महिला सशक्तिकरण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें ।

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प्रश्न – महिला सशक्तिकरण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें । 
उत्तर – महिला सशक्तिकरण के अन्तर्गत महिलाओं से जुड़े आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक और कानूनी मुद्दों पर संवेदनशीलता और सरोकार व्यक्त किया जाता है । सशक्तिकरण की प्रक्रिया में समाज में पारम्परिक पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण के प्रति जागरूक किया जाता है जिसने महिलाओं की स्थिति को सदैव कमतर माना है । वैश्विक स्तर पर नारीवादी आन्दोलनों और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने महिलाओं के सामाजिक एकता, स्वतन्त्रता और न्याय के राजनैतिक अधिकारों को प्राप्त करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी है ।
महिला सशक्तिकरण भौतिक या आध्यात्मिक, शारीरिक या मानसिक सभी स्तर पर महिलाओं में आत्म विश्वास पैदा कर उन्हें सशक्त बनाने की प्रक्रिया है ।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 में यह कहा गया है कि भारतीय स्त्रियों का सशक्तिकरण करना होगा जिसके निम्नांकित आवश्यक लक्ष्य होंगे –
  • स्त्रियों में एक धनात्मक स्वचित्रण और आत्म विश्वास का निर्माण करना होगा ।
  • उसमें आलोचनात्मक ढंग से सोचने की क्षमता का विकास करना ।
  • सामूहिक एकता का निर्माण करना और उनमें निर्णय लेने व कार्य की शक्ति का निर्माण करना
  • सामाजिक परिवर्त्तन लाने की प्रक्रिया में समान भागीदारी को सुनिश्चित करना ।
  • समाज में परिवर्त्तन लाने के लिए समूह कदम उठाने को प्रोत्साहित करना ।
उपर्युक्त स्त्री सशक्तिकरण के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए NER, 1986 Programme of Action में निम्नांकित कदमों को उठाने पर जोर दिया गया है
  • प्रत्येक शिक्षा संस्थान 1995 तक महिला विकास के सक्रिय कार्यक्रम करेगा ।
  • सभी शिक्षकों और अनौपचारिक/प्रौढ़ शिक्षा के अनुदेशकों को स्त्री सशक्तिकरण के अभिकर्त्ता बनने के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया जाना चाहिए। सभी सम्बन्धित शीर्ष संस्थाएँ और SCERT, DIET, SRC, UGC आदि ऐसे प्रशिक्षण प्रदान करेंगे ।
  • अनौपचारिक शिक्षा / प्रौढ़ शिक्षा की शिक्षिकाओं और अनुदेशिकाओं को विशेष प्रकार से प्रशिक्षण देना होगा ताकि वे महिला समानता की दिशा में एक सक्रिय कार्यकर्त्ता की भूमिका निभा सकें ।
  • शोध संस्थाओं, स्वैच्छिक संस्थाओं और कलाकारों के व्यावसायिक समूहों द्वारा विशेष कार्यक्रम विकसित किये जाने चाहिए ताकि विविध प्रकार के कार्यक्रमों ( परस्पर वार्ता, नुक्कड़ नाटक, पपेट शो आदि) द्वारा स्त्रियों में सामान्य जानकारी और स्वचित्र या आत्म विश्वास पैदा हो सके ।
  • रेडियो और टी. वी. तथा फिल्मों को इस दिशा में कार्य करना होगा ।
  • प्राथमिक स्तर पर स्त्री शिक्षकों की नियुक्ति के लिए प्राथमिकता दी जाये ।
  • स्त्रियों को नई पद स्थितियों के अनुसार आवश्यक मूल्यों को समाहित किया जाये । NCERT का महिला प्रकोष्ठ इस दिशा में विशेष कार्यक्रम करेगा ।
  • NIEPA (National Institute of Education, Planning and Administration) और राज्य स्तरीय सभी उपयुक्त संस्थाएँ शिक्षकों, प्रशिक्षकों, आयोजकों और प्रशासकों की स्त्रियों की समस्याओं के बारे में चैतन्यता बढायेगी ।
  • विश्वविद्यालय में महिला अध्ययन केन्द्र खोले जायेंगे ।
  • गाँवों में रोजगारों से सम्बन्धित कुशलता को स्त्रियों में विकसित किया जायेगा ।
  • व्यावसायिक केन्द्रों द्वारा स्त्रियों के विकास हेतु कार्यक्रम चलाये जायेंगे ।
  • पाठ्यक्रमों में विविधता, विभिन्न व्यवसायों के बारे में परामर्श सुविधाएँ बढ़ायी जायेंगी ।
कहने का अर्थ है कि इन विविध सुविधाओं को लागू करके भारतीय स्त्रियों का सम्पूर्ण और प्रभावी सशक्तिकरण करने का संकल्प किया गया था ।
इन सभी सुझावों को मानते हुये पिछले 20 वर्षों में महिलाओं में काफी सीमा तक सशक्तिकरण हुआ है ।

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