भारत में पाए जाने वाले प्रमुख खनिजों के बारे में विस्तार पूर्वक समझाएं | भारतीय अर्थव्यवस्था में उन खनिजों द्वारा आर्थिक विकास में दिए गए योगदान पर चर्चा करें; और साथ ही भारत की नई खनिज नीति के प्रमुख बिंदुओं का उल्लेख करें।
भारत, प्रमुख (Major) और लघु (Minor) खनिज संसाधनों के महत्वपूर्ण भंडारो से संपन्न है। भारत की तीव्र आर्थिक वृद्धि एक सदी से अधि क समय तक सतत् बनाए रखने के लिए ये भंडार पर्याप्त हैं। भारत में महत्वपूर्ण मात्रा में ज्ञात व उपलब्ध प्रमुख खनिज हैं:
- बॉक्साइट अयस्क (एल्युमिनियम) – कुल अनुमानित भंडार 3.076 मिलियन टन है। इस रिजर्व का करीब 84 प्रतिशत हिस्सा धातुकर्म श्रेणी(metallurgical grade) का है। बॉक्साइट के सशर्त संसाधन लगभग 5, 99,780 टन हैं। इसके अलावा, 90 मिलियन टन संभावित संसाध न होने का अनुमान है। ओडिसा, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र और झारखंड प्रमुख राज्य हैं जहां बॉक्साइट के निक्षेपित भंडार पाए जाते हैं।बॉक्साइट के प्रमुख भंडार का सकेन्द्रण उड़ीसा और आंध्र प्रदेश के पूर्वी तट पर निक्षेपित हैं।
- क्रोमाइट – क्रोमाइट के कुल भूवैज्ञानिक संसाधनों का भंडार187 मिलियन टन अनुमानित था। इनमे से कुल अवस्थिति ( In situ) भण्डार का अनुमान 114 मिलियन टन है जबकि सशर्त संसाधनों के भंडार रूप में लगभग 73 मिलियन टन अनुमानित है। इन भंडारों का सबसे बड़ा या सर्वाधिक हिस्सा (लगभग 96 प्रतिशत) उड़ीसा के कटक जिले में निक्षेपित है। आर्थिक महत्व के खनिजों का निक्षेपण उड़ीसा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु और मणिपुर में पाया जाता हैं। हालांकि, क्रोमाइट के दुर्दम्य श्रेणी के भंडार अति अल्प मात्रा में उपलब्ध हैं।
- सोना – देश में तीन महत्वपूर्ण स्वर्ण क्षेत्र हैं, नामतः कोलार स्वर्ण क्षेत्र, कोलार जिला और हटटी स्वर्ण क्षेत्र, रायचूर जिला (दोनों कर्नाटक में ) और अनंतपुर जिला (आंध्र प्रदेश) में रामगिरी स्वर्ण क्षेत्र । 116.50 टन धातु के साथ सोने के अयस्क का कुल भंडार 22.4 मिलियन टन अनुमानित है।
- लौह अयस्क – देश में लौह अयस्क के कुल भंडार में लगभग 123, 17275 हजार टन हैमैटाइट और 53,95,214 हजार टन मैग्नेटाइट के भंडार निक्षेपित है। बहुत उच्च श्रेणी के अयस्क संसाधन सीमित हैं और मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ के बैलाडिला क्षेत्र में, जबकि कमतर परिमाण (lesser extent) में कर्नाटक के बेल्लारी – होस्पेट क्षेत्र और झारखंड और उड़ीसा के बारजामदा क्षेत्र में अवस्थित हैं। हैमेटाइट लौह अयस्क संसाधन के भंडार उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और राजस्थान में अवस्थित हैं। मैग्नेटाइट लौह अयस्क संसाधन कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गोवा, केरल, झारखंड, राजस्थान और तमिलनाडु में स्थित हैं।
- सीसा-जस्ता (Lead-Zinc ) – सीसा-जस्ता संसाधन राजस्थान, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, महाराष्ट्र, मेघालय, तमिलनाडु और सिक्किम में स्थित है। सीसा और जस्ता अयस्कों के सभी श्रेणी (all grades) के कुल यथास्थान (in situ ) भंडार 231 मिलियन टन है जिसमें 5.1 मिलियन टन सीसा धातु अवयव और 17.02 मिलियन टन जस्ता धातु के धातु तत्व शामिल हैं।
- मैंगनीज – मैंगनीज अयस्क के कुल अवस्थिति संसाधन (in situ resources ) भंडार 406 मिलियन टन हैं, जिनमें से 104 मिलियन टन प्रामाणित भंडार हैं, 135 मिलियन टन सम्भाव्य (probable) भंडार हैं और 167 मिलियन टन संभावित (possible) भंडार के तीन प्रवर्ग हैं। मुख्य भंडार कर्नाटक में तत्पश्चात उड़ीसा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गोवा में हैं। मैंगनीज के अल्प भंडार आंध्र प्रदेश, झारखंड, गुजरात, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में पाए जाते हैं।
भारत के आर्थिक विकास में खनिजों की भूमिका –
खनिज अर्थव्यवस्था के विकास के लिए एक आधारभूत खंड (block ) हैं। वे निर्यात किए जाने वाले उत्पादन सामग्री के निर्माण में कच्चे माल के रूप में कार्य करते हैं, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के हिस्से के तौर पर खनिज स्वयं निर्यात किए जा सकते हैं और खनिज घरेलू उद्योग के अनुपूरक भी हैं। भारत पर्याप्त मात्रा में लौह अयस्क का निर्यात करता है जो विदेशी मुद्रा अर्जित करने में मदद करता है और साथ में चालू खाता घाटे (Current Account Deficit& CAD) को भी कम करता है। वर्तमान में भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक देश है। यदि भारत के खनिज संसाधन भंडार की कमी होती तो उत्पादन का यह स्तर संभव नहीं होता ।
राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण नीति (national mineral exploration policy-NMEP) के मसौदे की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं –
- सरकार प्रतिस्पर्धा पूर्व उच्चतम मानकों के आधार – रेखा (baseline) पर भू-विज्ञान डेटा उपलब्ध कराएगी। डेटा को नियमित रूप से अद्यतन किया जाएगा और अन्य अधिकार क्षेत्रों के साथ सन्दर्भ आधारित (bench&marked) किया जायेगा ।
- सरकार एक सार्वजनिक भले या अच्छाई के लिए आधारभूत भू-विज्ञान डेटा बनाएगी और इस तरह के डेटा के निर्माण और विस्तार या प्रसार हेतु निधि प्रदान करेगी।
- जीएसआई द्वारा राष्ट्रीय भूविज्ञान निधान (National Geoscience Repository ) की स्थापना की जाएगी जो विभिन्न अन्वेषण एजेंसियों द्वारा उत्पन्न सभी भू-वैज्ञानिक आधारभूत डेटा और खनिज अन्वेषण जानकारी एकत्र करेगी और इन्हें डिजिटल भू-स्थानिक डेटाबेस पर उपलब्ध कराएगी।
- जीएसआई मिशन मोड में राष्ट्रीय वायु जनित भूभौतिकीय सर्वेक्षण का उत्तरदायित्व वहन करेगा।
- सरकार एक गैर-लाभकारी स्वायत्त संस्थान स्थापित करने का प्रस्ताव भी करती है, जिसे खनिज लक्ष्य हेतु राष्ट्रीय केंद्र (National Center for the Mineral Goal&NCMT) कहा जाता है, जो सरकारी उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों का एक सहयोगी प्रयास होगा।
- सरकार देश के भीतर गहराई में स्थित या अप्रकट खनिज संसाधन भंडारों के अन्वेषण हेतु विशेष पहल की शुरुआत करेगी।
- सरकार का उद्देश्य राजस्व को साझा करने वाले मॉडल के माध्यम से खनिज अन्वेषण में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने और प्रोत्साहित करने के लिए आकर्षक प्रावधानों को प्रस्तुत करना है। जीएसआई ने खनिज अन्वेषण के लिए पहले ही 100 ब्लॉकों की पहचान कर ली है और इनका उपयोग योजना के कार्यान्वयन के लिए किया जा सकता है।
- केंद्रीय एजेंसियों और राज्य सरकारों के रासायनिक और अयस्क सज्जीकरण प्रयोगशालाओं (beneficiation laboratories) का उन्नयन।
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