शैक्षिक उद्देश्यों के निर्धारण के विभिन्न प्रयास की विवेचना करें ।

प्रश्न – शैक्षिक उद्देश्यों के निर्धारण के विभिन्न प्रयास की विवेचना करें । 
उत्तर – शैक्षिक उद्देश्यों के निर्धारण के विधिवत् प्रयास उन्नीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ से शुरू हुए । इसके लिए हरबर्ट स्पेन्सर का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है । स्पेन्सर ने ‘पूर्ण जीवन की शिक्षा’ के उद्देश्यों को पाँच वर्गों में सूचीबद्ध किया ये उद्देश्य अग्र हैं –
आत्म-सुरक्षा, जीवन की आवश्यकताएँ, परिवार एवं बाल बच्चे, सामाजिक एवं राजनैतिक तथा अवकाश एवं सांस्कृतिक |
सन् 1918 ई. में अमेरिका के प्रसिद्ध शैक्षिक संगठन ‘नेशनल एजूकेशन एसोसिएशन’ (N.E.A.) ने शैक्षिक उद्देश्यों के सात मूल सिद्धांत प्रस्तुत किये जा इस प्रकार हैं –
(i) स्वास्थ्य
(ii) आधारभूत प्रक्रियाओं का नियंत्रण
(iii) व्यवसाय
(iv) सार्थक पारिवारिक सदस्यता
(v) नागरिकता
(vi) नैतिक चरित्र
(vii) अवकाश का सदुपयोग ।
इसके बाद वैज्ञानिक आंदोलन के अन्तर्गत बोबिट ने मानवीय अनुभव के व्यापक क्षेत्रों का क्रिया – आधारित विलेषण करके शैक्षिक उद्देश्यों के दस निम्नलिखित पक्ष प्रस्तावित किये –
(i) स्वास्थ्य क्रियाएँ ( Health Activities)
(ii) मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health)
(iii) सामान्य प्रायोगिक क्रियाएँ (General Practical Activities)
(iv) व्यावसायिक (Occupational)
(v) घर एवं परिवार (Home and Family)
(vi) नागरिकता (Citizenship)
(vii) धार्मिक (Religious)
(viii) सामाजिक (Social)
(ix) अवकाश (Leisure Period)
(x) सामाजिक संचरण (Social Transmission)।
स्पेन्सर, एन. ई. ए. तथा बोबिट द्वारा प्रस्तावित शैक्षिक उद्देश्यों को देखने से यह स्पष्ट है कि भले ही उनकी संख्या में अंतर है किन्तु उनमें तुलनात्मक साम्यता है । बोबिट का वैज्ञानिक विश्लेषण यद्यपि समाजशास्त्रीय था, किन्तु बाद में विद्वानों ने इसे मनोवैज्ञानिक आधार प्रदान करने का प्रयास किया ।
द्वितीय विश्वयुद्ध के काल के आस-पास शैक्षिक उद्देश्यों के निर्धारण की दिशा में जो प्रयास किये गये उनमें समाज और व्यक्ति दोनों की आवश्यकताओं पर बल दिया गया । अमेरिका में प्रगतिवादियों एवं अनिवार्यवादियों के बीच शैक्षिक उद्देश्यों के सम्बन्ध में लम्बा विवाद भी चला । उसी दौरान जॉन डीवी ने विचार प्रकट किया कि शिक्षा के लक्ष्य पहले से निर्धारित नहीं किये चाहिए क्योंकि ये जीवन की विभिन्न गतिविधियों के बीच
समस्या समाधानकारक स्थितियों के परिणाम होते हैं । डीवी के अनुसार शिक्षा प्रक्रिया का स्वयं के अतिरिक्त कोई दूसरा लक्ष्य नहीं हो सकता है ।
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