सामाजिक व्यवहार के अध्ययन की विधियों की विवेचना करें।

प्रश्न – सामाजिक व्यवहार के अध्ययन की विधियों की विवेचना करें। 
उत्तर- बच्चों के सामाजिक व्यवहारों का अध्ययन करने की कई विधियाँ हैं, किन्तु जितनी विधियों का आर्विभाव हुआ है, उनमें से एक भी अच्छी नहीं। यदि एक साथ कई विधियों को मिलाकर अध्ययन किया जाय तो अध्ययन सफल हो सकता है-
1. विशिष्ट जीवन वर्णन विधि (Biographical Method)— यह बाल-मन के सामाजिक व्यवहारों का अध्ययन करने की विधि है जिसमें माता-पिता या अविभावक बच्चे के जीवन का क्रमबद्ध अध्ययन करते हैं। इसी आधार पर अध्ययनकर्ता इस जीवन वर्णन का अध्ययन करते हैं। यद्यपि यह विधि- पूर्णरूपेण सही नहीं किन्तु इसने बच्चों के भावों एवं प्रतिक्रियाओं का अध्ययन करने की एक जमीन जरूर तैयरा कर दी है।
2. प्रयोगात्मक विधि (Experimental Method)– बच्चों के सामाजिक व्यवहारों का अध्ययन करने के लिए अब प्रयोगात्मक विधि का सहारा लिया जाता है। इसमें नियंत्रित परिस्थितियों में बाल-व्यवहार का अध्ययन किया जाता है। किसी कथन की सत्यता जानने के लिए इस विधि का प्रयोग विशेष रूप से किया जाता है। किन्तु इस विधि का प्रयोग करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे को कुछ भी पता न चले कि उनकी जाँच की जा रही है, कुछ भी अस्वाभाविक नहीं होना चाहिए। सभी व्यक्ति इस विधि का प्रयोग अच्छी तरह नहीं कर पाते। इसके लिए अध्ययनकर्त्ता को बहुत ही निपुणता एवं सावधानी से काम लेना चाहिए।
3. परीक्षण विधि (Testing Method) — बच्चों के सामाजिक व्यवहारों के अध्ययन एवं अभियोजन की पूर्ण जानकारी के लिए मनोवैज्ञानिकों ने कई परीक्षण विधियों का निर्माण किया है। रोजनर का एक परीक्षण है कि उन्होंने एक बच्चे से अपने क्लास के एक शैतान या उदंड या विनम्र विद्यार्थी के विषय में सोचने के लिए कहा और उसने जो भी उत्तर दिया, उसी के आधार पर अध्ययनकर्त्ता को बच्चे के गुण-दोष, ख्यालों, आकांक्षाओं का पता चल जाता है। कई बार मौखिक खाका या शब्द – चित्र बनाकर बच्चे को उसके विषय में बताने के लिए कहा जाता है। इस तरह से बच्चे के सामाजिक पहलुओं को जाना जाता है । यह पद्धति विदेशों में अधिक प्रचलित है।
4. मूल्यांकन विधि (Rating Method) — इस विधि में बच्चों के सामाजिक को जानने हेतु दो तीन बच्चों को ऐसी परिस्थिति में रखा जाता है जहाँ वे स्वाभाविक ढंग से प्रतिक्रिया करते हैं। वहाँ दूर से बच्चों को स्वाभाविक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। कभी कभी कई अध्ययनकर्त्ता एक ही साथ उन बच्चों का अध्ययन करते हैं और एक दूसरे के अध्ययनों का मूल्यांकन कर निश्चित निष्कर्ष पर पहुँचते हैं।
5. अभिव्यंजित कौशल्य विधि ( Expressive Technique)– सामाजिकता का अध्ययन उन सभी परिस्थितियों में हो सकता है जहाँ बच्चे अपने स्वाभाविक व्यवहार करते हैं। अध्ययन हेतु उनके खेल, बातों, लेखनों, चित्रों आदि को देखकर अनुमान लगाते हैं। जिस बच्चे का सामाजिक अभियोजन जैसा होता है, उसी के अनुरूप वह व्यवहार क है। इस विधि के अध्ययन में बहुत अनुभव एवं दक्षता की जरूरत होती है।
6. मोरेनो विधि (Sociometry ) — मोरेनो के नाम पर ही इस विधि का नाम मोरेनो विधि रखा गया है। उनका ऐसा मत है कि व्यक्ति विशेष को समुदाय तथा समुदाय को उसके निर्माणकर्त्ता विभिन्न व्यक्तियों के प्रसंग में ही सही तरीके से समझा जा सकता है। इसके द्वारा बच्चों के सामाजिक समुदाय को जान सकते हैं। छोटे बच्चे के व्यवहार का अध्ययन तो समूह में की गई स्वाभाविक प्रतिक्रियाओं के आधार पर किया जाता है किन्तु बड़े बच्चे के व्यवहार का अध्ययन बड़े बच्चें के समूह में ही किया जा सकता है। यह विधि अत्यंत कठिन है और बच्चों के प्रश्नोत्तर प्रश्नों के अधार पर ही होते हैं। अभी इस विधि का प्रयोग करने में बहुत कठिनाई होती है किन्तु ऐसी उम्मीद है कि शीघ्र इसमें कुछ सुधार किए जाएँगे इस विधि का प्रयोग सरलता एवं सफलतापूर्वक किया जा सकेगा। और वाले कारकों की विवेचना करें।
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