लोकतंत्र में विपक्षी दलों की भूमिका का विस्तार से विवेचन कीजिए।
प्रश्न – लोकतंत्र में विपक्षी दलों की भूमिका का विस्तार से विवेचन कीजिए।
उत्तर – लोकतंत्र की सफलता के लिए यह आवश्यक है कि एक संगठित विपक्षी दल का होना अति आवश्यक है। भारत का यह दुर्भाग्य है कि ब्रिटेन और अमेरिका की तरह यहाँ कोई विरोधी दल नहीं है। जो अकेले अपनी सरकार बनाने में सफल हो सके। भारत में राजनीतिक दलों के ध्रुवीकरण की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा सका। जयप्रकाश जी के प्रयास से 1977 के चुनाव में पहली बार विपक्ष ने जनता पार्टी के रूप में उभरकर सत्ता प्राप्त की। 1983 में भारतीय जनता पार्टी और लोकदल द्वारा राष्ट्रीय लोकतांत्रिक मोर्चा तथा जनता पार्टी, लोकतांत्रिक समाजवादी दल और राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा गठित संयुक्त मोर्चा बना।
1996 के बाद लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी एक सशक्त दल के रूप में उभरकर सामने आया। 2004 में कई दलों को मिलाकर एक संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन बना और केन्द्र में इसी की सरकार बनी। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्ववाले गठबंधन (राजग) के सत्ता में आने के बाद कोई भी दल विरोधी दल का दर्जा पाने में असमर्थ रहा। इसलिए भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में लोकतंत्र को सफल होने के लिए विपक्षी दल को होना अनिवार्य हैं।
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