वैयक्तिक विभिन्नता के अर्थ एवं स्वरूप की विवेचना करें।

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प्रश्न – वैयक्तिक विभिन्नता के अर्थ एवं स्वरूप की विवेचना करें।
(Discuss the meaning and nature of individual differences.)

उत्तर- प्रकृति का नियम है कि सम्पूर्ण संस्कार में कोई भी दो व्यक्ति पूर्णतया एक जैसे नहीं हो सकते। उनमें कुछ न कुछ भिन्नता अवश्य होगी। यहाँ तक कि जुड़वाँ बच्चे शक्ल-सूरत से तो हू-ब-हू एक दिख सकते हैं लेकिन उनके स्वभाव, बुद्धि, शारीरिक मानसिक तथा संवेगात्मक विकास में पर्याप्त भिन्नता होती है। यह व्यक्तिगत भिन्नता मनुष्यों में ही नहीं बल्कि जानवरों तक में पाई जाती है। ये व्यक्तिगत विभिन्नताएँ कई प्रकार की हो सकती हैं। रंग, रूप, आकार, बुद्धि आदि अनेक बातें व्यक्तिगत भिन्नता को स्पष्ट करने में सहायक होती हैं। प्राचीन काल से ही बालक की आयु व बुद्धि के अनुसार उसे शिक्षा दी जाती है। बालक जब छोटा होता है तो उसे सरल बातें सिखाई जाती हैं और जैसे-जैसे वह बड़ा होता जाता है उसे कठिन बातें सिखाई जाती हैं। वर्तमान युग में व्ययक्तिगत विभिन्नताओं का बहुत महत्त्व है तथा इस प्रत्यय का सबसे पहले प्रयोग फ्रांसीसी मनोवैज्ञानिक गाल्टन महोदय ने किया।

स्किनर — “व्यक्तिगत विभिन्नताओं से हमारा तात्पर्य व्यक्तित्व के उन सभी पहलुओं से हैं जिनका मापन व मूल्यांकन किया जा सकता है।”

“Today we think of individual differences as including any measurable aspect of the total personality.”

जेम्स ड्रेवर– “कोई व्यक्ति अपने समूह के शारीरिक तथा मानसिक गुणों के औसत से जितने भिन्नता रखता है, उसे व्यक्तिगत भिन्नता कहते हैं। ”

“Variations or deviations from the average of the group with respect to the mental or physical characters, occurring in the individual member of the group.”

टायलर – “शरीर के रूप, रंग, आकार, कार्य, गति, बुद्धि, ज्ञान, उपलब्धि, रुचि, अभिरुचि आदि लक्षणों में पायी जाने वाली भिन्नता को व्यक्तिगत भिन्नता कहते हैं। ”

वैयक्तिक भिन्नताओं की प्रकृति एवं विशेषताएँ
(Nature and Characteristics)
वैयक्तिक भिन्नताओं की प्रकृति एवं विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
  1. हम इस तथ्य से भली-भाँति परिचित हैं कि विश्व में कोई भी दो व्यक्ति किसी / भी दृष्टि से शारीरिक, मानसिक, सांवेगिक, सामाजिक एक समान नहीं है। व्यक्तिगत विभीन्नता के ये मुख्य आधार है।
  2. व्यक्तित्व के केवल मापन योग्य गुणों को ही वैयक्तिक भिन्नता के अन्तर्गत सम्मिलित किया जाता है जैसे—भार, ऊँचाई, बुद्धि, योग्यता, क्रोध, सामाजिकता आदि।
  3. किसी भी समूह में व्यक्तियों का झुकाव औसत अंक की ओर होता है। इसे NPC के चित्र के माध्यम से आसानी से समझा जा सकता है जो आगे दिया गया है।
  4. विभिन्न व्यक्तियों के गुणों में अन्तर उस गुण विशेष के माध्य से विचलन के रूप में जाना जाता है।
  5. कोई भी व्यक्ति किसी गुण विशेष के सन्दर्भ में औसत अंक के समीप हो सकता है। उससे कम हो सकता है और उससे अधिक भी हो सकता है।
  6. वैयक्तिक भिन्नताओं के मापन करने योग्य गुण सामान्यतः एक-दूसरे से प्रभावित रहते हैं, अधिक बुद्धिमान बालकों की शैक्षिक उपलब्धि सामान्यतः अधिक होती है।
  7. वैयक्तिक भिन्नताएँ व्यक्ति के विकास के भिन्न प्रकारों को आधार प्रदान करते हैं।

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