लेखन कौशल के विकास में आने वाली समस्याओं का निदान व उपचार बताइए ।
प्रश्न – लेखन कौशल के विकास में आने वाली समस्याओं का निदान व उपचार बताइए ।
उत्तर- लेखन- कौशल के विकास में बाधक समस्याओं का निराकरण लेखन-कौशल के विकास में बाधक समस्याओं के निराकरण हेतु अग्रलिखित प्रयास किये जाने चाहिए –
- सर्वप्रथम अध्यापक को अपने लेखन में वे सभी गुण विकसित करने चाहिए जिन्हें वह छात्रों के लेखन में विकसित करना चाहता है क्योंकि स्वभाव से ही अनुकरणप्रिय बालक अध्यापक का अनुकरण करते हैं।
- जब छात्र सुलेख अथवा प्रतिलिपि का अभ्यास कार्य कर रहे हों तो अध्यापक कक्षा में घूम-घूमकर उनकी कॉपियों पर नजर डाले। अगर उसमें त्रुटि हो तो तत्काल उसमें सुधार करवाये । अच्छा हो अभ्यास कराने से पूर्व लेखन के लिए आवश्यक गुणों से छात्रों को परिचित करा दिया जाये ।
- अध्यापक को लेखन अभ्यास कराने से पूर्व छात्रों को लिपि, स्वर व मात्रा का सही ज्ञान करा देना चाहिए। अत्यधिक साम्य वाले अक्षरों से युक्त शब्दों को छाँटकर श्यामपट्ट पर लिख दें और छात्रों को उनकी सही प्रतिलिपि करने का आदेश दें। अन्त में उसकी जाँच करें ।
- छात्रों को संयुक्ताक्षरों तथा उन मात्राओं से युक्त शब्दों का अभ्यास करायें जिनमें छात्र गलती करते हैं। इस प्रकार वे संयुक्ताक्षरों व मात्राओं के सही प्रयोग में अभ्यस्त हो जायेंगे और गलती नहीं करेंगे ।
- छात्रों को विराम चिह्नों से परिचित कराकर उनके सही प्रयोग का अभ्यास कराया जाय। इस हेतु अनुच्छेद अथवा वाक्यों को देकर उनमें विराम चिह्नों का प्रयोग करने के लिए कहा जाय तथा छात्रों के समक्ष उनकी जाँच कर उन्हें उनकी त्रुटियों से अवगत कराते हुए सुधार करवाया जाय ।
- छात्रों को भलीभाँति समझा दिया जाय कि शिरोरेखा देवनागरी लिपि की विशेषता है। अतः अक्षर व शब्दों के ऊपर शिरोरेखा अवश्य लगायें ।
- छात्रों को निर्देश दिया जाय कि वे अक्षरों का आकार उचित अनुपात में बनायें। अक्षरों व शब्दों के बीच उचित दूरी छोड़ें तथा पंक्तियों के बीच उचित दूरी छोड़ें तथा उनमें समानान्तर दूरी बनाये रखें क्योंकि ऐसा करने से लेख स्पष्टतः पठनीय बनता है ।
- छात्रों को कलम पकड़ने व बैठने के सही ढंग से परिचित कराकर उसका अभ्यास कराया जाय। उन्हें कलम पकड़ने व बैठने के गलत ढंग से दुष्प्रभावों को बताया जाय।
- छात्रों का लेख खराब होने का सबसे बड़ा कारण अभ्यास का अभाव है, अतः अध्यापक को चाहिए कि वह छात्रों को सुलेख, प्रतिलिपि तथा श्रुतलेख के माध्यम से सुन्दर लेखन का अधिकाधिक अभ्यास कराये । द्रुत लेखन कौशल को विकसित करने की दृष्टि से श्रुतलेख का अभ्यास कराया जाय ।
लेखन कौशल विकास के विविध साधन अपनाते समय अध्यापक को अग्रलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए –
- लेखन की विषय-वस्तु छात्रों की अवस्था तथा मानसिक स्तर के अनुरूप होनी चाहिए।
- लेखन का अभ्यास सप्ताह में कम-से-कम दो दिन अवश्य कराना चाहिए।
- लेखन की सुधारात्मक जाँच छात्रों के समक्ष की जाय ।
- विषय-सामग्री के रूप में उन वाक्यों या अनुच्छेदों को चुना जाय जिन्हें लिखने में छात्र अधिक त्रुटि कर रहे हों ।
- श्रुतलेख में बोले जाने वाले अंश को बोलने से पहले एक बार पूरी कक्षा को सुना देना चाहिए। तत्पश्चात् थोड़ा-थोड़ा करके अंश बोलना चाहिए। अन्त में एक बार पुनः अंश को छात्रों को सुनाना चाहिए ताकि वे अपने लेखन को दुहरा सकें। बोलने की गति उचित, उच्चारण स्पष्ट होना चाहिए। पदों एवं वाक्यों की आवृत्ति नहीं करनी चाहिए । अन्त में संशोधन अवश्य किया जाय ।
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