Gujarat Board | Class 9Th | Hindi | Model Question Paper & Solution | Chapter – 18 अँधेरी नगरी (गद्य)

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Gujarat Board | Class 9Th | Hindi | Model Question Paper & Solution | Chapter – 18 अँधेरी नगरी (गद्य)

विषय-प्रवेश

अँधेरी नगरी का अर्थ है ऐसा शहर जहाँ अज्ञान का बोलबाला है। वहाँ न कोई कायदा है और न कोई कानून । वहाँ अच्छे-बुरे और सच-झूठ में कोई अंतर नहीं है। राजा और प्रजा दोनों मूर्ख हैं। सभी चीजें एक ही भाव में बेची जाती हैं। एक महंत और उनके दो शिष्य इस अँधेरी नगरी में आ पहुँचते हैं, उन्हीं के अनुभव इस एकांकी में दिखाये गए हैं।

पाठ का सार

महंत और शिष्य : एक महंत अपने दो शिष्यों के साथ अँधेरी नगरी में आते हैं। शिष्यों के नाम हैं- नारायणदास और गोवर्धनदास । महंत और शिष्यों को नगर बहुत सुंदर लगा । भिक्षा अच्छी मिलेगी। गुरु के निर्देश पर नारायणदास नगर के पूर्व तरफ और गोवर्धनदास पश्चिम की तरफ भिक्षा लेने चले।
गोवर्धनदास बाज़ार में : बाज़ार में भाजी और मिठाई आदि सभी चीजें एक ही भाव से बिक रही थीं। भाजी भी टका सेर और खाजा भी टका सेर। गोवर्धनदास को नगर बहुत अच्छा लगा। पूछने पर पता चला कि नगर का नाम ‘अँधेरी नगरी’ और राजा का नाम ‘चौपट राजा’ है।
महंत की सलाह : नगर के बारे में जानकारी मिलने पर महंत ने वहाँ न रहने का निश्चय किया । परंतु गोवर्धनदास ने वहीं रहने का निर्णय किया। महंत ने जाते-जाते कहा – ” मेरी बात नहीं मानी तो पछताएगा, पर संकट पड़े तो मुझे याद करना।” महंत नारायणदास को लेकर चले गए।
चौपट राजा का चौपट न्याय : राजा के दरबार में एक फ़रियादी आया। उसकी बकरी कल्लू बनिये की दीवार गिर जाने से दबकर मर गई थी। वह न्याय चाहता था। राजा के आदेश पर कल्लू बनिये को पकड़कर लाया गया। कल्लू ने स्वयं को निर्दोष बताकर कारीगर को दोष दिया। उसीने कमज़ोर दीवार बनाई थी ।
कल्लू को रिहा कर कारीगर को हाजिर किया गया। उसने चूनेवाले को दोषी बताया जिसने खराब चूना बनाया था। चूनेवाले ने भिश्ती को दोषी बताया, जिसने पानी ज्यादा डालकर चूने को कमज़ोर कर दिया था। तब भिश्ती को पकड़कर लाया गया । भिश्ती ने कसाई को दोषी बताया जिसने मशक बड़ी बना दी थी। भिश्ती ने कहा कि गड़रिये ने इतनी बड़ी भेड़ बेची, जिससे मशक बड़ी बन गई। भिश्ती को छोड़कर गड़रिये को लाया गया। उसने खुलासा किया कि कोतवाल की सवारी आने के कारण उसे छोटी-बड़ी भेड़ का ख्याल ही नहीं रहा। उसका कोई कसूर नहीं है। ‘
कोतवाल फँसा : अंत में दीवार गिरने का अपराधी कोतवाल को ठहराया गया। राजा ने उसे फाँसी देने का हुक्म दिया।
बेचारा गोवर्धनदास : गोवर्धनदास मिठाई खाने में मस्त था कि तभी उसे पकड़ने चार सिपाही आए। उन्होंने उसे बताया कि कोतवाल को फाँसी दी जा रही थी पर वह दुबला-पतला है। इसलिए फाँसी का फंदा उसे ढीला पड़ रहा था। अब उसकी जगह तुम्हें फाँसी पर चढ़ना है, क्योंकि तुम्हारा गला फाँसी के फंदे में फिट हो जाएगा। सिपाही गोवर्धनदास को पकड़कर ले गए।
गुरु का स्मरण: अब गोवर्धनदास की समझ में आया कि यह गुरु की आज्ञा न मानने का फल है। उसने गुरुजी का स्मरण किया। संयोग से उसी समय महंत वहाँ पहुँच गए। गोवर्धनदास ने फाँसी से बचाने की प्रार्थना की।
गुरुमंत्र देने के बहाने बचाने का मंत्र : गुरु शिष्य को अंतिम उपदेश देने के लिए उसे कुछ दूर ले गए और उन्होंने उसके कान में कुछ कहा।
शिष्य की मुक्ति और राजा को फाँसी : महंत ने हठ की कि गोवर्धनदास के बदले वे फाँसी पर चढ़ेंगे। गोवर्धनदास ने कहा- नहीं, फाँसी पर चढ़ाने के लिए मुझे लाया गया है। इसलिए मैं ही फाँसी पर चढूँगा। दोनों में इस तरह की हुज्जत होने लगी। तभी राजा, मंत्री और कोतवाल वहाँ आ गए।
महंत ने राजा को बताया कि इस शुभ मुहूर्त में जो फाँसी पर चढ़ेगा, वह सीधा स्वर्ग में जाएगा। यह जानकर मंत्री ने फाँसी पर चढ़ना चाहा। कोतवाल ने कहा कि सजा उसे मिली है, इसलिए वही फाँसी पर चढ़ेगा। राजा बोला, “मेरे जीते जी और कौन स्वर्ग जा सकता है ? फाँसी पर मुझे चढ़ाओ ।” नौकरों ने राजा को फाँसी पर चढ़ा दिया ।
इस तरह महंत ने युक्तिपूर्वक अपने शिष्य गोवर्धनदास को बचा लिया ।

प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पाँच-छ: वाक्यों में लिखिए:
( 1 ) गोवर्धनदास ने खुश होकर अँधेरी नगरी में ही रहने का फैसला क्यों किया ?
उत्तर : गोवर्धनदास में महंत जैसी दूरदृष्टि नहीं थी । उसे बस अपना पेट भरने की चिंता रहती थी । अँधेरी नगरी में टके सेर मिठाई मिलती थी। गोवर्धनदास को मिठाई खाने का शौक था । अँधेरी नगरी में रहकर वह कम पैसों में भी भरपेट मिठाई खा सकता था। इसलिए उसने अँधेरी नगरी में ही रहने का फैसला किया।
( 2 ) बकरी की मौत के लिए किस-किस को अपराधी ठहराया गया ? राजा ने किसे और क्यों फाँसी चढ़ाने का फैसला किया ?
उत्तर : बकरी की मौत के लिए कल्लू बनिया, दीवार बनानेवाले कारीगर, चूनेवाले, भिश्ती, कसाई, गड़रिए और कोतवाल को अपराधी ठहराया गया। अंत में राजा ने कोतवाल को फाँसी पर चढ़ाने का फैसला किया।
( 3 ) गोवर्धनदास पर पछताने की बारी क्यों आ गई ?
उत्तर : गुरु महंत का कहना न मानकर गोवर्धनदास ने अँधेरी नगरी में ही रहने का निर्णय किया था। उसने सोचा कि कम खर्च में अधिक मज़े के साथ वहीं रह सकता था । परंतु जब दुबला-पतला होने कारण कोतवाल फाँसी से बच गया, तब सिपाहियों ने गोवर्धनदास को पकड़ा। सिपाहियों को न्याय-अन्याय तथा दोषी और निर्दोष की परवाह नहीं थी। उन्हें तो फाँसी पर चढ़ने लायक व्यक्ति की ज़रूरत थी। उनके द्वारा पकड़े जाने पर गोवर्धनदास को पछताने की बारी आई।
( 4 ) गोवर्धनदास की जान बचाने में महंत सफल कैसे हो गए ?
उत्तर : जब गोवर्धनदास को फाँसी पर चढ़ाया जानेवाला था, तभी उसके गुरु महंतजी वहाँ पहुँच गए। गुरु ने शिष्य के कान में कुछ कहा और फिर गुरु-शिष्य फाँसी पर चढ़ने के लिए आपस में हुज्ज्त करने लगे । इससे सिपाही चकित हो गए। राजा, मंत्री और कोतवाल भी वहाँ पहुँच गए। पूछने पर महंत ने बताया कि उस मुहूर्त में फाँसी पर चढ़नेवाला सीधा स्वर्ग जाएगा। स्वर्ग के लालच में चौपट राजा खुद फाँसी पर चढ़ गया। इस प्रकार गोवर्धनदास की जान बचाने में महंत सफल हो गए।
( 5 ) पाठ को ‘अँधेरी नगरी’ शीर्षक क्यों दिया गया है ?
उत्तर : कहावत है – ‘यथा राजा तथा प्रजा’ प्रस्तुत एकांकी इस कहावत को पूरी तरह चरितार्थ करता है।
एकांकी में एक दीवार गिरने के अपराध में कइयों पर दोष मढ़ा जाता है, पर अपने – अपने बचाव में सब सफल हो जाते हैं। अंत में कोतवाल दोषी साबित होता है, जिसका घटना से कोई संबंध नहीं है। राजा उसे फाँसी देने का हुक्म देता है। कोतवाल की पतली गरदन फाँसी के बड़े फँदे के लायक नहीं, इसलिए मोटे-ताजे गोवर्धनदास को पकड़ा जाता है। अंत में महंत की चतुराई से राजा स्वयं फाँसी पर चढ़ जाता है।
इस प्रकार अंधेरी नगरी सचमुच अंधेरी नगरी है। यहाँ सच और झूठ में कोई भेद नहीं किया जाता। यहां न कोई कानून है, न व्यवस्था । अपराध कोई करता है और दंड किसी और को दिया जाता है। इसलिए, पाठ को ‘अंधेरी नगरी’ शीर्षक दिया गया है।
प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में लिखिए:
( 1 ) नगर और राजा का नाम सुनकर महंत ने क्या कहा ?
उत्तर : नगर और राजा का नाम सुनकर महंत ने कहा कि ऐसी नगरी में रहना उचित नहीं है जहां टके सेर भाजी और टके सेर खाजा बिकता है। मैं तो इस नगर में अब एक क्षण भी नहीं रहूंगा।
( 2 ) गोवर्धनदास ने अंधेरी नगरी न छोड़ने का क्या कारण बताया ?
उत्तर : गोवर्धनदास ने अंधेरी नगरी न छोड़ने का कारण बताते हुए कहा कि और जगह दिनभर मार्ग तो भी पेट नहीं भरता ! यहाँ कम पैसों में भी मज़े से गुज़ारा हो सकता है।
( 3 ) गड़रिए ने कसाई को बड़ी भेड़ देने का क्या कारण बताया ?
उत्तर : गड़रिए ने बताया कि जब मैं कसाई को भेड़ दे रहा था, उसी समय कोतवाल साहब की सवारी आ गई। भीड़ के कारण मैं छोटी- बड़ी भेड़ का ख्याल नहीं कर सका। इसीलिए मैंने बड़ी-बड़ी भेड़ दे दी।
( 4 ) कोतवाल फाँसी से कैसे बच गया ?
उत्तर : कोतवाल दुबला-पतला आदमी था। फाँसी देते समय फाँसी का फंदा उसकी गरदन से बड़ा निकला। इसलिए वह फाँसी से बच गया।
( 5 ) गोवर्धनदास को अँधेरी नगरी में अंधेर कब दिखाई दिया ?
उत्तर : राजा के सिपाही गोवर्धनदास को मोटा-ताजा देखकर फाँसी पर चढ़ाने के लिए ले गए। तब निर्दोष होने पर भी अपने साथ अन्याय होता देखकर गोवर्धनदास को अँधेरी नगरी में अंधेर दिखाई दिया।
प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए:
( 1 ) गोवर्धनदास को नगर का क्या नाम बताया गया ?
उत्तर : गोवर्धनदास को नगर का नाम ‘अंधेरी नगरी’ बताया गया ।
( 2 ) गोवर्धनदास को नगर का नाम किसने बताया ?
उत्तर : गोवर्धनदास को नगर का नाम हलवाई ने बताया ।
( 3 ) गोवर्धनदास को भिक्षा में कितने पैसे मिले थे ?
उत्तर : गोवर्धनदास को भिक्षा में सात पैसे मिले थे।
( 4 ) अँधेरी नगरी में भाजी और खाजा किस भाव से बिकता था ?
उत्तर : अँधेरी नगरी में भाजी और खाजा दोनों टके सेर भाव बिकता था।
( 5 ) गोवर्धनदास ने कितनी मिठाई खरीद ली ?
उत्तर : गोवर्धनदास ने साढ़े तीन सेर मिठाई खरीद ली।
( 6 ) महंत ने नगर की असलियत जानने पर क्या फैसला किया ?
उत्तर : महंत ने नगर की असलियत जानकर वहाँ क्षणभर भी न रहने का निर्णय लिया।
( 7 ) महंत ने गोवर्धनदास को क्या सलाह दी थी ?
उत्तर : महंत ने गोवर्धनदास को उस नगर में न रहने की सलाह दी थी, जहाँ टका सेर भाजी और टका सेर खाजा मिलता हो ।
( 8 ) महंत ने गोवर्धनदास को क्या चेतावनी दी ?
उत्तर : महंत ने गोवर्धनदास को यह चेतावनी दी कि अगर वह उनकी सलाह न मानेगा तो एक दिन पछताएगा।
( 9 ) दीवार किसकी गिरी थी ?
उत्तर : दीवार कल्लू बनिए की गिरी थी।
(10) दीवार के नीचे दबकर कौन मर गया था ?
उत्तर : दीवार के नीचे दबकर बकरी मर गई थी।
(11) कसाई ने भेड़ किससे मोल ली थी ?
उत्तर : कसाई ने भेड़ एक गड़रिये से मोल ली थी।
(12) धूमधाम से सवारी किसने निकाली थी ?
उत्तर : धूमधाम से सवारी कोतवाल ने निकाली थी ।
(13) सिपाहियों ने फाँसी पर चढ़ाने के लिए गोवर्धनदास को क्यों उपयुक्त समझा ?
उत्तर : सिपाहियों ने फाँसी पर चढ़ाने के लिए गोवर्धनदास को उपयुक्त समझा, क्योंकि वह खूब मोटी गरदनवाला था ।
(14) गोवर्धनदास गुरु की बात न मानकर क्यों पछताता है ?
उत्तर : गोवर्धनदास गुरु की बात न मानकर पछताता है, क्योंकि गुरु की आज्ञा न मानने के कारण ही एक दिन सिपाही उसे फांसी पर चढ़ाने के लिए ले जाते हैं।
(15) राजा फाँसी चढ़ने को क्यों तैयार हो गया ?
उत्तर : राजा फाँसी चढ़ने को तैयार हो गया, क्योंकि महंत ने कहा था कि उस शुभ घड़ी में जो मरेगा वह सीधे स्वर्ग जाएगा।
प्रश्न 4. निम्नलिखित वाक्यों का आशय स्पष्ट कीजिए :
( 1 ) अँधेरी नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी टके सेर खाजा ।
उत्तर : मूर्ख राजा के राज्य में अच्छे-बुरे, साधारण- विशेष, उचित- अनुचित में कोई अंतर नहीं होता । खाजा जैसी महँगी मिठाई भी भाजी के भाव बेची जाती है। न्याय-अन्याय में भी कोई फर्क नहीं रखा जाता । राज्य में सब जगह अँधेर ही अँधेर दिखाई देता है।
( 2 ) राजा के जीते जी और कौन स्वर्ग जा सकता है ? हमको फाँसी चढ़ाओ, जल्दी करो ।
उत्तर : राजा को बताया गया कि फाँसी पर चढ़ने की वह बहुत शुभ घड़ी थी। उस समय फाँसी पर चढ़नेवाला सीधा स्वर्ग जाएगा। मूर्ख राजा स्वर्ग के लालच में आ गया। बुद्धि-विवेक का उसमें घोर अभाव था। महंत की चाल में फँसकर वह फाँसी पर चढ़ने के लिए तैयार हो गया। उसकी मूर्खता ही उसकी राजहठ बन गई ।

हेतुलक्षी प्रश्नोत्तर

गद्यलक्षी

1. सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
( 1 ) महंत अँधेरी नगरी में ……… रहना नहीं चाहते। ( यथासमय, क्षणभर)
( 2 ) मंत्री और नौकर लोग ……… बैठे हैं। ( इकट्ठा, यथास्थान)
( 3 ) कोतवाल तूने ……… धूमधाम से क्यों निकाली ? (मिठाई, सवारी)
(4) मुझे अपने ………. को अंतिम उपदेश देने दो । (शिष्य, गुरु)
( 5 ) शुभघड़ी में जो मरा, सीधा ………. जाएगा। ( महल, स्वर्ग)
उत्तर :
( 1 ) क्षणभर
( 2 ) यथास्थान
( 3 ) सवारी
( 4 ) शिष्य
( 5 ) स्वर्गं
2. निम्नलिखित विधान ‘सही’ हैं या ‘गलत’ यह बताइए :
( 1 ) अँधेरी नगरी में महंत दो शिष्यों के साथ आए ।
( 2 ) गोवर्धनदास ने अँधेरी नगरी में ही रहना तय कर लिया।
( 3 ) मिठाई खाकर नारायणदास अलमस्त बन गया था ।
( 4 ) कल्लू बनिए की दीवार के नीचे गाय दब गई।
( 5 ) सीधा स्वर्ग जाने का वह शुभ मुहूर्त था ।
( 6 ) राजा ने कहा, ‘फाँसी पर मुझे चढ़ाओ ।’
उत्तर :
( 1 ) सही
( 2 ) सही
( 3 ) गलत
( 4 ) गलत
( 5 ) गलत
( 6 ) सही
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक शब्द में लिखिए:
( 1 ) नगर के पूर्व में कौन-सा शिष्य गया ?
( 2 ) किस शिष्य ने उसी नगर में रहने का निश्चय किया ?
( 3 ) भिश्ती ने किसे दोषी बताया ?
( 4 ) अंत में फाँसी पर कौन चढ़ा ?
उत्तर :
( 1 ) नारायणदास
( 2 ) गोवर्धनदास ने
( 3 ) कसाई को
( 4 ) राजा
4. सही वाक्यांश चुनकर निम्नलिखित विधान पूर्ण कीजिए :
( 1 ) महंत ने गोवर्धनदास से कहा था कि….
(अ) वह वहाँ रहते हुए सावधान रहे।
(ब) वह लालच में अधिक मिठाई न खाए ।
(क) कभी संकट पड़े तो वह उन्हें याद करे।
उत्तर : महंत ने गोवर्धनदास से कहा था कि कभी संकट पड़े तो वह उन्हें याद करे ।
( 2 ) कारीगर ने दीवार गिरने का आरोप …
(अ) भिश्ती पर लगाया।
(ब) चूनेवाले पर लगाया ।
(क) कसाई पर लगाया ।
उत्तर : कारीगर ने दीवार गिरने का आरोप चूनेवाले पर लगाया।
( 3 ) गुरु ने सिपाहियों से कहा ….
(अ) “मुझे अपने शिष्य को अंतिम उपदेश देने दो ।”
(ब) “मुझे अपने शिष्य की अंतिम इच्छा जानने दो।”
(क) “मुझे अपने शिष्य को स्वर्ग में जाने का उपाय बताने दो।”
उत्तर : गुरु ने सिपाहियों से कहा “मुझे अपने शिष्य को अंतिम उपदेश देने दो ।”
5. निम्नलिखित प्रश्नों के साथ दिए गए विकल्पों से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए :
( 1 ) बनिये ने अपराधी किसे बताया ?
A. कारीगर को
B. चूनेवाले को
C. भिश्ती को
D. गड़रिये को
उत्तर : A. कारीगर को
( 2 ) फाँसी का हुक्म किसे हुआ था ?
A. बनिये को
B. चूनेवाले को
C. कारीगर को
D. कोतवाल को
उत्तर : D. कोतवाल को
( 3 ) स्वर्ग जाने की जल्दी किसे थी ?
A. गोवर्धनदास को
B. महंत को
C. मंत्री को
D. राजा को
उत्तर : D. राजा को

व्याकरणलक्षी

1. निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए:
( 1 ) नाहक
( 2 ) कसूर
( 3 ) हुज्जत
( 4 ) मूर्ख
( 5 ) आफ़त
( 6 ) प्रार्थना
( 7 ) दशा
( 8 ) सबब
उत्तर :
( 1 ) व्यर्थ
( 2 ) दोष
( 3 ) दलील
( 4 ) नासमझ
( 5 ) मुश्किल
( 6 ) बिनती
( 7 ) स्थिति
( 8 ) कारण
2. निम्नलिखित शब्दों के विरोधी शब्द लिखिए:
( 1 ) सुंदर
( 2 ) आनंद
( 3 ) उचित
( 4 ) मोटा
( 5 ) नौकर
उत्तर :
( 1 ) असुदर
( 2 ) शोक
( 3 ) अनुचित
( 4 ) पतला
( 5 ) सेठ
3. निम्नलिखित शब्दों की सही वर्तनी लिखिए :
( 1 ) बेकसुर
( 2 ) कुंझड़ीन
( 3 ) पूजारि
( 4 ) फरीयादि
उत्तर :
( 1 ) बेकसूर
( 2 ) कुंजड़िन
( 3 ) पुजारी
( 4 ) फरियादी
4. निम्नलिखित प्रत्येक वाक्य में से भाववाचक संज्ञा पहचानकर लिखिए:
( 1 ) अँधेरी नगरी के लोगों में आत्मीयता का नामोनिशान न था ।
( 2 ) लोग अपनी मूर्खता के कारण बेमौत मारे जाते थे ।
( 3 ) यहाँ अच्छे-बुरे में कोई अंतर नहीं था ।
( 4 ) सही समय पर शिष्य को गुरुजी का स्मरण हो आया।
उत्तर :
( 1 ) आत्मीयता
( 2 ) मूर्खता
( 3 ) अंतर
( 4 ) स्मरण
5. निम्नलिखित प्रत्येक वाक्य में से विशेषण पहचानकर लिखिए :
( 1 ) गुरु शिष्य को अंतिम उपदेश देने के लिए कुछ देर दूर ले गए।
( 2 ) बाज़ार में भाजी और मिठाई आदि सभी चीजें एक ही भाव से बिक रही थी ।
( 3 ) एक दिन महंत और उनके दो शिष्य अँधेरी नगरी में आ पहुँचे।
( 4 ) वहाँ मूर्ख राजा का राज्य चलता था।
उत्तर :
( 1 ) अंतिम
( 2 ) सभी
( 3 ) अँधेरी
( 4 ) मूर्ख
6. निम्नलिखित वाक्यों के अर्थ की दृष्टि से प्रकार लिखिए:
( 1 ) मैंने गुरुजी का कहना न माना ।
( 2 ) गुरुजी आ जाए तो अच्छा हो।
( 3 ) कृपया मेरी सहायता कीजिए ।
( 4 ) क्यों रे गड़रिए, ऐसी बड़ी भेड़ क्यों बेची ?
उत्तर :
( 1 ) निषेधवाचक वाक्य
( 2 ) इच्छावाचक वाक्य
( 3 ) विधिवाचक वाक्य
( 4 ) प्रश्नवाचक वाक्य
7. निम्नलिखित शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए:
( 1 ) मठ का मुखिया
( 2 ) न्याय माँगनेवाला
( 3 ) तरकारी बेचनेवाली स्त्री
( 4 ) चमड़े की खाल का बड़ा थैला
( 5 ) भेड़-बकरियाँ चरानेवाला
( 6 ) मिठाई बनानेवाला
( 7 ) मशक में पानी भरकर घर-घर पहुँचानेवाला
( 8 ) नगर का बड़ा पुलिस अफ़सर
उत्तर :
( 1 ) महंत
( 2 ) फरियादी
( 3 ) कुँजड़िन
( 4 ) मशक
( 5 ) गड़रिया
( 6 ) हलवाई
( 7 ) भिश्ती
( 8 ) कोतवाल
8. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ देकर वाक्य में प्रयोग कीजिए:
( 1 ) अँधेर होना – अन्याय होना
वाक्य : रिश्वत खोरी इतनी है कि जहाँ देखो वहीं अँधेर है।
( 2 ) मोल लेना – दाम देकर खरीदना
वाक्य : मैंने चालीस रुपए में आधा किलो अंगूर मोल लिए।
( 3 ) गोल – माल होना – गड़बड़ होना
वाक्य : बैंक के खाते में कुछ गोल – माल जरूर हुआ है।
9. निम्नलिखित कहावतों के अर्थ स्पष्ट कीजिए :
( 1 ) अँधेरी नगरी, चौपट राजा टके सेर भाजी, टके सेर खाजा
अर्थ : मूर्ख शासक के शासन में अन्याय और अव्यवस्था होती हैं, वहाँ भले-बुरे सब एकसमान समझे जाते हैं।
( 2 ) यथा राजा तथा प्रजा
अर्थ : जैसा राजा होता है, ठीक वैसी ही प्रजा होती है। राजा अगर नीतिमान होता है, तो उसकी प्रजा भी नीतिपूर्ण होती है।
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