स्मृति सुधार या स्मृति प्रशिक्षण पर प्रकाश डालें ।
प्रश्न – स्मृति सुधार या स्मृति प्रशिक्षण पर प्रकाश डालें ।
(Throw light on the improving memory or memory training.)
उत्तर – स्मृति-सुधार अथवा स्मृति प्रशिक्षण का तात्पर्य अच्छी स्मृति की विशेषताओं का यथासम्भव विकसित करने से हैं। यह बात उल्लेखनीय है कि स्मरण कोई शक्ति नहीं है कि उसे प्रशिक्षण द्वारा बढ़ाया जा सकता है। यह एक मानसिक प्रक्रिया है, जिसमें सुधार लाकर अच्छी स्मृति की सम्भावना बढ़ाई जा सकती है। इस सम्बन्ध में निम्नलिखित विधियों या उपायों का उपयोग किया जा सकता है—
- उपयुक्त शिक्षण विधि (Suitable Learning Methods) — स्मृति या धारणा में सुधार लाने के लिए किसी विषय को सीखते समय अनुकूल एवं उपयुक्त विधि का चयन आवश्यक है । प्रायः अविराम-विधि की अपेक्षा विराम-विधि से सीखने पर धारणा अधिक प्रबल होती है। जटिल तथा लम्बे विषय को विराम-विधि से याद करने पर धारणा प्रबल होती है, अधिक समय तक धारणा बनी रहती है तथा समय पर प्रत्यावाह्न सम्भव होता है । इसी प्रकार, विषय के स्वरूप के अनुकूल अंश-विधि तथा पूर्ण विधि से सीखने पर स्मृति में सुधार हो सकता है। स्मृति में सुधार लाने के लिए यह भी आवश्यक है कि अभिप्रेरित या साभिप्राय विधि का उपयोग किया जाए तथा प्रासंगिक विधि से बचने का प्रयास किया जाए ।
- सामग्री का संगठन (Organization of Material) – स्मरण में सुधार लाने का एक उपाय यह है कि सूचनाओं को संगठित रूप में धारण करने का प्रयास किया जाए । संगठित सामग्री से लाभ यह होता है कि इसके किसी अंश के प्रत्यावाह्न सम्भव होता है । किसी विषय को सीखते समय पुनः प्राप्ति संकेतों का उपयोग करने से अच्छी स्मृति बन जाती है । मैण्डलर ने अपने अध्ययन में पाया कि प्रयोज्य सीखी जाने वाली सामग्री में जितना ही अधिक संगठन उत्पन्न कर सका, उसका प्रत्यावाह्न उतना ही बेहतर हुआ ।
- अति-सीखना (Over Learning)–ऐटकिंसन आदि के अनुसार अति-सीखना के कारण सूचना का संचयन संसाधन पूर्ण बन जाता है, जिससे स्मृति अच्छी बन जाती है । अतः, स्मृति में सुधार लाने के लिए यह भी आवश्यक है कि विषय को अधिक मात्रा में सीखा जाए । क्रूगर के अध्ययन से इस विचार का समर्थन होता है ।
- मानसिक प्रतिमा (Mental Imagery ) – स्मृति – सुधार के लिए मानसिक प्रतिमा का उपयोग बहुत लाभप्रद होता है। किसी चीज को सीखते समय उस चीज का चित्र, मानसिक स्तर पर बन जाता है। यह मानसिक चित्र उस चीज को याद रखने तथा आवश्कतानुसार समय पर प्रत्यावाह्न करने में सहायक होता है। मानसिक चित्र या प्रतिमा जितनी अधिक स्पष्ट होती है, स्मृति उतनी ही अधिक अच्छी बन जाती है । लुरिया के अध्ययन से स्मृति-सुधार में मानसिक प्रतिमा का महत्त्व प्रमाणित होता है । बोवर के अनुसार मानसिक प्रतिमा का उपयोग करके स्मृति को एक बड़ी हद तक उन्नत बनाया जा सकता है।
- आत्म निपठन (Self Recitation)—आत्म निपठन से सीखी जाने वाली सामग्री की धारणा प्रबल बन जाती है । यदि व्यक्ति किसी विषय को थोड़े समय तक पढ़े और थोड़े समय तक उसका निपठन करे तो उसकी धारणा प्रबल बन जाएगी और वह विषय अधिक समय तक याद रहेगा । गेट्स का अध्ययन इस संदर्भ में महत्त्वपूर्ण है ।
- हस्तक्षेप – न्यूनीकरण (Interference Reduction) – किसी विषय को सीखते समय उत्पन्न बाधाओं के कारण धारणा कमजोर हो जाती है । अतः, धारणा को प्रबल बनाने के लिए बाधाओं का न्यूनीकरण आवश्यक है । विशेष रूप से स्मृति चिह्न के दृढ़ होने में अन्तर्वेशित क्रिया अधिक बाधक होती है। यथासम्भव इस बाधा से धारणा को सुरक्षित रखने का प्रयास किया जाना चाहिए। सीखने तक प्रत्यावाह्न करने के बीच विश्राम देने से यह बाधा दूर हो जाती है ।
उपर्युक्त उपायों एवं विधियों का उपयोग करके स्मृति में एक बड़ी हद तक सुधार लाया जा सकता है और अच्छी स्मृति की विशेषताएँ उपलब्ध कराई जा सकती है ।
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