मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के नियम एवं कार्यक्रम की विवेचना करें।
प्रश्न – मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के नियम एवं कार्यक्रम की विवेचना करें।
(Diescuss the Principles and Programmes of mental hygine.)
उत्तर – मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के नियम
(Principles of Mental Hygiene)
यहाँ नीचे मानसिक सवास्थ्य विज्ञान के नियमों या उपायों का वर्णन है जिनके द्वारा एक व्यक्ति अपने मानसिक स्वास्थ्य को बनाये रख सकता है। कुछ प्रमुख नियम निम्न प्रकार से हैं—
- अपने और दूसरों के व्यक्तित्व के प्रति सम्मान के भाव (Respect for one’s own and for others Personalities)– मानसिक स्वास्थ्य बनाये रखने के लिए व्यक्ति के लिए सर्वप्रथम आवश्यक है कि व्यक्ति अपने आत्म-सम्मान को बनाये रखे और दूसरों के आत्म-सम्मान को बनाये रखने का पूरा पूरा प्रयास करे। इसके लिए व्यक्ति को चाहिए कि वह स्वयं सन्तुष्ट हो और दूसरों को भी सन्तुष्ट रखे ।
- अपनी तथा अन्य व्यक्तियों की सीमाओं को पहचानना (recognition of Limitation of one’s own and of others) — मानसिक स्वास्थ्य बनाये रखने के लिए यह भी आवश्यक है कि व्यक्ति अपनी विभिन्न शारीरिक और मानसिक योग्यताओं सम्बन्धी सीमाओं को पहचाने तथा साथ ही साथ इस प्रकार की सीमाओं को उन व्यक्तियों में भी पहचाने जिनसे वह व्यवहार कर रहा है, करना है अथवा करेगा। जब एक व्यक्ति अपनी सीमाओं के अनुसार और दूसरे व्यक्ति की सीमाओं को ध्यान में रखकर व्यवहार करेगा तो सफलता मिलने की सम्भावना उतनी ही अधिक होती है।
- व्यवहार के कार्य-कारण सम्बन्ध का ज्ञान (Recognition of Causal Sequence in Behaviours)—मानसिक स्वास्थ्य को बनाये रखने के लिए भी आवश्यक है कि व्यक्ति को इस बात का ज्ञान कराया जाय कि प्रत्येक व्यवहार का कारण कोई न कोई बाह्य या आन्तरिक उद्दीपक होते हैं। बिना उद्दीपक अथवा कारण के व्यवहार या अनुक्रिया कभी घटित नहीं होती है। दूसरों से अन्तः क्रिया करते समय यदि व्यक्ति को व्यवहार के कार्य-कारण सम्बन्ध का पर्याप्त ज्ञान है तो उसे अपने मानसिक स्वास्थ्य को बनाये रखने में सहायता मिलती है।
- इस तथ्य को पहचानना कि व्यवहार सम्पूर्ण व्यक्ति का परिणाम है (Recognition that behaviour is a function of the whole Individual) – मानसिक स्वास्थ्य को बनाये रखने के लिए इस बात का ज्ञान भी आवश्यक है कि व्यक्ति को इस बात का ज्ञान कराया जाय कि प्रत्येक व्यक्ति का व्यवहार उस व्यक्ति के ज्ञानात्मक, भावात्मक तथा क्रियात्मक पक्षों से सम्बन्धित है या उसका व्यवहार उसके सम्पूर्ण व्यक्तित्व का परिणाम है।
- महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं की पहचान (Regognition of Important Needs) व्यक्ति की अनेक आवश्यकताएँ होती है। एक व्यक्ति को यदि अपनी इन आवश्यकताओं का ज्ञान है कि उसकी महत्त्वपूर्ण आवश्यकताएँ क्या-क्या हैं। क्या उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति हो सकती है अथवा नहीं। व्यक्ति को केवल उन्हीं आवश्यकताओं को महत्त्व देना और पूरा करने का प्रयास करना चाहिए जिन आवश्यकताओं को वह पूरा कर सकता है अथवा जिन्हें पूरा करने के योग्य है।
मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का कार्यक्रम
(A Programme of Mental Hygiene).
मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के प्रभावपूर्ण कार्यक्रम निम्नलिखित चार बातों पर य आवश्यक है—
- मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान की शिक्षा (Education of Mental Hygiene ) (1) मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान की शिक्षा में सर्वप्रथम यह आवश्यक है कि व्यक्ति या व्यक्तियों को सर्वप्रथम मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के सिद्धान्तों को समझाया जाय कि वह क्या है और मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान में उनका क्या महत्त्व है। इन सिद्धांतों का वर्णन ऊपर पहले किया जा चुका है। मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान की शिक्षा में कुछ अन्य आवश्यक बातें निम्नलिखित हैं— मानसिक स्वास्थ्य और मानसिक रोगों और स्नायुविक रोगों के सम्बन्ध में फैले भ्रामक विचारों को लोगों को दूर करना चाहिए। (2) लोगों को काम- इच्छाओं की सन्तुष्टि की शिक्षादेनी चाहिए। उन्हें इस बात की भी शिक्षा देनी चाहिए कि अनेक मानसिक रोगों का एक मुख्य कारण काम-इच्छाओं का सन्तुष्ट न होना है। इन इच्छाओं की सन्तुष्टि के लिए उपयुक्त साधनों तथा समाज द्वारा मान्य तरीकों को करने पर बल देना चाहिए। (3) लोगों को इस बात की भी शिक्षा दी जा सकती है— साधारण तथा गम्भीर मानसिक रोगों का उपचार सम्भव है। अतः आवश्यक है कि लक्षणों के उत्पन्न होते ही उनका उपचार प्रारम्भ कर दें। (4) विभिन्न प्रकार के मानसिक रोगों के लक्षणों, उनके कारणों एवं उपचार आदि की शिक्षा भी देनी आवश्यक है जिससे कि लोग आवश्यकता के अनुसार प्रारम्भ में ही लक्षणों को पहचान सकें। (5) वयस्कों और विशेष रूप से संरक्षकों को असामान्यता के कारणों का ज्ञान करना इसलिए भी आवश्यक है कि वह बालकों में पहले से ही इस बात का ध्यान रखें कि उनमें रोग उत्पन्न ही न हो।
- प्रारम्भिक लक्षणों की पहचान (Recognition of Early Symptoms ) – मानसिक रोगों के उत्पन्न होते ही प्रारम्भिक लक्षणों को व्यक्ति में पहचानने की योग्यता को विकसित करना चाहिए जिससे रोग गम्भीर रूप धारण न कर सके, उन्हें प्रारम्भ में ही उपचार द्वारा शीघ्र ही समाप्त किया जा सके। किसी भी रोग के प्रारम्भिक लक्षणों को समाप्त करने में धन, समय और श्रम आदि सबकी बचत होती है। मानसिक रोगों के प्रमुख लक्षणों का वर्णन पहले ऊपर किया जा चुका है।
- प्रारम्भि लक्षणों का उपचार (Treatment of Early Symptoms)—प्रारम्भिक लक्षणों के उपचार का वर्णन लक्षणों की पहचान और उपचार शीर्षक के अन्तर्गत किया जा चुका है।
- खाली समय का उपयुक्त उपयोग (Proper Utilization of Spare Time) मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम में इस तथ्य का भी कार्यक्रम होना चाहिए कि लोग खाली समय किस प्रकार व्यतीत करें। इसके लिए आवश्यक है कि उनको मनोरंजन के स्वस्थ साधन उपलब्ध हों तथा साथ ही साथ उन्हें भी खाली समय में रचनात्मक कार्यों की ओर लगाया जाय।
उपर्युक्त कार्यक्रमों की सहायता से मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने का प्रयास किया जा सकता है तथा उत्पन्न होने वाले रोगों की रोकथाम भी की जा सकती है।
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