बिहार राज्य में बढ़ती ऊर्जा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उन वैज्ञानिक प्रयासों का सुझाव दीजिए, जिन्हें आप लागू करना चाहेंगे।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
प्रश्न – बिहार राज्य में बढ़ती ऊर्जा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उन वैज्ञानिक प्रयासों का सुझाव दीजिए, जिन्हें आप लागू करना चाहेंगे।
उत्तर –  बिहार में ये 2,994 मेगावाट बिजली की आवश्यकता होती है। जो दिल्ली शहर की मांग की तुलना में लगभग आधा है। सिर्फ दिल्ली शहर में 5,800 से 6,000 मेगावाट बिजली की आवश्यकता है। बिहार में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत सिर्फ 160 यूनिट प्रति वर्ष है, जो राष्ट्रीय खपत की तुलना में काफी कम है, जो 1,000 यूनिट प्रति वर्ष है। बिहार की दो तिहाई जनसंख्या तक अभी भी बिजली पहुँच नहीं पाई है। बिहार के लिए आवश्यक है कि बड़े स्तर पर सुधार किया जाए। यहाँ ऊर्जा के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश की आवश्यकता है बिहार में ऊर्जा के क्षेत्र में उसके कार्यान्वयन के स्तर पर भी काफी कमी है। बिहार के ऊर्जा के क्षेत्र में हुआ कुल संचित नुकसान वर्ष 2012 में 85 अरब रुपए था। वितरण के क्षेत्र में कुल तकनीकी एवं वाणिज्यिक नुकसान वर्ष 2016 में देश में हुए कुल नुकसान का 50% था । जहाँ पूरे देश में सिर्फ 25 प्रतिशत ही नुकसान हुआ था।

बिहार में नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में अगले पाँच वर्षों में 20,000 करोड़ रुपए निवेश होगा। पिछले कुछ वर्षों में बिहार में बिजली के क्षेत्र में असाधारण सुधार हुआ है। यहाँ 20,000 करोड़ का निवेश कर 3,433 मेगावॉट स्वच्छ ऊर्जा पैदा करने का लक्ष्य अगले पाँच वर्षों में 2,969 मेगावॉट सौर ऊर्जा, 244 मेगावाट बॉयो मास ऊर्जा और 220 मेगावॉट के छोटे जल विद्युत केन्द्र की स्थापना करना है, ताकि पर्यावरण की दृष्टि से स्थायी तरीके से बिजली की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके। नई बिहार नवीकरणीय ऊर्जा, नीति 2017, स्वच्छ ऊर्जा में निवेश का मार्ग प्रशस्त करती है और स्थायी समृद्धि की नींव रखती है। नई नीति को 2022 तक बिहार के ऊर्जा परिदृश्य में क्रांति लाने के लिए तैयार किया गया है।

बिहार में निरंतर बढ़ती हुई ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु निम्नलिखित प्रयास किए जा सकते हैं, जो संभवतः बिहार की ऊर्जा खपत को पूरा कर सकता है।

  • बिहार में पनबिजली की संभावना अपार है। सोन, गंडक एवं कोसी नदियों से लगभग 100 मेगावाट विद्युत का उत्पादन किया जा रहा है भारत नेपाल समझौते के अंतर्गत कोसी नदी पर कटैया के नजदीक अवरोधक बांध का निर्माण कर 30 हजार किलोवाट क्षमता वाले जल विद्युत गृह का निर्माण किया गया है। इसमें पाँच-पाँच हजार क्षमता वाली 4 उत्पादन ईकाईयां तैयार की गई हैं। इसमें उत्पादित ऊर्जा का आधा – भारत और आधा नेपाल उपयोग करेगा।
  • बिहार में केन्द्रीय सेक्टर से आवंटित बिजली की उपलब्धता 1838 मेगावाट के लगभग है। दामोदर घाटी निगम द्वारा 100 मेगावाट बिजली की उपलब्ध हो रही है। यहाँ निजी कंपनियों द्वारा 200 मेगावाट बिजली की खरीदारी हो रही है।
  • गंडक परियोजना के अंतर्गत बाल्मीकि नगर के पूरब दो जल विद्युत शक्ति गृहों का निर्माण किया गया है। सोन बहुउद्देशीय परियोजना के अंतर्गत पहला 6.6 मेगावाट उत्पादन क्षमता का पश्चिमी ऊँचा जल स्तर नहर पर डेहरी के समीप बना शक्ति गृह तथा दूसरा 3.3 मेगावाट उत्पादन क्षमता का पूर्वी ऊँचा जल स्तर नहर बारून में शक्ति गृह बना हुआ है।
  • बिहार के लिए यह आवश्यक है कि अपने भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु एवं पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए बिना बिजली उत्पादन करने हेतु उसे नवीकरणीय ऊर्जा पर निर्भर रहना होगा। इसके लिए आवश्यक है कि बिहार अपने पनबिजली संसाधनों का उपयोग करे। इसके अंतर्गत कदबन जलाशय जिसे अब इन्द्रपुरी जलाशय के नाम से भी जाना जाता है । इसके अंतर्गत सोन नदी पर इंद्रापुरी बैराज से 80 किमी ऊपर उद्धर्वाधर में एक बाँध का निर्माण प्रस्तावित है। इससे जहाँ एक ओर सोन नहर सिंचाई प्रणाली को स्थायित्व मिलेगा, वहीं 490 मेगावाट बिजली का उत्पादन संभव हो सकेगा। इसके अतिरिक्त बिहार में कोसी एवं गंडक नदी में बाँध बनाकर पनबिजली का उत्पादन किया जा सकता है।
  • पवन ऊर्जा का उपयोग भी ऊर्जा की आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायक है। इसमें वायु की गति द्वारा टरबाइन चलाकर विद्युत का उत्पादन किया जाता है। इसका प्रयोग विद्युत उत्पादन सिंचाई व्यवस्था एवं जलपूर्ति हेतु किया जा सकता है।
  • बिहार में बायोमास ऊर्जा का उपयोग भी विद्युत उत्पादन में स्वच्छ ईंधन को प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है। इसे शहरों से निकलने वाले अपशिष्टों, कृषि एवं उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों से प्राप्त किया जा सकता है।
    बिहार में ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए यह आवश्यक है कि यहाँ उत्पादित विद्युत के वितरण की उत्तम व्यवस्था हो। इस प्रकार से पूरी प्रक्रिया बनाई जाए कि प्रत्येक गाँव तक बिजली पहुँचे । बिजली उत्पादन की क्षमता में सुधार कर प्रति व्यक्ति विद्युत खपत की स्थिति में भी सुधार करना आवश्यक है, क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर यह अत्यंत कम है। बिहार की विद्युत वितरण को पीपीपी मॉडल पर तैयार किया जाना चाहिए, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग लाभान्वित हों । इन सबके अलावा लोगों के बीच जागरूकता फैलाना भी आवश्यक है, उन्हें इसके संरक्षण हेतु जागरूक किया जाना चाहिए ।

हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..

  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *