सीखने की प्रक्रिया में सोपान पर प्रकाश डालें ।
प्रश्न – सीखने की प्रक्रिया में सोपान पर प्रकाश डालें ।
(Throw light on the steps in the learning Process.)
उत्तर – सीखना एक सतत्, व्यापक एवं जीवन पर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है । सीखना एक साथ ही नहीं हो जाता है वरन् सीखने के लिए विभिन्न अनुभवों को एकत्रित करना पड़ता है । सम्पूर्ण अनुभव अनेक क्रियाओं तथा उपक्रियाओं से बनता है । सीखने की प्रक्रिया के सोपानों का सम्बन्ध मिलर तथा डोलार्ड ने निम्न प्रकार वर्णन किया है । “सीखने के लिए व्यक्ति को किसी वस्तु की आवश्यकता अनुभव होनी चाहिए, उसे कुछ देखना चाहिए, उसे कुछ करना चाहिए और अन्त में उसे कुछ प्राप्त करना चाहिए । “
सीखने की प्रक्रिया को निम्न चित्र द्वारा भी प्रदर्शित किया जा सकता है—

सीखने की प्रक्रिया के सोपानों का संक्षेप में वर्णन किया जा रहा है –
- अभिप्रेरणा (Motivation ) – मनुष्य का प्रत्येक कार्य जिसे वह करना चाहता है किसी न किसी अभिप्रेरणा से संचालित होता है। व्यक्ति की बहुत सी आवश्यकताएँ होती हैं। ऐसी आवश्यकतायें जिनकी सन्तुष्टि नहीं हो पाती है वह उनकी सन्तुष्टि करने के लिए प्रयत्न करता है । इनकी पूर्ति के लिए उसमें प्रेरक उत्पन्न हो जाता है तथा व्यक्ति अत्यधिक क्रियाशील हो जाता है। अभिप्रेरणा ही उसे उद्देश्य की ओर ले जाती है तथा व्यक्ति उस भाव हम प्रयोजन से प्रेरित होकर क्रिया करने को बाध्य हो जाता है ।
- उद्देश्य ( Goal) — सीखना एक लक्ष्य प्रेरित क्रिया है। व्यक्ति का व्यवहार प्रयोजन से पूर्ण होता है । वह अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एक निश्चित उद्देश्य की ओर व्यवहार करने लगता है । उद्देश्य निर्धारित हो जाने पर उसके व्यवहार की दिशा स्पष्ट एवं निश्चित हो जाती है । मानव उस क्रिया को सीखना नहीं चाहता जो उसकी आवश्यकता तथा उद्देश्य की पूर्ति नहीं करती ।
- बाधा (Barrier) — उद्देश्य की प्राप्ति करने के लिए बाधा उपस्थित न होने पर व्यक्ति को कोई नया अनुभव प्राप्त नहीं होता है । बाधा के आ जाने पर व्यक्ति अनेक प्रकार के सम्भावित व्यवहार करता है । वह प्रयत्न एवं भूल, सूझ अथवा तर्क के द्वारा उपर्युक्त व्यवहार को खोज निकालता है ।
- विभिन्न संभावित अनुक्रियाएँ (Various Exploratory Responses)—बाधा उत्पन्न होने पर मानव समस्त परिस्थिति की खोज करता है। वह अनेक सम्भावित क्रिया व प्रतिक्रियाएँ करता है तथा इस सबके लिए वर्ष जिनकी, सूझ, प्रयत्न तथा भूल आदि का सहारा देता है ।
- पुनर्बलन (Reinforcement) — यदि कोई अनुक्रिया आवश्यकता की पूर्ति में सफलता प्रदान करती है तो वह अनुक्रिया संतोषजनक एवं सुखदायक होती है, साथ ही वह अनुक्रिया पुनर्बलित हो जाती है। अन्य सभी असफल अनुक्रियाओं को व्यक्ति भुला देता है तथा भविष्य में आवश्यकता पड़ने पर सफल क्रिया की पुनरावृत्ति करता है ।
- संगठन (Integration ) — सीखना, उचित एवं सफल अनुक्रियाओं का चुनाव एवं संगठन है । प्रत्येक प्रकार की सीखने की क्रिया में प्रगति के साथ ही मानसिक संगठन भी होता रहता है। अधिगम की क्रिया के विभिन्न अंगों का संगठन नवीन ज्ञान को पूर्व ज्ञान से जोड़ने के लिए किया जाता है । इससे नवीन अनुक्रिया उसके ज्ञान का एक अंग बन जाती है ।
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