समाजीकरण की विशेषताओं पर प्रकाश डालें।
प्रश्न – समाजीकरण की विशेषताओं पर प्रकाश डालें।
उत्तर – समाजीकरण की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं —
1. समाजीकरण सीखने की प्रक्रिया – जन्म के समय शिशु न तो सामाजिक होता है और न ही असामाजिक । किन्तु जन्म के बाद वह समाजीकरण से सम्बद्ध बातों को सीखना प्रारम्भ कर देता है और माता-पिता, परिजनों, पास-पड़ोस के लोगों के सम्पर्क में आकर खेल के साथियों के साथ रहकर वह समाजीकरण को सीखते हैं और धीरे-धीरे जैसे समाज उसको मिलता है उसी के अनुरूप समाजीकरण का सीखना जारी रहता है ।
2. जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया – समाजीकरण की प्रक्रिया जीवन भर चलती रहती है इस समय समाज का जो स्वरूप होता है। उसी से व्यक्ति का समन्वय होते रहना जरूरी होता है। सामाजिक मान्यताएँ और विचारधाराएँ परिवर्तनशील होती है तथा व्यक्ति को भी इसके साथ अपने में बदलाव लाना पड़ता है। समय-समय पर व्यक्ति की भूमिका भी बदलती जाती है तथा जिम्मेदारियों के स्वरूप भी बदलते रहते हैं।
3. संस्कृति को सीखने की प्रक्रिया – व्यक्ति अपने परिवार, समूह और समाज की संस्कृति को समझता है तथा पीड़ी-दर-पीड़ी हस्तान्तरित करता है वह सामाजिक मूल्यों, नियमों, सिद्धान्तों और संस्कारों को भी सीखता व अमल करता चलता है।
4. समय और स्थान की प्रक्रिया – समय एवं स्थान परिवर्तन से सामाजिक मान्यताओं तथा मूल्यों में अन्तर होता है। जो बातें पाश्चात्य संस्कृति में अनुज्ञापित हैं वे यहाँ प्रचलित नहीं होती हैं। साथ ही स्थान विशेष की मान्यताओं और मूल्यों में समय के साथ-साथ बदलाव आते रहते हैं। जो कार्य पहले अस्वीकार्य थे अब स्वीकार्य हैं जैसे पहले लड़कियों को पढ़ाना, नौकरी कराना अस्वीकार्य था, लेकिन समय के बदलने के साथ-साथ स्वीकार्य हो गया है।
5. व्यक्ति का स्वयं विकसित होना – इसमें व्यक्ति स्वयं ही प्रेरित होता है तथा अपने विकास की ओर स्वयं ही विकसित होता है।
6. संस्कृति का स्थानान्तरण – इससे व्यक्ति अपनी संस्कृति, मूल्यों, आदर्शों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक किसी विशेष मान्यता के माध्यम से स्थानान्तरित करता है ।
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