गद्यांश पर आधारित प्रश्न – 3 | JNV Class 6th Hindi solutions
गद्यांश पर आधारित प्रश्न – 3 | JNV Class 6th Hindi solutions
अनुच्छेद – 3
पुस्तक मनुष्य के द्वारा मनुष्य को दिया हुआ श्रेष्ठ वरदान है । पुस्तक ज्ञान का सागर है, विद्या का पुञ्ज है ।
आदिकाल में मनुष्य अन्धकार में भटकता था, गुफाओं में रहता था, वृक्षों की छाल लपेटता था । वह चलता-फिरता था, खाता-पीता था, आँखों से इस सृष्टि को भी देखता था । किन्तु आँखों से देखकर भी वह सृष्टि के रहस्यों को समझ नहीं पाता था । उत्ताल तरंगों से पूर्ण सागर, गरजता हुआ बादल, चमकती हुई बिजली, भीषण उल्कापात, जंगलों का भीषण अग्निकाण्ड – सब कुछ उसके लिए आश्चर्य की वस्तु थी, क्योंकि उसके सामने अज्ञान रूपी अन्धकार फैला हुआ था। इस अन्धकार में मनुष्य रह नहीं सकता था, क्योंकि उसके पास मस्तिष्क था, उसके पास बोलने की शक्ति थी । पर वह बोल नहीं सकता था, क्योंकि उसके पास भाषा नहीं थी । अतः सबसे पहले उसने बोलना सीखा। उसने अपनी वाणी के माध्यम से अपने विचारों को व्यक्त करना सीखा और वाणी के प्रकाश से सम्पूर्ण संसार को प्रकाशित किया । इसी वाणी का पुञ्जीभूत रूप पुस्तक है । अपनी वाणी को शब्दों में लिपिबद्ध करने के लिए मनुष्य ने पुस्तकों का आविष्कार किया । पुस्तकों के आविष्कार से मनुष्य के ज्ञान-विज्ञान का विकास हुआ और सभ्यता-संस्कृति का प्रसार हुआ ।
1. आदिकाल में मनुष्य—
(1) अज्ञानी था
(2) अज्ञान के अंधकार में था
(3) पुस्तकीय ज्ञान से अपरिचित था
(4) बुद्धिहीन था
2. मनुष्य बोलना चाहता था, लेकिन—
(1) बोली नहीं थी
(2) भाषा नहीं थी
(3) शब्द नहीं थे
(4) अक्षर नहीं थें
3. मनुष्य ने सर्वप्रथम किस माध्यम से विचारों को व्यक्त किया ?
(1) वर्णों या अक्षरों के माध्यम से
(2) विचारों के माध्यम से
(3) शब्दों के माध्यम से
(4) वाणी के माध्यम से
4. मनुष्य ने लिखने की कला सीखी, तो उसने अपने ज्ञान को पुस्तकों में—
(1) संचित किया
(2) संगृहीत किया
(3) पुञ्जीभूत किया
(4) कैद किया
5. पुस्तक के आविष्कार से मनुष्य के ज्ञान-विज्ञान का—
(1) विकास हुआ
(2) अज्ञान का विनाश हुआ
(3) अज्ञानता का अन्धकार मिट गया
(4) प्रसार हुआ
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