भौतिकी : विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव | Class 10Th Physics Chapter – 5 Notes | Model Question Paper | विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव Solutions

भौतिकी : विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव | Class 10Th Physics Chapter – 5 Notes | Model Question Paper | विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव Solutions

विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव (Magnetic Effects of Electric Current)

स्मरणीय तथ्य : एक दृष्टिकोण 
(MEMORABLE FACTS : AT A GLANCE)
  • धारावाही चालक अपने चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है।
  • मैक्सवेल के दक्षिण-हस्त नियम के अनुसार, यदि धारावाही चालक को दाएँ हाथ की मुट्ठी में इस प्रकार पकड़ा जाए कि अंगूठा धारा की दिशा की ओर संकेत करता हो तो हाथ की अन्य अँगुलियाँ चुंबकीय क्षेत्र की दिशा व्यक्त करती हैं।
  • सीधी धारा के कारण चुंबकीय क्षेत्र -रेखाएँ वृत्ताकार होती हैं जिनके केंद्र धारावाही तार पर होते हैं।
  • विद्युतरोधित चालक तार की लंबी बेलनाकार कुंडली को परिनालिका कहते हैं। परिनालिका जिस पदार्थ पर लिपटी होती है, उसे क्रोड कहा जाता है।
  • किसी धारावाही चालक पर चुंबकीय क्षेत्र बल लगाता है।
  • फ्लेमिंग का काम-हस्त नियम बताता है कि यदि बाएँ हाथ का अँगूठा, तर्जनी और मध्यमा परस्पर समकोणिक रखे गए हों तथा तर्जनी क्षेत्र की दिशा में एवं मध्यमा धारा की दिशा में हो तो अँगूठा बल की दिशा का संकेत करेगा।
  • विद्युत मोटर विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करता है।
  • जब कभी कुंडली और किसी चुंबक के बीच आपेक्षिक गति होती है तब कुंडली में विद्युत-धारा प्रेरित होती है। इस प्रभाव को विद्युत चुंबकीय प्रेरण कहते हैं।
  • फ्लेमिंग का दक्षिण-हस्त नियम बताता है कि यदि दाहिने हाथ के अंगूठा, तर्जनी और मध्यमा को परस्पर समकोणिक रखते हुए तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा को संकेत करे और अँगूठा गति की दिशा में हो तो मध्यमा प्रेरित धारा की दिशा का संकेत करेगी।
  • विद्युत जनित्र या डायनेमो यांत्रिक ऊर्जा को (विद्युत-चुंबकीय प्रेरण द्वारा) विद्युत ऊर्जा है। में परिवर्तित करता है ।
  • विद्युत-शक्ति संचरण में ऊर्जा की क्षति को कम करने के लिए उच्च विभवांतर का व्यवहार होता है।
  • घरेलू परिपथ में उपकरण विद्युन्मय तार और उदासीन तार के बीच समांतरक्रम में जुड़े होते हैं।
  • स्विच तथा फ्यूज हमेशा विद्युन्मय तार (live wire) में लगाए जाते हैं।
  • विद्युत-परिपथों की अतिभारण तथा लघुपथन से बचाव के लिए सबसे आवश्यक सुरक्षा युक्ति फ्यूज है।

प्रश्नावली

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

I. सही उत्तर का संकेताक्षर (क, ख, ग एवं घ) लिखें।

1. किसी सीधे चालक में धारा की दिशा और उससे संबद्ध चुंबकीय क्षेत्र की दिशा किस नियम से ज्ञात की जा सकती है ?
(क) फ्लेमिंग के वाम-हस्त नियम से
(ख) फ्लेमिंग के दक्षिण-हस्त नियम से
(ग) मैक्सवेल के दक्षिण-हस्त नियम से
(घ) मैक्सवेल के वाम-हस्त नियम से
उत्तर – (ग)
2. किसी विद्युत धारावाही सीधी लंबी परिनालिका के भीतर चुंबकीय क्षेत्र
(क) शून्य होता
(ख) इसके सिरे की ओर जाने पर घटता है।
(ग) इसके सिरे की ओर जाने पर बढ़ता है।
(घ) सभी बिंदुओं पर समान होता है।
उत्तर – (ख)
3. निम्नलिखित में से कौन किसी लंबे विद्युत धारावाही तार के निकट चुंबकीय क्षेत्र का सही वर्णन करता है?
(क) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र – रेखाएँ तार के लंबवत होती है
(ख) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के समांतर होती हैं।
(ग) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र – रेखाएँ अरीय (radial) होती हैं जिनका उद्भव तार से होता है।
(घ) चुंबकीय क्षेत्र की चुंबक बनाने के लिए संकेंद्री क्षेत्र – रेखाओं का केंद्र तार होता है।
उत्तर – (घ)
4. चुंबक बनाने के लिए प्राय: किस पदार्थ के छड़ का व्यवहार किया जाता है ?
(क) पीतल
(ख) नरम लोहा
(ग) चाँदी
(घ) इस्पात
उत्तर – (ख)
5. फ्लेमिंग के वाम-हस्त नियम में अंगूठा किसकी  दिशा का संकेत करता है ?
(क) धारा का
(ख) चुंबकीय क्षेत्र का
(ग) बल का
(घ) इनमें किसी का नहीं
उत्तर – (ग)
6. किसी प्रोटॉन का निम्नलिखित में से कौन-सा गुण किसी चुंबकीय क्षेत्र में मुक्त गति करते समय परिवर्तित हो जाता है ?
(क) द्रव्यमान
(ख) चाल
(ग) वेग
(घ) संवेग
उत्तर – (ग) एवं (घ)
7. विद्युत-चुंबकीय प्रेरण की खोज किसने किया था ?
(ख) फ्लेमिंग ने
(क) ऐम्पियर ने
(ग) फैराड़े ने
(घ) इनमें कोई नहीं
उत्तर – (ग)
8. पश्चिम की ओर प्रक्षेपित कोई धनावेशित कण (अल्फा कण) किसी चुंबकीय क्षेत्र द्वारा उत्तर की ओर विक्षेपित हो जाता है। चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या है?
 (क) दक्षिण की ओर
(ख) पूर्व की ओर
(ग) अधोमुखी
(घ) उपरिमुखी
उत्तर – (घ)
9. विद्युत – चुंबकीय प्रेरण की  परिघटना
(क) किसी वस्तु को आवेशित करने की प्रक्रिया है।
(ख) किसी कुंडली में विद्युत धारा प्रवाहित होने के कारण चुंबकीय प्रेरण उत्पन्न करने की प्रक्रिया है।
(ग) कुंडली तथा चुंबक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुंडली में प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न करना।
(घ) किसी विद्युत मोटर की कुंडली को घूर्णन कराने की प्रक्रिया है।
उत्तर – (ग)
10. विद्युत धारा उत्पन्न करने की युक्ति को कहते हैं
(क) जनित्र
(ख) गैल्वेनोमीटर
(ग) ऐमीटर
(घ) मीटर
उत्तर – (क)
11. वास्तव में विद्युत जनित्र
(क) विद्युत आवेश के किसी स्रोत का कार्य करता है।
(ख) ऊष्मीय ऊर्जा के स्रोत का कार्य करता है।
(ग) विद्युत-चुंबक की तरह कार्य करता है।
(घ) ऊर्जा के परिवर्तक की तरह कार्य करता है।
उत्तर – (घ)
12. विद्युत जनित्र का सिद्धांत आधारित है
(क) धारा के ऊष्मीय प्रभाव
(ख) विद्युत – चुंबकीय प्रेरण पर
(ग) प्रेरित चुंबकत्व पर
(घ) प्रेरित विद्युत पर
उत्तर – (ख)
13. किसी a.c जनित्र तथा d.c जनित्र में एक मूलभूत अंतर यह है कि
(क) a.c जनित्र में विद्युत-चुंबक होता है जबकि d.c जनित्र में स्थायी चुंबक होता है।
(ख) d.c जनित्र उच्च वोल्टता उत्पन्न करता है।
(ग) ac जनित्र उच्च वोल्टता उत्पन्न करता है।
(घ) a.c. जनित्र में सर्पी वलय होते हैं जबकि d.c. जनित्र में दिक्परिवर्तक होता है।
उत्तर –(घ)
14. हमारे मकानों में जो विद्युत आपूर्ति की जाती है, वह होती है
(क) 12 V पर की दिष्ट धारा
(ख) 12V पर की प्रत्यावर्ती धारा
(ग) 220 V पर की दिष्ट धारा
(घ) 220V पर की  प्रत्यावर्ती धारा
उत्तर – (घ)
15. ताँबे के तार की एक आयताकार कुंडली किसी चुंबकीय क्षेत्र में घूर्णी गति कर रही है। इस कुंडली में प्रेरित विद्युत धारा की दिशा में कितने परिभ्रमण के पश्चात परिवर्तन होता है?
(क) दो
(ख) एक
(ग) आधे
(घ) चौथाई
उत्तर – (ग)
16. लघुपथन के समय परिपथ में विद्युत धारा का मान
(क) बहुत कम हो जाता है।
(ख) परिवर्तित नहीं होता है।
(ग) बहुत अधिक बढ़ जाता है।
(घ) निरंतर परिवर्तित होता है।
उत्तर – (ग)
17. घरेलू उपयोग के लिए विद्युत की आपूर्ति (supply) होती है
(क) 220 V, 100 Hz पर
(ख) 110V, 100 Hz पर
(ग) 220V, 50Hz पर
(घ) 110 V, 50 Hz पर
उत्तर – (ग)
18. घरेलू (domestic) वायरिंग में तीन तार होते हैं-गर्म (जीवित), ठंडा (उदासीन) और अर्थ (भूयोजित)। इन तारों के रंग होते हैं क्रमशः
(क) हरा, काला तथा लाल
(ख) काला, हरा तथा लाल
(ग) लाल, काला तथा हरा
(घ) काला, लाल तथा हरा
उत्तर – (ग)
19. स्विच (switch) लगाए जाते हैं
(क) ठंडे तार में
(ख) गर्म तार में
(ग) भू-तार में
(घ) कभी ठंडे तार में तो कभी भू-तार में
उत्तर – (ख)
20. विद्युत फ्यूज दुर्घट्ना से रक्षा कर सकता है
(क) अतिभारण के कारण, किंतु लघुपथन के कारण नहीं है
(ख) लघुपथन के कारण, किंतु अतिभारण के कारण नहीं
(ग) लघुपथन और अतिभारण दोनों के कारण
(घ) न तो लघुपथन के कारण और न ही अतिभारण के कारण
उत्तर – (ग)
21. विद्युत फ्यूज आधारित है
(क) धारा के ऊष्मीय प्रभाव पर
(ख) धारा के चुंबकीय प्रभाव पर
(ग) धारा के रासायनिक प्रभाव पर
(घ) धारा के विद्युत चुंबकीय प्रभाव पर
उत्तर – (क)
22. विद्युत परिपथ में विद्युत फ्यूज जोड़ा जाता है
(क) भू-तार में
(ख) उदासीन तार में
(ग) विद्युन्मय तार में
(घ) ठंडा तार में
उत्तर – (ग)

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।

1. विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव ………. ने सबसे पहले खोज निकाला था।
उत्तर – ऑस्टैंड
2. ………. ने प्रयोग द्वारा सर्वप्रथम सिद्ध किया कि किसी धारावाही चालक पर चुंबकीय  क्षेत्र बल लगता है।
उत्तर –  फैराडे
3. जब किसी सीधे तार को चुंबकीय क्षेत्र के समकोणिक दिशा में चलाया जाता है तो तार में प्रेरित धारा की दिशा फ्लेमिंग के ……… नियम द्वारा दी जाती है।
उत्तर – दक्षिण-हस्त
4. डायनेमो  ………. ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है।
उत्तर – यांत्रिक
5. विद्युन्मय तार सामान्यतः …………. रंग का होता है।
उत्तर – लाल
6. विद्युत उपकरण का धातु आवरण ……….. से जोड़ा जाता है।
उत्तर – भू-तार
7. अतिभारण से सुरक्षा के लिए विद्युत परिपथ में ……….. का उपयोग किया जाता है।
उत्तर – फ्यूज
8. संचरण के क्रम में ऊर्जा की हानि को कम करने के लिए विद्युत पावर स्टेशन से ऊर्जा ……….. विभवांतर पर भेजी जाती है।
उत्तर – उच्च
9. दिक्परिवर्तकयुक्त जनित्र ……….धारा उत्पन्न करता है।
उत्तर – दिष्ट
10. घरेलूदवायरिंग में स्विच …….. तार से जोड़ा जाता है।
उत्तर – विद्युन्मय

III. सही गलत का चयन करें।

1. विद्युत धारा चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है।
उत्तर – सही
2. जब एक धारावाही चालक को चुंबकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो उस पर कोई बल नहीं लगता।
उत्तर – गलत
3. समान प्रकृति के चुंबकीय ध्रुव एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं जबकि असमान प्रकृति के ध्रुव एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं ।
उत्तर – गलत
4. दिक्परिवर्तक, d.c. मोटर की कुंडली में धारा की दिशा को बदल देता है।
उत्तर – सही
5. विद्युत जनित्र एक युक्ति है जो विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करता है।
उत्तर – गलत
6. धारावाही सीधे चालक के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र में धारा की दिशा और उससे जुड़े चुंबकीय क्षेत्र की मैक्सवेल के दक्षिण- हस्त नियम से मिलती है।
उत्तर – सही
7. घरों में विद्युत परिपथ लगाने के लिए विद्युत आपूर्ति का जो तार पृथ्वी के संपर्क में होता है उसे अर्थ वायर या भू-तार कहते हैं ।
उत्तर – सही
8. हरे विद्युतरोधन वाला तार प्रायः विद्युन्मय तार होता है ।
उत्तर – गलत

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. चुम्बक के उत्तर तथा दक्षिण ध्रुव को मिलानेवाली रेखा को क्या कहते हैं ?
उत्तर – चुम्बक के उत्तर तथा दक्षिण ध्रुव के मिलानेवाली रेखा को चुम्बकीय अक्ष कहते हैं।
2. चुम्बक के सिरे के निकट का वह बिंदु जहाँ चुम्बक का आकर्षण बल सबसे अधिक होता है उसे क्या कहते हैं?
उत्तर – चुम्बक के सिरे के निकट जहाँ आकर्षण बल अधिक होता है उसे ध्रुव कहते चुम्बक में दो ध्रुव उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव होता है।
3. क्या दो चुम्बकीय रेखाएँ एक-दूसरे को काट सकती है ?
उत्तर – नहीं, दो चुम्बकीय रेखाएँ एक दूसरे को कभी भी नहीं काट सकती है।
4. चुंबक के निकट लाने पर दिक्सूचक की सूई विक्षेपित क्यों हो जाती है ?
उत्तर – दिक्सूचक की सूई एक छोटी छड़ चुम्बक होती है जिसके दोनों सिरे उत्तर और दक्षिण दिशाओं की ओर संकेत करते हैं। चुंबक के विपरीत सिरे एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं और इसी कारण समान सिरे विकर्षित करते हैं। किसी चुंबक के निकट लाने पर उसका चुंबकीय बल चुंबकीय सूई के ध्रुवों पर बल लगाता है और इसीलिए दिक्सूचक की सूई विक्षेपित हो जाती है। उसका उत्तरी सिरा चुंबक के दक्षिणी सिरे की तरफ तथा दक्षिणी सिरा उत्तरी सिरे की ओर घूम जाता है।
5. ओस्टैंड के प्रयोग में चुंबकीय सूई के विचलन की दिशा किन-किन बातों पर निर्भर करती है ?
उत्तर – ओस्टेंड के प्रयोग में चुंबकीय सूई के विचलन की दिशा निम्नलिखित बातों पर निर्भर करती है
(i) धारा की दिशा ।
(ii) चुम्बकीय सूई की स्थिति।
6. परिनालिका किसे कहते हैं ?
उत्तर – यह काँच या गत्ता का एक ऐसा खोखला, बेलनाकार नली है जिसके ऊपर तार लपेटकर विद्युत धारा प्रवाहित करने पर छड़ चुम्बक जैसा कार्य करता है।
7. क्रोड किसे कहा जाता है ?
उत्तर – परिनालिका जिस पदार्थ पर लिपटी होती है, उसे क्रोड कहा जाता है।
8. चुंबकीय क्षेत्र के तीन स्रोतों की सूची बनाइए। चारों तरफ चुंबकीय क्षेत्र होता है।
उत्तर – (क) एक प्राकृतिक चुंबक के तरफ चुंबकीय क्षेत्र होता है।
(ख) एक धारावाही सीधा चालक के चारों तरफ चुंबकीय क्षेत्र होता है।
(ग) एक धारावाही परिनालिका के चारों तरफ चुंबकीय क्षेत्र होता है।
9. किसी चुंबकीय क्षेत्र में स्थित विद्युत धारावाही चालक पर आरोपित बल कब अधिकतम होता है ?
उत्तर – किसी चुंबकीय क्षेत्र में स्थित विद्युत धारावाही चालक पर आरोपित बल तब अधिकतम होता है जब विद्युत धारा की दिशा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के लम्बवत होती है।
10. विद्युत चुंबकीय प्रेरण किसे कहते हैं ?
उत्तर – वह प्रक्रम जिसके द्वारा किसी चालक के परिवर्ती चुंबकीय क्षेत्र के कारण किसी अन्य चालक में विद्युत धारा प्रेरित करती है। इसे विद्युत चुंबकीय प्रेरण कहा जाता है।
11. विद्युत मोटर में ऊर्जा का रूपांतरण कैसे होता है?
उत्तर – विद्युत मोटर एक ऐसा यंत्र है जिसके द्वारा विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है।
12. ऐसी कुछ युक्तियों के नाम लिखिए जिनमें विद्युत मोटर उपयोग किए जाते हैं।
उत्तर – विद्युत मोटर के उपयोग –
(a) विद्युत-पंखों, (b) रेफ्रिजरेटरों, (c) कूलरों, (d) वाशिंग मशीनों, (e) कम्प्यूटरों, (f) MP3 प्लेयरों।
13. विद्युत मोटर का क्या सिद्धांत है ?
उत्तर – जब अनेक कुंडलियों से युक्त धारा का संवहन करती एक आयताकार कुंडली को शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो यह यांत्रिक बल का कार्य करती हुई निरंतर घूमती है। यह सिद्धांत पूर्ण रूप से गैल्वेनोमीटर तथा अन्य विद्युत उपकरणों की तरह कार्य करता है। यह फ्लेमिंग के बायें हाथ सिद्धांत पर आधारित है।
14. विद्युत जनित्र क्या है ?
उत्तर – विद्युत जनित्र एक ऐसा यंत्र है जिसके द्वारा ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है।
15. विद्युत जनित्र का सिद्धांत लिखिए।
उत्तर – विद्युत जनित्र का सिद्धांत विद्युत चुंबकीय प्रेरण पर आधारित है। जब किसी कुण्डली को तीव्र चुंबकीय क्षेत्र में घुमाया जाता है तो कुण्डली से संबंधित चुंबकीय बल रेखाओं की संख्या में परिवर्तन होता है जिसके फलस्वरूप कुण्डली में प्रेरित धारा प्रवाहित होने लगती है। धारा की दिशा फैराडे के दाहिने हाथ के नियम से ज्ञात की जा सकती है।
16. विद्युत जनित्र का क्या उपयोग है ?
उत्तर – विद्युत जनित्र का उपयोग घरों एवं व्यावसायिक स्थानों में विद्युत उपस्करणों को चलाने में किया जाता है।
17. दिष्ट धारा के कुछ स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर – दिष्ट धारा के कुछ स्रोतों के नाम ये हैं
(a) शुष्क सेल, (b) बटन सेल, (c) लेड बैटरियाँ, (d) डी सी जनित्र।
18. प्रत्यावर्ती विद्युत धारा उत्पन्न करनेवाले स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर – प्रत्यावर्ती विद्युत धारा उत्पन्न करनेवाले स्रोतों के नाम ये हैं –
(a) नाभिकीय ऊर्जा संयंत्रों के जनित्र, (b) थर्मल पॉवर (c) प्लांट, (d) जलीय पावर स्टेशन आदि।
19. विद्युन्मय, उदासीन तथा भू-तारों के विद्युतरोधी आवरण सामान्यतः किस-किस रंग के होते हैं ?
उत्तर – विद्युन्मय लाल रंग के, उदासीन काले रंग के तथा भू-तारें हरे रंग के होते हैं।
20. किसी विद्युत परिपथ में लघुपथन कब होता है ?
उत्तर – किसी विद्युत यंत्र में जब धारा कम प्रतिरोध से होकर प्रवाहित हो जाती है तो उसे लघुपथन कहते हैं। इस स्थिति में किसी परिपथ में विद्युत धारा अचानक बहुत अधिक हो जाता है जब विद्युत पथ में विद्युन्मय तार उदासीन तार के सम्पर्क में आ जाती है तो प्रतिरोध के शून्य हो जाने के कारण ऐसा होता है। लघुपथन के कारण आग लग सकती है और विद्युत परिपथ में लगे उपकरण क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। इससे बचने के लिए विद्युत फ्यूज का प्रयोग किया जाना चाहिए।
21. भूसंपर्क तार का क्या कार्य है ?
उत्तर – भूसंपर्क तार हरे रंग के विद्युतरोधी आवरण से ढँकी रहनेवाली वह सुरक्षा तार है जो घर के निकट भूमि के भीतर बहुत गहराई पर दबी धातु प्लेट से संयोजित रहती है। यह तार विद्युत धारा के लिए अल्प प्रतिरोध का चालन पथ प्रस्तुत करती है। किसी तरह अवस्था पर साधित्र का विभव भूमि के विभव के बराबर हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप साधित्र का उपयोग करनेवाले व्यक्ति को तीव्र विद्युत आघात से सुरक्षा हो जाती है।
22. घरेलू कार्यों के लिए व्यवहार की जानेवाली बिजली क्या है ?
उत्तर – मेन लाइन पावर | इसे 220V, 50 Hz कहते हैं।
23. घरों के विद्युत परिपथ में विद्युत उपकरण किस क्रम में जोड़े जाते हैं ?
उत्तर – समांतर क्रम में (Parallel Series)
24. मुख्य धारा में वोल्टता का अधिकतम मान जिसके लिए फ्यूज पिघल जाता है, वह फ्यूज के किस गुण को निर्धारित करता है ?
उत्तर – फ्यूज का उपयोग निम्न या उच्च वोल्टता को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है अर्थात् उच्च वोल्टता होने पर फ्यूज पिघल जाता है तथा वायरिंग के तार की सुरक्षा हो जाती है अतः यह गुण को दर्शाता है। जिसे फ्युज की क्षमता भी कहते हैं।
 25. क्या मैक्सवेल के दक्षिण-हस्त नियम मैं मुट्ठी की अंगुलियों की दिशा चुंबकीय सुरक्षात्मक क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करती है ?
उत्तर – हाँ, मैक्सवेल के दक्षिण-हस्त नियम में मुट्ठी की अंगुलियों की दिशा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करती है ?

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. चुंबकीय पदार्थ और अचुंबकीय पदार्थ क्या हैं ?
उत्तर – चुंबकीय पदार्थ – वैसे पदार्थ जिन्हें चुंबक आकर्षित करता है अथवा जिनसे कृत्रिम चुंबक बनाए जा सकते हैं, चुंबकीय पदार्थ कहलाते हैं, जैसे—लोहा, कोबाल्ट, निकेल तथा उनके कुछ मिश्रधातु ।
अचुंबकीय पदार्थ – वैसे पदार्थ जिन्हें चुंबक आकर्षित नहीं करता, अचुंबकीय पदार्थ कहलाते हैं; जैसे—काँच, कागज, प्लास्टिक, पीतल आदि ।
2. किसी छड़ चुम्बक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ खींचिए ।
उत्तर –
3. (i) चुंबकीय क्षेत्र -रेखाएँ क्या होती है ? (ii) इनके प्रमुख गुण क्या होते हैं ?
उत्तर – (i) चुंबक के चारों ओर उसके चुंबकीय क्षेत्र में क्षेत्र रेखाएँ व्यवस्थित होती है। (ii) इनके प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं –
(a) किसी चुंबक के चुंबकीय क्षेत्र में क्षेत्र रेखाएँ एक संतत बंद चक्र (Continuous Closed loops) है और वे चुंबक के उत्तरी ध्रुव से निकलकर दक्षिणी ध्रुव में प्रवेश करती हैं और पुनः चुंबक के भीतर होती हुई उत्तरी ध्रुव पर वापस आ जाती है।
(ii) ध्रुवों के समीप क्षेत्र रेखाएँ धनी होती है, परन्तु ज्यों-ज्यों उनकी ध्रुवों से बढ़ती जाती है, उनका धनत्व घटता जाता है।
(iii) क्षेत्र – रेखा के किसी बिन्दु पर खींची गई स्पर्शरेखा ( tangent) उस बिन्दु पर उस क्षेत्र की दिशा बताती है।
4. दो चुंबकीय क्षेत्र -रेखाएं एक-दूसरे को प्रतिच्छेद क्यों नहीं करतीं ?
उत्तर – यदि दो चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ किसी बिंदु पर वे एक-दूसरे को प्रतिच्छेद करें तो उस बिन्दु पर सूई दो दिशाओं की ओर संकेत करेगी, जो संभव नहीं है। अतः ये क्षेत्र- रेखाएँ परस्पर प्रतिच्छेद नहीं करती हैं।
5. एकसमान चुंबकीय क्षेत्र को निरूपित करनेवाली चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ कैसी होती हैं ?
उत्तर – एकसमान चुंबकीय क्षेत्र को निरूपित करनेवाली चुंबकीय क्षेत्र -रेखाएँ समांतर और एक-दूसरे से बराबर दूरी पर होती हैं।
6. सीधी धारा के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ कैसी होती हैं ?
उत्तर – सीधी धारा के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ संकेंद्री वृत्तों के पैटर्न में होती हैं।
7. मेज के तल में पड़े तार के वृत्ताकार पाश में दक्षिणावर्त विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम को लागू करके पाश के भीतर तथा बाहर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात कीजिए।
उत्तर – जब मेज के तल पर तार का वृत्ताकार पाश पड़ा हो तो पाश के अंतर- चुंबकीय क्षेत्र तल के लंबवत ऊपर से नीचे की तरफ होगा।
8. मैक्सवेल का दक्षिण-हस्त नियम लिखें।
अथवा, किसी धारावाही सीधे चालक द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात करने के लिए जो नियम है उसका नाम और कथन लिखिए।
उत्तर – मैक्सवेल का दक्षिण हस्त नियम- यदि धारावाही तार को दाएँ हाथ की मुट्ठी में इस प्रकार पकड़ा जाए कि अंगुठा धारा की दिशा की ओर संकेत करता हो तो हाथ की अन्य अंगुलियाँ चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा व्यक्त करेंगी।
9. परिनालिका का एक स्वच्छ नामांकित चित्र बनाएँ।
उत्तर –
10. परिनालिका चुंबक की भाँति कैसे व्यवहार करती है ? क्या आप किसी छड़-चुंबक की सहायता से किसी विद्युत धारावाही परिनालिका के उत्तर ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव का निर्धारण कर  सकते हैं ?
उत्तर – परिनालिका चुम्बक की भाँति व्यवहार करती है। इसका एक सिरा उत्तर ध्रुव तथा दूसरा सिरों दक्षिण ध्रुव की तरह व्यवहार करता है। परिनालिका के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ समान्तर सरल रेखाओं की भाँति होता है।
किसी छड़ चुम्बक की सहायता से किसी विद्युत धारावाही परिनालिका के दोनों ध्रुवों को निर्धारित किया जा सकता है। छड़ चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को परिनालिका के एक सिरे के निकट लाएँ। यदि दोनों के बीच आकर्षण हो तो परिनालिका का वही सिरा दक्षिण ध्रुव होगा। यदि उन दोनों में प्रतिकर्षण हो तो वह सिरा उत्तरी ध्रुव होगा।
11. विद्युत चुंबक और स्थायी चुंबक में क्या अंतर है ?
उत्तर – विद्युत चुम्बक और स्थायी चुम्बक में निम्न अन्तर हैं
विद्युत चुंबक स्थायी चुंबक,
1. यह जितनी देर तक धारा बहती है उतने समय तक यह चुंबक का गुण प्रदर्शित करता है। धारा के बंद होते ही इसमें चुम्बकीय गुण समाप्त हो जाता है। 1. यह अधिक दिनों तक अपने चुम्बकीय गुणको बनाये रखता है।
2. इसमें अधिक शक्तिशाली चुम्बकीय बल रहता है। 2. इसमें अपेक्षाकृत कम शक्तिशाली चुंबकीय बल रहता है।
3. धारा की प्रबलता या कुंडली में फेरों की संख्या में परिवर्तन करके इसकी शक्ति को इच्छानुसार बदला जा सकता है। 3. इसकी शक्ति नियत है, इसे हम बढ़ा या घटा नहीं सकते हैं।
4. धारा की दिशा के बदलते ही इसके ध्रुवों की प्रकृति बदल जाती है। 4. इसके ध्रुवों की प्रकृति नियत रहती है जिसे हम आसानी से नहीं बदल सकते हैं।
5. किसी चालक की कुंडली में धारा बहाने पर वह कुंडली अस्थायी चुम्बक में बदल जाता है। 5. यह चुम्बकीय पदार्थ का बना होता है।
12. विद्युत-चुंबक में नर्म लौह क्रोड का इस्तेमाल क्यों होता है ?
उत्तर – नर्मं लोहैं को आसानी से चुंबकीय और विचुंबकीय किया जा सकता है। जब परिनालिका में विद्युत धारा प्रवाहित किया जाता है तब परिनालिका में चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है जिससे नर्म लोहे का छड़ शक्तिशाली चुम्बक बन जाता है जब विद्युतधारा का प्रवाह बन्द कर दिया जाता है तो नर्म लोहा अपना चुम्बकत्व जल्द खो देता है। इसी गुण के कारण इसका इस्तेमाल विद्युत चुम्बक बनाने में किया जाता है।
13. फ्लेमिंग का  वाम हस्त नियम लिखें और समझाएँ
अथवा, यदि चुंबकीय क्षेत्र धारावाही चालक के लंबवत हो तो चालक पर लगे हुए बल की दिशा कैसे प्राप्त होती है ?
उत्तर – यदि हम वामहस्त की तीन अंगुलियों- अंगूठा, तर्जनी एवं मध्यमा को एक-दूसरे के लम्बवत् इस प्रकार फैलाएँ कि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा एवं मध्यमा चालक में प्रवाहित की दिशा को दर्शाएँ तो चालक पर लगने वाले बल की दिशा अंगूठे की दिशा में होती है।
14. मान लीजिए आप किसी कमरे में अपनी पीठ को किसी एक दीवार से लगाकर बैठे हैं। कोई इलेक्ट्रॉन पुंज आपके पीछे की दीवार से सामने वाली दीवार की ओर क्षैतिज गमन करते हुए किसी प्रबल चुंबकीय क्षेत्र द्वारा आपके दाईं ओर विक्षेपित हो जाता है। चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या है ?
उत्तर – फ्लेमिंग के वामहस्त नियम के अनुसार आरोपित बल की दिशा चुम्बकीय विद्युत धारा दोनों की दिशाओं के लम्बवत् होती है। विद्युत धारा की दिशा इलेक्ट्रॉनों की गति की दिशा के विपरीत होती है। इसलिए चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा नीचे की ओर होगी।
15. कोई विद्युतरोधी ताँबे के तार की कुंडली किसी गैल्वेनोमीटर से संयोजित है। क्या होगा यदि कोई छड़ चुंदक
(i) कुंडली में धकेला जाए।
(ii) कुंडली के भीतर से बाहर खींचा जाए ।
(iii) कुंडली के भीतर स्थिर रखा जाए।
उत्तर – (i) जैसे ही छड़ चुंबक कुण्डली में धकेला जाता है वैसे ही गैल्वेनोमीटर की सूई में क्षणिक विक्षेप होता है। यह कुण्डली में विद्युतधारा की उपस्थिति का संकेत देता है।
(ii) जब चुंबक को कुण्डली के भीतर से बाहर खींचा जाता है तो सूई में क्षणिक विक्षेप होता है पर विपरीत दिशा में होता है।
(iii) यदि चुंबक को कुण्डली के भीतर स्थिर रखा जाता है तो कुण्डली में कोई विद्युतधारा उत्पन्न नहीं होती। विक्षेप शून्य हो जाता है।
16. दो वृत्ताकार कुंडली A तथा B एक-दूसरे के निकट स्थित हैं। यदि कुंडली A में विद्युत धारा में कोई परिवर्तन करें, तो क्या कुंडली B में कोई विद्युत-धारा प्रेरित होगी ? कारण लिखिए।
उत्तर – यदि कुंडली A में विद्युत धारा में कोई परिवर्तन करते हैं तो कुंडली B में विद्युत धारा प्रेरित होगी। जैसे ही कुंडली A में प्रवाहित धारा में परिवर्तन होता है इससे जुड़े चुंबकीय क्षेत्र में भी परिवर्तन हो जाता है। इस प्रकार कुंडली B के चारों ओर भी चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ भी परिवर्तित होती हैं। अतः कुंडली B में सम्बद्ध चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं में परिवर्तन ही उसमें प्रेरित धारा उत्पन्न होने के कारण होता है।
17. फ्लेमिंग का दक्षिण-हस्त नियम लिखें और समझाएँ ।
उत्तर – फ्लेमिंग के दक्षिण-हस्त नियम को इस प्रकार बताया जा सकता है — दाहिनी हाथ के अँगूठा, तर्जनी और मध्यमा के परस्पर समकोणिक फैलाएँ। यदि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा का संकेत प्रेरिस भा करती हो और अँगूठा गति की दिशा में हो तो मध्यमा प्रेरित धारा की दिशा का संकेत करेगी। इस नियम को डायनेमो नियम भी कहते हैं।
18. विद्युत चुंबकीय प्रेरण से आप क्या समझते हैं? प्रयोग द्वारा स्पष्ट करें।
उत्तर – लूप में यह विद्युत धारा उतने ही समय तके प्रवाहित होते हैं जब तक कि जब तक कि लूप तथा चुंबक के बीच आपेक्षिक गति रहती है। इस प्रकार से उत्पन्न होने वाली धारा को प्रेरित धारा (Current) तथा इस घटना को विद्युत-चुबंकीय प्रेरण (electromagnetic induction) कहते हैं।
क्रिया कलाप – एक लंबी कांटी लेकर उस पर दो कुडलियाँ अगल-बगल लपेटते हैं। उनमें से एक कुंडली को स्विच से होकर एक बैटरी से जोड़ते हैं। इसे हम प्राथमिक कुंडली (Primary Coil) कहते हैं। दूसरी कुंडली को एक गैल्वेनोमीटर G से जोड़ते हैं। इस कुंडली को द्वितीयक कुंडली (secondary coil) कहा जाता है।
गैल्वेनोमीटर को देखते हुए स्विच दबाते हैं। हम पाते हैं कि गैल्वेनोमीटर की सूई हल्का-सा विक्षेपित होकर पुनः अपने प्रारंभिक (बिना विक्षेप वाली) स्थिति में वापस आ जाती है, जबकि स्विच अभी भी बंद है। अब स्विच को खोल देते हैं। इस बार गैल्वेनोमीटर की सूई विपरीत दिशा में विक्षेपित होकर अपनी प्रारंभिक स्थिति में वापस आ जाती है। जब प्राथमिक कुंडली में धारा बढ़ती या घटती है, तब उसके कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र भी बढ़ता या घटता है, अर्थात् परिवर्तित होता है। चुंबकीय क्षेत्र में होने वाले इसी परिवर्तन के कारण द्वितीयक कुंडली में विद्युत प्रेरित होती है।
19. विद्युत मोटर में विभक्त वलय की क्या भूमिका है ?
उत्तर – विद्युत मोटर में विभक्त वलय दिक् परिवर्तक का कार्य करता है। अर्थात् परिपथ में विद्युत धारा के प्रवाह की दिशा को परिवर्तित (या उत्क्रमित) करता है। इससे आर्मेचर की भुजा पर लगने बल की दिशा भी परिवर्तित होती है। इससे आर्मेचर एक ही दिशा में घूर्णन कर सकता है।
20. दिष्ट धारा और प्रत्यावर्ती धारा में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर – दिष्ट धारा और प्रत्यावर्ती धारा में निम्न अन्तर  हैं –
दिष्ट धारा प्रत्यावर्ती धारा
1.केवल धारा का मान बदलता है अर्थात् दिष्टधारा एक ही दिशा में बहती है। 1. धारा का मान तथा दिशा समय के साथ बदलता है।
2. इसे उत्पन्न करने में कठिनाई होती है। 2. इसे आसानी से उत्पन्न किया जा सकता है।
3. इसे ए०सी० में बदलने में काफी कठिनाई होती है। 3. इसे आसानी से डी०सी० में बदला जा सकता है।
4. यह ए०सी० की अपेक्षा कम घातक है। 4. यह डी०सी० की अपेक्षा अधिक घातक है।
5. यह चालक के अन्दर से प्रवाहित होता है। 5. यह चालक के सतह पर प्रवाहित होता है।
21. निम्नलिखित की दिशा को निर्धारित करनेवाला नियम लिखिए –
(i) किसी विद्युत धारावाही सीधे चालक के चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र
(ii) किसी चुंबकीय क्षेत्र में, क्षेत्र के लंबवत स्थित, विद्युत-धारावाही सीधे चालक पर आरोपित बल, तथा
(iii) किसी चुंबकीय क्षेत्र में किसी कुंडली के घूर्णन करने पर उस कुंडली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत धारा |
उत्तर – (i) मैक्सवेल का दक्षिण-हस्त नियम ।
(ii) फ्लेमिंग का वाम – हस्त नियम ।
(iii) फ्लेमिंग का दक्षिण-हस्त नियम ।
22. मेन लाइन में अतिभारण तथा लघुपथन कैसे उत्पन्न होता है ?
उत्तर – बहुत सारे विद्युत उपकरणों को एक साथ चालू कर देने पर परिपथ में विद्युत उपकरणों की कुल शक्ति उसकी स्वीकृत सीमा से बढ़ जाती है तो उपकरण आवश्यकता से अधिक धारा खींचते हैं इसे ही अतिभारण कहते हैं। इस स्थिति में परिपथ की प्रबलता एकाएक बढ़ जाती है। इससे परिपथ में संयोजक तार में आग लग सकती या फ्यूज गल सकता है। इसी तरह तारों के खराब या क्षतिग्रस्त हो जाने से जीवित तार एवं उदासीन तार के एक-दूसरे से सट जाने से परिपथ का प्रतिरोध लगभग शून्य हो जाता है इसे लघुपथन (Short Circuiting) कहा जाता है। लघुपथन से धारा की प्रबलता बहुत अधिक हो जाती है और तार में आग लग सकती है।
23. धातु के आवरण वाले विद्युत साधित्रों को भूसंपर्कित करना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर – धातु के आवरण वाले विद्युत साधित्रों को भू-संपर्कित करना आवश्यक होता है। इसमें साधित्रों तथा उनका प्रयोग करने वालों की सुरक्षा हो जाती है। धातु के आवरणों से संयोजित भू-संपर्क तार विद्युत धारा के लिए अल्प प्रतिरोध का चालन पथ प्रस्तुत कर देता है, धात्विक साधित्रों का भूमि से संपर्क हो जाने के कारण धारा उन साधित्रों का प्रयोग करने वालों के शरीर से नहीं गुजरती जिससे वे गंभीर झटके से बच जाते हैं।
24. बहुत से विद्युत उपकरण तथा परिपथ भूसंपर्क में होते हैं इसका क्या कारण है ?
उत्तर – किसी भी विद्युत उपकरण के लिए दो तारों की आवश्यकता होती है — एक जिसमें धारा गुजरती है और दूसरी उदासीन। अधिक ऊष्मा उत्पत्ति या टूट-फूट के कारण कभी-कभी धारा मुक्त उपकरण को सीधा स्पर्श कर लेती है जिससे उपकरण को छू जाने पर शॉक लगता है। इससे बचने के लिए उपकरण के धात्विक भाग का संबंध धरती से कर दिया जाता है। तीन पिन वाले प्लग के साथ इसे जोड़ दिया जाता है। इसे धरती में बहुत गहराई से दबाई गई तार से संबंधित किया जाता है। शॉट सर्किट के समय विद्युत धारा उपकरण से धरती में चली जाती है। इससे फ्यूज पिघल जाता है।
शॉट सर्किट और विद्युत-शॉट से बचने के लिए यह बहुत ही उपयोगी है।
25. घरों की वायरिंग में दो भिन्न ऐम्पियर के परिपथों का उपयोग क्यों किया जाता है ?
उत्तर – घरों में जो विद्युत आपूर्ति की जाती है वह 220V पर प्रत्यावर्ती वोल्टता होती है जिसकी ध्रुवता प्रत्येक सेकण्ड में 100 बार परिवर्तित होती है। इसकी आवृत्ति 50 हर्ट्ज होती है। इसे मेन लाइन पावर कहते हैं। मेन्स में प्रायः दो तार एक से 5 ऐम्पियर (A) की धारा प्रवाहित तथा दूसरे से 15 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित होती है। 5 ऐम्पियर को घरेलू लाइन तथा 15 ऐम्पियर को पावर लाइन कहते हैं। घरों में विभिन्न प्रकार के विद्युत उपकरण-बल्ब, ट्यूब, पंखे, हीटर, आयरन, मोटर, टेलीविजन, रेफ्रीजरेटर, मिक्सी आदि का व्यवहार होता है। इनमें बल्ब, ट्यूब, पंखे, टेलीविजन आदि के लिए 5 ऐम्पियर तथा मोटर, आयरन, हीटर, रेफ्रीजरेटर आदि के लिए 15 ऐम्पियर तक की धारा की आवश्यकता होती है। इसी कारण से घरों में मेन्स में दो प्रकार के तार होते हैं।
26. घरों के विद्युत परिपथों में विद्युत उपकरण समांतरक्रम में क्यों जोड़े जाते हैं ?
उत्तर – घरों में प्रत्येक परिपथ में विद्युत उपकरण विद्युन्मय तथा उदासीन तारों के बीच समांतर क्रम में जुड़े होते हैं। प्रत्येक उपकरण में धारा के प्रवाह को संचालित करने के लिए अलग-अलग स्विच होते हैं। पार्श्वबद्ध या समांतर क्रम में जोड़ने से सभी उपकरणों की बोल्टता एक समान बनी रहती है। इस संयोजन या वायरिंग से एक मुख्य लाभ यह भी है कि एक परिपथ का स्विच करने से दूसरे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इस कारण घरों में विद्युत उपकरण को समान्तर क्रम में जोड़ा जाता है।
27. विद्युत परिपथों को अतिभारण और लघुपथन से कैसे सुरक्षित किया जा सकता है ?
उत्तर – विद्युत परिपथों को अतिभारण और लघुपथन के कारण नष्ट होने से बचाने के लिए कई सावधानियाँ और सुरक्षा के उपाय किए जाते हैं। विद्युत परिपथ में काम आनेवाले सभी तारों के ऊपर अच्छे विद्युतरोधी पदार्थ की परत लगाई जाती है। इसके अतिरिक्त उनपर कपड़े, रबड़ या प्लास्टिक की परत भी चढ़ाई जाती है। इसके फलस्वरूप तार एक-दूसरे के संपर्क में नहीं आते हैं जिससे लघुपथन नहीं होता है। इसके अतिरिक्त परिपथों को विभिन्न भागों में बाँटने से न केवल प्रत्येक भाग की मरम्मत आसानी से हो जाती है, बल्कि वह अतिभारण या लघुपथन से होनेवाली क्षति को सीमित रखता है।
28. विद्युत मिस्त्री विद्युत परिपथों पर कार्य करते समय रबर के जूते या दस्ताने क्यों पहनते हैं ?
उत्तर – विद्युत के परिपथ के किसी भाग को सुधारने के लिए रबड़ के दस्ताने या जूते का प्रयोग करने से तथा सूखी लकड़ी पर खड़ा होकर कार्य करने से झटका नहीं लगता क्योंकि रबड़ तथा लकड़ी विद्युत की कुचालक होती है।
29. विद्युत परिपथों तथा साधित्रों में सामान्यतः उपयोग होनेवाले दो सुरक्षा उपायों के नाम लिखिए।
उत्तर – विद्युत परिपथ तथा साधित्रों में सामान्यतः उपयोग होनेवाले दो सुरक्षा उपायों के नाम ये हैं –
(i) भू-सम्पर्क तार ( earthing)
(ii) विद्युत फ्यूज
30. 2kW शक्ति अनुमतांक का एक विद्युत तंदूर किसी घरेलू विद्युत परिपथ (220V) में प्रचालित किया जाता है जिसका विद्युत धारा अनुमतांक 5A है, इससे आप किस परिणाम की अपेक्षा करते हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर –
विद्युतधारा का अनुमतांक 5A है। विद्युत तन्दूर इससे कहीं अधिक विद्युत धारा अतिभारण हो जाएगा। फ्यूज उड़ जाएगा और विद्युत पथ अवरोधित हो जाएगा।
31. घरेलू विद्युत परिपथों में अतिभारण से बचने के लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए ?
उत्तर – विद्युत परिपथ में काम आने वाले सभी तारों के ऊपर अच्छे विद्युतरोधी पदार्थ की परत लगाई जानी उन पर कपड़े, रबड़ या प्लास्टिक की परत चढ़ा देना चाहिए। सबसे ज्यादा जरूरी है कि सीमा से ज्यादा सामर्थ्य नहीं देना चाहिए। यानी स्वीकृत सीमा से ज्यादा शक्ति प्रबलता नहीं बढ़ाई जानी चाहिए। उत्तम गुणवत्ता वाले विद्युत तार का इस्तेमाल करना चाहिए। हमें एक साथ विभिन्न उपकरणों को चालू करने से बचना चाहिए। इन कारणों से हम अतिभारण से बच सकते हैं।
32. फ्यूज तार विद्युत परिपथ में क्यों लगाये जाते हैं ? फ्यूज की क्षमता का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – फ्यूज तार सुरक्षा की एक युक्ति है। विद्युत परिपथों में अचानक धारा का मान अतिभारण और लघुपथन के कारणों से अत्यधिक बढ़ जाने से परिपथ में लगी युक्तियाँ जलकर नष्ट हो जाती हैं। ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए परिपथ में जहाँ-तहाँ फ्यूज श्रेणी में संयोजित किये जाते हैं। फ्यूज ऐसे पदार्थ का टुकड़ा होता है जिसका गलनांक बहुत कम होता है। जब कभी धारा अत्यधिक बढ़ जाती है, तो सबसे पहले फ्यूज गर्म होकर गल जाता है और परिपथ टूट जाता है जिससे उसमें लगी युक्तियाँ यथा बल्ब, पंखे, हीटर आदि जलने से बच जाते हैं। तार का एक टुकड़ा होता है जिसके पदार्थ की प्रतिरोधकता
फ्यूज की क्षमता- फ्यूज ऐसे बहुत अधिक होती है और उसका गलनांक बहुत कम होता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. धारावाही तार अपने चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है। इसे दिखाने के लिए ओस्टैंड के प्रयोग का वर्णन करें।
उत्तर – एक मजबूत कार्डबोर्ड के टुकड़े को क्षैतिज आधार पर रखा जाता है। इसके बीचोबीच एक छिद्र कर दिया जाता है। एक ताँबे के तार को छिद्र से होकर इस प्रकार लगाया जाता है कि ताँबे का तार कार्डबोर्ड के तल के लम्बवत् हो। तार के दोनों सिरों को बैटरी के दोनों ध्रुवों से जोड़ दिया जाता है।
परिपथ में एक कुंजी लगा दी जाती है। कार्डबोर्ड पर लोहे के बुरादे छिड़क दिए जाते हैं। अब तार में विद्युतधारा कुंजी को दबाकर प्रवाहित की जाती है। कार्डबोर्ड को थपथपाया जाता है। देखते हैं कि लोहे की कतरनी समकेन्द्रिक वृत्तों में व्यवस्थित हो जाती है। इस प्रयोग से स्पष्ट है कि चालक के समीप चुम्बकीय क्षेत्र उपस्थित होता है और बलरेखाओं की व्यवस्था समकेन्द्रित वृत्तों में होती है।
यदि लौह – कतरन की जगह चुंबकीय सूई रखी जाय तो वह भी इन्हीं वृत्तों पर विक्षेपित होकर चली आती है। अतः विद्युत के कारण चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है।
2. धारावाही सीधे तौर या चालक के कारण चुंबकीय बल रेखाएँ या चुंबकीय क्षेत्र पैटर्न दिखाने के लिए एक प्रयोग का वर्णन करें ।
उत्तर – विद्युत धारा चुंबकीय प्रभाव उत्पन्न करती है। इसे दिखाने के लिए निम्नलिखित प्रयोग किया जाता है।
प्रयोग- लगभग बीस फेरोंवाली विद्युतरोधित ताँबा के तार की एक बड़ी आयताकार कुंडली इस प्रकार ऊर्ध्वाधरतः व्यवस्थित करते हैं कि इसकी एक ऊर्ध्वाधर भुजा कार्डबोर्ड या गत्ते के एक टुकड़े के केंद्र में बने छिद्र से होकर गुजरे। कार्डबोर्ड को क्षैतिज आधार पर रखते हैं। कुंडली के सिरों को 6 वोल्ट की बैटरी, ऐमीटर, धारा नियंत्रक और स्विच से श्रेणीक्रम में जोड़ते हैं।
कार्डबोर्ड पर लौह चूर्ण की एक पतली परत छिड़क देते हैं। अब धारा नियंत्रक और स्त्री स्विच की सहायता से कुंडली में करीब 3 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित करते हैं और कार्डबोर्ड को धीरे से थपथपाते हैं। हम देखते हैं कि लौह चूर्ण चुंबकित होकर तार के चारों बैटरी ओर ऐसे संकेंद्रिक वृत्तों में व्यवस्थित हो जाता है जिसका केंद्र तार पर होता है। इस चुंबकीय क्षेत्र के आलेखन के लिए चुंबकीय सूई का व्यवहार किया जाता है। सूई चुंबकीय क्षेत्र की दिशा बताती है।
अब बैटरी से जुड़े तारों के सिरों को आपस में बदल देते हैं जिससे धारा विपरीत दिशा में प्रवाहित होने लगती है। चुंबकीय सूई विपरीत दिशा में घूम जाती है, किंतु चुंबकीय क्षेत्र का पैटर्न या प्रतिरूप पहले ही जैसा रहता है।
3. किसी धारावाही वृत्ताकार कुंडली के कारण चुंबकीय क्षेत्र पैटर्न दिखाने के लिए एक प्रयोग का वर्णन करें।
उत्तर – ताँबे का एक मोटा तार लेकर उसे वृत्ताकार रूप में मोड़ देते हैं। एक गत्ते के टुकड़े को क्षैतिज रूप में व्यवस्थित करते हैं और गत्ते के टुकड़े में दो छेद कर उसमें वृत्ताकार तार को इस प्रकार पाते हैं कि तार का आधा वृत्त गत्ते के ऊपर हो और आधा नीचे। तार के खुले सिरों को एक बैटरी तथा एक स्विच से जोड़ देते हैं। गत्ते के पूरे टुकड़े पर कुछ लौह चूर्ण छिड़क देते हैं।
अब स्विच को बंद कर तार में विद्युत धारा प्रवाहित करते हैं और गत्ते के टुकड़े को धीरे-धीरे थपथपाते हैं। लौह-चूर्ण दोनों तारों के चारों ओर संकेंद्रिक वृत्तों में व्यवस्थित हो जाता है। इनसे वृत्तीय लूप में धारा के कारण चुंबकीय क्षेत्र पैटर्न का पता चलता है।
जहाँ धारा गत्ते के भीतर जाती है तथा जहाँ धारा गत्ते से बाहर आती हैं उनके चारों ओर कुछ दूर तक चुंबकीय क्षेत्र -रेखाओं का प्रतिरूप वृत्तीय होता है। किंतु धारा से दूर रहने पर क्षेत्र रेखाओं का प्रतिरूप वृत्तीयता से विचलित होता है। धारा के केंद्र पर तथा केंद्र के निकट और उसके दोनों ओर क्षेत्र -रेखाओं का प्रतिरूप लगभग सरलरेखीय होता है।
4. धारावाही परिनालिका के चुंबकीय क्षेत्र का वर्णन करें।
उत्तर – यदि किसी चालकीय तार को बेलनाकार कुण्डली के रूप में इस प्रकार लपेटा जाये कि कुण्डली का व्यास बेलन की लम्बाई के सापेक्ष बहुत छोटा हो तो इस व्यवस्था को परिनालिका (solenoid) कहते हैं। प्रयोगशाला में इसे कार्ड-बोर्ड अथवा मोटे कागज की कम व्यास की लम्बी खोखली नली के ऊपर ताँबे के विद्युत रूद्ध (श्रामा लिपटा हुआ अथवा प्लास्टिक चढ़ा हुआ) तार के बहुत से फेरे पास-पास लपेट कर बनाया जाता है। परिनालिका में किसी बाहरी स्रोत द्वारा विद्युत धारा प्रवाहित करने पर एक दण्ड चुम्बक की भाँति व्यवहार करने लगती है। इसके सिरे (चुम्बक के समान) उत्तरी व दक्षिणी ध्रुव होते हैं। परिनालिका के सिरों की ध्रुवता उसमें प्रवाहित धारा की दिशा पर निर्भर करती है। परिनालिका में चुम्बकत्व का गुण उसी समय तक विद्यमान रहता है जब तक कि उसमें विद्युत धारा प्रवाहित रहती है। धारा के बन्द होते ही इसका चुम्बकत्व भी समाप्त हो जाता है ।
चित्र में धारावाही परिनालिका के कारण चुम्बकीय बल – रेखाएँ दर्शायी गयी हैं। इसके सिरों की ध्रुवता ज्ञात करने के लिए यदि इसके किसी सिरे को सामने से देखने पर परिनालिका पर लिपटे तार की कुण्डली में प्रवाहित धारा की दिशा वामावर्त (anti-clockwise) है अर्थात् घड़ी की सूई के चलने की दिशा के विपरीत दिशा में है तो वह सिरा उत्तरी ध्रुव होगा।
यदि धारा की दिशा दक्षिणावर्त (clockwise) है अर्थात् घड़ी की सूई के चलने की दिशा में तो वह सिरा दक्षिणी ध्रुव होगा (चित्र देखें)।
5. विद्युत-चुंबक की रचना सचित्र समझाएँ।
उत्तर – जब तक परिनालिका में धारा प्रवाहित होती रहती है तब तक वह चुंबक जैसा व्यवहार करता है, परंतु जैसे ही धारा का प्रवाह बंद कर दिया जाता है उसका चुंबकत्व नष्ट हो जाता है। इस प्रकार के चुंबक को विद्युत चुंबक कहते हैं। अतः विद्युत चुंबक वैसा चुंबक है जिसमें चुंबकत्व उतने ही समय तक विद्यमान रहता है जितने समय तक परिनालिका में विद्युत धारा प्रवाहित होती रहती है। –
प्रायः एक नरम लोहे के छड़ को एक परिनालिका एक परिनालिका में रखकर है। नरम लोहे को आसानी से चुंबकित और विचुंबंकित किया जा सकता धारा प्रवाहित की जाती है तब परिनालिका में चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता चुंबकत्व खो देता है। परिनालिका में इस प्रकार से रखे गए छड़ को क्रोड, धारा के कारण चुंबक बन जाता है।
6. क्षेत्र के प्रभाव को दर्शाने के लिए एक प्रयोग का वर्णन करें।
उत्तर – चुंबकीय क्षेत्र में रखे धारावाही चालक (तार) पर लगे बल को प्रदर्शित करने के लिए एक प्रयोग की व्यवस्था निम्न चित्र में दिखाई गई है।
प्रयोग- ऐल्युमिनियम या ताँबा (अचुंबकीय पदार्थ) का एक मोटा सीधा तार U – आकार के चुंबक के ध्रुवों के बीच इस प्रकार लटकाते हैं कि उसका निचला सिरा आधारी लकड़ी के गड्ढे में रखे पारा की सतह को सपर्श करे। इस तार के ऊपरी सिरे पर नम्य संबंधन है। बैटरी, धारा नियंत्रक और कुंजी श्रेणीक्रम में संयोजित करते हैं और इस संयोजन के एक सिरे को लटकते तार से जुड़े शीर्ष पेंच से जोड़कर और उसके दूसरे सिरे को पारा में डुबाकर परिपथ पूरा करते हैं, जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। कुंजी बंद करने पर लटकते तार में छोटी धारा प्रवाहित करते हैं। तार में धारा नीचे की ओर प्रवाहित होती है और यह तार आगे की ओर झूल जाता है। इसके कारण तार का पारा से संपर्क टूट जाता है और परिपथ भंग हो जाता है। फलस्वरूप तार वापस लौट आता है और पारा से उसका संपर्क फिर से स्थापित हो जाता है और तार फिर से झूल जाता है।
अब बैटरी के सिरों को बदलकर धारा की दिशा उलट देते हैं। अब धारा लटकते तार में ऊपर की ओर प्रवाहित होती है और तार पीछे की ओर झूल जाता है, अर्थात् तार पर बल पहले के विपरीत दिशा में लगता है।
अब चुंबक को पलट देते हैं ताकि चुंबकीय क्षेत्र की दिशा उलट जाए। इस स्थिति में तार पर लगे बल की दिशा उलट जाती है।
7. विद्युत मोटर क्या है? इसके सिद्धांत और क्रिया का सचित्र वर्णन करें।
उत्तर – विद्युत मोटर विद्युत मोटर ऐसा क्षेत्र है जिसके द्वारा विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। यह फ्लेमिंग के वाम-हस्त नियम पालन करता है।
विद्युत मोटर में एक शक्तिशाली चुंबक होता है जिसके अवतल (Concave), ध्रुव-खंडों (Pole Pieces) के बीच तांबे के तार की कुंडली होती है। जिसे मोटर का आर्मेचर (armature) कहा जाता है।
आर्मेचर के दोनों छोर पीतल के खंडित वलयों (split rings) R1 तथा R2 से जुड़े होते हैं। वलयों को कार्बन के ब्रशों (Brushes) B1 तथा B2 हलके से स्पर्श करते हैं।
जब आर्मेचर से धारा प्रवाहित की जाती है। तब चुंबक के चुंबकीय क्षेत्र के कारण कुंडली के AB तथा CD भुजाओं पर समान मान के, किन्तु विपरीत दिशाओं में बल लगते है, क्योंकि इन भुजाओं में प्रवाहित होनेवाली धारा के प्राबल्य (Strength) समान हैं, परन्तु उनकी दिशाएँ विपरीत है। इनमें एक बलयुग्म बनता है जिसका कारण आर्मेचर घूर्णन करने लगता है।
आधे घूर्णन के बाद जब CD भुजा ऊपर चली जाती है और AB भुजा नीचे आ जाती है, तब वलयों के स्थान भी बदल जाते हैं। अतः आर्मेचर पर लगा बलयुग्म आर्मेचर को लगातार एक ही तरह से (वामावर्ती या दक्षिणावर्ती) घुमाता रहता है।
8. विद्युत चुम्बकीय प्रेरण से आप क्या समझते हैं ? प्रयोग द्वारा स्पष्ट करें।
उत्तर – वह प्रक्रम जिसके द्वारा किसी चालक में परिवर्त्ती चुम्बकीय क्षेत्र में धारा प्रेरित होती है, विद्युत चुम्बकीय प्रेरण कहलाता है ।
प्रयोग – लकड़ी या प्लास्टिक की खोखली नली के ऊपर बहुत लपेटन वाली विसंवाहित चालक तार को लपेट देते हैं। तार के सिरों को एक गैल्वेनोमीटर से जोड़ते हैं। एक शक्तिशाली स्थायी छड़ चुम्बक उत्तर ध्रुव को तेजी से खोखली नली के भीतर ले जाते हैं। ऐसा करने से गैल्वेनोमीटर की सूई में विक्षेप उत्पन्न होता है। चुम्बक की गति की दिशा के बदलने पर गैल्वेनोमीटर की सूई के विक्षेप की दिशा भी बदल जाती है। चुम्बक को स्थिर रखने पर गैल्वेनोमीटर की सूई में कोई विक्षेप नहीं होता है।
अब चुम्बक के उत्तर ध्रुव को कुंडली से दूर ले जाते हैं। इस बार गैल्वेनोमीटर की सूई बाई ओर विक्षेपित होती है जो यह दर्शाता है कि अब परिपथ में उत्पन्न विद्युतधारा की दिशा पहले के विपरीत है। इससे स्पष्ट है कि कुंडली के सापेक्ष चुम्बक की गति एक प्रेरित विभवांतर उत्पन्न करती है जिसके कारण परिपथ में प्रेरित विद्युत धारा प्रवाहित होती है।
9. डायनेमो क्या है? इसके सिद्धान्त और क्रिया-विधि का सचित्र वर्णन करें ?
उत्तर – कुंडली के घूर्णन और विभक्त वलय द्वारा प्रेरित धारा की दिशा में परिवर्तन के कारण बिन्दु P एवं Q के बीच जुड़े प्रतिरोधक (चित्र नीचे है।) में लगातार एक ही दिशा में विद्युतधारा प्रवाहित होती है। इस धारा को दिष्ट धारा (Direct current या d.c.) कहते हैं तथा इस जनित्र को डायनेमो (dynamo) या दिष्ट धारा जनित्र (d.c. generator) कहते हैं ।
सिद्धांत यह एक ऐसा यंत्र है जिसके द्वारा यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है।
उपर्युक्त चित्र दिष्ट धारा जनत्रि का मूल संरचना को प्रदर्शित करता है। इसमें विद्युतरोधित ताँबे की कुंडली (coil) AB नरम लोहे के क्रोड (core) पर लिपटी रहती है। इसे आर्मेचर (armature) कहा जाता है। इस कुंडली को एक शक्तिशाली चुंबक NS, जिसे क्षेत्र चुंबक (field magnet) कहते हैं, के ध्रुवों के बीच स्थित चुंबकीय क्षेत्र में तेजी से घुमाया जाता है। कुंडली के तार के दोनों छोर ताँबा के विभक्त वलय (split ring) के दोनों अर्थों (halves) C1 एवं C2 से जुड़े होते हैं। दो कार्बन ब्रश (brushes) B1 एवं B2 विभक्त वलयों को हलके से स्पर्श करते हैं। ब्रश इस तरह व्यवस्थित रहते हैं कि जब कुंडली ऊर्ध्वाधर स्थिति को ठीक-ठीक पार करती है तो विभक्त वलय के प्रत्येक अर्ध एक ब्रश से दूसरे ब्रश के साथ संपर्क बदलने के बिंदु पर ही होते हैं। इस विभक्त वलय को दिक्परिवर्तक (commutator) कहते हैं।
10. नामांकित (labelled) चित्र द्वारा विद्युत जनित्र की कार्यविधि के सिद्धांत की व्याख्या कीजिए।
उत्तर – विद्युत जनित्र (डायनेमो) एक विद्युतीय उपकरण है जो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है।
सिद्धान्त – यह विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर कार्य करता है। जब कोई कुंडली किसी चुम्बकीय क्षेत्र में घूमती है तब उसके सिरे के बीच प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न होता है | यदि कुंडली बन्द हो तब उससे धारा बहने लगती है। इस धारा इस धारा को प्रेरित धारा कहते हैं। इस प्रेरित धारा की दिशा फ्लेमिंग के दाएँ हाथ के नियम के आधार पर निर्धारित की जाती है।
बनावट – इसमें एक घूर्णी आयताकार कुंडली ABCD होती है जिसे किसी स्थायी चुम्बक के दो ध्रुवों के बीच रखा जाता है। इस कुंडली के दो सिरे दो वलयों R1 तथा R2 से जुड़े रहते  हैं। दो स्थिर चालक ब्रुशों B1 तथा B2 को पृथक-पृथक रूप से क्रमशः वलयों R1 तथा R2 पर दबाकर रखा जाता है। दोनों वलय R1 तथा R2 भीतर से धुरी से जुड़े होते हैं। दोनों ब्रुशों के बाहरी सिरे, बाहरी परिपथ में विद्युत धारा के प्रवाह को दर्शाने के लिए गैल्वेनोमीटर से संयोजित होते हैं।
क्रियाविधि—कुडली को चुम्बक के दोनों ध्रुव के बीच किसी युक्ति द्वारा तेजी से घुमाया जाता है। जब कुंडली का तल चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत रहता है तब कुंडली से शून्य धारा बहती है। जब कुंडली का तल चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में होता है तब कुंडली के सिरों के बीच महत्तम विद्युत वाहक बल उत्पन्न होता है और कुंडली से महत्तम प्रेरित धारा बहती है। जब कुंडली का तल चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में होता है तब कुंडली के सिरों के बीच महत्तम विद्युत वाहक बल उत्पन्न होता है और कुंडली से महत्तम प्रेरित धारा बहती है। कुंडली के सिरे AB या CD को ऊपर से नीचे या नीचे से ऊपर जाने से धारा की दिशा तथा परिमाण बदलता रहता है। इस तरह जो धारा प्राप्त होती है उसे प्रत्यावर्ती धारा कहते हैं।
11. समझाएँ कि किन-किन कारणों से परिपथ के साथ अर्थ वायर (earth wire) और फ्यूज की व्यवस्था की जाती हैं ?
उत्तर – भू-संपर्क तार घर के निकट जमीन के अंदर बहुत नीचे स्थित धातु की प्लेट के साथ जुड़ा होता है। यह सुरक्षा का साधन है और विद्युत सप्लाई को किसी प्रकार प्रभावित नहीं करता है। धातु के साधित्रों को भू-संपर्कित करने पर पृथ्वी धारा के प्रभाव के लिए लगभग शून्य प्रतिरोध का पथ प्रदान करती है और धारा हमारे शरीर से नहीं गुजरती है और हम गम्भीर झटके से बच जाते हैं ।
धातु के आवरण वाले विद्युत साधित्रों को भू-संपर्कित करना आवश्यक है। इससे साधित्रों तथा उनका प्रयोग करने वालों की सुरक्षा हो जाती है। धातु के आवरणों से संयोजित भू-संपर्क तार विद्युत धारा के लिए अल्प प्रतिरोध का चालन पथ प्रस्तुत कर देता है, धात्विक साधित्रों का भूमि से संपर्क हो जाने के कारण धारा उन साधित्रों का प्रयोग करने वालों के शरीर से नहीं गुजरती जिससे वे गंभीर झटके से बच जाते हैं ।
फ्यूज तार सुरक्षा की एक युक्ति है। विद्युत परिपथों में अचानक धारा का मान अतिभारण और लघुपंथन के कारणों से अत्यधिक बढ़ जाने से परिपथ में लगी युक्तियाँ जलकर नष्ट हो सकती हैं। ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए परिपथ में जहाँ तहाँ फ्यूज श्रेणी में संयोजित किये जाते हैं। फ्यूज ऐसे पदार्थ के तार का टुकड़ा होता है जिसका गलनांक बहुत कम होता है। जब कभी धारा अत्यधिक बढ़ जाती है तो सबसे पहले फ्यूज गर्म होकर गल जाता है और परिपथ टूट जाता है जिससे उसमें लगी युक्तियाँ यथा बल्ब, पंखे, हीटर आदि जलने से बच जाते हैं।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

I. प्रत्येक प्रश्न में दिये गये बहुविकल्पों में सही उत्तर चुनें।

1. विद्युत मोटर में रूपान्तरण होता है।
(क) रासायनिक ऊर्जा का विद्युत ऊर्जा में
(ख) विद्युत ऊर्जा का यांत्रिक ऊर्जा में
(ग) विद्युत ऊर्जा का प्रकाश में
(घ) विद्युत ऊर्जा का रासायनिक ऊर्जा
उत्तर – (ख)
2. स्थायी चुंबक बनाये जाते हैं
(क) ताँबे के
(ख) नर्म  लोहे के
(ग) इस्पात के
(घ) पीतल के
उत्तर – (ग)
3. यदि कोई व्यक्ति विद्युतमय तार से चिपक गया है
(क) उसे पकड़कर व खींचकर अलग कर देना चाहिए
(ख) लकड़ी से अलग करना चाहिए
(ग) लोहे की लोहे की छड़ से अलग करना चाहिए
(घ) उसे धक्का देकर दूर भाग जाना चाहिए
उत्तर – (ख)
4. वैद्युत चुंबकीय प्रेरण
(क) एक वस्तु को आवेशित करने का प्रक्रम है
(ख) किसी कुंडली में प्रवाहित धारा के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र का प्रक्रम है
(ग) वह प्रक्रम है जिसके द्वारा किसी चालक में परिवर्ती चुंबकीय क्षेत्र में धारा प्रेरित करती है
(घ)इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (ग)
5. विद्युत जनित्र
(क) विद्युत आवेशित करने का स्रोत है
(ख) ऊष्मीय ऊर्जा का स्रोत है
(ग) एक विद्युत चुम्बक है
(घ) ऊर्जा को रूपांतरित करता है
उत्तर – (घ)
6. निम्न में से किसने यह निदर्शित किया कि धारावाही चालक के साथ एक चुम्बकीय क्षेत्र संबद्ध रहता है –
(क) ओस्टेड
(ख) मैक्सवेल
(ग) जूल
(घ) फैराडे
उत्तर – (क)
7. दिक्परिवर्तक विभक्त-वलय का उपयोग –
(क) प्रत्यावर्ती धारा जनित्र में होता है
(ख) दिष्टधारा जनित्र में होता है
(ग) प्रत्यावर्ती धारा मोटर में होता है
(घ) ऊपर दिए सभी में होता है
उत्तर – (ख)
8. प्रेरित धारा की दिशा निम्न में से किससे प्राप्त होती है
(क) फ्लेमिंग के दक्षिण- हस्त नियम
(ख) फ्लेमिंग के वामहस्त नियम
(ग) दक्षिणहस्त अंगुष्ठ नियम
(घ) कोई नहीं
उत्तर – (क)
9. विद्युत धारा उत्पन्न करने की युक्ति को कहते हैं
(क) जनित्र
(ख) गैल्वेनोमीटर
(ग) ऐमीटर
(घ) कोई नहीं
उत्तर – (क)
10. चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ
(क) सदैव एक-दूसरे को प्रतिच्छेद करती हैं
(ख) सदैव एक-दूसरे के समांतर होती हैं
(ग) कहीं भी एक-दूसरे को प्रतिच्छेद नहीं करती हैं
(घ) यांत्रिक ऊर्जा को चुंबकीय ऊर्जा में रूपांतरित करती है।
उत्तर – (ग)

II. रिक्त स्थानों को उपयुक्त शब्दों या अंकों से भरें।

1. किसी छड़ चुम्बक के निकट लाने पर दिक्सूचक की सूई  ………. होती है
उत्तर – विक्षेपित
2. चुंबक के सजातीय ध्रुवों में परस्पर ……….. तथा विजातीय ध्रुवों में परस्पर ………… होता है।
उत्तर – प्रतिकर्षण, आकर्षण
3. किसी परिनालिका के भीतर सभी बिन्दुओं पर चुम्बकीय क्षेत्र ………..होता है।
उत्तर – समान
4. संपर्क तार पर प्रायः ……….”विद्युतरोधी आवरण होता है।
उत्तर – हरा
5. हम अपने घरों में प्रत्यावर्ती विद्युत शक्ति ………… V पर प्राप्त करते हैं जिसकी आवृत्ति ………..”हर्ट्ज है।
उत्तर – 220, 50
6. विद्युत चुंबक में ………’लौह-क्रोड होता है।
उत्तर – नर्म
7. चुंबकीय क्षेत्र का मात्रक …….. होता है।
उत्तर – टेसला
8. सभी साधित्रों को समान वोल्टता मिल सके, इसके लिए उन्हें परस्पर ………… में संयोजित किया जाता है।
उत्तर – पाश्र्वक्रम
9. ……….एक ऐसा उपकरण है जो किसी परिपथ में विद्युत धारा की उपस्थिति संसूचित करता है।
उत्तर –– गैल्वेनोमीटर
10. किसी परिनालिका का वह सिरा जिसमें धारा का प्रवाह वामावर्त्त हो तो वह सिरा विद्युत चुम्बकत्व के …………. ‘ध्रुव को प्रकट करता है।
उत्तर – उत्तरी

III. सही / गलत का चयन करें।

1. जनित्र यान्त्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है।
उत्तर – सही
2. विद्युत चुम्बक का प्रभाव अस्थायी होता है।
उत्तर – सही
3.भूसम्पर्क तार पर लाल विद्युतरोधी होता है।
उत्तर – गलत
4. दो क्षेत्र रेखाएँ कहीं भी एक-दूसरे को प्रतिच्छेद नहीं करतीं।
उत्तर – सही
5. चुम्बकों के सजातीय ध्रुवों में परस्पर आकर्षण तथा विजातीय ध्रुवों में परस्पर प्रतिकर्षण होता है।
उत्तर – गलत
6. किसी सीधे तार में धारा प्रवाहित करने पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र में कोई ध्रुव नहीं होते।
उत्तर – सही
7. DC विद्युत शक्ति को सुदूर स्थानों पर बिना अधिक ऊर्जा के क्षय से प्रेषित किया जा सकता है।
उत्तर – गलत
8. स्विच तथा फ्यूज हमेशा विद्युन्मय तार में लगाये जाते हैं।
उत्तर – सही
9. घरेलू परिपथ में उपकरण विद्युन्मय तार और उदासीन तार के बीच समान्तरक्रम में जुड़े नहीं रहते हैं।
उत्तर – गलत

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. विद्युत धारा से उत्पन्न होने वाले दो प्रमुख प्रभाव लिखिए।
उत्तर – चुंबकीय प्रभाव, ऊष्मा प्रभाव।
2. उत्तर दिशा की ओर संकेत करने वाले चुंबकीय सिरे को क्या कहते हैं ?
उत्तर – उत्तरोमुखी ध्रुव या उत्तर ध्रुव ।
3. दक्षिण दिशा की ओर संकेत करने वाले चुंबकीय सिरे को क्या कहते हैं।
उत्तर – दक्षिणोमुखी ध्रुव या दक्षिण ध्रुव ।
4. किसपल के कारण लौह-चूर्ण एक पैटर्न में व्यवस्थित हो जाता है ?
उत्तर – चुंबकीय बल के कारण।
5. चुंबकीय क्षेत्र कैसी राशि है
उत्तर – जिसमें परिमाण और दिशा दोनों होते हैं।
6. चिकित्सा क्षेत्र में विद्युत चुंबकीय प्रभाव कहाँ प्रयुक्त किया गया है ?
उत्तर – MRI (मैगनेटिक रेजोनेंस इमेजिंग) में।
7. चुंबकीय क्षेत्र को जानने का क्या अच्छा तरीका है ?
उत्तर – चुंबकीय बल रेखाओं के अध्ययन से।
8. चुंबकीय क्षेत्र की आपेक्षिक प्रबलता अधिकतम कहाँ होती है ?
उत्तर – चुंबक के ध्रुव पर ।
9. परिनालिका में लोहे की छड़ रखने से क्या हो जाता है ?
उत्तर – विद्युत क्षेत्र की शक्ति बढ़ जाती है।
10. परिनालिका में लपेदों की संख्या बढ़ाने से इसकी चुंबकीय शक्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर – चुंबकीय शक्ति बढ़ जाती है।
11. परिनालिका में विद्युत धारा प्रवाह बंद करने पर क्या होता है ?
उत्तर – चुंबकीय प्रभाव समाप्त हो जाता है।
12. यदि परिनालिका के सिरे पर विद्युत धारा की दिशा दक्षिणावर्त्त हो तो वह सिरा कौन-सा ध्रुव बन जाता है ?
उत्तर – दक्षिणी ध्रुव ।
13. किसी परिनालिका का वह सिरा जिसमें धारा का प्रवाह वामावर्त हो तो वह सिरा विद्युत चुंबकत्व के किस ध्रुव को प्रकट करेगा ?
उत्तर – उत्तरी ध्रुव ।
14. परिनालिका में धारा की दिशा बदलने पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर – ध्रुवों की स्थिति परस्पर बदल जाती है।
15. परिनालिका के भीतर चुंबकीय बल रेखाएँ किन रेखाओं की भाँति होती हैं ?
उत्तर – समानांतर सरल रेखाओं की भाँति ।
16. किसी परिनालिका के बीच सभी बिंदुओं पर चुंबकीय क्षेत्र कैसा होता है ?
उत्तर – सभी बिंदुओं पर चुंबकीय क्षेत्र एक समान होता है।
17. विद्युत की शक्ति किन-किन बातों पर निर्भर करती है ?
उत्तर – 1. विद्युत धारा की शक्ति पर 2. कुंडली में तारों की लपेटों की संख्या पर 3. चुंबक के रूप में।
18. मानव शरीर के किंन दो भागों में चुंबकीय क्षेत्र का उत्पन्न होना महत्वपूर्ण होता है ?
उत्तर – हृदय और मस्तिष्क ।
19. नाल चुंबक तथा दंड चुंबक में कौन-सी चुंबकीय पदार्थों को अधिक शक्ति से आकर्षित करती है और क्यों ?
उत्तर – नाल चुंबक अधिक शक्तिशाली होती है क्योंकि इसके दोनों ध्रुव पास-पास होते हैं।
 20. कोई दो बल रेखाएँ आपस में एक-दूसरे को क्यों नहीं काटती हैं ?
उत्तर – कोई दो बल रेखाएँ आपस में एक-दूसरे को नहीं काटतीं क्योंकि यदि वे काटें तो इसका तात्पर्य यह होगा कि कटान बिंदु पर उत्तरी ध्रुव पर लगा परिणामी बल दो दिशाओं में होगा जो कि असंभव है।
21. कौन-से ध्रुव परस्पर आकर्षण करते हैं और कौन-से प्रतिकर्षण करते हैं ?
उत्तर – चुंबक केँ विपरीत ध्रुव परस्पर आकर्षण करते हैं तथा समान ध्रुव प्रतिकर्षण करते हैं।
22. नाल चुंबक अधिक शक्तिशाली क्यों होता है ?
उत्तर – दोनों ध्रुव पास-पास होते हैं।
23. फ्यूज किस मिश्र धातु का बना होता है ? इसकी क्या विशेषता होनी चाहिए।
उत्तर – फ्यूज सीसा और टिन से बनी मिश्र धातु का होता है। इसका गलनांक कम होना चाहिए।
24. घरों में विद्युत दुर्घटना विद्युत परिपथ में किस कारण से होती है ?
उत्तर – शॉर्ट सर्किट के कारण।
25. विद्युत परिपथ को ठीक करने के लिए किस चीज से बने हुए दस्ताने पहनने चाहिए।
उत्तर – रबड़ के बने दस्ताने ।
26. ट्रांसफार्मर किसे कहते हैं ?
उत्तर – विद्युत की वोल्टता को अधिक या कम करने वाले उपकरण को ट्रांसफार्मर कहते हैं।
27. किसी चुंबक द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की दिशा किसी बिन्दु पर किस प्रकार ज्ञात कर सकते हैं ?
उत्तर – चुंबकीय क्षेत्र के उस बिन्दु पर दिक्सूचक सूई को रखते हैं। दिक्सूचक सूई के उत्तरी ध्रुव की दिशा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा को दर्शाती है।
28. चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा क्या होती है ?
उत्तर – चुंबक के चुंबकीय क्षेत्र की दिशा चुंबक के उत्तरी ध्रुव से दक्षिण ध्रुव की ओर बंद वक्र के समान होती है।
29. चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ अधिक संख्या में कहाँ होती हैं ?
उत्तर – चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ ध्रुवों पर ज्यादा सघन होती हैं।
30. क्या होगा यदि धारावाही चालक में धारा की दिशा को उल्टा कर दिया जाए ?
उत्तर – दिक्सूचक सूई की भुजाओं में विक्षेपण की दिशा उल्टी हो जाएगी।
31. यदि सीधे तार में प्रवाहित विद्युत धारा की दिशा को उत्क्रमित कर दिया जाए तो क्या चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा भी उत्क्रमित हो जाएगी ?
उत्तर – चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा भी उत्क्रमित हो जाएगी।
32. एक सीधे धारावाही चालक के चारों तरफ चुंबकीय क्षेत्र की प्रकृति क्या होती है ?
उत्तर – ये संकेन्द्रीय वृत्ताकार रेखाएँ होती हैं।
33. ये संकेन्द्रीय वृत्ताकार रेखाएँ क्या निरूपित करते हैं ?
उत्तर – ये चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं को दर्शाती हैं।
34. किसी बिन्दु पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा कैसे ज्ञात कर सकते हैं ?
उत्तर – जिस बिन्दु पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात करनी होती है उस बिन्दु पर एक दिक्सूचक सूई रखते हैं। दिक्सूचक सूई की उत्तरी ध्रुव की दिशा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा को दर्शाती है।
35. चुम्बकीय क्षेत्र की इकाई क्या है ?
उत्तर – टेसला।
36. चुम्बकीय फ्लक्स का SI मात्रक क्या है ?
उत्तर – वेबर।
37. सीधी धारा के कारण उत्पन्न चुम्बकीय बल रेखाएँ कैसी होती हैं ?
उत्तर – संकेन्द्री वृत्तों के रूप में।
38. फ्लेमिंग के दाएँ हाथ के नियम से किसकी दिशा ज्ञात होती है ?
उत्तर – प्रेरित धारा की दिशा ।
39. फ्लेमिंग के बाएँ हाथ के नियम से किसकी दिशा ज्ञात होती है ?
उत्तर – चालक की गति की दिशा ।
40. घरेलू परिपथ में अतिभारण तथा लघुपथन से बचने के लिए क्या उपाय किया जाता है ?
उत्तर – फ्यूज तार का प्रयोग किया जाता है ?
41. फ्यूज तार किन धातुओं से बना होता है।
उत्तर – टिन, ताँबा ।
42. फ्यूज तार को लाइन तार से श्रेणीक्रम या पार्श्वबद्ध जोड़ना चाहिए ?
उत्तर – श्रेणीक्रम में।
43. ओस्टैंड के प्रयोग का निष्कर्ष क्या है ?
उत्तर – धारावाही विद्युत तार के साथ चुम्बकीय क्षेत्र संबद्ध रहता है।
44. कौन-सी युक्ति है जो विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में रूपांतरित कर देती है ?
उत्तर – विद्युत मोटर
45. कौन-सा संयंत्र है जो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित कर देती है ?
उत्तर – विद्युत जनित्र।
46, विद्युत धारा उत्पन्नं करने के लिए प्रयुक्त युक्ति (यंत्र) को क्या कहते हैं ?
उत्तर – जनित्र।
47. घरों में प्रयोग होने वाले उपकरण मेन्स से किस क्रम में जोड़े जाते हैं ?
उत्तर – समान्तर क्रम में।
48. धारावाही वृत्ताकार चालक के दो विपरीत बिन्दुओं पर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की प्रकृति में अन्तर बताइए।
उत्तर – दोनों ही बिन्दुओं पर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा विपरीत होती है। इन दोनों बिन्दुओं पर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ संकेन्द्रीय वृत्ताकार होती हैं।
49. धारावाही वृत्ताकार चालक द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र का मान सबसे अधिक कहाँ पर होता है ?
उत्तर – धारावाही वृत्ताकार चालक के केन्द्र पर चुंबकीय क्षेत्र का मान सबसे अधिक होता है।
50. किसी दिए गए क्षेत्र में चुंबकीय क्षेत्र एकसमान है। इसे निरूपित करने के लिए आरेख खींचिए ।
उत्तर –
चित्र : परिनालिका के अन्दर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ परस्पर समानान्तर होती हैं। इसलिए परिनालिका के अन्दर चुंबकीय क्षेत्र एक समान होता है।
51. जब एक धारावाही चालक को चुंबकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो क्या होता है ?
उत्तर – जब चुंबकीय क्षेत्र में धारावाही चालक को रखते हैं तो उस पर एक बल आरोपित होता है।
52. उस नियम का मात्र नाम लिखो जिसकी मदद से धारावाही चालक पर चुंबकीय क्षेत्र में लगने वाले बल की दिशा ज्ञात करते हैं।
उत्तर – फ्लेमिंग के वाहमहस्त का नियम।
53. किन कारकों पर चालक पर आरोपित बल का मान निर्भर करता है ?
उत्तर – (क) चुंबकीय क्षेत्र के मान पर।
(ख) चालक की लम्बाई पर।
(ग) चालक में प्रवाहित धारा के मान पर।
54. घरों और कारखानों में दी जाने वाली प्रत्यावर्ती धारा की वोल्टता कितनी होती है ?
उत्तर – घरों में वोल्टता की धारा 220 तथा कारखानों में 440 होती है।
55. डायनेमो क्या कार्य करता है ?
उत्तर – यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है।
56. उच्चयन किसे कहते हैं ?
उत्तर – वोल्टता में वृद्धि करने की क्रिया को ।
57. वोल्टेज स्थापक किस काम आता है ?
उत्तर – वांछित विभव स्थापित करने के काम।
58. फ्यूज कैरियर क्या होता है ?
उत्तर – यह चीनी मिट्टी का एक खोल होता है जिसमें ताँबे के दो प्वाइंट होते हैं। इन दोनों को फ्यूज की तार द्वारा जोड़ देते हैं। इस खोल को फ्यूज कैरियर कहते हैं।
59. कल-कारखानों में ब्रेकर का क्या काम होता है ?
उत्तर – विद्युत यंत्रों की अधिक विद्युत से रक्षा करना।
60. फ्यूज में प्रयुक्त होने वाली मिश्रधातु सीसे और टिन की क्यों होती है ?
उत्तर – कम गलनांक के कारण।
61. विद्युत चुंबकीय प्रेरण किसे कहते हैं ?
उत्तर – चुंबकीय प्रभाव से विद्युत प्रभाव की उत्पादकता को विद्युत चुंबकीय प्रेरण कहते हैं।
62. मुद्रिका बिजली वितरण व्यवस्था किन कारणों से अच्छी मानी जाती है ?
उत्तर – यह अधिक सुरक्षित, लगाने में सरल और अपेक्षाकृत सस्ती विद्युत वितरण व्यवस्था है।
63. दो प्रकार के जनित्र कहाँ-कहाँ प्रयुक्त होते हैं ?
उत्तर – A.C. जनित्र उद्योगों तथा पॉवर हाऊसिज में और D.C. जनित्र कारों आदि में प्रयुक्त होता है।
64. विद्युत मोटर का उपयोग कहाँ-कहाँ किया जाता है ?
उत्तर – विद्युत पंखों, रेफ्रिजरेटरों, विद्युत मिश्रकों, वाशिंग मशीनों, कंप्यूटरों, MP3 प्लेयरों आदि में।
65. व्यावसायिक मोटरों में कौन-से चुंबक प्रयुक्त किए जाते हैं ?
उत्तर – विद्युत चुंबक
66. नर्म लौह क्रोड और कुंडली को मिलाकर क्या कहते हैं ?
उत्तर – आर्मेचर ।
67. गैल्वेनोमीटर किसे कहते हैं ?
उत्तर – गैल्वेनोमीटर एक ऐसा उपकरण है जो किसी परिपथ में विद्युत धारा की उपस्थिति संसूचित करता है।
68. विद्युत चुंबकीय प्रेरण किसे कहते हैं ?
उत्तर – वह प्रक्रम जिसके द्वारा किसी चालक के परिवर्ती चुंबकीय क्षेत्र के कारण अन्य चालक में विद्युत धारा प्रेरित होती है, उसे विद्युत चुंबकीय प्रेरण कहते हैं।
69. प्रत्यावर्ती धारा (ac) किसे कहते हैं ?
उत्तर – ऐसी विद्युत धारा जो समान काल – अंतरालों के पश्चात् अपनी दिशा में परिवर्तन कर लेती है उसे प्रत्यावर्ती धारा कहते हैं।
70. किस विद्युत धारा में समय के साथ दिशा में परिवर्तन नहीं होता ?
उत्तर – दिष्ट धारा (dc )
71. दिष्टधारा जर्नित्र (dc) में कैसी विद्युत धारा उत्पन्न होती है?
उत्तर – एक दिशिक विद्युत धारा ।
72. सभी आधुनिक विद्युत शक्ति संयंत्र कैसी विद्युत धारा उत्पन्न करते हैं ?
उत्तर –– प्रत्यावर्ती विद्युत धारा ।
73. हमारे देश में उत्पादित प्रत्यावर्ती विद्युत धारा कितनी देर बाद अपनी दिशा उत्क्रमित करती है ?
उत्तर – हर 1/100 सेकेंड के बाद।
74. प्रत्यावर्ती धारा (ac) की आवृति क्या है ?
उत्तर – 50 हर्ट्ज ।
75. ac का महत्वपूर्ण लाभ क्या है ?
उत्तर – इसे बिना क्षय के सुदूर स्थानों तक प्रेषित किया जा सकता है।
76. क्या होगा यदि चुंबकीय क्षेत्र में रखे चालक में प्रवाहित धारा की दिशा को विपरीत दिशा में प्रवाहित किया जाए ?
उत्तर – चालक पर आरोपित बल की दिशा विपरीत दिशा में हो जाएगी।
77. किसी प्रोटॉन का निम्नलिखित में से कौन-सा गुण किसी चुंबकीय क्षेत्र में मुक्त, गति करते समय परिवर्तित हो जाती है ? ( यहाँ एक से अधिक सही उत्तर हो सकते हैं।) (a) द्रव्यमान, (b) चाल, (c) वेग, (d) संवेगा
उत्तर – (c) वेग, (d) संवेग।
78. प्राथमिक कुण्डली में स्थिर धारा प्रवाहित होने पर द्वितीय कुण्डली में धारा का मान क्या होगा ?
उत्तर – शून्य।
79. धारावाही कुण्डली एवं प्रेरित धारा कुण्डली का क्या नाम है ?
उत्तर – धारावाही कुण्डली को प्राथमिक कुण्डली एवं प्रेरित धारा कुण्डली को द्वितीयक कुण्डली कहते हैं।
80. कौन-सी कुण्डली चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है ?
उत्तर – प्राथमिक कुण्डली से चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है क्योंकि यह धारावाही कुण्डली होती है।
81. कुण्डली-2 में प्रेरित धारा की प्रबलता को कौन-से कारक प्रभावित करते हैं ?
उत्तर – (a) प्राथमिक कुण्डली में धारा की प्रबलता
(b) प्राथमिक कुण्डली में तार के फेरों की संख्या
82. किसी प्रोटॉन का कौन सा गुण किसी चुम्बकीय क्षेत्र में मुक्त गति करते समय परिवर्तित हो जाता है ?
उत्तर – वेग एवं संवेग।
83. विद्युत धारावाही सीधी लम्बी परिनालिका के भीतर सभी जगह चुम्बकीय क्षेत्र की प्रकृति कैसी होती है ?
उत्तर – सभी बिन्दुओं पर समान होती है।
84. पश्चिम की ओर प्रक्षेपित कोई धनावेशित कण (अल्फा-कण) किसी चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा उत्तर की ओर विक्षेपित हो जाता है। चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा क्या है ?
उत्तर – उपरिमुखी ।

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव से क्या समझते हैं ?
उत्तर – जब किसी चालक से विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तब चालक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है इसे विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव कहते हैं।
2. चुम्बकीय क्षेत्र से क्या समझते हैं ?
उत्तर – किसी चुम्बक के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसमें आकर्षण और प्रतिकर्षण बलों के प्रभाव को अनुभव किया जा सकता है, चुम्बकीय क्षेत्र कहलाता है।
3. चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ क्या होती हैं ?
उत्तर – चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ- वे पथ हैं जिन पर स्वतंत्र चुम्बकीय उत्तरी ध्रुव गमन करता है। वे बंद वक्र हैं जिसके किसी बिन्दु पर खींची गई स्पर्श रेखा उसमें बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता की दिशा को निरूपित करती है।
4. किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा कैसे निर्धारित की जाती है ?
उत्तर – किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा लोहे के बुरादे द्वारा एवं कम्पास सूई के द्वारा निर्धारित की जाती है।
5. चुम्बकीय क्षेत्र के तीन स्रोतों की सूची बनाएँ।
उत्तर – (a) स्थायी चुम्बक
(b) धारावाही चालक
(c) पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र।
6. विद्युत चुम्बक किसे कहते हैं ?
उत्तर –वैसचुम्बक जिसमें चुम्बकत्व उतने ही समय तक विद्यमान रहता है जितने समय तक उसमें विद्युत धारा प्रवाहित होती रहती है। उसे विद्युत चुम्बक कहते हैं।
7. चुंबकीय क्षेत्र के तीन स्रोतों की सूची बनाइए।
उत्तर – (क) एक प्राकृतिक चुंबक के चारों तरफ चुंबकीय क्षेत्र होता है।
(ख) एक धारावाही सीधा चालक के चारों तरफ चुंबकीय क्षेत्र होता है।
(ग) एक धारावाही परिनालिका के चारों तरफ चुंबकीय क्षेत्र होता है।
8. परिनालिका चुंबक की भाँति कैसे व्यवहार करती है ? क्या आप किसी छड़ चुंबक की सहायता से किसी विद्युतधारावाही परिनालिका के उत्तर ध्रुव तथा दक्षिण ध्रुव का निर्धारण कर सकते हैं ?
उत्तर – पास-पास लिपटे विद्युतरोधी ताँबे के तार की बेलन की आकृति की अनेक फेरों वाली कुण्डली को परिनालिका कहते हैं। धारावाही परिनालिका का एक सिरा दक्षिणी ध्रुव एवं दूसरा सिरा उत्तरी ध्रुव की तरह कार्य करता है। परिनालिका के अन्दर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ परस्पर समानान्तर होती हैं। इसका मतलब है कि परिनालिका के केन्द्र पर विद्युत क्षेत्र सबसे अधिक होता है तथा सभी जगह एकसमान होता है।
हाँ, परिनालिका के उत्तरी ध्रुव एवं दक्षिणी ध्रुव की पहचान दिक्सूचक से कर सकते हैं। यदि दिक्सूचक की सूई का उत्तरी ध्रुव परिनालिका की ओर आकर्षित होता है तो यह सिरा दक्षिणी ध्रुव होता है। इसी प्रकार उत्तरी ध्रुव की भी पहचान की जा सकती है।
9. विद्युत मोटर का क्या सिद्धान्त है ?
उत्तर – जब किसी धारावाही चालक को किसी चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तब उसपर चुम्बकीय बल कार्य करता है। यदि चालक घूमने के लिए स्वतंत्र हो तब वह फ्लेमिंग के बाएँ हाथ के नियमानुसार निश्चित दिशा में घूमने लगती है।
10. विद्युत जनित्र में बुशों का क्या कार्य है ?
उत्तर – आर्मेचर (कुंडली) के घूमने से जो विद्युतधारा प्रेरित होती है वह इसके बाद परिपथ में जाता है। दोनों ब्रुश वलय को सिर्फ स्पर्श करता है, अतः वलय के घूमने पर भी यह टूटता नहीं है। दोनों ब्रुश बाह्य परिपथ का दो सिरा है।
11. दिक् परिवर्तक क्या है ?
उत्तर – वह युक्ति जो परिपथ में विद्युत धारा के प्रवाह को उत्क्रमित कर देती है उसे दिक् परिवर्तक कहते हैं।
12. विद्युत जनित्र का सिद्धान्त लिखे।
उत्तर – ग्रह विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर आधारित है। जब कोई कुंडली किसी चुम्बकीय क्षेत्र में घूमती है तब उसके सिरों के बीच प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न होता है। यदि कुंडली बन्द हो तब उससे धारा बहने लगती है। इस धारा को प्रेरित थारा कहती हैं। इस प्रेरित धारा की दिशा प्लेमिंग के दाएँ हाथ के नियम के आधार पर निर्धारित की जाती है।
13. विद्युत चुंबक द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की शक्ति किन-किन बातों पर करती है ?
उत्तर – विद्युत चुंबक द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की शक्ति उसमें से प्रवाहित विद्युत धावा की शक्ति, तार के लपेटों की संख्या पर तथा क्रांड की धातु पर निर्भर करती है। जितनी अधिक शक्ति की विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है उतना ही अधिक प्रवल की क्षेत्र उत्पन्न होता है। यदि प्रवाहित धारा का मान समान रहे तो चुंबकीय क्षेत्र की शक्ति क्रौड पर तार के लपेटों की संख्या पर निर्भर करती है। जितनी अधिक लपेटें बढ़ाई जाती हैं उतना चुंबकीय क्षेत्र अधिक प्रवात हो जाता है। यदि उपरोक्त दोनों ही बातें समान रहें तब चुंबकीय क्षेत्र की शक्ति क्रोड को बदलकर भी बढ़ाई जा सकती है। नर्म लोहे के क्रोड की शक्ति स्टील क्रोड की अपेक्षा अधिक होती है।
14. विद्युत चुंबक के उपयोग लिखिए।
उत्तर – विद्युत चुंबक बहुत उपयोगी होता हैं। इसके कुछ प्रमुख उपयोग निम्नलिखित हैं
(i) इसे विद्युत उपकरणों में प्रयुक्त किया जाता है। बिजली की घंटी, पंखों, रेडियो, कंप्यूटरी आदि में इनका प्रयोग किया जाता है।
(ii) विद्युत मोटरों और जेनरेटरों के निर्माण में यह प्रयुक्त होते हैं।
(iii) इस्पात की छड़ों को चुंबक बनाने के लिए इनका प्रयोग होता है।
(iv) चुंबकीय पदार्थों को उठाने में इनका प्रयोग होता है।
(v) चट्टानों को तोड़ने में इनका प्रयोग किया जाता है।
(vi) अयस्कों में से चुंबकीय और अचुंबकीय पदार्थों को अलग करने के लिए इनका प्रयोग होता है।
15. चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ क्या होती हैं ? किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा कैसे निर्धारित की जाती है ?
उत्तर – चुंबक के आस-पास के क्षेत्र में जहाँ एक चुंबक के आकर्षण और विकर्षण के बला को अनुभव किया जा सकता है उसे चुंबकीय क्षेत्र कहते हैं। वह पथ जिस पर चुंबक का उत्तरी ध्रुव चुंबकीय क्षेत्र में मुक्त अवस्था में आने पर गति करेगा उसे चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ कहते हैं।
(चित्र : लौह-चूर्ण का चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं में व्यवस्थित होना)
चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं को दो प्रकार से प्राप्त किया जा सकता है। एक गत्ते पर चुंबक रखो और उस पर लौह-चूर्ण छिड़क कर गत्ते को धीरे-धीरे थपथपाओ । लौह-चूर्ण अपने आप चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं में चित्र के अनुसार व्यवस्थित हो जाएगा।
चुंबक को एक कागज पर रखकर चुंबकीय कंपास की सहायता से चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ खींची जा सकती हैं। चुंबकीय सूई को चुंबक के उत्तरी ध्रुव के निकट रखकर इसके दोनों सिरों को पेंसिल की सहायता से चिन्हित करो। चुंबकीय सूई को दक्षिण दिशा की ओर चिह्नों के अनुसार बढ़ाते जाओ। पेंसिल से इन बिंदुओं को मिलाओ । चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की प्राप्ति रेखांकन के जाएगी।
चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा चुंबकीय सूई की सहायता से प्राप्त होती है। जिस दिशा में उत्तरी ध्रुव का निर्देश प्राप्त होता है वही चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा होती है।
16. किसी विद्युत धारावाही वृत्ताकार पाश के कारण चुंबकीय क्षेत्र कैसा होता है ? उसकी विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर – किसी विद्युत धारावाही चालक के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र सदा उसकी दूरी के व्युत्क्रम पर निर्भर करता है। इसी प्रकार किसी विद्युत धारावाही पाश के प्रत्येक बिंदु पर उसके चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र को प्रकट करने वाले संकेंद्री वृत्तों का आकार तार से जाने पर लगातार बड़ा होता जाता है। अब वृत्ताकार पाश के केंद्र पर पहुँचते हैं, इन वृहत वृत्तों के चाप सरल रेखाओं जैसे लगने लगते हैं। विद्युत धारावाही तार के प्रत्येक बिंदु से उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ पाश के केंद्र पर सरल रेखा जैसी लगने लगती हैं। विद्युत धारावाही तार के प्रत्येक बिंदु से उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ पाश के केंद्र पर सरल रेखा जैसा ही प्रतीत होती हैं। तार का हर हिस्सा चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं में योगदान देता है और पाश के भीतर सभी चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ में होती हैं।
(चित्र : विद्युत धारावाही पाश के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ)
17. चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में चुंबकत्व का क्या महत्त्व है ?
उत्तर – मानव शरीर में अति कमजोर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। यह शरीर के भीतर चुंबकीय क्षेत्र के विभिन्न भागों के प्रतिबिंब प्राप्त करने का आधार बनता है। इसके लिए चुंबकीय अनुनाद प्रतिबिंबन [ Magnetic Resonance Imaging (MRI)] की सहायता से विशेष प्रतिबिंब लिए जाते हैं तो चिकित्सा विज्ञान के लिए अति महत्त्वपूर्ण होते हैं ।
18. व्यावसायिक मोटरों की शक्ति की वृद्धि के लिए क्या-क्या किया जाता है ?
उत्तर – (i) स्थायी चुंबकों का प्रयोग नहीं किया जाता बल्कि उनकी जगह विद्युत चुंबकों का प्रयोग किया जाता है।
(ii) विद्युत धारावाही कुंडली में फेरों की संख्या अधिक की जाती है।
(iii) कुंडली नर्म लौह-क्रोड पर लपेटी जाती है।
19. वे कौन-से कारक हैं जिन पर उत्पन्न विद्युतधारा निर्भर करती है ?
उत्तर – (i) कुंडली में लपेटों की संख्या— यदि कुंडली में तार के लपेटों की संख्या बहुत अधिक होगी तो उत्पन्न विद्युत धारा भी अधिक होगी। लपेटों की संख्या कम होने पर इसमें भी कमी हो जाएगी।
(ii) चुंबक की शक्ति — बंद कुंडली की ओर शक्तिशाली चुंबक बढ़ाने या पीछे हटाने से विद्युत धारा पर अनुकूल या प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। चुंबक की शक्ति अधिक होनी चाहिए।
(iii) चुंबक को कुंडली की ओर बढ़ाने की गति- यदि चुंबक को कुंडली की ओर तेजी से बढ़ाया जाए तो बंद कुंडली में विद्युत का प्रेरण अधिक होता है।
20. दिष्टधारा (DC) मोटर और डायनेमो में क्या अंतर होता है ?
उत्तर – दिष्टधारा विद्युत मोटर विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करती है जबकि दिष्ट धारा डायनेमो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित करती है।
इन दोनों की मूल रचना एक-सी ही है। पर विद्युत मोटर जाती है और डायनेमो में ब्रशों पर एक बल्ब लगाया जाता है।
21. दिष्टधारा (DC) पर मोटर की शक्ति को किस प्रकार बढ़ाया जा सकता है ?
उत्तर – (i) कुंडली पर तारों की लपेट संख्या को बढ़ाकर ।
(ii) कुंडली के तलीय क्षेत्र को बढ़ाकर।
(iii) चुंबकीय क्षेत्र की शक्ति बढ़ाकर ।
(vi) एक ही मृदु लोहे केंद्रक पर कुंडलियाँ लपेटकर।
(v) मृदु लोहे के केंद्रक को लेमिनेट करके।
(iv) विद्युत धारा को कुंडली में बढ़ाकर।
22. विद्युत मोटरों के झटकों को किस प्रकार नियंत्रित किया जाता है ?
उत्तर – विद्युत मोटरों में कुंडली 0° और 180° पर अधिकतम बल प्रकट होता है पर 90° और 270° पर कोई बल प्रकट नहीं हो पाता इसलिए कुंडली में झटके उत्पन्न होते हैं। इन झटकों को नियंत्रित करने के लिए मृदु लोहे के टुकड़े पर कुछ अंश पर तार को कई बार लपेटा जाता है।
23. शॉर्ट सर्किट क्या होता है ? इससे क्या हानियाँ हो सकती हैं ?
उत्तर – शार्ट सर्किट (Short Circuit) – किसी विद्युत यंत्र में धारा कम प्रतिरोध प्रवाह हो जाना शॉर्ट सर्किट कहलाता है।
हानियाँ –
  1. प्रतिरोध कम होने के कारण तारें अधिक गर्म हो जाती हैं और उनके ऊपर चढ़ा रोधी पदार्थ जल जाता है।
  2. तारों के ऊपर चढ़े रोधी पदार्थ जल जाने से तारें नंगी हो जाती हैं जिससे विद्युत शॉक लग सकता है।
  3. विद्युत उपकरण बेकार हो सकता है।
  4. इसमें घरों, दुकानों आदि में आग लग सकती है।
  5. विद्युत धारा का प्रवाह रुक जाता है।
24. जेनरेटर तथा ट्रांसफार्मर में क्या अंतर है ?
उत्तर – जेनरेटर तथा ट्रांसफार्मर में निम्नलिखित अंतर है
जेनरेटर ट्रांसफार्मर
1. जेनरेटर विद्युत उत्पन्न करता है। 1. ट्रांसफार्मर विद्युत की वोल्टता को परिवर्तित करता है।
2. यह घूमने वाली मशीन है। 2. यह स्थिर मशीन है।
3. जेनरेटर A.C. तथा D.C. दोनों प्रकार की धारा उत्पन्न करते हैं। 3. ट्रांसफार्मर केवल A.C. धारा परिवर्तित करते हैं।
4. जेनरेटर को विद्युत धारा उत्पन्न करने से पहले टरबाइनों द्वारा घुमाया (Rotate) जाता है। 4. इनको किसी के द्वारा घुमाया नहीं जाता।
25. अतिभार क्या होता है ? इससे क्या हानियाँ होती हैं ?
उत्तर – अतिभार जब मुख्य तार से बहुत से विद्युत उपकरण एक साथ जोड़ दिए जाते हैं तो अधिक धारा बहने के कारण तारों के गर्म होकर चलने की संभावना होती है। इसे अतिभार कहते हैं।
हानियाँ-
  1. तारों को गर्म हो जाने से ऊपर चढा पदार्थ पिघल सकता है।
  2. तार नंगी हो जाने के कारण विद्युत शॉक लग सकता है।
  3. तार नंगी हो जाने के कारण शॉर्ट सर्किट हो सकता है।
26. फ्यूज क्या है ?
उत्तर – फ्यूज टिन एवं ताँबे की मिश्रधातु के तार का टुकड़ा होता है जिसका गलनांक बहुत कम होता है। जब लघुपथन अथवा अतिभारण के कारण परिपथ में उच्च धारा प्रवाहित होती है तो फ्यूज तार गरम होकर पिघल जाता है फलस्वरूप परिपथ टूट जाता है और धारा प्रवाह रुक जाता है। क्या है ?
27. लघुपथन क्या है ?
उत्तर – जब विद्युतमयं तथा उदासीन तार आपस में सम्पर्क में आ जाते हैं तो ऐसी स्थिति में परिपथ का प्रतिरोध शून्य हो जाता है और उनमें से अत्यधिक धारा प्रवाहित होने लगती है तो इसे लघुपथन कहते हैं।
28. अतिभारण क्या है ?
उत्तर – जब किसी विद्युत उपकरण द्वारा निर्धारित विद्युत धारा से ज्यादा विद्युत धारा मेंस से ली जाती है तो यह अतिभारण कहलाती है।
29. किसी एक समान चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित धारावाही चालक पर लगने वाला बल किन कारकों पर निर्भर करता है ?
उत्तर – धारावाही चालक पर लगने वाला बल निम्न कारकों पर निर्भर करता है
(a) धारा की दिशा तथा परिमाण पर
(b) चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा और परिमाण पर
(c) चालक की लम्बाई पर
(d) चालक तथा चुम्बकीय क्षेत्र के बीच के कोण पर।
 30. वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण किसे कहते हैं ?
उत्तर – वह प्रक्रम जिसके द्वारा किसी चालक के परिवर्ती चुम्बकीय क्षेत्र के कारण अन्य चालक में विद्युत धारा प्रेरित होते हैं, वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण कहलाता है।
31. गैल्वेनोमीटर क्या है ?
उत्तर – यह एक ऐसा उपकरण है जो किसी परिपथ में विद्युत धारा की उपस्थिति संसूचित. करती है।
32. चुंबकीय क्षेत्र क्या होता है ?
उत्तर – किसी चुंबक के चारों तरफ का वह क्षेत्र जहाँ किसी अन्य चुंबक पर आकर्षण या विकर्षण का बल महसूस होता है उसे चुंबकीय क्षेत्र कहते हैं।
33. चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ क्या होती हैं ?
उत्तर – चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ काल्पनिक रेखाएँ होती हैं जो उत्तरी ध्रुव से निकलकर दक्षिण ध्रुव में प्रवेश कर जाती हैं। ये रेखाएँ परस्पर प्रतिच्छेद नहीं करती हैं। इनकी मदद से किसी बिन्दु पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात की जा सकती है।
34. चुंबकीय क्षेत्र की दिशा कैसे ज्ञात करते हैं ?
उत्तर – एक चुंबकीय सूई की मदद से हम किसी बिन्दु पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात कर सकते हैं। चुंबकीय सूई के उत्तरी ध्रुव की दिशा किसी बिन्दु पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा को सूचित • करती है। .
35. विषुवत रेखीय क्षेत्र में स्वतंत्रतापूर्वक लटकता हुआ छड़ चुम्बक क्षैतिज अवस्था में रहता है, क्यों ?
उत्तर – विषुवत रेखा में नमन कोण (चुम्बकीय बल क्षेत्र की दिशा और क्षैतिज दिशा के बीच का कोण) का मान शून्य रहता है। इस कारण इस क्षेत्र में स्वतंत्रतापूर्वक लटकता हुआ छड़ चुम्बक क्षैतिज अवस्था में रहता है।
36. स्वतंत्रतापूर्वक लटकता छड़ चुम्बक हमेशा उत्तर-दक्षिण दिशा में ही क्यों रुकता है ?
उत्तर – पृथ्वी एक विशाल चुम्बक की तरह कार्य करती है। इसका भौगोलिक दिशा उत्तरी ध्रुव दक्षिण ध्रुव की ओर है और भौगोलिक दिशा दक्षिण ध्रुव उत्तरी ध्रुव की ओर है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. दिष्ट धारा (D.C.) जनित्र के सिद्धांत, रचना और कार्य को चित्र सहित संक्षेप में वर्णित कीजिए।
उत्तर – सिद्धांत- यह फ्लेमिंग के दायें हाथ के नियम पर आधारित है।
रचना – दिष्ट धारा जनित्र में निम्नलिखित प्रमुख भाग होते हैं-
1. आर्मेचर (Armature)- इसमें एक कुंडली ABCD होती है जिसमें मृदु लोहे पर ताँबे की अवरोधी तार को बड़ी संख्या में लपेट दिए जाते हैं। इसे आर्मेचर कहते हैं। इसे एक धुरी पर लगाया जाता है जो भाप, पानी या बहते पानी के बल से अपने चारों ओर घूम सकता है।
2. क्षेत्र चुंबक (Field Magnet)— दो चुंबकों के शक्तिशाली ध्रुवों के बीच कुंडली को स्थापित किया जाता है जिसे चुंबकीय क्षेत्र कहते हैं। छोटे जनित्रों में स्थायी चुंबकों का प्रयोग किया जाता है पर बड़े जनित्रों में विद्युत चुंबक लगाए जाते हैं।
3. स्पिलिट रिंग्ज (Split Rings) – कुंडली के दोनों सिरों को ताँबे के बने आधे रिंग्ज R1 और R2 के साथ जोड़ा जाता है। ये दोनों कंप्यूटरों का कार्य करते हैं।
4. कार्बेन ब्रश (Carbon Brush) — कार्बन के दो ब्रश B1 और B2 दोनों आधे रिंग्ज R1 और R2 के साथ स्पर्श करते हैं। जब कुंडली घूमती है तो R1 और R2 बारी-बारी से B1 और B2 को छूते हैं। इनमें विद्युत धारा की प्राप्ति होती है।
5. दोनों B1 और B2 से विद्युत धारा के द्वारा प्राप्त कर लिया जाता है जो दोनों ब्रशों B1 और B2 पर लगाया जाता है रेखांकन में इसके स्थानों पर गैल्वेनोमीटर को लगा हुआ दिखाया गया है।
कार्यविधि – कुंडली ABCD को दो चुंबकों के ध्रुवों के बीच क्षैतिज स्थिति में है। इसे घड़ी की सूई की विपरीत (Anti clock wise) दिशा में घुमाओ । AB को ऊपर और CD को नीचे की दिशा में घूमने दो। चुंबक के उत्तरी ध्रुव के निकट कुंडली AB चुंबकीय रेखाओं को काटती है और दक्षिणी ध्रुव के निकट CD भी यही करती है। कुंडली के द्वारा काटे गए चुंबकीय क्षेत्र में परिवर्तन के कारण AB और CD में विद्युत धारा उत्पन्न होती है। फ्लेमिंग के दायें हाथ के नियम से विद्युत धारा की दिशा को B से A और D से C बदला जाता है जिसका प्रभावी बहाव DCBA की ओर दिखाई देता है।
कुंडली के आधे चक्कर के बाद AB और DC अपनी स्थितियों को बदल लेते हैं। AB दायीं तथा DC बायीं तरफ आ जाती है। प्रत्येक आधे चक्कर के बाद प्रेरित विद्युत धारा की दिशा बदल जाती है। जब भी कुंडली अपनी स्थिति बदलती है तब R, और R, का ब्रश B, और B, से संपर्क बदलता है जिस कारण बाहरी परिपथ में विद्युत धारा की दिशा वही बनी रहती है ।
2. निम्नलिखित की दिशा को निर्धारित करने वाला नियम लिखिए –
(i) किसी विद्युत धारावाही सीधे चालक के चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र ।
(ii) किसी चुंबकीय क्षेत्र में, क्षेत्र के लंबवत् स्थित विद्युत धारावाही सीधे चालक पर आरोपित बल।
(iii) किसी चुंबकीय क्षेत्र में किसी कुंडली के घूर्णन करने पर उस कुंडली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत धारा |
उत्तर – (i) दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम- यदि आप अपने दाहिने हाथ में विद्युत धारा वाही चालक को इस प्रकार पकड़े हुए हैं कि आप का अंगूठा विद्युत धारा की दिशा की ओर संकेत करता है तो आप की अंगुलियाँ चालक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाओं की दिशा में लिपटी होंगी। इसे दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम कहते हैं।
(चित्र : दक्षिण हस्त अगुष्ठ नियम)
(ii) फ्लेमिंग का वामहस्त नियम- अपने वामहस्त अंगूठे, तर्जनी के मध्य अंगुली को इस प्रकार फैलाओ कि वे परस्पर समकोण बनाएँ। तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र को निर्दिष्ट करेगी। मध्य अंगुली धारा के प्रवाह की दिशा को बताएगी और अंगूठा चालक की दिशा को प्रवाहित करेगी।
(चित्र : फ्लेमिंग का वाम हस्त नियम)
(iii) फ्लेमिंग का दक्षिण हस्त नियम- अपने दाहिने हाथ की तर्जनी, मध्यमा अंगुली तथा अंगूठे को इस प्रकार फैलाइए कि ये तीनों एक-दूसरे के परस्पर लंबवत् हो । यदि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा की ओर संकेत करती है तथा अंगूठा चालक की गति की दिशा की ओर संकेत करता है तो मध्यम चालक में प्रेरित विद्युत धारा की दिशा दर्शाती है।
3. दिष्टधारा डायनेमो की बनावट और कार्य सिद्धान्त का सचित्र वर्णन करें।
उत्तर – ऐसा डायनेमो जिससे दिष्टधारा प्राप्त होती है डी०सी० डायनेमो कहलाता है।
दिष्टधारा डायनेमो की बनावट लगभग प्रत्यावर्ती धारा डायनेमो के समान ही होती है लेकिन अंतर सिर्फ इतना ही होता है कि आर्मेचर के छोरों पर एक ही वलय के आधे-आधे भाग अलग-अलग ढँके रहते हैं।
आधे घूर्णन के समय R1 खंड धनात्मक ध्रुव होता है तब B1 ब्रश इसके संपर्क में रहता है। घूर्णन क्रम में जब R1 ऋणात्मक बन जाता है तो इसका संपर्क B2 ब्रश से हो जाता है तथा ब्रश B1 का संपर्क R1 खंड से हो जाता है। इस तरह ब्रश B1 धनात्मक तथा ब्रश B2 ऋणात्मक विभव पर बने रहते हैं। ऐसा रहने पर आर्मेचर की धारा की दिशा बदलने पर भी बाह्य परिपथ में धारा की दिशा हमेशा एक ही दिशा में रहती है जो शून्य से अधिकतम मान के बीच बदलता है। अतः ऐसे डायनेमो से दिष्टधारा (डी०सी०) प्राप्त होती है।
4. दिये गये चित्र के आधार पर निम्न प्रश्नों के उत्तर दें
(i) चित्र का उपयुक्त नाम लिखें।
(ii) और (2) के नाम लिखें। 
(iii) किस तरह की ऊर्जा इस उपकरण द्वारा परिवर्तित की जाती है ?
(iv) इस उपकरण के दो उपयोग लिखें।
(v) आर्मेचर को परिभाषित करें।
उत्तर – (i) विद्युत मोटर
(ii) (1) = विभक्त वलय, (2) = ब्रश
(iii) यह उपकरण विद्युतीय ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करता है।
(iv) इसका उपयोग रेफ्रिजरेटरों एवं विद्युत पंखों में किया जाता है।
(v) यह आयताकार लोहे के ढाँचे ।

हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..

  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *