भौतिकी : मानव नेत्र: वायुमंडलीय अपवर्तन: वर्णं विक्षेपण | Class 10Th Physics Chapter – 3 Notes | Model Question Paper | मानव नेत्र: वायुमंडलीय अपवर्तन: वर्णं विक्षेपण Solutions

भौतिकी : मानव नेत्र: वायुमंडलीय अपवर्तन: वर्णं विक्षेपण | Class 10Th Physics Chapter – 3 Notes | Model Question Paper | मानव नेत्र: वायुमंडलीय अपवर्तन: वर्णं विक्षेपण Solutions

मानव नेत्र: वायुमंडलीय अपवर्तन: वर्णं विक्षेपण (Human Eye : Atmospherical Refraction : Dispersion)

स्मरणीय तथ्य : एक दृष्टिकोण 
(MEMORABLE FACTS : AT A GLANCE)
  • मानव नेत्र या आँख (human eye) एक प्रकृति प्रदत्त प्रकाशीय यंत्र (optical instrument) है ।
  • आँख द्वारा अपने सिलियरी पेशियों के तनाव को घटा-बढ़ा कर अपने लेंस की फोक्स- दूरी को बदलकर दूर या निकट की वस्तु को साफ-साफ देखने की क्षमता कोसमंजन क्षमता (power of accommodation) कहते हैं।
  • सामान्य आँख (normal eye) 25 cm ( निकट-बिंदु) से अनंत दूरी ( दूर-बिंदु) तक की वस्तुओं को स्पष्ट देख सकती है।
  • जिस न्यूनतम दूरी तक आँख वस्तु को साफ-साफ देख सकती है, उसेस्पष्ट दृष्टि को न्यूनतम दूरी ( least distance of distinct vision) कहते हैं। यह दूरी लगभग 25 cm होती है।
  • नेत्र से बहुत दूर स्थित या निकट स्थित वस्तुओं का स्पष्ट प्रतिबिंब रेटिना (retina) पर बनाने की क्षमता खो देने को दृष्टि दोष (defects of vision) कहते हैं।
  • मानव नेत्र में दृष्टि दोष मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं
    1. निकट-दृष्टि दोष (shortsightedness or myopia)
    2. दूर-दृष्टि दोष (farsightedness or hypermetropia)
    3. जरा-दूरदर्शिता (presbyopia)
  • जिस नेत्र में -दृष्टि दोष होता है वह दूर स्थित वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख सकता इस दोष को दूर करने के लिए अपसारी (diverging) या अवतल (concave) लेंस .का बहार किया जाता है।
  • जिस नेत्र में दूर-दृष्टि दोष होता है वह निकट (25cm पर) स्थित वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख सकता है। इस दोष को दूर करने के लिए अभिसारी (converging) या उत्तल (convex) लेंस का व्यवहार किया जाता है।
  • उम्र बढ़ने के साथ वृद्धावस्था में नेत्र-लेंस की लचक कम हो जाने पर और सिलियरी मांसपेशियों की समंजन क्षमता घट जाने के कारण जरा दूरदर्शिता का दोष उत्पन्न होता है। इस दोष को दूर करने के लिएबाइफोकल (bifocal) लेंस का व्यवहार करना पड़ता है।
  • वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण हमें तारे टिमटिमाते (twinkling) प्रतीत होते हैं।
  • वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण ही सूर्योदय तथा सूर्यास्त के बीच का समय लगभग 4 मिनट बढ़ जाता है।
  • श्वेत प्रकाश (white light) कई रंगों का मिश्रण है।
  • श्वेत प्रकाश के अपने विभिन्न अवयवों में विभाजन को प्रकाश का वर्ण-विक्षेपण (dispersion of light) कहते हैं ।
  • श्वेत प्रकाश से प्राप्त रंगीन प्रकाश की पट्टी को स्पेक्ट्रम (वर्णपट) कहते हैं और इसमें वर्णों (रंगों) का क्रम होता है- बैंगनी (V), जामुनी (I), नीला (B), हरा (G), पीला (Y), ब नारंगी (O) तथा लाल (R)। [संक्षेप में इसे बैजानीहपीनाला (VIBGYOR) कहते हैं ।
  • बैंगनी (violet) वर्ण (रंग) के प्रकाश का तरंगदैर्घ्य सबसे कम और लाल (red) वर्ण (रंग) के प्रकाश का तरंगर्दर्घ्य सबसे अधिक होता है।
  • श्वेत प्रकाश के वर्ण-विक्षेपण में बैंगनी रंग का विचलन (deviation) सबसे अधिक होता है और लाल रंग का सबसे कम।
  • किसी कण पर पड़कर प्रकाश के एक अंश के विभिन्न दिशाओं में छितराने को प्रकाश का प्रकीर्णन (scattering) कहते हैं।
  • किसी माध्यम में छोटे-छोटे कणों के निलंबन को कोलॉइड (colloid) कहा जाता है।
  • किसी कोलॉइडीय विलयन में निलंबित कणों से प्रकाश के प्रकीर्णन को टिंडल प्रभाव (Tyndall effect) कहा जाता है।
  • सूक्ष्म कण अधिक तरंगदैर्घ्य के प्रकाश की अपेक्षा कम तरंगदैर्घ्य के प्रकाश का प्रकीर्णन अधिक अच्छी तरह करते हैं। कणों के साइज बढ़ने के साथ-साथ बड़े तरंगदैर्घ्य के प्रकाश का प्रकीर्णन अधिक होने लगता है। काफी बड़े कण सभी रंगों के प्रकाश का लगभग समान रूप से प्रकीर्णन करते हैं।

प्रश्नावली

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

I. सही उत्तर का संकेताक्षर ( क, ख, ग या घ) लिखें।

1. मानव नेत्र में किस प्रकार का लेंस पाया जाता है?
(क) अवतल
(ख) उत्तल
(ग) बाइफोकल
(घ) बेलनाकार
उत्तर – (ख)
2. किसी वस्तु का प्रतिबिंब नेत्र के किस भाग पर बनता है?
(क) कॉर्निया
(ख) रेटिना या दृष्टिपटल
(ग) पुतली
(घ) आइरिस
उत्तर – (ख)
3. क्षेत्र के रेटिना पर किसी वस्तु का कैसा प्रतिबिंब बनता है ?
(क) काल्पनिक, सीधा तथा छोटा
(ख) काल्पनिक, उलटा तथा बड़ा
(ग) वास्तविक, उलटा तथा छोटा
(घ) वास्तविक, उलटा तथा बड़ा
उत्तर – (ग)
4. सामान्य दृष्टि वाले युवा के लिए स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी (least distance of distince vision) होती है लगभग
(क) 25m
(ख) 2.5cm
(ग) 25cm
(घ) 2.5m
उत्तर – (ग)
5. सामान्य नेत्र अधिकतम कितनी दूरी तक की वस्तुओं को साफ-साफ देख सकता है ?
(क) 25m
(ख) 2.5cm
(ग) 25cm
(घ) अनंत
उत्तर – (घ)
6. एक स्वस्थ आँख के लिए दूर-बिंदु होता है
(क) शून्य
(ख) अनंत
(ग) 25 cm
(घ) 250cm
उत्तर – (ख)
7. आँख अपने लेंस को फोकस- दूरी को बदलकर दूर या निकट की वस्तु को साफ-साफ देख सकती है। आँख के इस गुण को कहते हैं
(क) दूरदृष्टिता
(ख) समंजन क्षमता
(ग) निकटदृष्टिता
(घ) जरा – दूरदर्शिता
उत्तर – (ख)
8. विभिन्न दूरियों पर की वस्तुओं के प्रतिबिंब को फोकस करने के लिए आँख के लेंस की फोकस – दूरी किसके द्वारा परिवर्तित होती है ? 
(क) पुतली
(ख) रेटिना
(ग) सिलियरी या पक्ष्माभी पेशियाँ
(घ) आइरिस या परितारिका
उत्तर – (ग)
9. नेत्र-लेंस की फोकस दूरी कम हो जाने से कौन-सा दृष्टि दोष होता है?
(क) निकट दृष्टि दोष
(ख) दूर-दृष्टि दोष
(ग) जरा – दूरदर्शिता
(घ) इनमें कोई नहीं
उत्तर – (क)
10. किस दृष्टि दोष में किसी वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना के पीछे बनता है ?
(क) निकट दृष्टि दोष में
(ख) दूर-दृष्टि दोष में
(ग) जरा दूरदर्शिता में
(घ) इनमें कोई नहीं
उत्तर – (ख)
11. निकट दृष्टि दोष का उपचार किस प्रकार के लेंस से किया जाता है?
(क) अभिसारी
(ख) अपसारी
(ग) उत्तल
(घ) बाइफोकल
उत्तर – (ख)
12. किस दृष्टि दोष को दूर करने के लिए उत्तल लेंस का उपयोग किया जाता है?
(क) दीर्घ-दृष्टि दोष
(ख) निकट-दृष्टि दोष
(ग) जरा-दृष्टि दोष
(घ) अविंदुकता
उत्तर – (क)
13. जो नेत्र निकट स्थित वस्तु को स्पष्ट रूप से नहीं देख सकता उस नेत्र में होता है
(क) जरा-दृष्टि दोष
(ख) निकट-दृष्टि दोष
(ग) दूर दृष्टि दोष
(घ) अविंदुकता
उत्तर – (ग)
14. दूर-दृष्टि दोष वाली आँख साफ-साफ देख सकती हैं
(क) दूर की वस्तुओं को
(ख) निकट की वस्तुओं को
(ग) केवल बड़ी वस्तुओं को
(घ) केवल छोटी वस्तुओं को
उत्तर – (क)
15. दूर-दृष्टि दोष का उपचार किस प्रकार के लेंस से किया जाता है ? 
(क) अभिसारी
(ख) अपसारी
(ग) अवतल
(घ) बाइफोकल
उत्तर – (क)
16. स्पेक्ट्रम प्राप्त करने के लिए किसका उपयोग होता है ?
(क) प्रिज्म
(ख) उत्तल दर्पण
(ग) अवतल लेंस
(घ) काँच का स्लैब
उत्तर – (क)
17. प्रिज्म से होकर गुजरने के बाद श्वेत प्रकाश विभिन्न वर्णों (रंगों) में विभक्त होता है। इस घटना को कहा जाता है – प्रकाश का
(क) परावर्तन
(ख) अपवर्तन
(ग) वर्ण-विक्षेपण
(घ) सीधी रेखा में चलना
उत्तर – (ग)
18. एक प्रिज्म कितने सतहों (surfaces) से घिरा रहता है ?
(क) 6
(ख) 5
(ग) 4
(घ) 3
उत्तर – (ख)
19. श्वेत प्रकाश जब एक प्रिज्म से होकर गुजरता है, तो जो वर्ण (रंग) सबसे कम विचलित होता है, वह है
(क) लाल
(ख) पीला
(ग) बैंगनी
(घ) हरा
उत्तर – (क)
20. प्रकाश के किस वर्ण (रंग) के लिए तरंगदैर्घ्य अधिकतम होता हैं?
(क) बैंगनी
(ख) हरा
(ग) लाल
(घ) पीला
उत्तर – (ग)
21. श्वेत प्रकाश की किरण जब किसी प्रिज्म से होकर गुजरती है तब जो वर्ण (रंग) सबसे अधिक विचलित होता है, वह है
(क) लाल
(ख) बैंगनी
(ग) नीला
(घ) हरा
उत्तर – (ख)

II. रिक्त स्थानों की पर्ति करें।

1. नेत्र द्वारा वस्तुओं का प्रतिबिंब उसके (नेत्र के) ……….. पर बनता है। 
उत्तर – रेटिना
2. सामान्य आँख ………. Cm से अधिक दूरी तक की वस्तुओं को स्पष्ट देख सकती है। 
उत्तर – 25
3. जब नेत्र को बहुत दूर स्थित किसी वस्तु पर फोकस किया जाता है तब नेत्र-लेंस की फोकस – दूरी …………. होती है।
उत्तर – महत्तम
4.  दूर-दृष्टि दोष वाला व्यक्ति …….. की वस्तुओं को स्पष्ट देख सकता है। 
उत्तर – दूर
5. वायुमंडलीय ……… के कारण सूर्योदय के समय सूर्य क्षितिज के ऊपर आने के कुछ पहले ही दिखाई पड़ने लगता है। 
उत्तर – अपवर्तन
6. प्रकाशपुंज के विभिन्न रंगों में अलग होने की घटना को ………… कहते हैं।
उत्तर – वर्ण-विक्षेपण
7. श्वेत प्रकाश के वर्ण-विक्षेपण में ………. रंग का विचलन (deviation) सबसे अधिक  होता है और ………. रंग का  सबसे कम।
उत्तर – बैंगनी; लाल
8. किसी कण पर पड़कर प्रकाश के एक अंश के विभिन्न दिशाओं में छितराने को प्रकाश का कहते हैं।
उत्तर – प्रकीर्णन
9. किसी माध्यम में छोटे-छोटे कणों के निलंबन को ……..…… कहा जाता है।
उत्तर – कोलॉइड
10. किसी कोलॉइडीय विलयन में निलंबित कणों से प्रकाश के प्रकीर्णन को …….. प्रभाव कहते हैं।
उत्तर – टिंडल

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. नेत्र के उस गुण को जो विभिन्न दूरियों पर स्थित वस्तुओं को फोकस करने में संहायता करता है, उसे क्या कहते हैं ?
उत्तर – समंजन क्षमता।
2. क्या भिन्न-भिन्न दूरियों पर स्थित वस्तुओं के प्रतिबिंब को फोकस करने के लिए नेत्र लेंस की फोकस दूरी सिलीयरी पेशियों द्वारा परिवर्तित होती है ?
उत्तर – हाँ सिलियरी पेशियों के द्वारा भिन्न-भिन्न दूरियों पर रखी वस्तुओं का परिवर्तन होता है।
3. किसी व्यक्ति के चश्मे में लगे लेंस की क्षमता + 1.5D है। लेंस उत्तल है या अवतल ?
उत्तर – यदि किसी व्यक्ति के चश्मे में लगे हुए लेंस की क्षमता + 1.5D है तो यह लेंस उत्तल लेंस है।
4. मानव नेत्र के तीन मुख्य दृष्टि दोषों के नाम लिखें।
उत्तर – मानव नेत्र के तीन मुख्य दृष्टि दोषों के नाम ये हैं
(i) निकट दृष्टि दोष ( Shortsightedness or myopia)
(ii) दूर-दृष्टि दोष (Farsightedness or hypermetropia)
(iii) जरा दूरदर्शिता ( Presbyopia)
5. स्पष्ट दूरी की न्यूनतम दूरी क्या है ?
उत्तर – जिस न्यूनतम दूरी तक आँख वस्तु को साफ-साफ देख सकता है, उसे स्पष्ट दूरी का न्यूनतम दूरी (Least distance of distinct vision) कहते हैं।
6. स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम मान लगभग कितना होता है?
उत्तर – स्पष्ट दृष्टि की दूरी का मान लगभग 25cm होता है।
7. नेत्र की सामान्य दृष्टि (normal vision) के लिए दूर-बिंदु (far point) और निकट-बिंदु (near point) क्या है ?
उत्तर – नेत्र की सामान्य दृष्टि के लिए दूर-बिंदु अनंत दूरी पर और निकट-बिंदु 25 cm पर  होता है ।
8. जब हम नेत्र से किसी वस्तु की दूरी को बढ़ा देते हैं तो नेत्र में प्रतिबिंब दूरी का क्या होता है ?
उत्तर – जब हम नेत्र से किसी वस्तु की दूरी को बढ़ा देते हैं तो नेत्र में समंजन के कारण प्रतिबिंब – दूरी में परिवर्तन नहीं होता है।
9. एक व्यक्ति जिसका नेत्र निकट दृष्टि दोष से ग्रसित है, 1.5m से अधिक दूरी पर की वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख पाता है। सामान्य दृष्टि प्राप्त करने के लिए उसे किस प्रकार लेंस की आवश्यकता होगी ?
उत्तर – कोई व्यक्ति जिसका नेत्र निकट दृष्टि दोष से ग्रसित है, 1.5m से अधिक दूरी पर की वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख पाता है। सामान्य दृष्टि प्राप्त करने के लिए उसे अपसारी (diverging) या अवतल (concave) लेंस की आवश्यकता होगी।
10. एक विद्यार्थी अपने क्लास के अंतिम पंक्ति में बैठने पर ब्लैकबोर्ड पर की लिखावट स्पष्ट नहीं देख पाता है। उसकी आँख किस प्रकार के दोष से ग्रसित है ? इस दोष को दूर करने के लिए उसे किस प्रकार के लेंस का व्यवहार करना होगा ?
उत्तर – कोई विद्यार्थी अपने क्लास के अंतिम पंक्ति में बैठने पर ब्लैकबोर्ड पर की लिखावट स्पष्ट नहीं देख पाता है। उसकी आँख निकट दृष्टि दोष से ग्रसित है। इस दोष को दूर करने के लिए उसे अपसारी या अवतल लेंस का व्यवहार करना होगा।
11. नेत्र लेंस की फोकस दूरी कम हो जाने से कौन-सा दृष्टि दोष होता है ?
उत्तर – नेत्र लेंस की फोकस – दूरी कम हो जाने के कारण निकट-दृष्टि दोष उतपन्न होता है।
12. एक व्यक्ति के चश्मे में अवतल लेंस लगा है। वह किस दृष्टि से दोष से पीड़ित है ?
उत्तर – कोई व्यक्ति के चश्मे में अवतल लेंस लगा है। वह निकट दृष्टि दोष से पीड़ित है।
13. किस दृष्टि दोष में किसी वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना के पीछे बनता है ?
उत्तर – दूर-दृष्टि दोष में किसी वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना के पीछे बनता है।
14. एक स्पष्ट चित्र द्वारा निकट दृष्टि दोष का वर्णन करें।
उत्तर –
15. दीर्घ-दृष्टि दोष किस प्रकार के लेंस द्वारा दूर किया जाता है ?
उत्तर – दीर्घ-दृष्टि दोष उत्तल लेंस द्वारा दूर किया जाता है।
16. तारों के टिमटिमाने की व्याख्या किस सिद्धांत पर आधारित है ?
उत्तर – तारों के टिमटिमाने की व्याख्या वायुमंडलीय अपवर्तन के सिद्धांत पर आधारित है।
17. श्वेत प्रकाश के विभिन्न वर्णों (रंगों) में विभक्त होने की घटना को क्या कहते हैं ?
उत्तर – श्वेत प्रकाश के विभिन्न वर्णों (रंगों) में विभक्त होने की घटना को वर्ण-विक्षेपण कहा जाता है।
18. जब श्वेत प्रकाश एक प्रिज्म से होकर गुजरता है किस वर्ण (रंग) का प्रकाश सबसे अधिक विचलित होता है और किस वर्ण (रंग) का सबसे कम विचलित होता है ?
उत्तर – जब श्वेत प्रकाश एक प्रिज्म से होकर गुजरता है तो बैंगनी वर्ण (रंग) का विचलन सबसे अधिक और लाल वर्ण (रंग) का विचलन सबसे कम होता है।
19. क्या प्रकाश का रंग (वर्ण) प्रकाश-तरंगों के तरंगदैर्ध्य पर निर्भर करता है ?
उत्तर – हाँ।
20. प्रकाश के किस रंग के लिए तरंगदैर्ध्य अधिकतम होता है ?
उत्तर – प्रकाश के लाल रंग के लिए तरंगदैर्घ्य का मान अधिक होता है।
21. लाल रंग (वर्ण) दूर से देखने पर भी लाल क्यों दिखाई देता है ?
उत्तर – क्योंकि लाल रंग का तरंगदैर्घ्य (λ) का मान सबसे अधिक होता है।
22. क्या कारण है कि आकाश का रंग नीला दिखाई पड़ता है ?
उत्तर – प्रकाश प्रकीर्णन के कारण अन्य रंग यहाँ तक नहीं पहुँच पाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. आँख की समंजन क्षमता (power accommodation) का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – आँख द्वारा अपने सिलियरी पेशियों के तनाव को घटा बढ़ा कर अपने लेंस की फोकस – दूरी को बदल कर दूर या निकट की वस्तु का साफ-साफ देखने की क्षमता को समंजन क्षमता  कहते हैं ।
2. नेत्र, अपने अंदर जानेवाले प्रकाश की मात्रा को किस प्रकार नियंत्रित करता है ?
उत्तर – परितारिका या आइरिस की सहायता से आँख के लेंस से होकर जानेवाले प्रकाश के परिमाण को घटाया या बढ़ाया जा सकता है। अंधेरे में परितारिका के बीच का छिद्र (अभिमुख) जिसे पुतली (pupil) कहते हैं, स्वतः फैल जाती है और तेज रोशनी में सिकुड़ता है। अतः कैमरा में जो काम (प्रकाश के परिमाण को नियंत्रित करना) डायफ्राम करता है, वही काम आँख में पुतली करता है। अतः आइरिस की सहायता से नेत्र के लेंस से होकर जानेवाले प्रकाश की मात्रा होता है।
3. निकटदृष्टिता क्या है ? इसे दूर करने के लिए हम किस लेंस का व्यवहार करते हैं ?
उत्तर – वह दृष्टि दोष जिसके कारण कोई व्यक्ति निकट की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख सकता है लेकिन दूर स्थित वस्तुओं को स्पष्ट रूप से नहीं देख सकता है इसे ही निकट दृष्टिता या निकट दृष्टि दोष कहा जाता है।
निकट दृष्टि दोष के निम्नलिखित कारण हैं –
1. नेत्र गोलक का लंबा हो जाना अर्थात् नेत्र और रेटिना के बीच की दूरी का बढ़ जाना।
2. अभिनेत्र लेंस की वक्रता का अधिक हो जाना।
निकट दृष्टि दोष को दूर करने के लिए अवतल लेंस के चश्मे का उपयोग किया जाता है जो दूर रखी वस्तु से आनेवाली समांतर किरणों को इतना अपसारित कर दें ताकि किरणें रेटिना के पहले मिलने के बजाय रेटिना पर ही मिले।
4. यदि हम तीव्र प्रकाश से किसी कम प्रकाश वाले कमरे में जाएँ तो वहाँ वस्तुओं को स्पष्ट देखने में कुछ समय क्यों लगता है ?
उत्तर – तीव्र प्रकाश में आँख की पुतली (Pupil) सिकुड़कर छोटी हो जाती है। कम प्रकाश वाले कमरे की वस्तुओं को देखने के लिए आँख की पुतली का अधिक खुलकर बड़ा होना आवश्यक है। पुतली सिकुड़कर छोटी हो जाने के कारण कुछ समय बाद ही वह फैल कर अधिक खुल पाती है। यही कारण है कि तीव्र प्रकाश से कम प्रकाश वाले कमरे में जाने पर वहाँ रखी वस्तुओं को स्पष्ट देखने में कुछ समय लग जाता है।
5. सामान्य नेत्र 25 cm से निकट रखी वस्तुओं को स्पष्ट क्यों नहीं देख पाते ?
उत्तर – अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी एक निश्चित सीमा से कम नहीं होती। कोई वस्तु नेत्र की अत्यधिक निकट है तो अभिनेत्र लेंस इतना अधिक वक्रित नहीं हो पाता कि वस्तु का प्रतिबिंब दृष्टिपटल पर बने, जिसके फलस्वरूप परिणामी प्रतिबिंब धुँधला-सा बनता है। नेत्र की सिलियरी पेशियाँ उतनी नहीं खिंच पातीं जितनी कि 25cm से निकट रंखी वस्तु को स्पष्ट देखने के लिए आवश्यक है। यही कारण है कि सामान्य नेत्र 25 cm से निकट रखी वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख पाती है।
6. दृष्टि दोष क्या है? यह कितने प्रकार का होता है।
उत्तर – नेत्र से बहुत दूर स्थित या निकट स्थित वस्तुओं का स्पष्ट प्रतिबिंब रेटिना (retina) पर बनाने की क्षमता खो देने को दृष्टि दोष (defects of vision) कहते हैं। मानव नेत्र में दृष्टि दोष मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं :
(i) निकट दृष्टि दोष (short sightedness or myopia)
(ii) दूर दृष्टि दोष ( far sightedness or hypermetropia)
(iii) जरा – दूरदर्शिता (presbyopia)
7. नेत्र के दो मुख्य दोषों के नाम लिखें। इनके उपचार के लिए किस प्रकार के लेंस व्यवहार में लाए जाते हैं ?
उत्तर – नेत्र के दो मुख्य दोषों के नाम ये हैं –
1. निकट-दृष्टि दोष
2. दूर-दृष्टि दोष।
इनका पूर्ण वर्णन निम्नलिखित है-
(i) निकटदृष्टि (Myopia)- नेत्रगोलक लंबा हो जाने के कारण नेत्र-लेंस बहुत दूरी (अनंत) पर स्थित वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना के सामने बनाता है [चित्र (i)]। इसलिए, दूर की वस्तु स्पष्ट नहीं दिखाई पड़ती है, किंतु निकट की वस्तु स्पष्ट दिखाई पड़ती है। अतः, इस दोष से युक्त आँख के लिए दूर-बिंदु निकटतर हो जाता है। इस दृष्टिदोष को निकटदृष्टि कहते हैं। अवतल लेंस किरणों को अपसारित करता है, इसलिए इस दृष्टिदोष को दूर करने के लिए उचित फोकस-दूरी का अवतल लेंस काम में लाया जाता है [चित्र (ii)]।
(ii) दीर्घदृष्टि (Hypermetropia)- इसमें नेत्रगोलक छोटा होने के कारण आँख का लेंस निकट के वस्तुओं के प्रतिबिंब रेटिना के पीछे बनाता है और इसलिए आँख निकट के वस्तुओं को साफ-साफ नहीं देख पाती, किंतु दूर के वस्तुओं को साफ-साफ देख सकती है। यह दृष्टिदोष दीर्घदृष्टि कहलाता है [ चित्र (iii)] । इसमें निकट-बिंदु अधिक दूर हो जाता है। उत्तल लेंस किरणों को अभिसारी बनाता है, अतः इस दोष को दूर करने के लिए उचित फोकसांतर का उत्तल लेंस काम में लाया जाता है। [ चित्र (iv)] |
8. दूरदृष्टिता नामक दोष के निवारण हेतु प्रयुक्त लेंस को दिखाते हुए किरण-आरेख खींचें।
उत्तर – दूर दृष्टिता दोष से पीड़ित व्यक्ति दूर की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख सकता है लेकिन नजदीक की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से नहीं देख सकता है। दूर-दृष्टिता नामक दोष को उत्तल लेंस द्वारा दूर किया जा सकता है। इस लेंस का किरण आरेख इस प्रकार है –
9. वर्ण – विक्षेपण – श्वेत प्रकाश के अपने विभिन्न अवयवों में विभाजन को प्रकाश का वर्ण-विक्षेषण (dispersion of light) कहते हैं।
उत्तर – वर्ण विक्षेपण- श्वेत प्रकाश के अपने विभिन्न अवयवों में विभाजन को प्रकाश का वर्ण विक्षेपण (dispersion of light) कहते हैं।
वर्णपट (स्पेक्ट्रम ) श्वेत प्रकाश से प्राप्त प्रकाश की पट्टी स्पेक्ट्रम कहते हैं। इसमें वर्णों (रंगां) का क्रम
बैंगनी (v), जामुनी (J), पीला (B), हरा (G), पीला (Y), नारंगी (O) तथा लाल (R) है। संक्षेप में VIBGYOR कहते हैं ।
10. तारे क्यों टिमटिमाते हैं ? समझाइए।
उत्तर – तारे की टिमटिमाहट उसके प्रकाश के वायुमंडलीय अपवर्त्तन के कारण होती है। हवा की परतों का घनत्व बदलते रहने के कारण तारों से चलने वाली प्रकाश की किरणें इन परतों से अपवर्तित होकर अपने मार्ग से कभी कम विचलित और कभी अधिक विचलित होती है। इससे आँखों में प्रकाश कभी कम पहुँचता है तो कभी अधिक जिससे तारे टिमटिमाते नजर आते हैं।
11. चन्द्रमा और ग्रह टिमटिमाते प्रतीत नहीं होते हैं क्यों ?
उत्तर – चंद्रमा और ग्रह तारों की अपेक्षा पृथ्वी के निकट है। चंद्रमा और ग्रह से आती किरणों का भी अपवर्तन होता है। अतः अपवर्तन के कोण के परिवर्तन के कारण ग्रह और चंद्रमा भी आभासी स्थिति में नगण्य परिवर्तन होता है जिससे उससे आती किरणों की तीव्रता में आभासी  परिवर्तन नहीं होता है। फलतः ग्रह और चंद्रमा टिमटिमाते हुए नहीं दिखाई देते हैं ।
12. सूर्योदय के समय सूर्य रक्ताभ क्यों प्रतीत होता है ?
उत्तर – प्रातः के समय सूर्य क्षितिज के निकट होता है। सूर्य की किरणों को हम तक पहुँचने के लिए वातावरणीय मोटी परतों से गुजर कर पहुँचना पड़ता है। नीले और कम तरंगदैर्घ्य के प्रकाश का अधिकांश भाग वहाँ उपस्थित कणों के द्वारा प्रकीर्णित कर दिया जाता है। हमारी आँखों तक पहुँचने वाला प्रकाश अधिक तरंगदैर्घ्य का होता है। इसलिए सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य स्क्ताभ प्रतीत होता है।
13. किसी अंतरिक्ष यात्री को आकाश नीले की अपेक्षा काला क्यों प्रतीत होता है ?
उत्तर – अंतरिक्ष यात्री आकाश में उस ऊँचाई पर होते हैं जहाँ वायुमंडल नहीं होता और न ही वहाँ कोई प्रकीर्णन हो पाता है इसलिए उन्हें आकाश नीला नहीं बल्कि काला प्रतीत होता है।
14. इन्द्रधनुष की व्याख्या करें प्रकाश के वर्ण-विक्षेपण से आप समझते हैं।
उत्तर –– वर्षा होने के बाद जब सूर्य चमकता है और हम सूर्य की ओर पीठ करके खड़े होते हैं, तो हमें कभी-कभी आकाश में अर्धवृत्ताकार रंगीन पट्टी दिखाई पड़ती है। इस अर्धवृत्ताकार रंगीन पट्टी को इंद्र-धनुष कहते हैं ।
श्वेत प्रकाश के इसके विभिन्न रंगों में विभक्त होने की घटना को प्रकाश का वर्ण-विक्षेपण ( dispersion) कहते हैं।
15. रेलवे के सिग्नल का प्रकाश लाल रंग का ही क्या होता है।
उत्तर – इसका कारण यह कि लाल रंग कुहरे अथवा धुएँ में सबसे कम प्रकीर्णित होता है।
16. जब श्वेत प्रकाश एक प्रिज्म से होकर गुजरता है तब इसके अवयव (Components) किसी सफेद पर्दे या दीवार पर भिन्न-भिन्न स्थानों पर दिखाई पड़ते हैं। क्यों ?
उत्तर – श्वेत प्रकाश सात रंगों का मिश्रण है। प्रत्येक रंग का तरंगदैर्घ्य एक-दूसरे से भिन्न है। भिन्न-भिन्न तरंगदैयों के लिए प्रिज्म के माध्यम का अपवर्तनांक अलग-अलग होता है । इस कारण विभिन्न रंग की किरणों का प्रिज्म से विचलन भिन्न-भिन्न होता है। अतः श्वेत प्रकाश प्रिज्म से गुजरने के बाद अपने अवयवी रंगों बैनी आहपीनाला में बँट जाता है। चूँकि श्वेत प्रकाश सात रंगों का मिश्रण होता है और प्रत्येक रंगों का तरंगदैर्घ्य अलग होता है। परिणामस्वरूप विभिन्न रंगों का प्रिज्म से विचलन अलग-अलग होता है। यही कारण है कि जब श्वेत एक प्रिज्म से होकर गुजरता है तो इसके अवयव किसी सफेद या दीवार पर अलग-अलग स्थानों पर दिखाई पड़ते हैं।
17. प्रकाश का वर्णविक्षेपण क्या है? स्पेक्ट्रम कैसे बनता है ?
उत्तर – श्वेत प्रकाश के अपने विभिन्न अवयवों में विभाजन को प्रकाश का वर्ण – विक्षेपण कहते (dispersion of light) हैं।
रंगीन पट्टी (स्पेक्ट्रम) इस कारण उत्पन्न होती है कि प्रिज्म द्वारा ( विभिन्न तरदैर्ध्य) के प्रकाश का विचलन अलग-अलग होता है-लाल वर्ण (रंग) का विचलन सबसे कम और बैंगनी (रंग) का विचलन सबसे अधिक | प्रिज्म द्वारा विभिन्न वर्णों (रंगों) के अलग-अलग विचलन का कारण यह है कि विभिन्न वर्णों (विभिन्न तरंगदैयों) का प्रकाश काँच के विभिन्न चाल में चलता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. निकट-दृष्टि दोष से आपका क्या अभिप्राय है ? इस दोष का निवारण किस प्रकार किया जाता है ?
उत्तर – निकट दृष्टि दोष (Short Sightedness or Myopia)– इस दोष वाली आँख के पास की वस्तुएँ तो स्पष्ट दिखाई देती हैं परंतु दूर की वस्तुएँ ठीक दिखाई नहीं देतीं या धुंधली दिखाई देती हैं। इसका अभिप्राय यह है कि दूर बिंदु अनंत की तुलना में कम दूरी पर आ जाता है।
निकट दृष्टि दोष इस दोष के उत्पन्न होने के कारण निकट दृष्टि दोष के कारण –
(i) क्रिस्टलीय लेंस का मोटा हो जाना या इसकी फोकस दूरी का कम हो ना।
(ii) आँख के गोले का लंबा हो जाना अर्थात् रेटिना तथा लेंस के बीच की दूरी का अधिक हो जाना होता है। अनंत से आने वाली समानांतर किरणें रेटिना के सामने मिलती हैं तथा प्रतिबिंब रेटिना पर नहीं बनता जैसा कि ऊपर चित्र में दिखाया गया है।
निकट दृष्टि दोष को दूर करना – इस दोष को दूर करने के लिए अवतल लेंस (Concave Lens) का प्रयोग करना पड़ता है जिसकी फोक्स दूरी आँख के दूर बिंदु जितनी होती है।
2. दूर-दृष्टि दोष से आप क्या समझते हैं ? इस दोष का निवारण किस प्रकार किया जाता है ?
उत्तर – दूर-दृष्टि दोष (Long Sightedness)— इस दोष के व्यक्ति को दूर की वस्तुएँ तो स्पष्ट दिखाई देती हैं परंतु समीप की वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई नहीं देती हैं। इसका कारण यह है कि समीप की वस्तुओं का प्रतिबिंब रेटिना के पीछे बनता है जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
दूर दृष्टि दोष के कारण
(i) नेत्र गोलक का छोटा होना।
(ii) आँख के क्रिस्टलीय लेंस का पतन होना या इनकी फोकस दूरी का अधिक हो जाना। बच्चों में यह रोग प्रायः नेत्र गोलक के छोटा होने के कारण होता है।
दूर दृष्टि दोष को दूर करना – इस दोष को दूर करने के लिए उत्तल लेंस ( Convex Lens) का प्रयोग किया जाता है । इस लेंस के प्रयोग से निकट बिंदु से आने वाली प्रकाश किरणें किसी दूर के बिंदु से आती हुई प्रतीत होती हैं तथा समीप पड़ी वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई देने लगती हैं।
3. दृष्टि दोष मुख्यतः कितने प्रकार के होते हैं ? किसी एक दोष को दूर करने की विधि का वर्णन करें।
उत्तर – दृष्टि दोष– आँख के वे दोष जो नेत्र लेंस की फोकस दूरी तथा नेत्र-गोलक (Eyeball) के आकार में कमी या वृद्धि के कारण उत्पन्न होते हैं, दृष्टि दोष कहलाते हैं ये चार प्रकार के होते हैं-
(i) निकट दृष्टि दोष (Short Sightedness or myopia)
(ii) दूर दृष्टि दोष (Long Sightedness or hypermetropia)
(iii) जरा दृष्टि दोष (Presbyopia)
(iv) अबिन्दुकता या दृष्टि वैषम्य (Astigmatism)
किसी एक दोष को दूर करने की विधि का वर्णन दीर्घ उत्तरीय प्रश्न संख्या 1 और  2 का उत्तर देखें।
4. वायुमंडलीय अपवर्तन से आप क्या समझते हैं ? एक उदाहरण द्वारा इसे समझाएँ ।
उत्तर – पृथ्वी के वायुमंडल द्वारा प्रकाश के अपवर्तन को वायुमंडलीय अपवर्तन कहा जाता है । संभवत: आपने कभी आग या भट्ठी अथवा किसी ऊष्मीय विकिरक के ऊपर उठती गर्म वायु के विक्षुब्ध प्रवाह में धूल के कणों की आभासी, अनियमित अस्थिर गति अथवा छिलमिलाहट देखी होगी। आग के तुरंत ऊपर की वायु अपने ऊपर की वायु की तुलना में अधिक गर्म हो जाती है। गर्म वायु अपने ऊपर ठंडी वायु व की तुलना में हलकी (कम सघन) होती है तथा इसका अपवर्तनांक ठंडी वायु की अपेक्षा थोड़ा कम होता है। क्योंकि अपवर्तक माध्यम (वायु) की भौतिक अवस्थाएँ स्थिर नहीं हैं, इसलिए गर्म वायु में से होकर देखने पर वस्तु की आभासी स्थिति परिवर्तित होती रहती है। इस प्रकार यह अस्थिरता हमारे स्थानीय पर्यावरण में लघु स्तर पर वायुमंडलीय अपवर्तन (पृथ्वी के वायुमंडल के कारण प्रकाश का अपवर्तन) का ही एक प्रभाव है। तारों का टिमटिमाना वृहत् स्तर की एक ऐसी ही परिघटना है।
तारे की टिमटिमाहट उसके प्रकाश के वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण होती है। हवा की परतों का घनत्व बदलते रहने के कारण तारों से चलने वाली प्रकाश की किरणें इन परतों से अपवर्तित होकर अपने मार्ग से कभी कम विचलित और कभी अधिक विचलित होती है। इससे आँखों में प्रकाश कभी कम पहुँचता है तो कभी अधिक जिससे तारे टिमटिमाते नजर आते हैं।
5. स्पेक्ट्रम क्या है ? आप किस प्रकार दिखाएँगे कि सूर्य का प्रकाश सात वर्णों (रंगों) से बना है ?
उत्तर – जब श्वेत प्रकाश किसी प्रिज्म से होकर गुजरती हैं तो पर्दे पर फोकसित विभिन्न रंगों की पट्टी स्पेक्ट्रम कहलाती हैं। दूसरे शब्दों में श्वेत प्रकाश के वर्ण – विक्षेपण से प्राप्त प्रकाश की रंगीन पट्टी को स्पेक्ट्रम कहते हैं
स्पेक्ट्रम के रंगों का क्रम – बैंगनी (V), जामुनी (I), नीला (B), हरा (G), पीला (Y), नारंगी (O) तथा लाल (R) इसे वैजानीहपीनाला (VIBGYOR)। सूर्य का प्रकाश सात रंगों का मिश्रण है। इसका दर्शाने के लिए एक क्राउन ग्लास का प्रिज्म लेते हैं उसको सूर्य की ओर इस ढंग से व्यवस्थित करते हैं कि दूसरी ओर पटल पर किरणें विच्छेपित होकर पड़े। पर्दे पर सात रंग की पट्टी स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ती है। इससे प्रमाणित होता है कि सूर्य सात रंगों का सम्मिश्रण है। यह रंग बैंगनी, नीला, आसमानी, हरा, पीला, नारंगी, लाल है।

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

I. प्रत्येक प्रश्न में दिए गए बहुविकल्पों में सही उत्तर चुनें।

1. मानव नेत्र अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी को समायोजित करके विभिन्न दूरियों पर रखी वस्तुओं को फोकसित कर सकता है। ऐसा हो पाने का कारण है
(क) जरा दूरदृष्टिता
(ख) समंजन
(ग) निकट – दृष्टि
(घ) दीर्घ-दृष्टि
उत्तर – (ख)
2. मानव नेत्र जिस भाग पर किसी वस्तु का प्रतिबिंब बनाते हैं वह है—
(क) कॉर्निया
(ख) परितारिका दृष्टि
(ग) पुतली
(घ) दृष्टिपटल
उत्तर – (घ)
3. निकट दृष्टिदोष वाले मनुष्य के चश्मे में होता है
(क) उत्तल लेंस
(ख) अवतल लेंस
(ग) बेलनाकार लेंस
(घ) समतोलत्तल लेंस
उत्तर – (ख)
4. नेत्र के किस दोष को दूर करने के लिए अवतल लेंस का प्रयोग किया जाता है ?
(क) जरा-दृष्टिदोष
(ख) दूर-दृष्टिदोष
(ग) निकट दृष्टिदोष
(घ) दृष्टि वैषम्य
उत्तर – (ग)
5. निकट दृष्टिदोष वाला व्यक्ति –
(क) सभी चीजों को ठीक से देख सकता है
(ख) किसी भी चीज को अच्छी तरह नहीं देख सकता है
(ग) दूर की चीजों को अच्छी तरह देख सकता है
(घ) समीप की वस्तु को अच्छी तरह देख सकता है
उत्तर – (घ)
6. आँख व्यवहार करता है
(क) अवतल दर्पण की तरह
(ख) उत्तल लेंस की तरह
(ग) समतल दर्पण की तरह
(घ) अवतल लेंस जैसा
उत्तर – (ख)
7. सामान्य आँख के रेटिना पर बननेवाला प्रतिबिंब
(क) आभासी और सीधा होता है
(ख) वास्तविक और सीधा होता है
(ग) वास्तविक और उलटा होता है
(घ) आभासी और उलटा होता है
उत्तर – (ग)
8. मानव नेत्र में रेटिना पर बने प्रतिबिंब की सूचना मस्तिष्क को संचरित की जाती है—
(क) सिलियरी पेशियों द्वारा
(ख) पीत बिंदु द्वारा
(ग) कॉर्निया द्वारा
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (घ)
9. श्वेत प्रकाश कितने रंगों के मेल से बना होता है ? 
(क) तीन
(ख) चार
(ग) पाँच
(घ) सात
उत्तर – (घ)
10. श्वेत प्रकाश का अवयवी रंगों में टूटने की क्रिया को कहते हैं
(क) टूटना
(ख) अपवर्तन
(ग) परावर्तन
(घ) वर्ण विक्षेपण
उत्तर – (घ)

II. रिक्त स्थानों को उपयुक्त शब्दों या अंकों से भरें।

1. दीर्घ दृष्टिदोष वाले नेत्र के लिए चश्मे में ……….. लगाया जाता है।
उत्तर – उत्तल लेंस
2. निकट दृष्टिदोष वाले मनुष्य को  ……….. लेंस का चश्मा लगाना चाहिए।
उत्तर – अवतल
3. नेत्र में रेटिना पर किसी वस्तु का ……….प्रतिबिंब बनता है।
उत्तर – उलटा
4. रेटिना के मध्य में पीत बिंदु होता है जिसमें सिर्फ ……….. ही रहते हैं।
उत्तर – शंकु
5. नेत्र – गोलक के ………. हो जाने के कारण निकट दृष्टिदोष होता है।
उत्तर – लम्बा
6. प्रकाश का वर्ण प्रकाश तरंगों के ………..पर निर्भर करता है।
उत्तर – तरंगदैर्ध्य
7. द्वितीयक वर्गों की संख्या …………. है।
उत्तर – तीन

III. सही / गलत का चयन करें।

1. मानव आँख पराबैंगनी रंग को नहीं देख सकती।
उत्तर – सही
2. निकट दृष्टि दोष वाले व्यक्ति को पास की वस्तुएँ दिखाई नहीं देती हैं।
उत्तर – गलत
3. मनुष्य की आँखें वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना पर बनाती हैं।
उत्तर – सही
4.सामान्य दृष्टि के तरुण वयस्क के लिए सुस्पष्ट दर्शन की अल्पतम दूरी लगभग 25cm होती है।
उत्तर – गलत
5. दूर-दृष्टि वाले व्यक्ति को उत्तल लेंस का प्रयोग करना चाहिए।
उत्तर – सही
6. जरा – दूरदर्शिता दोष द्विफोकसी लेंस द्वारा संशोधित किया जाता है।
उत्तर – सही
7. द्वफ़ोकसी लेंसों में ऊपरी भाग उत्तल लेंस होता है।
उत्तर – गलत
8. वृद्धावस्था में नेत्र की समंजन क्षमता घट जाती है।
उत्तर – सही
9. अत्यधिक ऊँचाई पर उड़ते हुए यात्रियों को आकाश काला प्रतीत होता है।
उत्तर – सही
10. सामान्य आँख 25cm से अनन्त दूरी तक की वस्तुओं को स्पष्ट देख सकता है।
उत्तर – सही

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. निकट दृष्टिदोष का कोई व्यक्ति 1.2m से अधिक दूरी पर रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट नहीं देख सकता। इस दोष को दूर करने के लिए प्रयुक्त संशोधन लेंस किस प्रकार का होना चाहिए ?
उत्तर – अवतल लेंस।
2: मानव नेत्र अभिनेत्र लेंस की फोकस – दूरी को समायोजित करके विभिन्न दूरियों पर रखी वस्तुओं को फोकसित कर सकता है। ये किसके कारण होता है ?
उत्तर – समंजन- शक्ति।
3. चलचित्र में किसका उपयोग होता है ?
उत्तर – दृष्टि-स्थिरता।
4. मानव नेत्र वस्तु का प्रतिबिंब किस भाग पर बनाते हैं ?
उत्तर – रेटिना ।
5. मानव आँख में किस प्रकार का लेंस होता है ?
उत्तर – उत्तल लेंस।
6. कौन-सा दृष्टिदोष अवतल लेंस से ठीक किया जा सकता है ?
उत्तर – निकट दृष्टिदोष ।
7. नेत्रदान मृत्यु के कितने घंटे के भीतर हो जाना चाहिए ?
उत्तर – 4 से 6 घंटे के भीतर।
8. इंद्रधनुष किस कारण प्राप्त होता है ?
उत्तर – वायुमंडल में उपस्थित जल की सूक्ष्म बूँदों द्वारा सूर्य के प्रकाश के परिक्षेपण के कारण।
9. जंगल के कुहासे में जल की सूक्ष्म बूँदें प्रकाश का प्रकीर्णन किस कारण करती हैं ?
उत्तर – टिंडल प्रभाव के कारण।
10. ‘खतरे’ का संकेत लाल रंग का क्यों होता है ?
उत्तर – लाल रंग सबसे कम प्रकीर्ण होता है इसलिए वह दूर से देखने पर भी लाल रंग का ही दिखाई देता है।
11. सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य रक्ताभ प्रत्तीत क्यों होता है ?
उत्तर – प्रकाश की अधिक तरंगदैर्घ्य के कारण।
12. मानव नेत्र में दृष्टिपटल का क्या कार्य है ?
उत्तर – दृष्टिपटल मानव नेत्र के द्वारा बनाए गए प्रतिबिंब के लिए स्क्रीन का कार्य करता है।
13. पुतली किसे कहते हैं ?
उत्तर – आँख के अन्दर एक छोटा-सा छिद्र जिससे होकर प्रकाश किरण नेत्र लेंस पर आपतित होती है, पुतली कहते हैं।
14. मानव नेत्र की तुलना किससे की जाती है ?
उत्तर – कैमरे से ।
15. परितारिका का क्या कार्य करती है ?
उत्तर – परितारिका गहरा पेशीय डायफ्राम होता है जो पुतली के आकार को नियंत्रित करता है।
16. श्वेत प्रकाश के लिए परिवर्णी शब्द कौन-सा है ?
उत्तर – VIBGYOR.
17. वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण सूर्य वास्तविक सूर्योदय से कितने मिनट बाद दिखाई देता है ?
उत्तर – लगभग 2 मिनट बाद।
18. आँख के लेंस के पर्दे को क्या कहते हैं ?
उत्तर – रेटिना।
19. दूर-दृष्टि दोष का मुख्य कारण क्या है ?
उत्तर – नेत्र गोलक का छोटा हो जाना।
20. निकट दृष्टि का मुख्य कारण क्या है ?
उत्तर – नेत्र-गोलक का लम्बा हो जाना।
21. टिंडल प्रभाव क्या है ?
उत्तर – जब कोई प्रकाश किरणपुंज महीन कणों (धुआँ, जल की सूक्ष्म बूँदें, धूल के निलंबित कण तथा वायु के अणु) से टकराता है तो उस पुंज का मार्ग दिखाई देने लगता है। इन कणों से विसरित प्रकाश परावर्तित होकर हमारे पास तक पहुँचता है। कोलॉइडी कणों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन (फैलाने) की परिघटना को टिंडल प्रभाव कहते हैं।
22. दो आँखों की क्या उपयोगिता है ?
उत्तर – (क) दो आँखों से हमारा दृष्टि क्षेत्र विस्तृत हो जाता है।
(ख) त्रिविम चाक्षुकी का लाभ मिलता है।
(ग) दोनों आँख एक-दूसरे को सेकेन्ड के एक भाग के लिए आराम देती रहती है।

लघु उत्तरीय प्रश्ना

1. जब कोई व्यक्ति सूर्य की धूप से अँधेरे सिनेमा हाल में प्रवेश करता है। बताइए कि उसकी आँखें किस प्रकार चीजों को देखने के लिए अपने-आप का व्यवस्थित करती हैं ?
उत्तर – पुतली का कार्य आँख के अन्दर आनेवाले प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करना है। तेज धूप में पुतली का आकार छोटा हो जाता है। यदि हम अचानक धूप से सिनेमा हॉल में प्रवेश करते हैं तो कम प्रकाश के कारण पुतली से होकर जाने वाली प्रकाश किरणों की मात्रा बहुत कम होने के कारण वस्तु दिखाई नहीं पड़ती है। पुनः मानव नेत्र पुतली के आकार को बढ़ाता है और जब उपयुक्त प्रकाश की मात्रा नेत्र से होकर लेंस पर पड़ती है तो वस्तुएँ हमें दिखाई देने लगती हैं।
2. मानव नेत्र की सामान्य दृष्टि के लिए दूर बिंदु तथा निकट बिंदु नेत्र से कितने दूरी पर होते हैं ?
उत्तर – किसी वस्तु को से कम-से-कम 25 cm दूर वस्तुओं को सुस्पष्ट देख सकता है। की वस्तु को आपस से सुस्पष्ट देखने के लिए वस्तु को नेत्रों होगा। एक सामान्य नेत्र 25 cm से अनंत दूरी तक रखी सभी
3. सूर्योदय और सूर्यास्त के उत्तर- वायुमंडलीय अपवर्तन के समय सूर्य की चक्रिका चपटी क्यों प्रतीत होती है ?
उत्तर – वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण सूर्य हमें वास्तविक सूर्योदय से लगभग 2 मिनट पहले दिखाई देने लगता है तथा वास्तविक सूर्यास्त के लगभग 2 मिनट बाद तक दिखाई देता रहता है । वास्तविक सूर्यास्त से अर्थ है— सूर्य द्वारा वास्तव में क्षितिज को पार करना। वास्तविक सूर्यास्त और आभासी सूर्यास्त के बीच समय का अंतर लगभग 2 मिनट है इसी परिघटना के कारण ही सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय सूर्य की चक्रिका चपटी प्रतीत होती है।
4. मोतियाबिंद क्या है ? क्या मोतियाबिंद को ठीक करना संभव है ?
उत्तर – कभी-कभी अधिक आयु के कुछ व्यक्तियों के नेत्र का क्रिस्टलीय लेंस दुधिया तथा धुँधला हो जाता है। इस स्थिति को मोतियाबिंद कहते हैं इसके कारण नेत्र की दृष्टि में कमी या पूर्ण रूप से दृष्टि क्षय हो जाता है। मोतियाबिंद की शल्य चिकित्सा के पश्चात् दृष्टि का वापस लौटना संभव होता है।
5. दृष्टि दोष से क्या समझते हैं ? दृष्टि दोष कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर – स्वस्थ नेत्र द्वारा अनंत पर रखी वस्तुओं से लेकर स्पष्ट दर्शन की न्यूनतम दूरी (25 cm) तक रखी हुई वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। कई कारणों से नेत्र बहुत दूर स्थित या निकट स्थित वस्तुओं का स्पष्ट प्रतिबिंब रेटिना पर बनाने की क्षमता खो देता है। ऐसी कमी दृष्टि दोष कहलाती है।
दृष्टि दोष तीन प्रकार के होते हैं—
(a) निकट दृष्टि दोष, (b) दीर्घ-दृष्टि दोष, (c) जरा दूरदृष्टिता। –
6. जरा दूरदृष्टिता से क्या समझते हैं ?
उत्तर – जरा दूरदृष्टिता—यह नेत्र में होनेवाला एक प्रकार का दीर्घ दृष्टि दोष है। आयु में वृद्धि होने पर मानव नेत्र की समंजन क्षमता घट जाती है।
कारण – यह पक्ष्माभी पेशियों के धीरे-धीरे कमजोर होने तथा क्रिस्टलीय लेंस के लचीलेपन में कमी आने के कारण होता है।
संशोधन–इस दोष को दूर करने के लिए द्विफांकसी लेंस का व्यवहार चश्मा के रूप में करते हैं।
7. वे कौन-कौन से व्यक्ति हो सकते हैं जिन्हें नेत्रदान नहीं करना चाहिए ?
उत्तर – निम्नलिखित रोगों से ग्रस्त व्यक्तियों को नेत्रदान नहीं करना चाहिए –
(i) एड्स (AIDS)
(ii) हेपेटाइटिस B या C (Hepatitis B or C)
(iii) जलभीति (Rabies)
(iv) तीव्र ल्यूकीमिया (Acute Leukaemia)
(v) धनुस्तंभ (Tetanus )
(vi) हैजा (Cholera)
(vii) तनिका शोथ (Meningitis)
(viii) मस्तिष्क शोथ (Encephalitis
8. कौन-कौन व्यक्ति नेत्रदान कर सकते हैं ?
उत्तर – (i) किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति।
(ii) किसी भी लिंग के व्यक्ति।
(iii) चश्मा लगाने या चश्मा न लगाने वाले।
(iv) मोतियाबिंद का ऑपरेशन करा चुके व्यक्ति।
(v) उच्च रक्त चाप से पीड़ित
(vi) मधुमेह रोगी
(vii) दमें के रोगी
(viii) जिन्हें कोई संक्रामक रोग न हो।
9. टिंडल प्रभाव क्या है ? इस प्रभाव के तीन उदाहरण दीजिए।
उत्तर – पृथ्वी के चारों ओर वायुमंडल है जिसमें धूल-कण, जलवाष्प आदि उपस्थित हैं। सूक्ष्मकणों का एक विषमांगी मिश्रण है। जब प्रकाश का किरण पुंज ऐसे सूक्ष्म कणों से टकराता है, तो उस किरण पुंज का मार्ग दिखाई देने लगता है। इन कणों से विसरित प्रकाश परावर्तित होकर हमारे पास तक पहुँचता है। कोलॉइडी कणों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन को टिंडल प्रभाव कहते हैं।
उदाहरण— (i) धूल या धुएँ से भरे कमरे में किसी छिद्र से प्रवेश करने वाले प्रकाशपुंज में कणों को उड़ते हुए देखना।
(ii) घने जंगलों के वितान (Canopy) से सूर्य की किरणों का गुजरना ।
(iii) जंगल के कुहासे में जल सूक्ष्म बूँदों द्वारा प्रकाश का प्रकीर्णन।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. फोटो कैमरा का सचित्र वर्णन कीजिए तथा इसमें और नेत्र में क्या समानताएँ तथा विषमताएँ हैं, बताएँ ?
उत्तर – जिस यंत्र द्वारा फोटो खींचा जाता है, उसे फोटो कैमरा कहते हैं। एक साधारण फोटो कैमरा में निम्नांकित भाग होते हैं
(i) प्रकाशरोधक बॉक्स (Light tight box ) AB-यह भीतर से काले रंग से पुता बॉक्स होता है। बॉक्स की दीवारें तह- लगे कागज या चमड़े की होती हैं। दीवारों में बिव तह के कारण कैमरे के लेंस (Lens) को खिसकाया जा सकता है और फोटोग्राफिक प्लेट की दूरी बदली जा सकती है।
(ii) लेंस (Lens) L – यह कई तालों (Lenses) का अभिसारी समूह होता है, जो गोलीय तथा वर्ण-विपथन आदि दोषों से मुक्त रहता है।
(iii) तारा पट (Iris diaphragm) DF— यह एक समायोजक अभिमुख है जो लेंस से आनेवाले प्रकाश की परिमाप को समायोजित करता है।
(iv) कपाट (Shilter) — कैमरे के लेंस को हमेशा खुला नहीं छोड़ा जा सकता है। इसके ऊपर एक ढक्कन लगा रहता है जिसे कपाट कहते हैं।
(v) पर्दा (Screen) E — यह घिसे हुए काँच की एक अल्पपारदर्शक पत्ती है जो बॉक्स के पीछे वाले भाग से लगी होती है। पहले इस पर फोकस किया जाता है, बाद में इसकी जगह पर फोटोग्राफिक प्लेट रखा जाता है।
(vi) फोटो प्लेट (Photographic plate) यह काँच का एक प्लेट होता है, जिसपर जिलेटिन के माध्यम में रखे सिल्वर ब्रोमाइड (AgBr) की पतली परत की लेप चढ़ी होती है।
नेत्र तथा कैमरे में समानता –
2. नेत्र किंस प्रकार निकट तथा दूर की वस्तुओं के प्रतिबिंबों को रेटिना पर फोकस करता है ?
उत्तर – किसी वस्तु से आनेवाली प्रकाश किरणें जब नेत्र में प्रवेश करती हैं तो ये किरणें नेत्र-लेंस से अपवर्तित होकर रेटिना पर पड़ती हैं जिससे रेटिना पर वस्तु का वास्तविक, उलटा एवं छोटा प्रतिबिंब बनता है। मानव मस्तिष्क द्वारा इस प्रतिबिंब का सीधा अनुभव होता है तथा वस्तु दिखाई पड़ती है। एक स्वस्थ नेत्र की यह विशेषता होती है कि वह बहुत और समीप की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख सके। जब वस्तु आँख से बहुत दूर अर्थात् अनंत पर हो तब आँख पर आपतित समानांतर किरणें स्वतः ही रेटिना पर फोकस हो जाती हैं। इस दशा में मांसपेशियाँ ढीली रहती हैं तथा उनपर कोई तनाव नहीं होता है। इस समय आँख शांत अवस्था में होती है तथा नेत्र-लेंस से रेटिना की दूरी नेत्र-लेंस की अधिकतम फोकस दूरी के बराबर होती है। परन्तु, जब बिंब समीप हो तो मांसपेशियाँ संकुचित हो जाती हैं, जिससे लेंस सिकुड़कर अधिक गोलाकार हो जाता है।
इस प्रकार, लेंस की फोकस – दूरी कम हो जाने से प्रतिबिंब पुनः रेटिना पर ही बन जाता है। वस्तु प्रतिविम्व चित्र में स्पष्ट दिखाया गया है। आँख की यह क्षमता जिससे नेत्र-लेंस की आकृति अथवा वक्रता-त्रिज्या स्वतः नियंत्रित होती रहती है, नेत्र की समंजन क्षमता कही जाती है।
3. मानव नेत्र का सचित्र वर्णन करें।
उत्तर – मानव-नेत्र की संरचना Cm नेत्र के अग्र भाग को कॉर्निया कहा जाता है, यह पारदर्शक भाग है। इससे होकर प्रकाश नेत्र में प्रवेश पाता है। नेत्र का शेष भाग अपारदर्शक है जिसे स्क्लेरा (S) कहा जाता है। बाहर में सफेद दिखनेवाले भाग के भीतरी काली परत को कोरॉयड (Ch) कहते हैं। कॉर्निया के पीछे रंगीन अपारदर्शक मांसपेशी से बना डायफ्राम आइरिस (I) कहलाता है। आइरिस के बीच में पुतली होती है। आइरिस जिन मांसपेशियों से जुड़ा होता है, उन सिलियरी मांसपेशियों को Cm कहते हैं। इन्हीं मांसपेशियों की सहायता से आइरिस के अभिमुख को घाया- बढ़ाया जाता है। तेज प्रकाश में आइरिस का अभिमुख संकुचित हो जाता है जिससे नेत्र के भीतर कम परिमाण में प्रकाश जा पाता है और अँधेरे में आइरिस का मुख फैल जाता है जिससे आँख में अधिक परिमाण में प्रकाश प्रवेश पाता है। पुतली के ठीक पीछे एक उत्तल लेंस निलम्बन स्नायुओं (SL) की सहायता से निलंबित रहता है। सिलियरी मांसपेशियों की सहायता से इसे आवश्यकतानुसार मोटा या पतला किया जाता है। इस प्रकार लेंस की फोकस दूरी को निश्चित सीमा तक समंजित किया जाता है। नेत्र-लेंस के पीछे स्थित नेत्रगोलक का अस्तर रेटिना (R) कहलाता है। कॉर्निया और लेंस के बीच के भाग में एक पारदर्शक जलीय घोल नेजोद नामक द्रव भरा रहता है। इसी प्रकार लेंस और रेटिना के बीच एक श्लेषी द्रव भरा होता है, जिसे काचाभ द्रव कहते हैं।
रेटिना एक नाजुक सुग्राही झिल्ली होती है, जिसमें बहुत सी स्नायुकोशिकाएँ रहती हैं। रेटिना पर स्थित अभिग्राही स्नायु अभिग्राही सेल बनाती है। स्नायु सेल मिलकर स्नायु तंतु बनाती है। प्रकाशीय स्नायुएँ मस्तिष्क तक संवेदना को पहुँचाती हैं। पीतबिंदु R पर प्रतिबिंब बनता है। अंधबिंदु B पर बने प्रतिबिंब की संवेदना मस्तिष्क तक नहीं जाती है, क्योंकि यह प्रकाशीय स्नायु नहीं होती है।
लेंस के प्रकाश केन्द्र और कॉर्निया के मध्य बिंदु को मिलानेवाली काल्पनिक रेखा को प्रकाशिक अक्ष कहते हैं | रेटिना पर रंग – संवेदी स्नायुएँ रंगों में विभेद बताती हैं। पीतबिंदु के केन्द्र और लेंस के प्रकाशकेन्द्र को मिलानेवाली काल्पनिक रेखा को दृष्टि-अक्ष कहते हैं।
नेत्र को समंजित कर वस्तु को देखा जाता है। किसी वस्तु की वह अधिकतम दूरी जहाँ पर रखे जाने पर आँख उसको साफ-साफ देख सकती है, उसे दूर बिंदु कहते हैं। स्वस्थ आँख के लिए दूर बिंदु अनंत पर होता है।
किसी वस्तु की वह निकटतम दूरी जहाँ पर आँख अधिकतम समंजन क्षमता लगाकर वस्तु को साफ-साफ देख सकती है, उसे निकट बिंदु कहते हैं। निकट  बिंदु की स्पष्ट दर्शन की न्यूनतम दूरी 25 संमी है।
4. सामान्य नेत्र 25 cm से निकट रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट क्यों नहीं देख पाते ?
उत्तर – अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी एक निश्चित न्यूनतम सीमा से कम नहीं हो सकती। इसे कम करने के प्रयास से आँखों पर तनाव बढ़ता है और वस्तु धुँधली दिखाई देती है।
इसलिए सामान्य नेत्र 25 cm से निकट रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट नहीं देख पाते।
5. तारे क्यों टिमटिमाते हैं ?
उत्तर – हमारे नेत्रों को तारों के प्रकाश के वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण तारे टिमटिमाते से लगते हैं। तारे का प्रकाश पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने के पश्चात् पृथ्वी के पृष्ठ पर पहुँचने तक लगातार अपवर्तित होता है। वायुमंडलीय अपवर्तन उसी माध्यम से होता है जिसका क्रमिक परिवर्ती अपवर्तनांक हो क्योंकि वायुमंडल तारे के प्रकाश को अभिलंब की ओर झुका देता है,
इसलिए तारे की आभासी स्थिति उसकी वास्तविक स्थिति से कुछ भिन्न प्रतीत होती है। क्षितिज के निकट देखने पर कोई तारा अपनी वास्तविक स्थिति से कुछ ऊँचाई पर प्रतीत होता है। तारे की यह आभासी स्थिति भी स्थायी न होकर धीरे-धीरे थोड़ी बदलती भी रहती है क्योंकि पृथ्वी के वायुमंडल की भौतिक अवस्थाएँ भी बदलती रहती हैं। तारे बहुत दूर हैं, इसलिए वे प्रकाश के बिंदु स्रोत के निकट हैं। तारों से आने वाली प्रकाश किरणों का पथ थोड़ा-थोड़ा बदलता रहता है, इसलिए तारे की आभासी स्थिति विचलित होती रहती है तथा आँखों में प्रवेश करने वाले तारों के प्रकाश की मात्रा झिलमिलाती रहती है जिसके कारण तारे टिमटिमाते प्रतीत होते हैं।
6. इन्द्रधनुष का बनना समझाएँ।
उत्तर – इन्द्रधनुष, वर्षा के पश्चात् आकाश में जल के सूक्ष्म कणों में दिखाई देनेवाले प्राकृतिक स्पेक्ट्रम हैं।
यह वायुमंडल में उपस्थित जल की सूक्ष्म बूँदों द्वारा सूर्य के प्रकाश के परिक्षेपण के कारण प्राप्त होता है। इन्द्रधनुष सदैव सूर्य के विपरीत दिशा में बनता है।
जल की सूक्ष्म बूँदें छोटे प्रिज्मों की भाँति कार्य करती है। सूर्य के आपतित प्रकाश को ये है। अंततः जल की बूँदें अपवर्तित तथा विक्षेपित करती है तत्पश्चात् इसे आंतरिक परावर्तित करती बूँदें से बाहर निकलते समय प्रकाश को पुनः अपवर्तित करती है। प्रकाश के परिक्षेपण तथा आंतरिक परावर्तन के कारण विभिन्न वर्ण प्रेक्षक के नेत्रों तक पहुँचते हैं।
7. स्वच्छ आकाश का रंग नीला क्यों होता है ?
उत्तर – प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण आकाश का रंग नीला होता है। वायुमंडल में वायु के अणु तथा अन्य सूक्ष्म कणों का आकार दृश्य प्रकाश की तरंगदैर्घ्य के प्रकाश की अपेक्षा नीले वर्ण की ओर के कम तरंगदैर्घ्य के प्रकाश को प्रकीर्णित करने में अधिक प्रभावी है। लाल वर्ण के प्रकाश की तरंगदैर्घ्य नीले प्रकाश की अपेक्षा 1.8 गुनी है। अतः जब सूर्य का प्रकाश वायुमंडल से गुजरता है, वायु के सूक्ष्म कण लाल रंग की अपेक्षा नीले रंग को अधिक प्रबलता से प्रकीर्ण
करते हैं। नीले रंग का वायुमंडल में सबसे अधिक प्रकीर्णित होने के कारण स्वच्छ आकाश नीला दिखाई देता है।

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