मंद बुद्धिता के प्रकार एवं कारणों की विवेचना करें।
प्रश्न – मंद बुद्धिता के प्रकार एवं कारणों की विवेचना करें।
(Discuss the types and causes of mental dificiencies.)
उत्तर – एल० एस० पेनरोज (I.S. Penrose, 1963) ने अपनी पुस्तक ‘Biology of Mental Defect’ में 30 प्रकार की मानसिक दुर्बलताओं का वर्णन किया है। इनमें से चार का वर्णन पेनरोज के अनुसार निम्न प्रकार से है-
- मंगोलिज्म (Mongolism) — यह मानसिक दुर्बलता सर्वाधिक पाई जाती है। इस मानसिक दुर्बलता का नाम मंगोलिज्म इसलिए है कि इस प्रकार की मानसिक दुर्बलता वाले लोगों की शारीरिक बनावट मंगोल जाति के लोगों से बहुत कुछ मिलती है। उदाहरण के लिए, इस प्रकार के बालकों की आँख बादाम की तरह, मुख-मण्डल पर तिरछापन, होंठ पतले, पलकें मोटी और गर्दन छोटी होती है। इनकी नाक चपटी और हाथ-पैर आकार में बड़े होते हैं। होंठ धारीदार और सूखे होते हैं। आँखों की पलके कुछ मोटी होती हैं। दाँत बहुत छोटे और बेडौल दिखाई देते हैं। आवाज रूखी और भारी होती है। एक अध्ययन (W.I. Wunsch. 1957) में यह देखा गया कि इस प्रकार की मानसिक दुर्बलता वाले 75% बालकों का बौद्धिक स्तर जड़ – बुद्धि (Idiot) स्तर से नीचे है। अतः कहा जा सकता है कि अधिकांश बालकों का बौद्धिक स्तर जड़-बुद्धि तक ही सीमित होता है । इस प्रकार के जिन बालकों की बुद्धि कुछ अधिक होती है, उन्हें छोटी-मोटी दस्तकारी के काम सिखाए जा सकते हैं। मंगोलियन का कारण स्पष्ट करते हुए पेनरोज (1963) ने लिखा है कि अधिक आयु वाले माता-पिता से मंगोलियन बालक होने की सम्भावनाएँ अधिक होती हैं। एक अन्य अध्ययन (E. C. Benda, 1941) के अनुसार मंगोजिज्म के दो कारण हैं। प्रथम एण्डोक्राइन ग्रन्थियों में असन्तुलन, द्वितीय यह कि जब पिट्युटरी गन्थि मन्द गति से या अनियमित ढंग से कार्य करती है तो मंगोलिज्म के लक्षण विकसित हो जाते हैं।
- क्रेटिनिज्म (Cretinism) — इनकी शारीरिक बुद्धि इतनी सीमित रह जाती है कि यह बौने रह जाते हैं। इनकी अधिक से अधिक लम्बाई तीन फुट तक होती है। इनके हाथ-पैरों की अपेक्षा धड़ अधिक बड़ा और विकसित प्रतीत होता है। इनकी ऊपर से त्वचा रूखी परन्तु शरीर में पर्याप्त मात्रा में चर्बी होती है। इन बालकों के होंठ और जीभ सामान्य की अपेक्षा कुछ अधिक ही मोटे होते हैं। यौन की दृष्टि से यह परिपक्व नहीं होते हैं, क्योंकि इनमें कामुकता कुण्ठित-सी हो जाती है। इनका बौद्धिक स्तर जड़ता से मूढ़ता तक होता है अर्थात् इनका I.Q.25-50 तक होती है। पेनरोज (1963) के अनुसार, जब बालक थायरॉइड ग्रन्थि की क्रियाशील अनियमिति और मन्द हो जाती है तब बालक की शरीर की वृद्धि अवरुद्ध हो जाती है। अतः कहा जा सकता है कि Thyroxin हारमोन, जो थायरॉइड ग्रन्थि से निकलता है, की कमी के कारण इस मानसिक दुर्बलता के लक्षण उत्पन्न होते हैं।
- माइक्रोसिफैली (Microcephaly) – इस मानसिक दुर्बलता वाले बालक को यदि देखा जाय तो इसका सिर आकार में काफी छोटा है। इनके सिर की अधिक से अधिक परि 17 इंच तक होती है। आकार की दृष्टि से सिर पतला और त्रिकोणाकार दिखाई देता है तथा माथा चपटा होता है। इनकी मुखाकृति देखी जाय तो सामान्य से भिन्न प्रतीत होती है परन्तु ठोढ़ी बहुत चपटी हुई होती है। अध्ययनों में यह देखा गया है कि इन बालकों का मानसिक विकास गर्भकालीन अवस्था के लगभग पाँचवें माह से ही अवरुद्ध होने लग जाता है। इसके कारणों के सम्बन्ध में कहा जाता है कि गर्भकालीन अवस्था में गर्भाशय में छूत की बीमारियाँ लगने से यह रोग होता है।
- हाइड्रोसिफैली (Hydrocephaly)- इस प्रकार की मानसिक दुर्बलता की अवस्था में बालक का सिर आकार में काफी बढ़ जाता है। इस अवस्था में सिर की परिधि अट्ठाइस इंच तक हो जाती है। माथा और सिर के पीछे की ओर अपेक्षाकृत वृद्धि अधिक होती है। सिर की तुलना में चेहरा बहुत छोटा लगता है। यह मानसिक दुर्बलता बालक में पूर्व बाल्यावस्था या इससे और पहले की आयु से प्रारम्भ हो जाती है। पेनरोज (1963) के अनुसार सुषुम्ना नाड़ी में जब Cerebrospinal Fluid की मात्रा आवश्यकता से अधिक हो जाती है तब इस प्रकार की मानसिक दुर्बलता के लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं।
मन्द – बुद्धिता के कारण (Causes of Mental Deficiency)
- वंशानुक्रम (Heredity) — कुछ अध्ययनों में यह देखा गया है कि माता-पिता की बुद्धि का प्रभाव उनकी होने वाली सन्तानों पर पड़ता है। होने वाले बालक के माता-पिता यदि अधिक बुद्धि के हैं तो उनके उस बालक की बुद्धि अधिक रहने की सम्भावना अधिक होती है। इसी प्रकार होने वाले बालक के माता-पिता की I. Q. कम है तो बहुत कुछ सम्भावना होती है कि बालक की बुद्धि भी कम होगी। गाल्टन और गोडार्ड ने इसी प्रकार के निष्कर्ष निकाले हैं। गोडार्ड का कालीकाक परिवार का अध्ययन तो बहुत अधिक प्रचलित है। इस दिशा में हुए अध्ययनों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि मानसिक दुर्बलता आनुवांशिक है और एक पीढ़ी को स्थानान्तरित हो सकती है।
- सांस्कृतिक कारक (Cultural Factors) –शहरी और देहाती क्षेत्रों में प्रेरणा और प्रोत्साहन की कमी होती है। देहातों में बालकों को बौद्धिक विकास के साधन भी कम उपलब्ध होते हैं। इस दिशा में जो अध्ययन हुए हैं उनसे यह पता चला है कि देहात के क्षेत्र में रहने वाले बालकों की बुद्धि शहर के बालकों की अपेक्षा कम होती है।
- छूत की बीमारियाँ (Infectious Disesases) — जैसा पहले, बातया जा चुका है कि गर्भकालीन अवस्था में गर्भाशय में दूत की बीमारियाँ लगने से माइक्रोसिफैली रोग के हो जाने की सम्भावना होती है।
- ग्रन्थीय असन्तुलन (Glandular Imbalance ) – एक अध्ययन (C.E. Benda, 1941) ने अपने एक अध्ययन द्वारा यह स्थिर किया कि ग्रन्थीय असन्तुलन के कारण जब पिट्यूटरी ग्रन्थि के पिट्यूटरीन हारमोन कम मात्रा में निकलता है तो मंगोलिज्म प्रकार की मानसिक दुर्बलता के क्षण उत्पन्न हो जाते हैं। इसी प्रकार से जब थॉयराड ग्रन्थि से थाइरॉक्सिन हारमोन पर्याप्त मात्रा में नहीं निकलता है तो क्रेटेनिज्म प्रकार की मानसिक दुर्बलता के लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं।
- एक्सरे का प्रभाव (X-rays Effect) — आधुनिक अध्ययनों से यह स्पष्ट हुआ है कि गर्भकालीन अवस्था में गर्भाशय पर एक्स-रे किरणें फेंकी जाय तो गर्भ में उपस्थित शिशु का मानसिक विकास सीमित हो जाता है। एक्स-रे किरणों का प्रभाव यदि दीर्घकालीन होता है तो विभिन्न प्रकार की मानसिक दुर्बलताएँ विकसित होने की सम्भावना होती है।
- शारीरिक आघात (Physical Injuries)– इस दिशा में ई० ए० डाल (E.A. Doll, 1932) ने अध्ययन करके यह निष्कर्ष निकाला कि मस्तिष्क में जन्म के समय यदि कोई गम्भीर आघात लगता है तो मानसिक विकास के अवरुद्ध हो जाने की सम्भावना अधिक होती है। जन्म के बाद भी कभी-कभी गम्भीर आघात के कारण बौद्धिक विकास अवरुद्ध हो सकता है।
- नशीले पदार्थ (Toxic Agents ) – शिशु के मस्तिष्क पर अनेक नशीले पदार्थों और औषधियों का प्रभाव कुछ इस प्रकार पड़ता है कि बालक के बौद्धिक विकास को क्षति पहुँचती है।
- माता-पिता की आय (Age of Parents) — माता-पिता की आयु यदि 49 वर्ष या इससे अधिक होती है तो उत्पन्न होने वाले बालकों का पर्याप्त बौद्धिक विकास नहीं होता है। माता-पिता की आयु यदि 25 से 30 वर्ष के बीच होती है तो इस अवस्था में उत्पन्न बच्चे सर्वाधिक गुण सम्पन्न होते हैं, यह और बात है कि बच्चों में गुणों का विकास वंशानुक्रम और पर्यावरण से परिसीमित होता है।
- पारिवारिक वातावरण (Home Environment) — यह मन्द बुद्धिता का एक महत्त्वपूर्ण कारक है। एक अध्ययन (J.N. wise. 1963) में यह देखा गया है कि 205 मन्द-बुद्धि बालकों में से लगभग तीन-चौथाई बालकों के परिवारों से बालकों को आवश्यक सुविधाएँ केवल न्यूनतम मात्रा में उपलब्ध थीं। स्पष्ट है कि जब बालकों को परिवार से आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हो पाती हैं तब उसके मन्द-बुद्धि होने की सम्भावना अधिक होती है। कुछ अन्य अध्ययनों (G.S. Chilman, 1965, H.B. roginson, 1967; H.B. Robinson & N.M. Robinsons 1970) में यह देखा गया है कि परिवार से सम्बन्धित निम्न कारक मन्द-बुद्धिता से सम्बन्धित हैं, जैसे- संरक्षकों की उपलब्धि अभिप्रेरणा, पिता का परिवार के अनुपस्थित रहना, परिवार की निर्धनता तथा संरक्षकों का बच्चों की शिक्षा की ओर ध्यान न देना, आदि।
- शैक्षिक वातावरण (Educational Enviornment) – प्रत्येक प्रकार की शिक्षा कुछ न कुछ प्रलोभनों पर आधारित होती है। मन्द-बुद्धि बालकों की शिक्षा के लिए भौतिक प्रलोभन अधिक महत्त्वपूर्ण हुआ करते हैं। अनेक अध्ययनों (R.L. Cromwell, 1963; E. Ziglar, 1968; L.N.. Talkington, 1971) के आधार पर यह निष्कर्ष निकला है कि मन्द – बुद्धि बालक बहुधा सफलता प्राप्ति प्रवृत्ति ( Motive to Achieve Success ) की अपेक्षा विफलता परिहार प्रवृत्ति ( Motive to Avoid Failure) से अधिक प्रेरित होते हैं।
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