गद्य शिक्षण के अंग का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
प्रश्न – गद्य शिक्षण के अंग का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
उत्तर- गद्य शिक्षण प्रक्रिया के मुख्य रूप से तीन अंग हैं —
1. वाचन (Reading),2. व्याख्या (Explanation),3. विचार विश्लेषण (Analysis of Thoughts)।
- वाचन (Reading)– शिक्षक द्वारा शुद्ध उच्चारण के साथ गद्यांश के सस्वर वाचन को आदर्श पाठ कहा जाता है। यह आदर्श वाचन इसलिये आवश्यक होता है ताकि छात्रों के सम्मुख एक ऐसा आदर्श प्रस्तुत किया जा सके जिसका अनुकरण करके छात्र उच्चारण सम्बन्धी त्रुटि न कर सकें। छात्रों द्वारा यह सस्वर वाचन तीन या चार छात्रों से आदर्श वाचन के पश्चात् करवाया जाता है। आदर्श वाचन शिक्षक प्रस्तुत करता है जबकि अनुकरण वाचन छात्रों द्वारा किया जाता है। दोनों ही प्रकार के वाचन सस्वर होते हैं (Loud reading) । लेनिक सस्वर वाचन के साथ-साथ मौन वाचन (Silent reading) का भी गद्य शिक्षण में विशेष महत्त्व है, क्योंकि विद्यार्थी मौन रहकर पढ़ते हुए भी विचार ग्रहण करना सीख जाते हैं। अतः वाचन गद्य शिक्षण का प्रमुख अंग है।
- व्याख्या (Explanation) गद्य शिक्षण में शब्दों, मुहावरों, सूक्तियों, लोकोक्तियों, वाक्यों आदि की व्याख्या करना अनिवार्य समझा जाता है क्योंकि गद्य शिक्षण का तो मुख्य उद्देश्य ही शब्द भण्डार में वृद्धि करना होता है। अतः व्याख्या करना गद्य शिक्षण का एक आवश्यक अंग है। शब्दों की व्याख्या करने के लिये मुख्य रूप से तीन विधियों का प्रयोग किया जाता है——उद्बोधन विधि, प्रवचन विधि तथा स्पष्टीकरण विधि | शब्दों की व्याख्या करने के लिये सबसे पहले उद्बोधन विधि का प्रयोग करना चाहिए। उसके बाद स्पष्टीकरण विधि को अपनाना चाहिये और अन्त में, अगर ये दोनों विधियाँ असफल सिद्ध हों तो ॐ प्रवधन विधि अपनायी जानी चाहिये। व्याख्या गद्यांश का भाव पक्ष या आन्तरिक पक्ष होता है।
- विचार विश्लेषण (Analysis of Thoughts ) — गद्य शिक्षण का मुख्य उद्देश्य होता है भाषा ज्ञान में वृद्धि तथा विचार ग्रहण करना। वाचन और व्याख्या द्वारा बालक के भाषा ज्ञान में वृद्धि होती है जबकि विचार विश्लेषण बालक को विचार ग्रहण करने के योग्य बनाता है। विभिन्न प्रकार के पाठों के विभिन्न प्रकार के विचार होते हैं। विचार विश्लेषण की यह प्रक्रिया प्रश्नोत्तर प्रविधि के द्वारा पूर्ण की जानी चाहिये । जटिल विचारों का स्पष्टीकरण दृष्टान्तों व उदाहरणों द्वारा किया जा सकता है। पाठ में आये नवीन विचारों का सम्बन्ध बालक के पूर्व ज्ञान के साथ जोड़ा जा सकता है। विचार विश्लेषण का एक मुख्य उद्देश्य छात्र को इस योग्य बनाना भी होता है कि वह लेखक के विचारों को ज्यों का त्यों समझ सके । वाक्य जब मिश्रित या संयुक्त रूप में होता है तो इसे समझने में कठिनाई आती है। ऐसी स्थिति में विचार विश्लेषण का सहारा लिया जाता है।
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