Gujarat Board | Class 9Th | Hindi | Model Question Paper & Solution | Chapter – 10 भारत – गौरव (पद्य)
Gujarat Board | Class 9Th | Hindi | Model Question Paper & Solution | Chapter – 10 भारत – गौरव (पद्य)
विषय-प्रवेश
भारत संसार के प्राचीन देशों में से एक है। यहाँ के प्राचीन निवासी आर्य थे। वे वीर ही नहीं, पूरी तरह सभ्य और शिक्षित भी थे । विद्या और कला-कौशल सबमें वे प्रवीण थे। उन्होंने ही संसार को ज्ञान-विज्ञान का प्रकाश दिया। प्रस्तुत कविता में स्व. राष्ट्रकवि श्री मैथिलीशरण गुप्त ने भारत के अतीत का शानदार चित्र प्रस्तुत किया है।
कविता का सार
भू-लोक का गौरव : भू-लोक का गौरव भारत प्रकृति की पुण्य लीला – स्थली है। हमें अपने हिमालय और गंगाजल पर गर्व है। भारत ऋषियों की भूमि है। संसार में सबसे पहले उन्नति इसी देश की हुई है।
संसार का सिरमौर : भारत संसार का सबसे पुराना देश है। संसार की तरह-तरह की संपत्तियों का सबसे पहले यहीं पता चला। मानव सृष्टि का विस्तार भी यहीं से हुआ ।
विद्या, कला, कौशल में सबसे आगे : आर्य भारत के प्राचीन निवासी थे। उन्होंने ही संसार को विद्या और कला कौशल का ज्ञान दिया। हम उन्हीं आर्यों की संतानें हैं। आज देश की दशा अच्छी नहीं है, फिर भी प्राचीन सभ्यता-संस्कृति के गौरव – चिह्न अब भी यहाँ मौजूद हैं।
आर्यों की महानता : आर्यों में परोपकार की प्रबल भावना थी । उनका जीवन दूसरों की भलाई में ही बीतता था । वे महान चरित्र के कर्मवीर पुरुष थे।
कविता का अर्थ
( 1 ) भू-लोक …….. भारतवर्ष है। [1 – 4]
वह स्थान कहाँ है जिस पर संसार को गर्व है और जो प्रकृति की पवित्र क्रीड़ा – भूमि है। वह स्थान वहीं है जहाँ हिमालय पर्वत है और गंगा नदी बहती है ।
दुनिया के सभी देशों में सबसे अधिक श्रेष्ठ (उन्नत) देश कौन-सा है ? वह देश और कोई नहीं, यह ऋषिभूमि भारतवर्ष ही है ।
( 2 ) हाँ, वृद्ध भारतवर्ष …… विस्तार है। [5 – 8]
हाँ, यह बूढ़ा भारतवर्ष संसार का सर्वश्रेष्ठ देश है। प्राचीन देशों में इसके मुकाबले का दूसरा कोई देश नहीं है ।
भगवान ने संसार में वैभव के जो स्थान सबसे पहले बनाए, उनका प्रथम संग्रह (भंडार) इसी देश में हुआ । ब्रह्मा ने मानव सृष्टि का विस्तार भी यहीं से किया ।
( 3 ) यह पुण्यभूमि ……. कुछ हैं खड़े । [9 – 12]
भारतवर्ष की यह पवित्र धरती सारे विश्व में प्रसिद्ध है । इस देश के निवासी आर्य हैं। उन्होंने ही सारे संसार को सबसे पहले विद्या, कला और कौशल का ज्ञान दिया ।
यद्यपि उन आर्यों की संतानें आज बुरी दशा में हैं, फिर भी उनके महान चरित्र के कुछ निशान आज भी मौजूद हैं।
( 4 ) वे आर्य ……. सकते थे कभी ? [13 – 16]
वे आर्य ही थे जो अपने जीवन को कभी अपना नहीं समझते थे। उन्हें कभी अपने ही लाभ का मोह नहीं होता था। वे संसार का उपकार करने के लिए जन्म लेते थे, फिर वे निष्क्रिय होकर कैसे बैठ सकते थे ?
प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पाँच-छः वाक्यों में लिखिए:
( 1 ) गुप्तजी ने भारत के गौरव को किस रूप में हमारे सामने रखा है ?
उत्तर : गुप्तजी कहते हैं कि भारत प्रकृति का पुण्य लीला- स्थल है। यह ऋषियों की पावन भूमि है। भारत ही संसार का सिरमौर है । भगवान की बनाई हुई भव – भूतियों का सबसे पहला भंडार भारतवर्ष ही है। यहाँ के निवासी आर्यों की यह प्रसिद्ध भूमि है । आर्यों ने ही संसार को विद्या और कला कौशल की शिक्षा दी। इस प्रकार कवि ने भारत के गौरव को हमारे सामने रखा है।
( 2 ) भारतवासियों के बारे में गुप्तजी क्या कहते हैं ?
उत्तर : गुप्तजी के अनुसार भारतवासी आर्यों की संतानें हैं। एक समय था जब आर्य विद्या और कला कौशल में सबसे आगे थे। ज्ञान- विज्ञान के क्षेत्र में उनका कोई मुकाबला नहीं कर सकता था । परंतु उन महान आर्यों की संतान होकर भी आज भारतवासी अधोगति में पड़े हुए हैं। प्रगति की दौड़ में वे बुरी तरह पिछड़ गए हैं। फिर भी अपने महान पूर्वजों के उच्च आदर्शों को वे भूले नहीं हैं ।
( 3 ) आर्यों के उच्च चरित्र के बारे में गुप्तजी ने क्या कहा है ?
उत्तर : गुप्तजी कहते हैं कि आर्य ऊँचे आदर्शों के साथ जीवन जीते थे । परोपकार ही उनके जीवन का उद्देश्य था । दूसरों के लिए जीने में ही वे अपने जीवन की सार्थकता मानते थे । स्वार्थ की भावना से वे कोसों दूर थे। वे कर्मवीर थे। निष्क्रिय होकर बैठना वे नहीं जानते थे । इस प्रकार गुप्तजी ने आर्यों के उच्च चरित्र की प्रशंसा की है।
प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक- दो वाक्यों में लिखिए :
( 1 ) भारत को प्रकृति का लीला स्थल क्यों कहा है?
उत्तर : भारत में हिमालय के समान मनोहर पर्वत तथा गंगा जैसी पवित्र नदियाँ हैं। इसलिए इस देश को प्रकृति का लीला – स्थल कहा है।
( 2 ) भारतवर्ष को वृद्ध क्यों कहा गया है ?
उत्तर : भारत संसार का सबसे पुराना देश है। इसलिए उसे वृद्ध कहा है।
( 3 ) विधाता ने नर- सृष्टि का विस्तार कहाँ से किया है ?
उत्तर : विधाता ने नर- सृष्टि का विस्तार भारत से किया है।
( 4 ) आर्य किन-किन विषयों में आचार्य थे ?
उत्तर : आर्य सभी तरह की विद्याओं तथा कला-कौशल में आचार्य थे।
( 5 ) आर्यों की संतान आज किस स्थिति में जी रही है ?
उत्तर : आर्यों की संतान आज अधोगति में जी रही है।
( 6 ) आर्यों की क्या विशेषताएँ रही हैं ?
उत्तर : आर्य हमेशा स्वार्थ से अधिक परोपकार को महत्त्व देते हैं। वे मोह से दूर रहते हैं और निष्क्रिय रहना पसंद नहीं करते ।
( 7 ) भारत किसका गौरव है ?
उत्तर : भारत भू-लोक का गौरव है।
( 8 ) भारत किसका सिरमौर है?
उत्तर : भारत संसार का सिरमौर है।
( 9 ) भारत किसका प्रथम भंडार है ?
उत्तर : भारत भगवान की भव-भूतियों का प्रथम भंडार है ।
(10) संसार को सबसे पहले विद्या- कला और ज्ञान किसने दिया ?
उत्तर : संसार को सबसे पहले विद्या- कला और ज्ञान हमारे भारत- देश के आचार्यों ने दिया ।
प्रश्न 3. निम्नलिखित काव्य पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए :
( 1 ) वृद्ध भारतवर्ष संसार का सिरमौर है।
उत्तर : सिरमौर का अर्थ है- सरदार अथवा श्रेष्ठ चरित्रवाला नायक । प्राचीनकाल में ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में भारत सबसे आगे था । भारत ने ही दुनिया को भिन्न-भिन्न विद्याएँ सिखाईं और कला कौशल का ज्ञान दिया । इस देश ने ही संसार को सभ्यता और संस्कृति के पाठ सिखाए। आज भी हमारा देश संसार को सुख, शांति और मानवता का संदेश दे रहा है। इस क्षेत्र में दुनिया उसके नेतृत्व को सराह रही है।
( 2 ) भगवान की भवभूतियों का यह प्रथम भंडार है ।
उत्तर : भव- व-भूतियाँ अर्थात् संसार के वैभव के उपकरण । सोना, चाँदी, हीरे-मोती आदि बहुमूल्य पदार्थों का भारत ने पता लगाया । रेशमी वस्त्र बनाने की कला यहीं विकसित हुई । इस प्रकार भारत में केवल ज्ञान-विज्ञान का विकास ही नहीं हुआ, वैभव के उपकरणों का उपयोग भी यहीं से आरंभ हुआ ।
हेतुलक्षी प्रश्नोत्तर
पद्यलक्षी
1. निम्नलिखित विधान ‘सही’ हैं या ‘गलत’ यह बताइए :
( 1 ) भारत प्रकृति की पुण्य लीला-स्थली है।
( 2 ) भारत इस संसार का नूतन देश है।
( 3 ) हम अनार्यों की संतानें हैं।
( 4 ) आर्य महान चरित्र के कर्मवीर पुरुष थे।
उत्तर :
( 1 ) सही
( 2 ) गलत
( 3 ) गलत
( 4 ) सही
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक शब्द में लिखिए:
( 1 ) संसार का सबसे पुराना देश कौन-सा है ?
( 2 ) भारत के निवासी किस जाति के हैं ?
( 3 ) हमारे देश की पावन नदी कौन-सी है ?
( 4 ) आर्यों की संतान आज किस स्थिति में जी रही है?
उत्तर :
( 1 ) भारत
( 2 ) आर्य जाति के
( 3 ) गंगा
( 4 ) अधोगति में
3. निम्नलिखित प्रश्नों के साथ दिए गए विकल्पों से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए :
( 1 ) भारत के निवासी कौन हैं?
A. द्रविड
B. मंगोल
C. शक
D. आर्य
उत्तर : D. आर्य
( 2 ) आर्य किसकी मदिरा नहीं पीते थे ?
A. स्वार्थ की
B. मोह की
C. गर्व की
D. धन की
उत्तर : A. स्वार्थ की
( 3 ) आर्य क्या होकर नहीं बैठ सकते थे ?
A. साधु
B. आलसी
C. निश्चेष्ट
D. राजा
उत्तर : C. निश्चेष्ट
व्याकरणलक्षी
1. निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए :
( 1 ) हिमालय
( 2 ) गंगा
( 3 ) गिरि
( 4 ) भूमि
( 5 ) विश्व
( 6 ) मदिरा
( 7 ) निश्चेष्ट
( 8 ) उत्कर्ष
उत्तर :
( 1 ) हिमगिरि
( 2 ) भागीरथी
( 3 ) पर्वत
( 4 ) धरा
( 5 ) संसार
( 6 ) शराब
( 7 ) निष्क्रिय
( 8 ) उन्नति
2. निम्नलिखित शब्दों के विरोधी शब्द लिखिए :
( 1 ) अधोगति
( 2 ) वृद्ध
( 3 ) पुरातन
( 4 ) प्रथम
( 5 ) विस्तार
( 6 ) पुण्यभूमि
( 7 ) उत्कर्ष
( 8 ) उच्च
उत्तर :
( 1 ) उर्ध्वगति
( 2 ) युवा
( 3 ) नूतन
( 4 ) अंतिम
( 5 ) संकुचन
( 6 ) पापभूमि
( 7 ) अपकर्ष
( 8 ) निम्न
3. निम्नलिखित प्रत्येक वाक्य में से भाववाचक संज्ञा पहचानकर लिखिए:
( 1 ) मानव सृष्टि का विस्तार भी यहीं से हुआ ।
( 2 ) आज देश की दशा अच्छी नहीं है।
( 3 ) भारतवर्ष की धरती की पवित्रता सारे विश्व में प्रसिद्ध है ।
( 4 ) वे कभी अपने लाभ से मोहित नहीं होते ।
( 5 ) उपकार करनेवाले निष्क्रिय कैसे बैठ सकते हैं?
( 6 ) पराजित होने के बाद महान राजा की अधोगति हुई ।
उत्तर :
( 1 ) विस्तार
( 2 ) दशा
( 3 ) पवित्रता
( 4 ) लाभ
( 5 ) उपकार
( 6 ) अधोगति
4. निम्नलिखित प्रत्येक वाक्य में से विशेषण पहचानकर लिखिए:
( 1 ) भारत प्रकृति की पावन क्रीड़ा भूमि है।
( 2 ) मैथिलीशरण गुप्तजी ने आर्यों के उच्च चरित्र की प्रशंसा की है।
( 3 ) हिमालय भारत का मनोहर पर्वत है ।
( 4 ) भारतवर्ष में गंगा के जैसी पवित्र नदी नहीं है।
( 5 ) भारत संसार का सर्वश्रेष्ठ देश है।
उत्तर :
( 1 ) पावन
( 2 ) उच्च
( 3 ) मनोहर
( 4 ) पवित्र
( 5 ) सर्वश्रेष्ठ
5. निम्नलिखित शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए:
( 1 ) पृथ्वी पर बसा हुआ संसार
( 2 ) पवित्र क्रीड़ा भूमि
( 3 ) मन को हरनेवाला
( 4 ) आदर्श आचरण करनेवाला
( 5 ) केवल अपना स्वार्थ देखनेवाला
उत्तर :
( 1 ) भू-लोक
( 2 ) लीला – स्थल
( 3 ) मनोहर
( 4 ) आचार्य
( 5 ) स्वार्थ – रत
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