स्पेन में इस्लाम ( Islam in Spain)

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स्पेन में इस्लाम ( Islam in Spain)

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यूरोप के अन्तर्गत इस्लामी साम्राज्य के उत्कर्ष में स्पेन की महत्वपूर्ण भूमिका थी। अतः स्पष्ट है कि स्पेन में इस्लामी सभ्यता का विकास पहले हुआ । हिजरी की पहली सदी में अरब साम्राज्य ने सम्पूर्ण उत्तरी अफ्रीका पर अधिकार कर लिया था। उत्तरी अफ्रीका को अरबों ने सिर्फ जीता ही नहीं, बल्कि हमेशा के लिए उस पर अपनी सत्ता भी कायम कर ली। 709 ई. तक इस नये अधिकृत राज्य के उमैयद प्रान्तीय शासक मूसा इब्न नुसैर ने मोरक्को की बर्बर जाति को अपने अधीन कर लिया। आईबेरियन प्रायद्वीप की विजय में मूसा ने सेउता के बैजेन्टीनी गवर्नर काउन्ट जालियन का सहयोग प्राप्त करने का भरोसा प्राप्त कर लिया ।
जब अरबों ने उत्तरी अफ्रीका और मोरक्को पर अपना अधिकार कर लिया, तब स्पेन में प्रतापी विसीगीथी शासक रोडेरिक शासन कर रहा था । वह खुद एक अपहरणकर्ता था परन्तु राज्य में उसकी स्थिति निष्कंटक नहीं थी। उसने विसीगोथिक राज्य के स्वाभाविक उत्तराधिकारी, एशीला को पदच्युत कर राज्य पर कब्जा किया था। अतः एशीला और उसके समर्थक विसीगोथी राज्य पर किसी भी बाह्य आक्रान्ता का स्वागत करने को तत्पर थे । फिर रोडेरिक निरंकुश तरीके से प्रजा पर शासन करता था । वह एक क्रूर शासक था । अत्याचारी एवं निरंकुश सामन्तों से प्रजा पीड़ित थी । विसीगोथी शासकों की धर्मान्धता एवं अनुदारता से राज्य के अल्पसंख्यक किन्तु प्रभावशाली यहूदी जाति असंतोष की ज्वाला में झुलस रही थी। चर्च का धार्मिक महत्व केवल दिखावा था सच तो यह था, कि बोलबाला था ।
जुलियन ने मूसा को यह दिखाया देने का सफलता हुआ कि इस समय स्पेन पर आसानी से अधिकार किया जा सकता है किन्तु अभी इस संदर्भ में दमिश्क से मूसा को कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ था। मूसा को ठीक इससे विपरीत खलीफा वालिद ने इस प्रकार की कोई योजना न बनाने का आदेश दिया था। परन्तु, बर्बरों को कार्यरत रखने के उद्देश्य से मूसा ने अबू-जूरा तारिफ के नेतृत्व में सेना की एक छोटी टुकड़ी को आक्रमण के लिए भेज दिया। 710 ई. में पाँच सौ सैनिकों के साथ तारिफ समुद्र पार कर एक स्थल पर पहुँचा।
बर्बरों का सात सैनिक का एक समूह तारीक इन-जियाद की अगुवाई में इस उद्देश्य से दूसरे वर्ष जलडमरूमध्य के उस पार भेजा गया। जब तारिफ अथवा जिब्राल्टर पर इस्लामी सेना द्वारा कब्जा कर लिया गया, इसी बीच मूसा ने और भी सैनिकों को तारीक की सहायता हेतु भेज दिया था। तारीक की सेना में 12 हजार सैनिक शामिल थे, जिन्हें साथ लेकर रोडेरिक का सामना करने के लिए उसने आगे की ओर प्रस्थान किया। 19 जुलाई, 711 ई. को बारबाते नदी के मुहाने पर जनदा नामक स्थान पर दोनों सेनाएं आमने-सामने खड़ी होंगी और दोनो सेनाओं के मध्य युद्ध प्रारंभ हो गया और अन्त में रोडेरिक की पराजय हो गयी।
रोडेरिक पर विजय प्राप्त करने के बाद तारीक विसीगोथी टोलेडो और स्पेन पर अधिकार करने चल पड़ा। उसने अपनी सेना को कई टुकड़ियों में बांटकर उसके प्रमुखों को अलग-अलग क्षेत्रों पर हमला करने का आदेश दिया। इस प्रकार आर्चीनोडा (Archinoda), एलवीरा (Elvira) कोडोंवा (Cordova), मलागा (Malaga), एसीजा (Eclija) आदि पर जल्द ही इस्लामी सेना ने अधिकार कर लिया। विसीगोथी की राजधानी टोलेडी पर भी तारीक का आधिपत्य स्थापित हो गया। तारीक ने करीब आधे स्पेन पर कुछ ही महीनों में अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया। तारीक की अद्वितीय सफलता और बढ़ते हुए प्रभाव से मूसा सशकित हो उठा। अब वह अपनी विशाल सेना का प्रतिनिधित्व खुद करने लगा तथा 713 ई. में टोलेडो जा पहुंचा। उसने तारीक को आदेशों का उल्लंघन कर अभियान जारी रखने का दोषी ठहराया और जंजीर में जकड़कर उस पर कोड़े बरसाये। उसे उस दौरान इस बात की जानकारी नहीं थी कि भगवान ने उसके लिए भी भविष्य के हाथों अवज्ञा के लिए इसी प्रकार की सजा का विधान रच रखा था।
इस प्रकार स्पेन को खलीफा साम्राज्य का एक अभिम्न अंग बना दिया गया। अरबों ने स्पेन का नया नामकरण अंडालुसि किया। इस क्षेत्र का शासनाधिकार मूसा ने अपने द्वितीय पुत्र अब्दुल अजीज को दे रखा था। उसे अब इस प्रायद्वीप के थोड़े बहुत उत्तरी एवं पूर्वी क्षेत्रों को जीतना ही रह गया था। उसे अपने क्षेत्र पर कब्जा करने में ज्यादा वक्त नहीं लगा। उसने अपने पिता द्वारा प्रारंभ किये गये स्पेन विजय के अधूरे कार्य को व्यावहारिक रूप प्रदान किया।
सर्वप्रथम अरबों ने धार्मिक उदारता की नीति का पालन स्पेनवासियों के लिए किया था। विसीगोथिकों से त्रस्त यहूदियों ने मुक्तिदाता के रूप में मुसलमानों का स्वागत किया। कोडर्डोवा, मलागा, ग्रानाडा, सेविले और ओलेडो जैसे शहरों का शासन भार स्थानीय यहूदियों को ही सौंप दिया गया। धर्म के प्रति वे बिल्कुल स्वतंत्र थे। केवल जजिया कर उन्हें देना पड़ता था। स्पेन के ईसाइयों के साथ मुसलमान विजेताओं ने भी दरियादिली दिखाई एवं उदारता से पेश आए। मुसलमानों द्वारा चर्च के न्याय संबंधी संगठन का बिल्कुल भी विरोध नहीं किया गया था। इस बात से सात वर्षों के अंदर इस्लाम द्वारा स्पेन विलय का इतिहास पूरा हुआ और अतः स्पेन इस्लामिक साम्राज्य का एक हिस्सा बन गया।
स्पेन में इस्लाम की सफलता के कारण-स्पेन में इस्लाम की सफलता के अनेक कारण थे जिनके निम्नलिखित प्रमुख हैं
प्रथम, स्पेन दो प्रतिरोधी स्थानीय जातियों की आपसी वैमनस्यता, द्वेष, ईर्ष्या एवं संघर्ष की ज्वाला में झुलस रहा था। शुरुआत में स्पेन में स्पेनी रोमनों का शासन था। स्पेन में विसीगोथिकों का प्रवेश पांचवीं शताब्दी के प्रारंभिक काल में हुआ। दोनों के मध्य युद्ध होने का एकमात्र कारण था अपनी-अपनी सत्ता स्थापित करना । अन्ततोगत्वा विसीगोथिकों ने स्पेन पर अपनी निरंकुश सत्ता की स्थापना कर ली। किंतु, स्पेनी रोमनों की शक्ति भी पूरी तरह से नहीं दबायी जा सकी। वे हृदय से विसीगोथिकों के विरोधी बने रहे। इससे स्पेन की शक्ति का अवश्य ही नाश हुआ होगा। साथ ही अप्रत्यक्ष रूप से स्पेनी रोमनों ने आक्रान्ताओं का साथ भी दिया। इस हालत में भी जब इस्लाम को जीत हासिल हुई, इससे आश्चर्यचकित नहीं हुआ जा सकता है।
द्वितीय, स्पेन में यहूदी भी बड़ी संख्या में बसे हुए थे। विसीगोथिक शासक उन्हें भिन्न-भिन्न तरह से प्रताड़ित करने लगा तथा उनकी धार्मिक स्वतंत्रता का भी अपहरण कर लिया। 612 ई. में एक राजकीय उद्घोषणा की गयी जिसमें साम्राज्य की यहूदी प्रजा के बलात धर्मपरिवर्तन का आदेश दिया गया। जिन लोगों ने ईसाई के रूप में धर्म परिवर्तन नहीं किया, उन्हें समाज से निष्कासित कर दिया गया तथा उनकी सारी संपत्ति पर भी कब्जा कर लिया गया। इस प्रकार यहूदी तात्कालिक शासन से असंतुष्ट थे और जल्द से जल्द इससे मुक्ति के लिए बेचैन हो उठे थे। इसी के परिणामस्वरूप जिन मुसलमान आक्रमणकारियों ने हमला किया था, उन्हें मुक्तिदाता भी कहा जाने लगा ।
तृतीय, खुद के स्वार्थों को लेकर सामंतों एवं शासकों के मध्य उस समय हमेशा संघर्ष हो रहा था। छठी शताब्दी के समाप्त होते ही उनकी शक्ति अपनी-अपनी जागीरों में काफी बढ़ चुकी थी । इस प्रकार केंद्रीय शक्ति के ह्रास और शासकों एवं सामंतों के आपसी संघर्ष ने स्पेनी साम्राज्य को दुर्बल बना दिया था ।
चतुर्थ, स्पेन का तात्कालिक शासक रोडेरिक गद्दी पर अपना कब्जा जमाना चाहता था। उसने विसीगोथिक राज्य के स्वाभाविक उत्तराधिकारी एशीला को पदच्युत कर गद्दी पर अधिकार कर लिया था । अतः एशीला और उसके समर्थक रोडेरिक के मध्य शत्रुता काफी बढ़ चुकी थी। एशीला ने मुसलमान आक्रमणकारियों की काफी सहायता की थी ।
पंचम, मूसा को सेउता के बैजेन्टीनी गवर्नर काउन्ट जूलियान ने सलाह एवं मदद प्रदान की। अतः धार्मिक जोश उत्पन्न होने पर ही इस्लाम धर्म की नयी खोज के प्रति अग्रसर हो गये थे तो दूसरी तरफ इस्लाम की बर्बर प्रधान सेना का निराश एवं संगठन के दोषों से युक्त स्पेनी सेना सामना करने में असमर्थ थी । इस्लाम की सफलता का महत्त्वपूर्ण कारण तारीक की योग्यता एवं उसका नेतृत्व ही था ।
पेरीनीज के पार इस्लाम का आक्रमण तथा टुअर्स का युद्ध – सपेन विजय के उपरान्त इस्लामी सेना पेरीनीज की शृंखलाओं को लांघ कर फ्रांस पर आक्रमण करने के लिए तत्पर हो उठी थी । फ्रांस और स्पेन के मध्य अंतिम अवरोध की सारगोसा के पतन के साथ खत्म हो गया किंतु, पेरीनीज को 718 ई. से पूर्व इस्लामी सेना पार न कर सकी। इसी वर्ष मूसा के तीसरे उत्तराधिकारी, अल-हर इब्न- अब्दुल रहमान अल-थकाफी ने पेरीनीज की शृंखलाओं को पार किया। लूटमार के दौरान जो भी धनराशि प्राप्त हुई थी, उसे प्राप्त करना ही आक्रमण का एकमात्र लक्ष्य था । फ्रांस के गिरिजाघरों में उन दिनों अपार संपत्ति जमा थी। साथ ही मेरोविजियन राजदरबार आपसी ईर्ष्या, फूट और कहकहों का केंद्र बना हुआ था। बाह्य आक्रमणकारी इस अवसर का लाभ लेना चाहते थे । 725 ई. तक इस्लाम की सेना बरगंडी तक प्रवेश कर गयी । किंतु, इसके बाद अरब सैनिकों के द्वारा फ्रांस में और आगे बढ़ने के सारे प्रयास फ्रांसीसियों के सशक्त प्रतिरोध के कारण असफल प्रमाणित हुए। 723 ई. टूअर्स के युद्ध में पराजय से इस्लाम की सेना ने पीछे हटना ही श्रेयस्कर समझा। अधिकांश यूरोपीय इतिहासकारों ने टूअर्स के महत्त्व को काफी अतिरंजित किया है। उनके मतानुसार इस युद्ध के बाद इस्लाम विकसित नहीं हो सका किंतु अब तक इस्लाम का विस्तार काफी हो चुका था । स्पेन तक अरब के सैनिक पहुंच चुके थे। उन दिनों जब यातायात के समुन्नत साधनों की नितांत कमी थी, पर्वतमालाएं थीं, मौसम की मार रहती थी तथा संख्या में भी अरब बहुत कम थे, वैसी स्थिति में और पश्चिम या उत्तर की ओर बढ़ना उनके लिए कठिन ही नहीं, वरन् असंभव था। इसके बाद टुअर्स पुनः पूर्वी प्रदेशों को अपने अधिकार में करने के लिए सैनिक अभियान शुरू किया।
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