अव्यय किसे कहते हैं । अव्यय के भेद, परिभाषा, उदाहरण

अव्यय किसे कहते हैं । अव्यय के भेद, परिभाषा, उदाहरण

अव्यय किसे कहते हैं?

ऐसे शब्द जिसमें लिंगवचन, पुरुष, कारक आदि के कारण कोई विकार उत्पन्न नहीं होता वह शब्द अव्यय कहलाते हैं। अव्यय सदैव अपरिवर्तित, अविकारी रहते हैं।

जैसे- जब, तब, अभी, उधर, वहाँ, इधर, कब, क्यों, वाह, आह, ठीक, अरे, और, तथा, एवं, किन्तु, परन्तु, बल्कि, इसलिए, अतः, अतएव, चूँकि, अवश्य इत्यादि।

साधारण शब्दों में इसे हम ऐसे भी कह सकते हैं कि – अव्यय शब्द वह शब्द होते हैं जिनके द्वारा उनके रूप में लिंग, वचन, पुरुष, कारक आदि के प्रयोग से भी कोई अन्य विचार उत्पन्न नहीं होता इस प्रकार के शब्द अपनी स्थिति में मूल रूप से बने रहते हैं।

अव्यय का रूपांतरण नहीं किया जा सकता इसलिए इन शब्दों को अविकारी शब्द कहा जाता है और इनका व्यय नहीं किया जा सकता इसलिए अव्यय कहलाते हैं।

अव्यय का दूसरा नाम क्या है?

अव्यय का दूसरा अविकारी है, अव्यय को अविकारी शब्द भी कहा जाता है।

अव्यय के उदाहरण

अव्यय के उदाहरण निम्नलिखित है :-

  1. वे यहाँ से चले गये।
  2. घोडा तेज दौड़ता है।
  3. अब खाना बंद करो।
  4. बच्चे धीरे-धीरे चल रहे थे।
  5. रोहन प्रतिदिन खेलने जाता है।
  6. वह यहाँ रखा है।
  7. रमेश प्रतिदिन पढ़ता है।
  8. राधा सुंदर दिखती है।
  9. मैं बहुत थक गया हूँ।
  10. वह अपना काम कर रहा है l
  11. वह नित्य नहाता है।
  12. वे कब गए।
  13. मीना कल जाएगी।
  14. वह प्रतिदिन पढ़ता है l
  15. मैं कहाँ जाऊं ?
  16. राधा कहाँ गई ?
  17. राहुल नीचे बैठा है।
  18. इधर -उधर मत जाओ।
  19. वह आगे चला गया।
  20. उधर मत जाओ।

अव्यय के पांच प्रकार होते हैं

1. क्रिया – विशेषण
2. समुच्चय बोधक
3. संबंध बोधक
4. विस्मयादि बोधक
5. निपात

1. क्रिया – विशेषण किसे कहते है

जो शब्द क्रिया की विशेषता बताते है ,उन्हें क्रिया – विशेषण कहते है |जैसे –
1. रमेश प्रतिदिन लिखता है
2. घोड़ा तेज दौड़ता है
3. राम धीरे-धीरे टहलता है
4. सुमन संदुर लिखती है
इन वाक्यों में प्रतिदिन,संदुर लिखने की विशेषता और तेज दौड़ना और धीरे-धीरे टहलने की विशेषता प्रकट करता है ,इसलिए इन शब्द को क्रिया – विशेषण कहते है

क्रिया विशेषण के मुख्य चार प्रकार है
1. कालवाचक
2. स्थानवाचक
3. परिणाम वाचक
4. रीतिवाचक

1. कालवाचक क्रियाविशेषण – जो क्रिया विशेषण शब्द क्रिया के होने के बारे में बताएं ,उन्हें कालवाचक क्रिया विशेषण कहते है |जैसे –
1. सीता कल जाएगी
2. वह प्रतिदिन पढ़ता है
3. दिन भर वर्षा होती है
इन वाक्यों में कल,प्रतिदिन,और दिनभर आदि कालवाचक क्रिया विशेषण हैं |इनके अलावा आज,तुरंत,अभी,हरबार आदि भी कालवाचक क्रिया विशेषण होते हैं

2. स्थानवाचक क्रियाविशेषण – जो क्रिया विशेषण शब्द क्रिया के स्थान या दिशा का पता कराते है ,उन्हें स्थानवाचक क्रिया विशेषण शब्द कहते है |जैसे –
1. सुनील नीचे बैठा है
2. इधर-उधर मत देखो
3. वह आगे चला गया
इन वाक्यों में नीचे,इधर-उधर,आगे आदि शब्द स्थानवाचक क्रिया विशेषण है |इसके अलावा यहाँ,वहाँ,दाएं ,बाएँ सामने ,बाहर,भीतर आदि भी स्थानवाचक क्रिया विशेषण शब्द होते है

3. परिणाम वाचक क्रियाविशेषण – जो शब्द क्रिया के परिमाण या नाप – तोल के बारे में बताते हैं ,उन्हें परिणाम वाचक क्रिया विशेषण कहते हैं |जैसे –
1. उतना बोलो,जितना जरूरी हो
2. रमेश खूब पढ़ता है
3. तेज गाड़ी चल रही है
4. सविता बहुत बोलती है
इन वाक्यों में उतना,जितना ,खूब ,तेज ,बहुत आदि परिणाम वाचक क्रिया विशेषण शब्द है |इसके अलावा अति, खूब, थोड़ा, कुछ,काफी ,उतना ,कम आदि भी परिणाम वाचक क्रिया विशेषण शब्द है

4. रीतिवाचक क्रियाविशेषण – जिन क्रिया विशेषण शब्दों से क्रिया की रीति या ढंग का पता चले ,उन शब्दों को रीतिवाचक क्रिया विशेषण शब्द कहते है |जैसे-
1. हमारे सामने शेर अचानक आ गया
2. कपिल ने अपना कार्य फटाफट कर दिया
3. मोहन शीघ्रता से चला गया
इन वाक्यों में फटाफट,शीघ्रता से तथा अचानक रीतिवाचक क्रिया विशेषण शब्द हैं |इसके अलावा धीरे-धीरे ,अवश्य ,इसलिए ,जल्दी ,ध्यानपूर्वक ,हाँ,यथासंभव ,बेशक,नि : सन्देह ,धडाधड आदि रीतिवाचक क्रिया विशेषण शब्द है

2. समुच्चय बोधक किसे कहते है

जो अव्यय दो वाक्यों को परस्पर जोड़ते हैं, उन्हें समुच्चय बोधक अव्यय कहते है |जैसे –
1. सुनील निकम्मा है इसलिए सब उससे घृणा करते है
2. गीता गाती है और मीरा नाचती है
3. यदि तुम मेहनत करते तो अवश्य सफल होगे
इन वाक्यों इसलिए ,और ,यदि एक दूसरे को जोड़ते है इसलिए इन शब्दों को समुच्चय बोधक अव्यय कयते है

समुच्चय बोधक अव्यय दो प्रकार के होते है –
1. समानाधिकरण समुच्चय बोधक
2. व्यधिकरण समुच्चय बोधक

1. समानाधिकरण समुच्चय बोधक – वे अव्यय जो समान वाक्यों या वाक्याशों को परस्पर मिलाते है ,वे समानाधिकरण समुच्चय बोधक अव्यय कहलाते है |जैसे –
1. कविता और गीता एक कक्षा में पढ़ती है
2. मैं और मेरी पुत्री एवं मेरे सभी साथी साथ थे
इन वाक्यों और ,एवं शब्द एक दूसरे को परस्पर मिलाते है ,यह शब्द समानाधिकरण समुच्चय बोधक है |इसके अलावा तथा ,किंतु, परंतु ,व ,लेकिन ,अथवा ,इसलिए ,अत: ,या,एवं आदि शब्द भी समानाधिकरण समुच्चय बोधक अव्यय है

2. व्यधिकरण समुच्चय बोधक – एक या अधिक आश्रित उपवाक्यों को प्रधान उपवाक्य से जोड़ने वाले अव्यय व्यधिकरण समुच्चय बोधक अव्यय कहलाते है |जैसे –
1. मोहन बीमर है ,इसलिए वह आज नहीं आएगा
2. यदि तुम अपनी भलाई चाहते हो तो यहाँ से चले जाओ
3. मैनें दिन में ही अपना काम पूरा कर लिया ताकि मैं शाम को जागरण में जा सकूं
इन वाक्यों में इसलिए ,यदि ताकि यह शब्द व्यधिकरण समुच्चय बोधक अव्यय है |इसके अलावा तो ,यधपि ,तथापि ,जिससे ,क्योंकि ,कि ,यानि ,आदि शब्द भी व्यधिकरण समुच्चय बोधक अव्यय होते है

3. संबंधबोधक अव्यय किसे कहते है

संबंधबोधक अव्यय – जब किसी वाक्य में कोई शब्द संज्ञा और सर्वनाम के साथ आए और वाक्य के किसी दूसरे शब्द से उसके संबंध का बोध करवाए तो वे शब्द संबंधबोधक अव्यय कहलाते हैं। जैसे- दूर, पास, अन्दर, बाहर, पीछे, आगे, बिना, ऊपर, नीचे आदि।

साधारण शब्दों में कहें तो – जो अव्यय संज्ञा के बाद आए और उसी संज्ञा का संबंध वाक्य के किसी दूसरे शब्द से दिखाएं उसे संबंधबोधक अव्यय कहते हैं। अगर इसमें संज्ञा ना हो तो यह अव्यय क्रियाविशेषण कहलाएगा।

उदाहरण के लिए –

तुम मुझसे बहुत ‘दूर’ बैठे हो

वह तुम्हारे ‘पास’ आ रहा है

तुम ‘अंदर’ क्यों नहीं आ रहे।

वह ‘बाहर’ ही क्यों खड़ा है।

उसे ‘पीछे’ के रास्ते ‘बाहर’ भेज दो

तुम्हारे ‘ऊपर. शनि चक्र मंडरा रहा है।

4. विस्मयादिबोधक अव्यय किसे कहते है

विस्मयादिबोधक अव्यय – जो शब्द किसी प्रकार के भाव को प्रकट करें उसे विस्मयादिबोधक अव्यय कहा जाता है। साधारण शब्दों में कहें तो – जिन शब्दों के प्रयोग से हर्ष, शोक, आशीर्वाद, क्रोध, आदि भावों का बोध हो तो उन्हें विस्मयादिबोधक अव्यय कहा जाता है।

5. निपात अव्यय किसे कहते है

निपात वे सहायक पद होते है जो वाक्य में नवीनता या चमत्कार उत्पन्न करे देते हैं |
निपात का कार्य शब्द समूह में बल प्रदान करना है| जैसे –
1. राम ने ही रावण को मारा था
2. रमेश भी दिल्ली जाएगा
3. तुम तो कल जयपुर जाने वाले थे
इन वाक्यों ही, भी, तो आदि शब्द निपात के अव्यय है |निपात सहायक पद होते हुए भी वाक्य का अंग नहीं होते |मत ,सा, जी आदि शब्द भी निपात वाक्यों में आते है

 

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