शैक्षिक प्रौद्योगिकी से आप क्या समझते हैं ?

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प्रश्न – शैक्षिक प्रौद्योगिकी से आप क्या समझते हैं ?
(What do you understand by educational technology.)

उत्तर – शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को सहज, सरल, सक्षम तथा प्रभावशाली बनाने के लिए वैज्ञानिक, प्रौद्योगिकी, मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों तथा विधियों का उचित प्रयोग शिक्षा प्रौद्योगिकी कहलाता है। जैसे-जैसे नवीनतम् खोजें तथा अन्वेषण सामने आते हैं, शैक्षिक प्रौद्योगिकी के अर्थ, परिभाषा तथा स्वरूप में परिवर्तन आ जाता है। आज विज्ञान के युग में वैज्ञानिक तथा प्रौद्योगिकी आविष्कारों ने मानव जीवन के हर पक्ष को प्रभावित किया है । इनसे शिक्षा, शिक्षण तथा अधिगम भी बहुत प्रभावित हुए हैं। शिक्षा के क्षेत्र में भी नवीन अनुसन्धानों, खोजों एवं अन्वेषण के फलस्वरूप ऐसी-ऐसी प्रौद्योगिकी अर्थात् कौशलों का विकास किया गया है जिनसे शिक्षा के उद्देश्यों को प्राप्त करने में पर्याप्त सहायता मिल रही है । इन दक्षताओं और कौशलों को, जो कि विशेषतया विज्ञान पर आधारित हैं, शैक्षिक प्रौद्योगिकी का नाम दिया गया है।

शैक्षिक प्रौद्योगिकी का अर्थ आवश्यकता तथा कार्यक्षेत्र को भली-भाँति समझने के लिए आवश्यक है कि इसकी कुछ महत्त्वपूर्ण परिभाषाओं का उल्लेख किया जाए। इस सम्बन्ध में यह जानना भी बहुत जरूरी है कि विद्वानों ने शैक्षिक प्रौद्योगिकी की विभिन्न अर्थ लेकर अपने ढंग से परिभाषित किया है, जिसके परिणामस्वरूप शैक्षिक प्रौद्योगिकी का अर्थ तथा क्षेत्र जटिल भी बन गया है ।

ब्रिटेन के नेशनल सेण्टर फॉर प्रोग्राम्ड लर्निंग (National Centre for Programed learning) के श्री. जी. ओ. एम. लीव ( Shri G.O.M. Leive) ने 1967 में शैक्षिक प्रौद्योगिकी की एक व्यापक और व्यावहारिक परिभाषा दी है, “शिक्षण तथा प्रशिक्षण को सुधारने और उसकी प्रभावकारिता एवं दक्षता को बढ़ाने के लिए अधिगम तथा अधिगम की परिस्थितियों से सम्बन्धित वैज्ञानिक ज्ञान के प्रयोग को शैक्षिक प्रौद्योगिकी कहते हैं । ”

ऑल इण्डिया कान्फ्रेंस ऑन प्रोग्राम्ड इन्स्ट्रक्शन एण्ड एजूकेशनल टेक्नोलॉजी, 1969 (All India Conference on Programmed Instruction and Educational Technology) के अवसर पर डॉ. एस. एस. कुलकर्णी (Dr. S.S. Kulkarni) ने शैक्षिक प्रौद्योगिकी की परिभाषा इस प्रकार दी है, “शैक्षिक प्रौद्योगिकी उन सभी प्रणालियों, विधियों एवं माध्यमों का विज्ञान है जिसके द्वारा शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति की जा सकती है । ”

अमेरिका की शैक्षिक प्रौद्योगिकी की राष्ट्रीय परिषद् (National Council of Educational Technology of America) के अनुसार, “मानव के अधिगम में सुधार के लिए प्रणालियों, प्रौद्योगिकी, विधियों और सहायक सामग्रियों का विकास, प्रयोग और मूल्यांकन ही शैक्षिक प्रौद्योगिकी है।”

आई. के. डेविस (I. K. Davis) के विचार में, “शैक्षिक प्रौद्योगिकी का सम्बन्ध शैक्षिक और प्रशिक्षण के सन्दर्भ में समस्याओं से होता है और उसमें अधिगम के स्रोतों के संगठन में अनुशासित और प्रणाली उपागम के प्रयोग की क्षमता विशेषता होती है । ”

अनविन (Anwin) का कहना है, “शैक्षिक प्रौद्योगिकी का सम्बन्ध शिक्षा और प्रशिक्षण की आवश्यकताओं के लिए आधुनिक कौशलों और प्रौद्योगिकी के प्रयोग से है । इसमें उचित माध्यमों, विधियों और वातावरण के नियन्त्रण द्वारा अधिगम को प्रोत्साहन देना भी सम्मिलित है । ”

उपर्युक्त सभी परिभाषाओं की विवेचना करने पर स्पष्ट होता है कि ये सभी परिभाषाएँ एकांगी हैं । कोई परिभाषा शैक्षिक प्रौद्योगिकी के किसी पहलू पर प्रकाश डालती है और कोई परिभाषा किसी दूसरे पहलू को उजागर करती है । अतः इन परिभाषाओं में व्यापकता के गुणों का अभाव है ।

ऊपर दी गई शैक्षिक प्रौद्योगिकी की परिभाषाओं से यह स्पष्ट है कि यह अति विस्तृत धारणा है । यह विज्ञान पर आधारित एक ऐसी धारणा है, जिसका उद्देश्य शैक्षिक एवं प्रक्रियाओं के इस प्रकार नियोजित करना, संगठित करना, अग्रासरित तथा नियन्त्रित करना है जिससे शिक्षक, अधिगम तथा छात्रों के कार्य को सरल बनाया जा सके तथा अधिकत्तम शैक्षिक प्रभाव उत्पन्न हो सके ।

उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर हम शैक्षिक प्रौद्योगिकी के बारे में निम्नांकित निष्कर्षों पर पहुँचते हैं—

  1. शैक्षिक प्रौद्योगिकी शिक्षा पर विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के प्रभाव को प्रदर्शित करती है ।
  2. शैक्षिक प्रौद्योगिकी में व्यावहारिक पक्ष को महत्त्व दिया जाता है ।
  3. शैक्षिक प्रौद्योगिकी निरन्तर विकासशील विषय है।
  4. शैक्षिक प्रौद्योगिकी का उद्देश्य सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में विकास करना है ।
  5. यह मनोविज्ञान, इन्जीनियरिंग आदि विज्ञानों के नियमों से सहायता लेती है ।
  6. इसमें क्रमबद्ध उपागम (Systemastic Approach) को प्रधानता दी जाती है ।
  7. इसमें शिक्षक छात्र तथा प्रौद्योगिकी प्रक्रियाएँ एक साथ समावेशित रहती हैं |
  8. शैक्षिक प्रौद्योगिकी के विकास के फलस्वरूप शिक्षण में नवीन शिक्षण-विधियों तथा नव शिक्षण-तकनीकियों का प्रवेश हो रहा है ।
  9. यह शैक्षिक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु अधिगम-परिस्थितियों में आवश्यक परिवर्तन लाने में समर्थ है ।
  10. शैक्षिक प्रौद्योगिकी, शैक्षिक, आर्थिक, सामाजिक तथा प्रौद्योगिकी आवश्यकताओं के अनुरूप उपकरणों के निर्माण में सहायता प्रदान करती है ।
  11. शैक्षिक प्रौद्योगिकी शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को सरल तथा सशक्त बनाती है
  12. शैक्षिक प्रौद्योगिकी स्वयं सीखने की प्रक्रिया पर बल देती हैं ।
  13. शैक्षिक प्रौद्योगिकी शिक्षा के प्रसार में सहायता देती है ।

शैक्षिक प्रौद्योगिकी केवल उपकरणों का प्रयोग नहीं है । साधारणतया शिक्षण में शैक्षिक उपकरणों के प्रयोग को ही शैक्षिक टेक्नोलॉजी समझा जाता है। कुछ लोगों के विचार में शिक्षा के क्षेत्र में या कक्षाओं में ग्रामोफोन, रेडियो, टेपरिकार्डर, प्रोजेक्टर, टेलीविज़न, शिक्षण मशीन आदि का प्रयोग ही शैक्षिक प्रौद्योगिकी है, किन्तु ऐसा समझाना भ्रामक है। शैक्षिक टेक्नोलॉजी का वास्तविक अर्थ ब्रिटेन की नेशनल कौंसिल ऑफ एजूकेशनल टेक्नोलॉजी (National Council of Educational Technology) ने 1967 में इस प्रकार बताया, ‘‘शैक्षिक टेक्नोलॉजी मानव – अधिगम के प्रक्रम को सुधारने एवं उन्नत करने के लिए प्रणालियों, तकनीकियों और सहायक उपकरणों का विकास, प्रयोग एवं मूल्यांकन है।”

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