सेक्स और जेंडर’ में भेद कीजिए । असमान जेंडर भूमिकाओं को सीखने में परिवार की भूमिका की विवेचना करें ।

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प्रश्न – सेक्स और जेंडर’ में भेद कीजिए । असमान जेंडर भूमिकाओं को सीखने में परिवार की भूमिका की विवेचना करें । 
उत्तर – सेक्स (यौन) मनुष्य की मूल प्रवृत्ति का अंग है। यदि स्त्री-पुरुष की संकल्पना न होती तो लिंगीय और यौन मुद्दे नहीं होते। तब सृष्टि का पहिया भी नहीं चलता । विवाह करना तथा सन्तानोत्पत्ति करने हेतु आश्रम चतुष्ट्य के अन्तर्गत गृहस्थ आश्रम की व्यवस्था की गई तथा इस आश्रम को अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया । इसी प्रकार पुरुषार्थ के अन्तर्गत धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया । जिस प्रकार मनुष्य को जीने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है उसी प्रकार उसकी जैवकीय आवश्यकता की पूर्ति के लिए सेक्स की आवश्यकता होती है । सेक्स के कारण ही जीवों में पुनरुत्पादन की प्रक्रिया आरंभ होती है । इस प्रकार कहा जा सकता है कि सेक्स जीवों की महत्वपूर्ण आवश्यकता है।
लिंग से तात्पर्य स्त्री व पुरुष में विभेद से है । लिंग को वैयाकरणों द्वारा यह कहकर परिभाषित किया गया है कि जिससे किसी के स्त्री या पुरुष होने का बोध हो उसे लिंग कहते हैं ।
जैविक रूप में लिंग को परिभाषित करते हुए कहा जा सकता है कि जब स्त्री और पुरुष के XX गुणसूत्र मिलते हैं तब बालिका और जब स्त्री पुरुष के XY गुणसूत्र मिलते हैं तो बालक का जन्म होता है । लिंग एक परिवर्तनशील धारणा है जिसमें एक ही संस्कृति, जाति, वर्ग तथा आर्थिक परिस्थिति और आयु में एक संस्कृति से दूसरी संस्कृति तथा एक सामाजिक समूह से दूसरे सामाजिक समूह में भिन्नताएँ होती है।

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