संविधान : क्या, क्यों और कैसे
संविधान : क्या, क्यों और कैसे
14-15 अगस्त 1947 की आधी रात को, हमारा देश आजाद हुआ। अब हम अपने आप यह तय कर सकते थे कि हमारी सरकार कैसी हो, कैसे चुनी जाए और देश का शासन कैसे चले । किसी देश की राजनीतिक व्यवस्था के बुनियादी सांचे – ढांचे को संविधान कहते हैं। हमारे देश का एक लिखित संविधान है। यह हमारे लंबे स्वाधीनता संघर्ष की उपज है। इसे हमने अपनी संविधान सभा में 1946-1949 के बीच बनाया । यह संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। इसी दिन से हम एक लोकतंत्रात्मक गणराज्य बन गए अर्थात, ऐसा राज्य जिसमें जनता के अपने चुने हुए प्रतिनिधियों का राज हो ।
संविधान राज्य के प्रमुख अंगों की स्थापना करता है। विधानपालिका यानी संघ की संसद तथा राज्यों की विधान सभाएं कानून बनाती हैं। कार्यपालिका यानी मंत्रिमंडल कानूनों के अनुसार सरकार चलाती है। न्यायपालिका अर्थात अदालतें विवादों का निपटारा और न्याय करती हैं। संविधान इन प्रमुख अंगों के अलग अलग अधिकार क्षेत्रों और आपस के तथा जनता के साथ संबंधों की व्याख्या करता है। राज्यों और भारत संघ के बीच संबंधों का स्पष्टीकरण करता है। उनके बीच शक्तियों का बंटवारा करता है तथा परस्पर अधिकारों के दायरे में बांधता है। 1992 में हुए ताजा संविधान संशोधनों के बाद स्थानीय निकायों अर्थात ग्राम पंचायतों, जिला परिषदों और नगरपालिकाओं के अधिकार और कार्य क्षेत्र भी संविधान में ही दे दिए गए हैं ।
पंचायतों से लेकर पार्लियामेंट अथवा संसद तक और पंचायत अध्यक्ष से लेकर राष्ट्रपति तक सभी संविधान से बंधे हैं। संविधान के अनुसार ही देश का सारा शासन तंत्र चलता है। इसलिए प्रत्येक भारतवासी के लिए जरूरी है, कि वह अपने संविधान के बारे में जाने। यह क्या है, क्यों है, कैसे चलता है। इसके अनुसार हमें क्या अधिकार मिलते हैं। हमारे क्या कर्तव्य बनते हैं। हर संविधान की सफलता उसे चलाने वाले लोगों के आचरण पर निर्भर होती है। लोकतंत्र में संविधान को सही प्रकार चलाने की जिम्मेदारी हर नागरिक की होती है ।
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