लैंगिक दुर्व्यवहार की प्रकृति एवं प्रकारों की विवेचना कीजिए |
प्रश्न – लैंगिक दुर्व्यवहार की प्रकृति एवं प्रकारों की विवेचना कीजिए |
उत्तर – लैंगिक दुर्व्यवहारों की प्रकृति को समझना आसान नहीं है क्योंकि इनकी कोई सीमा या लक्ष्मण रेखा नहीं है और भारतीय नारी त्याग तथा आदर्श की प्रतिमूर्ति मानी जाती है तथा वह अवधारणा उनके भीतर तक घर कर गयी है कि स्वयं अपने साथ हो रहे लैंगिक दुर्व्यवहारों को दुर्व्यवहार नहीं मानती हैं, जैसे पुत्री की उत्पत्ति होने पर पुरुष यदि दुःखी होता है तो घर की स्त्रियाँ उससे भी अधिक पुरुषों के हित और मंगलकामना के लिए किसी भी स्थिति को पार कर जाती हैं, जिसे देखकर ही यह वर्ग बड़ा होता है जिससे वह स्त्रियों पर सदैव शासन करता है, आदेश चलाता है और बालिकाओं के जन्म से ही पिता, पति, पुत्र के संरक्षण में रहना, उनके हित और पसन्द के कार्य करने सिखाये जाते हैं । इस प्रकार लैंगिक दुर्व्यवहार कभी-कभी परम्परा और आदर्श की ऐसी चादर ओढ़े होते हैं कि जो इन दुर्व्यवहारों का सामना करते हैं वे स्वयं इस स्थिति से बाहर नहीं निकलना चाहते, जैसे पति की गाली तथा मार सहने वाली स्त्री आदर्श समझी जाती है और वह अपने लिए इस दुर्व्यवहार का वरण खुशी से करती है। लैंगिक दुर्व्यवहारों का सामना स्त्रियों और अब तृतीय लिंग के रूप में मान्यता प्राप्त किन्नरों को भी करना पड़ता है ।
लैंगिक दुर्व्यवहार से तात्पर्य ऐसे व्यवहारों से है जो लिंग विशेष की स्वतन्त्रता, समानता, अधिकारों और उसकी प्रतिष्ठा, मान-सम्मान और मन को ठेस पहुँचाये । महात्मा बुद्ध ने ‘अहिंसा परमो धर्म:’ का मार्ग दिखाया और इसके अन्तर्गत शाब्दिक हिंसा को भी निषिद्ध किया। ठीक इसी प्रकार लैंगिक दुर्व्यवहारों में मारना-पीटना ही नहीं, भाषायी और शाब्दिक दुर्व्यवहार द्वारा मानसिक रूप से प्रताड़ित करना भी आता है। लैंगिक दुर्व्यवहारों की पहचान कर इसके प्रकार इस तरह किये जा सकते हैं –
लैंगिक दुर्व्यवहारों की पहचान तथा उनसे किस प्रकार बचाव किया जा सकता है, इसका वर्णन निम्न प्रकार किया जा सकता है
1. शारीरिक एवं हिंसात्मक लैंगिक दुर्व्यवहार — मनोविज्ञान भी यह बात स्वीकार करता है कि विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण होता है, परन्तु कुछ विकृत कारणों से यह आकर्षण गलत रूप में प्रकट होता है और इसकी शिकार प्रायः लड़कियाँ और स्त्रियाँ होती हैं । शारीरिक तथा हिंसात्मक लैंगिक दुर्व्यवहार की शिकार स्त्रियाँ घर तथा बाहर दोनों ही स्थलों पर होती हैं । शारीरिक दुर्व्यवहार तथा हिंसात्मक दुर्व्यवहार की पहचान कभी-कभी स्पष्ट रूप से की जा सकती है और कभी-कभी यह ऊपरी रूप से प्रतीत नहीं होता, परन्तु गहनता से देखने पर प्रतीत होता है। इसी कारण किशोरियाँ और उनके अभिभावक इन. व्यवहारों को पहचान नहीं पाते और न ही कोई सुरक्षात्मक उपाय ही कर पाते हैं । यहाँ पर इस प्रकार के दुर्व्यवहारों की पहचान तथा कुछ लक्षणों का वर्णन किया जा रहा है, जिससे इन दुर्व्यवहारों की पहचान सरल होगी –
- बालिकाओं का किसी व्यक्ति विशेष से खिंचाव महसूस करना, अतः माता-पिता को उस व्यक्ति के विषय में खुलकर बात करनी चाहिए ।
- बालिकाओं के निजी अंगों को देखना और उससे सम्बन्धित टिप्पणी करना ।
- बालिकाओं के निजी अंगों को छूना ।
- बालिकाओं तथा महिलाओं को अश्लील चित्रों को दिखाना तथा शारीरिक अंगों पर टीका-टिप्पणी करना ।
- जंबरन स्पर्श का प्रयास ।
- नजदीकियों तथा रिश्तेदारों द्वारा प्रेम तथा स्नेह के झूठे प्रदर्शन द्वारा भी उनके अंगों का स्पर्श करने, चुम्बन लेने, जकड़ने का प्रयास किया जाता है जिस पर तुरन्त सतर्कता बरतनी चाहिए ।
- गलत इरादे से फोटो खींचना, एम. एम. एस. बनाना और उसे सार्वजनिक करने की धमकी देना ।
- बालिकाओं तथा स्त्रियों के प्रति शारीरिक दुर्भावना वाले व्यक्ति प्राय: बहाना बनाकर उन्हें एकान्त स्थल पर बुलाते हैं; अतः तुरन्त इस विषय में अभिभावकों को बताना चाहिए ।
- काम के बहाने देर शाम तक रोकना, इससे भी शारीरिक दुर्व्यवहार की आशंका बढ़ जाती है ।
- आधुनिक पार्टियों में ले जाना तथा पेय पदार्थ में नशे की गोली मिलाकर शारीरिक दुर्व्यवहार का प्रयास करना ।
- जान-पहचान और अज्ञात व्यक्ति यदि अनावश्यक रूप से मेहरबानी दिखायें, गाड़ी में लिफ्ट दें, घर पर बुलायें, बाहर खाने इत्यादि के लिए ले जाने का दबाव डालना, ऐसे मौकों पर अगर सतर्कता न बरती गयी तो शारीरिक दुर्व्यवहार की आशंका अधिक होती है ।
- नासमझ बच्चियों के यौन अंगों को कुप्रवृत्ति वाले व्यक्ति छूते और सहलाते हैं, अतः बच्चों को संदिग्ध व्यक्ति या पास-पड़ोसियों के साथ अधिक देर न छोड़ें ।
- घर के नौकर इत्यादि चोरी-छिपे देखें या स्त्रियों के वस्त्रों को सूँघें, उन्हें गलत प्रकार से छुयें तो ऐसे व्यक्ति के प्रति सचेत होना चाहिए और पुलिस में बिना सत्यापन के किसी भी व्यक्ति को काम पर नहीं रखना चाहिए ।
- पीछा करना ।
- शारीरिक दुर्व्यवहार में मारना-पीटना ।
- शारीरिक सम्बन्ध में जबरदस्ती बनाना
- शरीर के गुप्त अंगों पर चोट करना ।
- तेजाब छिड़कना ।
- सिगरेट से जलाना, बाल खींचना, नाखून नोंचना, चेहरे को बदसूरत बनाने का प्रयास करना ।
- शारीरिक हिंसा के लिए कुछ विकृत मानसिकता वाले व्यक्ति तेज धारदार औजार या ब्लेड का प्रयोग भी करते हैं ।
2. मानसिक दुर्व्यवहार एवं प्रताड़ना – बालिकाओं तथा महिलाओं का घर तथा बाहर दोनों ही स्थलों पर मानसिक दुर्व्यवहारों तथा प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है । इन व्यवहारों की पहचान इन बिन्दुओं के आधार पर की जा सकती है –
- लड़कियों की शिक्षा, खान-पान तथा रहन-सहन के तरीकों में लड़कों की अपेक्षा कम ध्यान देना और कम खर्च करना ।
- सामाजिक कार्यक्रमों तथा रीति-रिवाजों में स्त्रियों की उपेक्षा ।
- विवाह करने, घर गृहस्थी बसाने, पारिवारिक जिम्मेदारियों का दबाव ।
- काम-काज के कारण पढ़ाई छुड़वाना ।
- लड़कों की अपेक्षा प्रत्येक क्षेत्र में हीन समझना |
- दहेज तथा लड़का उत्पन्न करने के लिए ताने सुनाना ।
- रंग-रूप इत्यादि को लेकर की जाने वाली टिप्पणी ।
- अप्रत्यक्ष व्यवहारों के द्वारा दी जाने वाली मानसिक प्रताड़ना ।
- अँधेरे से भय, उदासीनता का भाव, अन्तर्मुखी हो जाना या झल्लाहट इत्यादि ।
3. शाब्दिक एवं भाषायी दुर्व्यवहार – लैंगिक दुर्व्यवहारों को सबसे अधिक जिस रूप में पाया जाता है वह है शाब्दिक तथा भाषायी दुर्व्यवहार । इस प्रकार का व्यवहार परिवार के सदस्यों, माता-पिता, आस-पड़ोस तथा बाहर राह चलते कोई भी व्यक्ति कर सकता है। कभी-कभी अवांछित तत्त्वों द्वारा विद्यालयों, कॉलेजों तथा सार्वजनिक स्थलों पर गाली-गलौज, अभद्र भाषा का प्रयोग, मौखिक और लिखित रूप से लिया जाता है, जिससे बालिकाओं तथा स्त्रियों को अपमान का घूँट पीना पड़ता है। शाब्दिक एवं भाषायी दुर्व्यवहार की पहचान हेतु निम्नांकित बिन्दुओं का वर्णन किया जा रहा है –
- लिंगीय टिप्पणी करना ।
- प्रत्येक बात पर लड़की होने का उलाहना देना ।
- लड़की है इसलिए यह काम नहीं कर पायेगी तथा लड़कियों की प्रकृति, इत्यादि के विषय में अपमानजनक बातें कहना |
- प्रतिष्ठित व्यक्तियों तथा नेताओं द्वारा भी लड़कियों को कपड़े पहनने, रात में बाहर न निकलने की नसीहत देना और आपराधिक घटनाओं के प्रति उन्हीं को जिम्मेदार ठहराना इसमें आता है ।
- धार्मिक तथा सांस्कृतिक कृत्यों के सम्पादन के समय लड़की को उसके लड़की होने के कारण विमुख कर देने वाले शब्दों को कहना |
- गाली-गलौज तथा अमर्यादित भाषा का प्रयोग करना ।
- स्त्रियों को ससुराल में, मायके में, विद्यालय में तथा सार्वजनिक स्थलों पर भाषायी अभद्रता का शिकार, ताने कसकर, अभद्र गीतों को ग़ाकर, द्विअर्थी शब्द बोलकर तथा अभद्र टिप्पणियों के द्वारा किया जाता है ।
- अन्य लोगों से तुलना करते समय भी भाषायी भेदभाव का प्रयोग किया जाता है ।
- लड़कियों को नीचा दिखाने के लिए प्रयुक्त की गयी शब्दावली ।
- लड़कियों को उनकी कमजोरी तथा अपनी श्रेष्ठता बताने, उनके भरण-पोषण का दायित्व निभाने वाले शब्दों के प्रयोग द्वारा ।
- लड़कियों के वस्त्रों, अंगों इत्यादि के विषय में टिप्पणी |
- चारित्रिक टिप्पणी करना ।
4. सामाजिक दुर्व्यवहार – सामाजिक दुर्व्यवहार के अन्तर्गत स्त्रियों को समाज में पुरुषों की अपेक्षा कमजोर और हीन मानना, उनके लिए सामाजिक प्रतिबन्धों तथा दायरों के मानक तय करना, पढ़ने, विवाह करने, कहीं आने-जाने, सामाजिक क्रियाकलापों में भाग लेने का स्वेच्छा से अधिकार न होना आदि । सामाजिक दुर्व्यवहार के कारण ही स्त्रियों की शिक्षा पिछड़ी अवस्था में है, स्त्रियाँ भोग-विलास तथा मनोरंजन की वस्तु हैं, पर्दा – प्रथा, दहेज-प्रथा, बाल-विवाह, कम उम्र में विधवा होने पर भी दूसरा विवाह न होना, तलाक के बाद सामाजिक उपेक्षा, आर्थिक क्षेत्रों में अधिकार प्राप्त न होना इत्यादि हैं । सामाजिक दुर्व्यवहारों की पहचान इन रूपों में की जा सकती है –
- स्त्रियों की शिक्षा की उपेक्षा ।
- स्त्रियों को सामाजिक कृत्यों में प्रमुखतां न देना ।
- दहेज तथा विवाह के समय वस्तु की भाँति लड़के वालों के समक्ष प्रस्तुत करना ।
- चुप रहने, मुँह न खोलने और आजीवन अत्याचार सहने की सीख ।
- पर्दे के भीतर रहने की बाध्यता ।
- अपने विचारों को व्यक्त करने की आजादी न होना ।
- यदि स्त्री विवाह के पश्चात् सम्बन्ध विच्छेद कर तलाक ले लेती है तो उसे हेय दृष्टि से देखना ।
- लड़कियों के लिए विवाह करने की बाध्यता के कारण उन्हें हेय दृष्टि से देखा जाता ।
- कम उम्र में विधवा होने के बाद भी विवाह नहीं किया जाता जबकि कोई पुरुष जब विधुर होता है तो उसके कुछ हफ्तों बाद ही उसके विवाह की बातें होने लगती हैं ।
- किसी भी प्रकार के शोषण की शिकार बालिका या स्त्री को समाज में पग – पग पर चुनौतियों और लोगों की बदनियती का सामना करना पड़ता ।
5. आर्थिक दुर्व्यवहार – महिलाओं तथा पुरुषों के मध्य आर्थिक स्तर पर भी असमानता व्याप्त है जिससे महिलायें आर्थिक रूप से सशक्त नहीं हो पाती हैं और जब उनके साथ दुर्व्यवहार होता है तो वे चुपचाप उसे सहन करने के अतिरिक्त उनके पास कोई मार्ग नहीं बचता है | आर्थिक दुर्व्यवहार निम्न प्रकार हैं-
- महिलाओं को पैतृक सम्पत्ति में हिस्सा न मिलना और यदि वे लेती भी हैं तो हेय दृष्टि से देखा जाता है ।
- महिलाओं को चाहे वे दिहाड़ी मजदूर हों या सिने तारिकायें हों, पुरुषों के समान वेतन न मिलना ।
- आर्थिक निर्णयों को लेने में महिलाओं की उपेक्षा करना ।
- अपनी कमाई खर्च करने में भी पिता, पति, पुत्र का मुँह देखना ।
- महिलाओं की आवश्यकताओं, बीमारी तथा जीवन की गुणवत्ता पर व्यय न किया जाता ।
6. धार्मिक दुर्व्यवहार – स्त्रियों के साथ धार्मिक क्रियाकलापों, धार्मिक स्थलों तथा धार्मिक रीति-रिवाजों और क्रियाओं में भेदभावपूर्ण व्यवहार किया जाता है, जैसे पिण्डदान, यज्ञ, अन्तिम संस्कार इत्यादि कृत्यों तथा कुछ पूजा स्थलों पर भी महिलाओं को अन्दर जाने की अनुमति नहीं प्रदान की जाती है। धार्मिक दुर्व्यवहारों की पहचान इस प्रकार की जा सकती है—
- धार्मिक स्थलों पर भेदभाव ।
- धार्मिक क्रियाकलापों में पुरुषों की प्रधानता ।
- धार्मिक क्रियाओं तथा धर्म को मानने की स्वतन्त्रता न होना ।
- पिता या पति के धर्म को मानने की बाध्यता ।
7. सांस्कृतिक दुर्व्यवहार — स्त्रियों को भारतीय संस्कृति में पुरुषों के समान महत्त्व नहीं दिया जाता है । यहाँ की संस्कृति पुरुष प्रधान’ रही है, अतः सांस्कृतिक संरक्षण और परिवर्तनों में भी पुरुषों की उत्तरजीविता स्वीकार की जा सकती है। सांस्कृतिक दुर्व्यवहारों की पहचान अग्र प्रकार की जा सकती है-
- सांस्कृतिक संरक्षण तथा हस्तान्तरण में उनकी भूमिका स्वीकार न करना ।
- सांस्कृतिक कार्यक्रमों में प्रमुखता न देना ।
- सांस्कृतिक संक्रमण के कारण भी स्त्रियों के साथ दुर्व्यवहार की घटनायें सामने आती हैं ।
8. राजनैतिक दुर्व्यवहार — स्त्रियों को राजनीति के क्षेत्र में भी भेदभावपूर्ण व्यवहार का सामना करना पड़ता है जिससे उनकी छवि को धूमिल किया जाता है। राजनैतिक दुर्व्यवहार की पहचान निम्न प्रकार की जा सकती है –
- राजनीति में स्त्रियों का आना हेय समझा जाना ।
- राजनीति में भी पुरुषों की प्रधानता और श्रेष्ठता का भाव होना ।
- राजनीति में स्त्रियों के साथ शोषण तथा अत्याचार ।
- राजनेता वोट की ओछी राजनीति हेतु स्त्रियों को हथियार बनाते हैं ।
- राजनेताओं द्वारा अपने पद तथा प्रतिष्ठा का दुरुपयोग कर स्त्रियों के अधिकारों का हनन ।
- राजनैतिक गठजोड़ में स्त्रियों का प्रयोग करना ।
- बड़ी-बड़ी बातें करना, महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए, परन्तु उन्हें टिकट प्रदान न करना ।
- राजनीति में आने वाली स्त्रियों को चारित्रिक रूप से कमजोर आँकना तथा उनकी छवि धूमिल करने के लिए प्रयास करना ।
- राजनीति में पदार्पण करने वाली स्त्रियों का अन्य व्यक्तियों के साथ सम्बन्ध इत्यादि निजी मामलों का दुष्प्रचार |
- राजनैतिक उन्नति के बहाने स्त्रियों के साथ अभद्र व्यवहार ।
लैंगिक दुर्व्यवहार वर्तमान में बढ़ते ही जा रहे हैं । मानव के जीवन में सूचना क्रान्ति के द्वारा एक नवीन युग का सूत्रपात हुआ, परन्तु इसका उपयोग भी महिलाओं को बदनाम करने के लिए किया जा रहा है । कई मामलों में बालिकाओं को उनमें सन्देश तथा फोटो सार्वजनिक करने की धमकी देकर, डराकर दुर्व्यवहार किया जाता है । सत्य है कि इन तकनीकों का प्रयोग महिलाओं की सुरक्षा और बेहतर के लिए भी किया जा रहा है, परन्तु बुराई के लिए अधिक । एक महिला जब किसी भी प्रकार के लैंगिक दुर्व्यवहार और हिंसा का शिकार होती है तो उसे उस लिंग से घृणा तथा भय व्याप्त हो जाता है । दिल्ली जो हमारे देश की राजधानी है, वहाँ के निर्भया काण्ड ने पूरे भारत को शर्मसार कर दिया, जबकि अनेक ऐसें लोग हैं जो पुरुष होते हुए भी महिलाओं की सहायता और सुरक्षा करते हैं, परन्तु इन बुरी घटनाओं से मन इतना आहत होता है कि ये दुःस्वप्न की भाँति छा जाते हैं। लैंगिक दुर्व्यवहार तथा हिंसा के मामलों में केवल पुरुष ही नहीं, स्त्रियाँ भी सहयोग करती हैं । लैंगिक दुर्व्यवहार उम्र, जाति, स्थान इत्यादी से परे है। कभी किसी चार वर्ष की बच्ची तो कभी साठ साल की वृद्धा के साथ भी दुर्व्यवहार की खबरें आती हैं । घर तथा बाहर कहीं भी स्त्रियाँ सुरक्षित नहीं है । अतः लैंगिक दुर्व्यवहार तथा हिंसा के प्रति जनजागरण लाना आवश्यक है, क्योंकि कोई महिला है इसलिए वह प्रताड़ित होती रहे और पुरुष होने के नाते उस पर अत्याचार करता है, यह स्थिति अमानवीय तथा भयावह है। अपने भावी पीढ़ियों को अगर हमें स्वस्थ समाज देना है तो इन दुर्व्यवहारों को समाप्त करना होगा तभी हम सभ्य तथा मनुष्यता की श्रेणी में आ पायेंगे ।
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