माध्यमिक स्तर पर हिन्दी शिक्षण के उद्देश्य का वर्णन करें।
प्रश्न – माध्यमिक स्तर पर हिन्दी शिक्षण के उद्देश्य का वर्णन करें।
उत्तर – माध्यमिक स्तर ( 11 से 13 वर्ष ) पर हिन्दी शिक्षण के उद्देश्य – यह वह अवस्था होती है जब बालक सीखने के प्रति आग्रही एवं संवेदनशील होते हैं। इस स्तर पर छात्र पर हिन्दी एवं व्याकरण की आधारभूत संरचना से परिचित हो जाते हैं। लेखन एवं ग्रहण क्षमता का विकास हो जाता है। श्रवण एवं अभिव्यक्ति की क्षमता भी रहती है। अतः इस प्रकार पर हिन्दी शिक्षण के उद्देश्य बिन्दुवार इस प्रकार हैं—
(1) छात्रों में पाठ्य-पुस्तक एवं पाठ्य सामग्री के प्रति अभिरुचि जाग्रत करना ।
(2) छात्रों की उच्चारण क्षमता को परिशुद्ध बनाना।
(3) उनके भावों एवं विचारों में तार्किकता का विकास |
(4) स्पष्ट अभिव्यक्ति क्षमता का विकास करना।
(5) वाचन एवं लेखन में गति एवं शुद्धता का समावेश करना ।
(6) समुचित गति के शुद्ध, स्पष्ट एवं सुन्दर लेखन का अभ्यास करना ।
(7) छात्रों में सौंदर्यानुभूति का विकास करना ।
(8) पठित विषयों एवं समान रुचि के विषयों पर प्रकट दूसरे के विचारों को मौखिक एवं लिखित रूप में आत्मविश्वास एवं स्पष्टता के साथ प्रकट करने की क्षमता का विकास।
(9) उचित भाव-भंगिमा के साथ अभिनय क्षमता का विकास।
(10) कथा वाचन, सस्वर काव्य-पाठ एवं संवाद शैली की भावपूर्ण प्रस्तुति की क्षमता का विकास।
(11) पठित अंशों की स्मरण करने की प्रेरणा प्रदान करना |
(12) छात्रों के शब्द भण्डार की वृद्धि एवं मुहावरों एवं लोकोक्तियों के उचित प्रयोग की क्षमता का विकास।
(13) हिन्दी साहित्य के प्रति अभिरुचि पैदा करना तथा स्वाध्याय की प्रेरणा देना।
(14) छात्रों को व्याकरणों के नियमों एवं शब्द निर्माण की प्रक्रिया से अवगत कराना।
(15) छात्रों में लेखन क्षमता के विकास हेतु निबन्ध, पत्र, कथा लेखन की प्रेरणा देना ।
(16) छात्रों की मानसिक क्षमता की वृद्धि हेतु समस्यापूर्ति, चित्रपूर्ति, पहेलियों आदि को समझने की योग्यता पैदा करना ।
(17) छात्रों में वाद – विवाद आशु – भाषण द्वारा तर्कक्षमता एवं त्वरित समस्या समाधान की क्षमता का विकास करना।
(18) छात्रों को काव्य रचना हेतु प्रेरित करना ।
(19) छात्रों को महापुरुषों की जीवनियों से परिचित कराना एवं उनकी नीतियों के प्रति आग्रही बनाना ।
(20) छात्रों को चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व विकास में सहायता करना।
(3) उच्च स्तर ( 14 से 15 वर्ष) पर हिन्दी शिक्षण के उद्देश्य – उच्च स्तर या उच्चतर माध्यमिक स्तर पर छात्रों की ग्रहण क्षमता विकसित हो जाती है। कक्षा 9वीं एवं दसवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्रों को उच्च स्तर के छात्र के रूप में जाना जाता है। उच्चतर माध्यमिक स्तर का छात्र हिन्दी भाषा भाषा एवं साहित्य की विविध विधाओं से सामान्यतः परिचित हो जाता है। व्याकरण के सामान्य नियमों की भी जानकारी रखता है तथा उच्चारण क्षमता भी विकसित हो जाती है।
इस स्तर पर हिन्दी भाष शिक्षण के उद्देश्यों को बिन्दुवार देखें –
(1) भाषा की समृद्धि हेतु शब्द भण्डार में अधिकाधिक वृद्धि एवं भाषा के अध्ययन की प्रेरणा देना।
(2) उच्चारण एवं वाचन की गति में शुद्धता एवं स्पष्टता का निरन्तर विकास करना ।
(3) भाषिक क्षमता का विकास करना ।
(4) भावों एवं विचारों की प्रभावपूर्ण अभिव्यक्ति की क्षमता का विकास।
(5) हिन्दी साहित्य की विविध शैलियों की जानकारी देना।
(6) गद्य साहित्य की विविध विधाओं की भावपूर्ण प्रस्तुति की प्रेरणा देना।
(7) विद्यार्थियों को लेखन की विविध शैली से परिचित कराते हुए उनकी विवेचना के आधार पर स्थानुकूल अभिव्यंजना शैली के विकास में सहायता करना ।
(8) विद्यार्थियों को स्वानिर्मित कविता एवं गद्य साहित्य के लेखन हेतु प्रेरित करना ।
(9) छात्रों को मौखिक एवं लिखित भाषा के माध्यम से बोध व भावग्रहण करने की क्षमता का विकास।
(10) छात्रों को पाठ्यक्रम के प्रति जागरूक बनाना एवं तद्नुरूप अध्ययन हेतु प्रेरित करना।
(11) विद्यार्थियों के स्वयं प्रतिभा ज्ञान का विकास करना ।
(12) अधिकाधिक ज्ञानार्जन हेतु प्रेरित करना ।
(13) हिन्दी भाषा एवं साहित्य का अन्य विषयों के साथ सम्बन्ध स्थापित करने की योग्यता का विकास करना।
(14) विद्यार्थियों में सृजनात्मक क्षमता का विकास करना।
(15) विद्यार्थियों को हिन्दी साहित्य के प्रति रसानुभूति का अवबोध करना एवं सौंदर्यानुभूति पैदा करना ।
(16) विद्यार्थियों में पर्यावरण चेतना का विकास करना।
(17) विद्यार्थियों में चिंतन प्रवृत्ति का विकास करना ।
(18) सामान्य समालोचना एवं समीक्षात्मक कला का विकास करना ।
(19) भाषा के व्यावहारिक प्रयोग एवं अर्थग्रहण क्षमता का विकास करना ।
(20) भारतीय सभ्यता-संस्कृति से परिचित कराते हुए सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण हेतु प्रेरित करना ।
(21) विद्यार्थियों में ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना का विकास करना।
(22) पाठ्य पुस्तकों के अतिरिक्त संदर्भ पुस्तकों को पढ़ने की प्रेरणा देना।
(23) सर्वांगीण विकास एवं चरित्र निर्माण पर बल देना।
(24) विद्यार्थियों में भाषा साहित्य के माध्यम से सामाजिकता का विकास करना।
(25) हिन्दी भाषा की भाषिक खमता से परिचित कराते हुए राष्ट्रीयता के विकास की प्रेरणा देना।
(26) साहित्यिक पत्रिका एवं समाचार पत्र पढ़ने के प्रति रुझान पैदा करना ।
(27) विद्यालय तथा विद्यालय से बाहर आयोजित होने वाली साहित्यिक गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए उत्प्रेरित करना ।
इस प्रकार हम देखते हैं कि विविध स्तरों पर हिन्दी शिक्षण के उद्देश्य अलग-अलग हैं। किन्तु ये सभी शिक्षण उद्देश्य एक-दूसरे के पूरक हैं, जो छात्रों को क्रमशः हिन्दी भाषा-साहित्य की विस्तृत परिधि से परिचित कराते हैं तथा उनमें भाषिक क्षमता का विकास कर साहित्य सृजन हेतु प्रेरित करते हैं। हिन्दी शिक्षण के द्वारा विद्यार्थी अपने मनोभावों, उद्वेगों तथा अपने अंतद्वन्द्वों की सुन्दर, सरल और सशक्त अभिव्यंजना में समर्थ हो पाते हैं ।
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