प्रारंभिक विकास को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना करें।

प्रश्न – प्रारंभिक विकास को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना करें।
(Discuss the factor affecting early development of child.) 
उत्तर – बालक के प्रारम्भिक जीवन में उसके वंशानुक्रम की शक्तियों पर वातावरण का  प्रभाव महत्त्वपूर्ण ढंग से पड़ता है। इनमें कुछ प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं :-
  1. अनुकूल अन्तर्वैयक्तिक सम्बन्ध (Favourable Interpersonal Relationship) लोगों के साथ अनुकूल सम्बन्ध, विशेष तौर पर परिवार के लोगों के साथ अच्छा सम्बन्ध होना बच्चे की बाह्य क्रियाओं और कार्यों को प्रभावित करता है जिससे वह वैयक्तिक एवं सामाजिक समायोजन करने में सफल होता है।
  2. संवेगात्मक स्थिति (Emotional States) — परिवार द्वारा तिरस्कार या माता-पिता से अलग हो जाने की स्थिति से व्यक्तिगत व्यक्तित्व में विकास उत्पन्न होते हैं। जबकि यदि बच्चे को माता-पिता का प्यार और सुरक्षा मिलती रहे तो इस प्रेमपुर्ण वातावरण में उसके व्यक्तित्व का समुचित विकास होता है।
  3. बाल – प्रशिक्षण विधियाँ (Child Training Method)—वैसे बच्चे जिन्हें माता-पिता द्वारा अत्यधिक संरक्षण प्रदान किया जाता है, उम्र वृद्धि के साथ-साथ उनमें जिम्मेदारी का अहसास नहीं होता और वे अपने संवेगों पर नियंत्रण नहीं कर पाते । पूर्ण सफलता से भी वे नहीं पा सकते। थोड़ा नियंत्रण रखने वाले या कड़े अधिकार रखने वाले अभिभावक होने से बच्चे अच्छा व्यक्तिगत एवं सामाजिक सामंजस्य स्थापित कर पाते हैं।
  4. प्रारम्भिक भूमिका सम्पादन (Early Role – Playing) — घर का पहला बच्चा, जिस प्रकार की भूमिका की अपेक्षा उसे की जाती है, उसी के अनुरूप उसका व्यक्तित्व विकसित होता है। प्रायः पहले बड़े बच्चों से उम्मीद की जाती है कि वे अपने छोटे भाई-बहनों की देखभाल करें। इस तरह उनमें अन्य बच्चों की तुलना में आत्मविश्वास विकसित होता है। परन्तु कई बार इससे उनमें हमेशा बॉस बने रहने की प्रवृत्ति भी आ जाती है।
  5. पारिवारिक संरचना (Family Structure ) – बच्चों के प्रारंभिक विकास पर उसके पारिवारिक संरचना का भी बहुत प्रभाव पड़ता है, जिन बच्चों का जन्म संयुक्त व बड़े परिवार में होता है, उनमें आधिपत्य जताने की आदत होती है। ठीक इसके विपरीत जो बच्चे छोटे, विलगाव वाले परिवार या जहाँ माता-पिता अलग हो गए हों, इस तरह के परिवार से आते हैं तो जीवन-पर्यन्त उनमें चिंता, अविश्वास एवं जिद्दीपन रहता है।
  6. वातावरण सम्बन्धित उत्तेजनाएँ (Environmental Stimulation ) – बच्चे को यदि इस तरह का वातावरण मिले जहाँ उसे प्रेरणा देने वाले हों, तो वंशानुक्रम से पायी हुई क्षमताओं का विकास बेहतर होता है। उदाहरणस्वरूप बच्चे को यदि चित्रों वाली किताब को दिखाकर कोई जानकारी दी जाये तो उसकी समझ एवं साथ ही साथ पढ़ने की इच्छा में बढ़ोतरी भी होती है। उत्तेजना और प्रेरणापूर्ण वातावरण में बच्चे को बढ़िया शारीरिक तथा मानसिक विकास होता है जबकि यदि ऐसा न हो तो बच्चों का विकास और क्षमताएँ अवरुद्ध हो जाती हैं ।
  7. वंशानुक्रम (Heredity) — डिंकमेयर (D.C: Dinkmeyer, 1965) के अनुसार वंशानुगत कारण वे जन्मजात विशेषताएँ हैं जो बालक में जन्म के समय से ही पायी जाती हैं। ये विशेषताएँ ही बालक के जीवन-चक्र की गति एवं मौलिक स्वभाव को नियंत्रित करती हैं। इन्हीं तत्त्वों की सहायता से प्राणी अपने विकास के जन्मजात तथा अर्जित क्षमताओं का उपयोग कर पाता है। बच्चे का रंग, रूप, लम्बाई, तर्क, बुद्धि, स्मृति, अन्य शारीरिक एवं मानसिक योग्यताएँ सबका निर्धारण वंशानुक्रम से ही होता है और इसका प्रभाव जीवन पर्यन्त बना रहता है।
  8. आहार (Nutrition)—प्रत्येक अवस्था, विशेषकर बाल्यावस्था में बालक के सामान्य विकास के लिए पुष्टिकर भोजन की नितांत आवश्यकता है। माँ का आहार जितना ही पौष्टिक होता है, बालक के स्वस्थ होने की उतनी ही सम्भावना होती है। जबतक बच्चा स्तनपान करता रहता है, तबतक बच्चा माँ के आहार पर निर्भर रहता है। इसके बाद बालक स्वयं जो आहार ग्रहण करता है, वह भी बालक के विकास को प्रभावित करता है। इस समय (बाल्यावस्था) में बालक के आहार की मात्रा की बजाय आहार में पौष्टिक तत्त्वों की जरूरत ज्यादा होती है जो उसके विकास को प्रभावित करती है।
  9. वातावरण (Environment) – वातावरण में वे सभी बाह्य शक्तियाँ, प्रभाव, परिस्थितियाँ आदि सम्मिलित हैं जो प्राणी के व्यवहार, शारीरिक और मानसिक विकास को प्रभावित करती हैं। भौतिक तथा मनोवैज्ञानिक वातावरण के अतिरिक्त घर का वातावरण भी , बच्चे के विकास पर अपना प्रभाव डालता है।
  10. रोग (Diseases)– शारीरिक बिमारियाँ भी बच्चे के शारीरिक एवं मानसिक विकास को प्रभावित करती हैं। बाल्यावस्था में बहुत समय तक बीमार रहने पर शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरूद्ध हो जाते हैं। ऐसे में यदि उसे सही इलाज व साथ-साथ सही पोषण न मिले तो जीवन – पर्यन्त भी इसका प्रभाव परिलक्षित हो सकता है। सामान्य स्वास्थ्य वाले बच्चे का जीवन प्रवाह सामान्य होता है।
  11. अन्त:स्रावी ग्रंथियाँ (Endocrine Glands) — ग्रंथियों से निकलने वाले स्राव बच्चों के विकास को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं। थॉयरायड एवं पाराथॉयरायड (Thyroid & Parathyroid) ग्रंथियों से निकलने वाले हारमोन्स हड्डियों, दाँतों के विकास, लम्बाई, सांवेगिक विकास को पूर्णरूपेण प्रभावित करते हैं। इनके अतिरिक्त पुरुष एवं स्त्री के लक्षणों तथा जनन ग्रंथियों का विकास भी इन्हीं पर निर्भर है।
  12. बुद्धि (Intelligence ) – बालक की बुद्धि एक महत्त्वपूर्ण कारक है, जो उसकी मानसिक एवं शारीरिक विकास को प्रभावित करती है। अध्ययन दर्शाते हैं कि तीव्र बुद्धि वाले बालकों का विकास मंदबुद्धि बालकों की अपेक्षा अत्यंत तीव्र गति से होता है। दुर्बल बुद्धि वाले बच्चों की हर क्रिया, जैसे-बैठना, चलना, बोलना, दोड़ना तथा अन्य क्रियाओं का विकास अन्य तीव्र बुद्धि वाले बच्चों की अपेक्षा धीमी गति से होता है। उसके विभिन्न विकास निर्धारित (उम्र) से अधिक देर से होते हैं।
  13. यौन ( Sex)– बच्चे का यौन भी उसके शारीरिक एवं मानसिक विकास को प्रभावित करता है। जन्म के समय लड़कों की अपेक्षा लड़कियों की लम्बाई कम होती है। किन्तु वयःसंधि (puberty) आते-आते लड़कियों में लड़कों की अपेक्षा तीव्र गति से परिपक्वता (maturation) आती है। मानसिक विकास की दर भी लड़कियों में ज्यादा तेज होती है।

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