस्था तीन वर्ष से पाँच वर्ष की आयु के बीच होती है। इस अवस्था में बच्चे जटिल वाक्य बोलने लगते हैं। करना सीख लेते हैं। बढ़ता हुई आयु के साथ स्था तीन वर्ष से 3 अब वे विशेषण (adjectives) तथा क्रियाविशेषण (adverbs) का उपयोग करने लगते हैं। इसी प्रकार वे संयोजक शब्दों (conjunctive words) जैसे–तथा (and), किन्तु (but) आदि का उपयोग शब्दावली (vocabulary) में भी वृद्धि होती जाती है।

शब्दावली पर किये गये अध्ययनों से पता एक वर्ष तथा छ: माह की आयु वाले बालक की औसत शब्दावली 10 शब्दों की होती है, दो वर्ष तथा छ: माह के बालक की औसत शब्दावली 30 शब्दों की होती है, तीन वर्ष के बालक की शब्दावली औसतन 150 से 250 शब्दों तक हो जाती है। विद्यालय में प्रवेश करने पर शब्दावली में तेजी के साथ वृद्धि होती है। पाँचवे तथा छठे वर्ग तक पहुँचते-पहुँचते बालक की औसत शब्दावली पचास हजार शब्दों तक हो जाती है (Ferguson, 1973; Ripin, 1985)।

अध्ययनों से यह भी ज्ञातव्य है कि बच्चों में पहले सामान्य शब्दावली (general vocabulary) विकसित होती है। दूसरे शब्दों में, पहले बच्चे ऐसे शब्दों को सीखते हैं, जिनका उपयोग वे विभिन्न परिस्थितियों में अधिक करते हैं। पानी, भोजन, रोना, हँसना आदि शब्द इसके उदाहरण हैं।

सामान्य शब्दावली के साथ-साथ विशिष्ट शब्दावली (specific vocabulary) का विकास भी होता है। लेकिन, इसका विकास सामान्य शब्दावली के बाद ही होता है। विशिष्ट शब्दावली के अर्न्तगत रंग-शब्दावली (colour vocabulary), संख्या शब्दावली (number vocabulary) समय शब्दावली (time vocabulary), मुद्रा- शब्दावली (money vocabulary), गुप्त शब्दावली (secret vocabulary) आदि की गणना की जाती है। जैसे-जैसे बच्चे की आयु बढ़ती जाती है, विशिष्ट शब्दावली विकसित होती जाती है। लेकिन, इसमें वैयक्तिक भिन्नता भी देखी जाती है। आयु समान रहने पर भी अलग-अलग बालकों की सामान्य शब्दावली तथा विशिष्ट शब्दावली एक-दूसरे से आकार (size) तथा प्रकार (kind) में भिन्न हो सकती है। कारण, शब्दावली के विकास पर पारिवारिक वातावरण, माता-पिता की सहभागिता (participation), औपचारिक तथा अनौपचारिक शिक्षा (formal and informal education), आदि कारकों का निश्चित तथा विभेदक प्रभाव पड़ता है और इनके अभाव में भाषा दूषित बन जाती है। अत: माता-पिता तथा शिक्षकों को भाषा- विकास के निर्धारकों या कारकों से अवगत रहना चाहिए।

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