वातावरण से आप क्या समझते हैं ? इसके प्रभाव की विवेचना करें।

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प्रश्न – वातावरण से आप क्या समझते हैं ? इसके प्रभाव की विवेचना करें।
(What do you understand by evnironment ? Discuss its effects.) 
उत्तर- मनुष्य पर वातावरण का महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। व्यक्ति के चारों ओर जो कुछ भी है, वही उसका वातावरण या पर्यावरण है। बोरिंग, लैंगफील्ड तथा वेल्ड (Boring Langfeld & Weld, 1962) के अनुसार, “जीन्स के अतिरिक्त व्यक्ति को प्रभावित करने वाली वस्तु वातावरण है। एक व्यक्ति के वातावरण के तात्पर्य उन सभी उद्दीपकों के योग से है जिन्हें वह जन्म से मृत्यु तक ग्रहण करता है।” (The environment is everything that efects the individual except his genes… a person’s environment consists of the sum total of the stimulation which he recieves from his concption until his death.) वातावरण से अभिप्राय व्यक्ति के जीवन-स्थान (life-space) से है अथवा उन मनोवैज्ञानिक परिस्थितियों से है जो व्यक्ति के व्यवहार को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं। जिस प्रकार बालक या व्यक्ति की सामाजिक एवं परिवार उसका व्यक्तित्व, भूमिका, सोचने का तरीका एवं चरित्र प्रभावित होती है उसी प्रकार विद्यालय, कार्याल्य, व्यवसाय आदि भी उसकी भूमिका को बहुत प्रभावित करते हैं। वातावरण में वे सभी बाह्य शक्तियाँ, प्रभाव, परिस्थितियाँ आदि सम्मिलित हैं जो प्राणी के व्यवहार शारीरिक एवं मानसिक विकास को प्रभावित करती हैं। कुछ मनोवैज्ञानिकों के अनुसार वातावरण दो प्रकार के हैं:-
  1. भौतिक वातावरण (Physical environment) जिसमें जलवायु के अतिरिक्त वे सारी चीजें आती हैं जिन्हें देखा या स्पर्श किया जा सकता है।
  2. मनोवैज्ञानिक वातावरण (Psychological environmen) से अभिप्राय व्यक्ति के जीवन-स्थान (life space) से है अथवा उन मनोवैज्ञानिक परिस्थितियों से है जो व्यक्ति के व्यवहार को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है।
दूसरे कुछ मनोवैज्ञानिकों ने वातावरण को अन्य दो भागों में विभाजित किया है:-
  1. नियंत्रित वातावरण (Controlled environment) एवं
  2. अनियंत्रित वातावरण (Uncontrolled environment)
सामाजिक व भौगोलिक वातावरण (Social and geographical Environment)

सामाजिक एवं भौगोलिक वातावरण का कुछ भाग नियंत्रित एवं कुछ अनियंत्रित होता है। किन्तु दोनों सामाजिक एवं भौगोलिक वातावरण मनुष्य पर बहुत महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं।

व्यक्तित्व पर सामाजिक वातावरण का प्रभाव (Effect of Social Environement on Personality)—समाज के विभिन्न अंग परिवार, विद्यालय, व्यवसाय, सामाजिक परम्पराएँ एवं प्रारंभिक अवधारणाएँ हैं। ये सभी व्यक्ति को प्रभावित करती हैं। विख्यात मनोवैज्ञानिक सिगमंड फ्रायड (Sigmund Freud ) का कहना है कि बच्चे का व्यक्तित्व प्रारंभिक 7 वर्षों में पनपता है और बाद के जीवन में उन सारी आदतों तथा अभिवृत्तियों का विकास होता है। भले ही सारे विचारक फ्रायड के मत से सहमत न हों, किंतु इस बात को सभी मानते हैं कि पारिवारिक वातावरण, चरित्र, व्यवहार, मानसिक क्रिया-कलाप, आदतें बच्चे के विकास को प्रभावित करती हैं। Hevelock Ellis ने अपने लेख “The Problem of Race Regeneration” में लिखा हैं, “The advantages of a mother suckling her baby are more than merely physical, it is a stimulus to her affection for her child and a guarantee that the child will recieve in other respects the loving care it needs.” बाल्यावस्था में माता-पिता द्वारा प्राप्त प्यार उसे सांवेगिक स्थिरता प्रदान करता है। माता-पिता द्वारा दिया गया अत्यधिक प्यार जहाँ एक ओर बच्चे को बिगाड़ देता है, उसी प्रकार प्यार एवं देखभाल की कमी से उनकी भावनाएँ विकसित नहीं हो पातीं। परिवार में माँ, पिता, पति, पत्नी, बड़ा भाई, छोटा भाई बड़ी बहन, छोटी बहन, प्यारा बच्चा, अनचाहा बच्चा – सबकी अपनी-अपनी पारिवारिक स्थिति होती है, जिससे उसका व्यक्तित्व प्रभावित होता है।

शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर वातावरण का प्रभाव (Effect of Environment of Physical and Mental Health)

बालक के शारीरिक एवं मानसिक विकास का संबंध उसके स्वास्थ्य से होता है और यह स्वास्थ्य रहन-सहन, खान-पान व अप्रत्यक्ष रूप से अर्थव्यवस्था पर निर्भर करता है। पौष्टिक आहार, स्वस्थ वातावरण और साधनों के अभाव में व्यक्ति का शरीर अस्वस्थ हो जाता है तथा वह शारीरिक एवं मानसिक रोगों का शिकार हो जाता है। घनी एवं गंदी बस्तियों में रहने वाले बच्चों के भार, स्वास्थ्य, लम्बाई में, अच्छे वातावरण में रहने वालों की अपेक्षा कमी पाई जाती है। मानसिक स्वास्थ्य की दृष्टि से उनमें चिड़चिड़ापन, अनिद्रा, अशांत मन एवं आपराधिक प्रवृत्ति देखी जाती है। जुड़वाँ बच्चों में आयु वृद्धि के साथ-साथ शारीरिक विषमता का कारण वातावरण ही है, जो विविध अध्ययनों के परिणामस्वरूप प्राप्त हुआ है।

फ्रीमैन (Freeman et. al., 1928) ने अपने अध्ययन हेतु 671 बच्चों को चुना जिसमें 401 बच्चे गोद लिए हुए थे। इस अध्ययन का उद्देश्य बुद्धि पर वातावरण के प्रभाव का ज्ञान प्राप्त करना था। इस अध्ययन के परिणामस्वरूप यह तथ्य सामने आया कि गरीब परिवार में पलने वाले सहोदरों का I. Q. 86 तथा सम्पन्न परिवार में पलने वाले सहोदरों, का I. Q. 95 था। अर्थात् धनी घरों में पलनेवाले बच्चों का IQ. गरीब घरों में पलने वाले बच्चों की अपेक्षा अधिक होता है। दूसरी बात जो उभरकर सामने आई, वह यह थी कि जिन बच्चों का पालन-पोषण साथ-साथ हुआ, उनकी बुद्धि में अधिक समानता थी बजाय उनके जो दो घरों में अलग-अलग पले थे। उन असम्बन्धी (unrelated) बच्चों की बुद्धि में भी समानता थी जो साथ-साथ पले थे।

फ्रीमैन के समान बर्क्स (B.S. Barks, 1928) ने 214 पोष्य बच्चों (foster children) का अध्ययन किया और उनकी तुलना 105 नियंत्रित समूह के बच्चों से की जो अपने माता-पिता के पास रहते थे। इस अध्ययन के अनुसार बालकों एवं उनके माता-पिता की मानसिक समानताओं का अध्ययन करना था। इस अध्ययन के निम्नलिखित परिणाम निकले:-

  1. वातावरण के प्रभावस्वरूप 1. Q. में 201.Q. की वृद्धि होती है।
  2. बालकों के घर का वातावरण उनकी बुद्धि को लगभग 25% प्रभावित करता है ।
  3. वातावरण को देखते हुए वंशानुक्रम का योगदान 75-80% तक होता है।

एक अन्य अध्ययन में स्कोडक (M. Skodak, 1939) ने 150 अवैध बच्चों, जिन्हें 3 से 6 माह की अवधि में ही गोद ले लिया गया था, का अध्ययन किया। इन बच्चों की माताओं का औसत I.Q. 80 था। ये बालक पोष्य घरों में दो वर्षों तक रखे गए। इस अध्ययन से यह निष्कर्ष निकला कि बालकों की बुद्धि वातावरण द्वारा महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित होती है। स्पीयर (G.S. Speer, 1940) के अध्ययन का भी यही निष्कर्ष निकला।

वातावरण एवं वंशानुक्रम के प्रभाव को अलग-अलग जानने के लिए शील्डस (J. Shields, 1962) ने समान जुड़वाँ बच्चों का अध्ययन किया और पाया कि विभिन्न वातावरण होने पर वंशानुक्रम का प्रभाव अधिक प्रभावपूर्ण होता है। इसे शील्डर्स ने निम्नलिखित तालिका में अंकित किया : –

शील्डस ने यह निष्कर्ष निकला कि बुद्धि एट्रोवर्जन, इक्ट्रोवर्जन, न्यूरोटीसिज्म, शारीरिक भार तथा लंबाई आदि लक्षणों का वंशानुक्रम से अधिक सहसम्बन्ध है।

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