राष्ट्रीय विकलांग जन नीति पर प्रकाश डालें ।

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प्रश्न – राष्ट्रीय विकलांग जन नीति पर प्रकाश डालें ।
उत्तर- विकलांग व्यक्तियों को देश का महत्वपूर्ण मानव संसाधन के रूप में देखते हुए समाज में उसके समान अवसर, अधिकारों की रक्षा एवं पूर्ण भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने एक राष्ट्रीय नीति (सं. 3-1/1993-डी. डी.III) बनायी है । इस नीति के अनुसार पुनर्वास सेवाओं के वितरण प्रणाली की स्थापना निचले स्तर से लेकर राज्य स्तर तक की जानी है। ग्राम पंचायतों और प्रखंड स्तर पर मुख्य रूप से इसके रोकथाम, आरंभिक खोज और मध्य क्षेत्र भी ध्यान दिए जाने की बात कही गयी है । इस स्तर पर उत्तरदायित्वों में आधारभूत पुनर्वास सेवाएँ तथा रेफरल सेवा के प्रावधानों को भी शामिल किया गया है। साथ ही निचले स्तर पर पुनर्वास के समुदाय आधारित दृष्टिकोणों को भी इसमें शामिल किया गया है। राष्ट्रीय विकलांग जन नीति में निम्नलिखित बिन्दुओं को शामिल किया गया है :
  1. विकलांगता निवारण, शीघ्र पहचान और उपचार – विकलांगता की शीघ्र पहचान एवं निवारण सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित कार्रवाई की जाएगी :
    1. टीकाकरण (बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं को), सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता के राष्ट्रीय, प्रादेशिक एवं स्थानीय कार्यक्रमों का विस्तार किया जाएगा ।
    2. बच्चों में विकलांगता का शीघ्र पता लगाने के लिए, चिकित्सा एवं अर्ध- चिकित्सा कर्मचारियों को समुचित रूप से प्रशिक्षित एवं साधन सम्पन्न किया जाएगा ।
    3. चिकित्सा एवं अर्ध-चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारियों और आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए, विकलांगता निवारण, शीघ्र पहचान और उपचार में प्रशिक्षण मॉड्यूल्स और सुविधाओं का विकास किया जाएगा ।
    4. चिकित्सा शिक्षा में स्नातकोत्तर, स्नातक डिग्री और डिप्लोमा स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों में विकलांगता के निवारण, शीघ्र पता लगाने एवं उपचार संबंधी मॉड्यूल्स शामिल होंगे ।
    5. विकलांग व्यक्ति वाले परिवारों के लिए विकलांगता विशिष्ट मैनुअल भी बनाया जाएगा तथा यह निःशुल्क प्रदान किया जाएगा।
    6. मानव संसाधन विकास संस्थाएँ यह सुनिश्चित करेंगी कि विशेष शिक्षा, क्लिनिकल मनोविज्ञान, फिजियोथैरेपी, व्यावसायिक थैरेपी, आडियोलॉजी, स्पीच पैथोलॉजी, व्यावसायिक परामर्श एवं प्रशिक्षण जैसी सहायता सेवाएँ प्रदान करने और समाज कार्य के लिए आवयश्क कार्मिक पर्याप्त संख्या में उपलब्ध हैं।
    7. आनुवंशिकी के क्षेत्र में नवीनतम अनुसंधान एवं निष्कर्षों का उपयोग, मानसिक बीमारी सहित जन्मजात विकलांगता को कम करने के लिए समुचित रूप से किया जाएगा ।
    8. विद्यमान स्वास्थ्य डिलीवरी सिस्टम के अंदर विकलांगता के प्रभावों को सीमित करने और अन्य विकलांगताओं के निवारण के लिए समुचित कार्य योजना बनाई जाएगी ।
    9. नवयुवतियों, गर्भवती महिलाओं और प्रजनन अवधि में महिलाओं को पोषाहार, स्वास्थ्य देखभाल व स्वच्छता के बारे में अधिक जागरुक बनाने के लिए विशेष ध्यान दिया जाएगा | रोकथाम के लिए जागरूकता कार्यक्रमों को स्कूल स्तर और शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम स्तर पर, तैयार किया जाएगा और
    10. जोखिम वाले मामलों की पहचान करने के लिए बच्चों की जाँच हेतु कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे ।
  2. पुनर्वास कार्यक्रम (Rehabilitation Programme) – चिकित्सा और पुनर्वास व्यावसायिकों की सहायता से तथा विकलांग व्यक्तियों एवं उनके परिवारों, कानूनी संरक्षकों और समुदायों की भागीदारी से, चिकित्सकीय, शैक्षिक व सामाजिक पुनर्वास कार्यक्रम बनाए जाएँगे । सरकारी कार्यक्रमों की समाभिरूपता सुनिश्चित की जाएगी और निम्नलिखित विशेष उपाए किए जाएँगे :
    1. संयुक्त पुनर्वास सेवाएँ उपलब्ध कराने के लिए राज्य स्तरीय केन्द्रों की स्थापना की जाएगी | इन सेवाओं में मानव संसाधन विकास, शोध एवं दीर्घावधिक विशेषीकृत पुनर्वास शामिल है ।
    2. समुदाय आधारित पुनर्वास कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाएगा । विकलांग व्यक्तियों एवं उनके पारिवारिक सदस्यों/ सेवा प्रदान करने वाले स्व सहायता समूहों को पुनर्वास की प्रक्रिया में प्रभावी रूप से शामिल किया जाएगा ।
    3. गंभीर रूप से, मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों के लिए गैर-सरकारी संगठनों की भागीदारी से जिला स्तर की पंचायती राज संस्थाओं के तहत मानसिक स्वास्थ्य देखभाल गृहों की स्थापना को प्रोत्साहित किया जाएगा । वैकल्पिक रूप से, समुदाय और/अथवा पारिवारिक सहायता के बिना, मानसिक विकलांग व्यक्तियों के लिए अभिरक्षा देखभाल संस्थाएँ स्थापित करने के लिए पारिवारिक सहायता समूहों को प्रोत्साहित किया जाएगा और
    4. मानसिक रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिए व्यावसायिक और सामाजिक दक्षता प्रशिक्षण देने के लिए आवासीय पुनर्वास केन्द्रों की स्थापना हेतु भी उपाय किए जाएँगे ।
  3. मानव संसाधन विकास (Human Resources Development) – पुनर्वास व्यावसायिक जनशक्ति का विकास निम्नलिखित क्षेत्रों में किया जाएगा :
    1. स्वास्थ्य देखभाल और सामुदायिक विकास दोनों क्षेत्रों में प्राथमिक स्तर के कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण जिनमें आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायक नर्स (दाइयाँ) आदि हैं
    2. सेवाएँ प्रदान करने वाले सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के कार्मिकों के प्रशिक्षण और अभिभुखीकरण के लिए सहायता ।
    3. सामुदायिक निर्णय निर्माताओं जैसे पंचायतों के सदस्यों, परिवारों के मुखिया आदि का प्रशिक्षण और सुग्रहीकरण और
    4. देखभाल करने वाले पारिवारिक सदस्यों का प्रशिक्षण व अभिभुखीकरण ।
      समावेशी शिक्षा, विशेष शिक्षा, गृह आधारित शिक्षा, स्कूल- पूर्व शिक्षा आदि के अंतर्गत विकलांग बच्चों की शिक्षा की आवश्यकता की पूर्ति के लिए जनशक्ति को प्रशिक्षित किया जाएगा। भिन्न विशेषज्ञता और स्तरों के निम्नलिखित प्रशिक्षण कार्यक्रम बनाए जाएँगे ।
      (i) समावेशी शिक्षा के लिए अध्यापकों हेतु प्रशिक्षण मॉड्यूल्स । (ii) विशेष शिक्षा में डिप्लोमा, डिग्री और उच्च स्तरीय कार्यक्रम और (iii) गृह आधारित शिक्षा की देखभाल करने वालों का प्रशिक्षण तथा विकलांग वयस्कों/वरिष्ठ नागरिकों आदि के लिए देखभाल सेवाएँ ।
      भारतीय पुनर्वास परिषद् कार्मिकों के प्रशिक्षण की योजनाएँ बनाने के लिए नोडल एजेंसी होगी । विकलांगता विशिष्ट प्रशिक्षण देने में राष्ट्रीय संस्थानों की भूमिका को स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट किया जाएगा तथा एक पाँच वर्षीय कार्य योजना तैयार की जाएगी ।
  4. विकलांग व्यक्तियों की शिक्षा (Education of Disabled Persons) – यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रत्येक विकलांग बच्चे की सन् 2020 तक स्कूल – पूर्व, प्राइमरी स्तर की शिक्षा के लिए उपयुक्त पहुँच हो । निम्नलिखित के संबंध में विशेष ध्यान रखा जाएगा :
    1. स्कूलों ( भवनों, प्रवेश मार्गों, शौचालयों, खेल के मैदानों, प्रयोगशलाओं, पुस्तकालयों आदि) को सभी प्रकार के विकलांग बच्चों के लिए बाधामुक्त बनाना तथा उनकी इन स्कूलों तक पहुँचे हो ।
    2. शिक्षण का माध्यम और उसकी पद्धति को अधिकांश विकलांगता दशाओं के लिए उपयुक्त रूप से अनुकूल बनाया जाएगा ।
    3. तकनीकी/अनुपूरक/विशेषीकृत शिक्षा व्यवस्था स्कूल में ही अथवा एक सामान्य केन्द्र पर, जहाँ कुछ स्कूल आसानी से जा सकें, उपलब्ध करायी जाएगी ।
    4. अध्यापन/शिक्षण औजार और सहायक यंत्र जैसे शैक्षिक खिलौने, बेल/ टाकिंग पुस्तिकाएँ, उपयुक्त सौफ्टवेयर आदि उपलब्ध कराए जाएँगे । सामान्य पुस्तकालयों, ई. पुस्तकालयों, ब्रेल लाइब्रेरियों एवं टाकिंग लाइब्रेरियों, स्रोत कक्षों आदि की स्थापना करने के लिए सुविधाओं का विस्तार करने हेतु प्रोत्साहन दिए जाएँगे ।
    5. राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयों और दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों को लोकप्रिय बनाया जाएगा तथा उनका विस्तार देश के अन्य भागों में किया जाएगा ।
    6. विकलांग व्यक्तियों द्वारा आपसी बातचीत के लिए संकेत भाषा, वैकल्पिक व अभिवृद्धि संबंधी संप्रेषण माध्यमों को मान्यता दी जाएगी, इन्हें मानकीकृत किया जाएगा और लोकप्रिय बनाया जाएगा।
    7. विकलांगता क्षेत्रों की सुविधा की दृष्टि से विद्यालयों को ऐसी जगहों पर बनाया जाएगा जहाँ से यात्रा दूरी कम हो । विकल्प के तौर पर, समुदाय, राज्य एवं गैर-सरकारी संगठनों की सहायता से व्यवहार्य यात्रा का प्रबंध किए जाएँगे ।
    8. माता-पिता अध्यापक परामर्श तथा शिकायत निवारण प्रणाली, स्कूलों में स्थापित की जाएगी।
    9. प्राइमरी, माध्यमिक और उच्चतर शिक्षा स्तर पर विकलांग बालिकाओं की संख्या और शिक्षा जारी रखने की वार्षिक समीक्षा करने के लिए पृथक् व्यवस्था होगी।
    10. अनेक विकलांग बच्चों, जो समावेशी शिक्षा प्रणाली में शामिल नहीं हो सकते हैं, को विशेष स्कूलों से शैक्षिक सेवाएँ मिलती रहेगी । विशेष स्कूलों को प्रौद्योगिकीय विकास पर आधारित समुचित रूप से रिमोडल्ड व रिऑरियंटिड किया जाएगा। ये स्कूल मुख्यधारा की समावेशी शिक्षा में शामिल होने के लिए विकलांग बच्चों को तैयार करने में सहायता भी करेंगे ।
    11. कुछ मामलों में, विकलांगता (इसके प्रकार और गंभीरता), निजी परिस्थितियों और प्राथमिकताओं के स्वरूप के कारण गृह आधारित शिक्षा प्रदान की जाएगी ।
    12. विभिन्न विकलांगताओं वाले बच्चों के लिए पाठ्यक्रम और मूल्यांकन पद्धति का विकास किया जाएगा जिसमें उनकी क्षमताओं को ध्यान में रखा जाएगा । गणित की पढ़ाई, केवल एक भाषा सीखना आदि जैसी कुछ रियायत देकर परीक्षा पद्धति में सुधार किया जाएगा जिससे कि उसे विकलांगों के अनुकूल बनाया जा सके । इसके अतिरिक्त, अधिक समय, कैलकुलेटर का प्रयोग, क्लार्क्स तालिका का प्रयोग, लेखक का प्रयोग आदि जैसी सुविधाएँ आवश्यकता के आधार पर प्रदान की जाएगी । “
    13. विकलांग व्यक्तियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए, प्रत्येक राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में समावेशी शिक्षा के मॉडल स्कूल स्थापित किए जाएँगे ।
    14. ज्ञान समाज के युग में, कंप्यूटर अत्यन्त महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसे प्रयास किए जाएँगे कि प्रत्येक विकलांग बच्चे का कंप्यूटर के प्रयोग का समुचित ज्ञान हो ।
    15. 6 साल तक आयु के विकलांग बच्चों की पहचान की जाएगी और आवश्यक उपचार किए जाएँगे ताकि वे समावेशी शिक्षा में भाग ले सकेंगे ।
    16. मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों के लिए मनोवैज्ञानिक पुनर्वास केन्द्रों में शिक्षा सुविधाएँ प्रदान की जाएँगी ।
    17. अनेक स्कूल विकलांगता के कारण छात्रों का नामांकन नहीं करते हैं। ऐसा मुख्य रूप से स्कूल प्राधिकारियों और शिक्षकों की विकलांग व्यक्तियों की क्षमता के बारे में जागरूकता की कमी के कारण होता है । सभी स्कूलों में शिक्षकों, प्राचार्यों और अन्य कर्मचारियों को जानकारी देने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे।
    18. सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा वर्तमान में सहायता दिए जा रहे विशेष स्कूल, बढ़ती हुई समावेशी शिक्षा के लिए संसाधन केंद्र बन जाएँगे । मानव संसाधन विकास मंत्रालय आवश्यकता के आधार पर नए विशेष स्कूल खोलेगा ।
      विकलांग व्यक्तियों का आर्थिक पुनर्वास (Economic Rehabilitation of Disabled Persons) :
  5. रोजगार (Employment) – विकलांग व्यक्तियों के रोजगार के लिए निम्नलिखित उपाय किए जाएँगे ।
    1. सरकार निजी क्षेत्र के संगठनों के साथ एक संवाद शुरू करेगी जिससे इस क्षेत्र में रोजगार प्राप्त करने में विकलांग व्यक्तियों की मदद की जा सके ।
    2. विकलांग व्यक्तियों, विशेषकर, गंभीर रूप से विकलांग और एक से अधिक विकलांगता वाले व्यक्तियों के लिए उपयुक्त कार्यक्रम तैयार करना, जिससे कि विकलांग व्यक्ति घर पर रहते हुए आय उपार्जक कामधंधे कर सकें। विकलांगता व्यक्तियों और उनकी देखरेख करने वाले व्यक्तियों के रोजगार हेतु कोचिंग की व्यवस्था को भी बढ़ावा दिया जाएगा ।
    3. प्रशिक्षण केंद्रों/फैक्टरी/उद्योग/कार्यालय आदि में बाधा – मुक्त प्रचालन के लिए विकलांग व्यक्तियों के वास्ते आवश्यक मशीन – डिजाइन, कार्यशाला एवं कार्य माहौल में बदलावों को आसान बनाना ।
    4. विकलांग व्यक्तियों द्वारा उत्पादित माल और प्रदान की गई सेवाओं के विपणन में उपयुक्त एजेंसियों जैसे विपणन बोर्डों, जिला ग्रामीण विकास एजेंसियों, निजी एजेंसियों और गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से सहायता प्रदान करना और
    5. गरीबी उपशमन कार्यक्रमों में विकलांग व्यक्तियों के कवरेज में सुधार किया जाएगा जिससे कि उन्हें उनका 3 प्रतिशत देय अंश प्राप्त हो सके, जैसी सांविधिक प्रावधानों के अंतर्गत व्यवस्था है ।
  6. बाधामुक्त वातावरण (Barrier-free Environment) – विकलांग व्यक्तियों के लिए बाधामुक्त वातावरण बनाने हेतु, निम्नलिखित कार्य नीतियाँ अपनाई जाएँगी ।
    1. सार्वजनिक भवन (समारोह या मनोरंजन संबंधी), सड़कों, सब-वे और पगडंडी, रेलवे प्लेटफार्म, बस स्टाप / अड्डों, बन्दरगाहों, हवाई अड्डों सहित परिवहन सुविधाओं, परिवहन माध्यमों (बस, ट्रेन, हवाई जहाज और समुद्री जहाज), खेल का मैदान, खुली जगह आदि को सुगम्य बनाया जाएगा ।
    2. सभी सार्वजनिक समारोहों में संकेत भाषा के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाएगा ।
    3. बाधामुक्त भवनों के निर्माण से संबंधित मुद्दों को शामिल करने के लिए, वास्तुकारों एवं सिविल इंजीनियरों की पाठ्यचर्या को संशोधित किया जाएगा। सरकारी वास्तुकारों एवं इंजीनियरों से संबंधित इन विषयों पर सेवाकालीन प्रशिक्षण दिया जाएगा ।
    4. बाधामुक्त निर्मित वातावरण के लिए व्यापक भवन उपविधियों और स्थान मानकों को पूर्ण रूप से अपनाया जाएगा । देश के सभी राज्यों, म्यूनिसिपल निकायों और पंचायती राज संस्थाओं द्वारा उपविधियों और स्थान मानकों की स्वीकृति सुनिश्चित करने का प्रयास किए जाएँगे | ये प्राधिकरण यह सुनिश्चित करेंगे कि सार्वजनिक प्रयोग के सभी बनाए गए नए भवन बाधामुक्त हो ।
    5. राज्य परिवहन उपक्रम अपने वाहनों में विकलांग हितैषी सुविधाएँ सुनिश्चित करेंगे । रेलवे चरणबद्ध तरीके से सभी गाड़ियों में बाधामुक्त कोच प्रदान करेगा । वे प्लेटफार्म भवनों, शौचालयों और अन्य सुविधाओं को भी बाधामुक्त बनाएँगे ।
    6. सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि सार्वजनिक और निजी क्षेत्र दोनों में, औद्योगिक प्रतिष्ठान, कार्यालय जनसुविधाओं में अपने कर्मचारियों के लिए विकलांग हितैषी कार्यास्थल प्रदान करें । सुरक्षा मानक विकसित किए जाएँगे और इनका कड़ाई से पालन किया जाएगा ।
    7. देश में विकलांगता सहायक सूचना प्रौद्योगिकी वातावरण सुनिश्चित करने के लिए सकारात्मक कदम उठाए जाएँगे ।
    8. विकलांग व्यक्तियों की सुविधा की दृष्टि से, सार्वजनिक उपयोग के सभी भवनों की लेखा परीक्षा की जाएगी। व्यावसायिक रूप से मान्यता प्राप्त आडिटर्स तैयार करने की जरूरत पड़ सकती है जिनकी सेवाओं का उपयोग इस उद्देश्य के लिए किया जाएगा ।
    9. बैंकिंग प्रणाली को विकलांग व्यक्तियों के अधिकाधिक अनुकूल बनाने हेतु प्रोत्साहित किया जाएगा और
    10. विकलांग व्यक्तियों की सम्प्रेषण जरूरतों को सूचना सेवा और सार्वजनिक दस्तावेजों को सुगम्य बनाकर, पूरा किया जाएगा। दृष्टि विकलांग व्यक्तियों के लिए सूचना प्रदान करने हेतु ब्रेल, टेप सेवा, बड़ी प्रिंट और अन्य उचित प्रौद्योगिकीयों का उपयोग किया जाएगा ।
  7. सामाजिक सुरक्षा (Social Security) – विकलांग व्यक्तियों को पर्याप्त सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाएँगे :
    1. विकलांग व्यक्तियों को दी गई कर राहत नीतियों की नियमित समीक्षा प्रणाली लागू की जाएगी ताकि आवश्यक आयकर और अन्य कर रहित विकलांग व्यक्तियों के लिए उपलब्ध रहे ।
    2. विकलांग व्यक्तियों के लिए पेंशन की राशि और बेरोजगारी भत्ते को तर्कसंगत बनाने के लिए राज्य सरकारों और संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों को प्रोत्साहित किया जाएगा और
    3. भारतीय जीवन बीमा निगम विशिष्ट प्रकार की विकलांगता वाले व्यक्तियों के लिए बीमा पॉलिसी प्रदान करता रहा है। विकलांग व्यक्तियों को शामिल करने के लिए सभी बाम एजेंसियों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है ।
  8. अनुसंधान (Research) विकलांग व्यक्तियों के लिए नई प्रोद्योगिकी विकसित करने हेतु, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से, अनुसंधान कार्य को बढ़ावा दिया जाएगा। अनुसंधान के संदर्भ में शोध परिणामों का व्यापक प्रसार किया जाएगा । निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा :
    1. विकलांगता के सामाजिक-सांस्कृतिक पहलू, जिनमें अन्य बातों के साथ, विकलांग व्यक्तियों के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण का अध्ययन और व्यवहार संबंधी पद्धतियाँ शामिल हैं।
    2. विकलांग व्यक्तियों की शिक्षा से संबंधित सामाजिक संकेतक विकसित करना ताकि अंतर्निहित समस्याओं का विश्लेषण किया जा सके और विकलांग व्यक्तियों की पहुँच एवं उनके लिए अवसर बढ़ाने हेतु कार्यक्रम आरंभ किए जा सकें।
    3. विकलागतावार, विशेषकर उन व्यक्तियों, जो दुर्घटना और अन्य आपदाओं के कारण अपंग हो जाते हैं, की रोजगार स्थिति के बारे में सांख्यिकी तैयार करने के लिए अध्ययन ।
    4. विकलांगताओं के विभिन्न प्रकारों एवं स्तर के कारणों का अध्ययन ।
    5. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् के तत्वावधान में आनुवंशिक अनुसंधान जिससे कि विकलांगता को कम से कम किया जा सके और
    6. अग्रणी तकनीकी संस्थानों की सहायता से विकलांग व्यक्तियों के लिए कम लागत वाले, प्रयोक्ता हितैषी और टिकाऊ सहायक यंत्र और उपकरण विकसित करने के उद्देश्य से, अनुकूलन प्रौद्योगिकी अनुसंधान, जिसमें चलन संबंधी निजी क्षमता बढ़ाने और मौखिक / गैर-मौखिक संवाद, दैनिक उपयोग वाली चीजों की डिजाइन में परिवर्तनों पर ध्यान केन्द्रित होगा ।
      समन्वय करने और अनुसंधान एवं विकास कार्य शुरू करने, परीक्षण एवं प्रौद्योगिकी प्रमाणित प्रशिक्षण इत्यादि के लिए, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय पुनर्वास प्रौद्योगिकी केन्द्र स्थापित करेगा। सूचना प्रौद्योगिकी की पहुँच सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न प्रकार की विकलांगता वाले व्यक्तियों के लिए उचित हार्डवेयर एवं साफ्टवेयर विकसित किया जाएगा।
  9. खेल-कूद, मनोरंजन एवं सांस्कृतिक कार्यकलाप – विकलांग व्यक्तियों को खेल-कूद, मनोरंजन और सांस्कृतिक कार्यकलापों के लिए समान अवसर मिलना सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाएँगे ।
    1. मनोरंजन, सांस्कृतिक कार्यकलापों एवं खेलकूद, होटलों, समुद्र तटों, खेल परिसरों, सभागृहों, व्यायामशालाओं आदि को सुगम्य बनाना ।
    2. मनोरंजन कार्यकलापों अथवा यात्रा अवसरों को आयोजित करने में शामिल ट्रैवल एजेंसी, होटल, स्वैच्छिक संगठन व अन्य विकलांग व्यक्तियों की विशेष जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, सभी को सेवाएँ प्रदान करें ।
    3. स्थानीय गैर-सरकारी संगठनों को सहायता से, भिन्न-भिन्न खेल-कूद में विकलांग व्यक्तियों के बीच प्रतिभा की पहचान की जाएगी ।
    4. विकलांग व्यक्तियों के लिए खेल-कूद संगठन और सांस्कृतिक सोसाइटी बनाने को बढ़ावा दिया जाएगा । राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में विकलांग व्यक्तियों की भागीदारी की सहायता के लिए तंत्र होगा और
    5. विकलांग व्यक्तियों के लिए खेल-कूद में उत्कृष्टता के लिए एक राष्ट्रीय पुरस्कार शुरू किया जाएगा ।

कार्यान्वयन की जिम्मेवारी – सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय इस नीति के कार्यान्वयन से संबंधित सभी मामलों का समन्वय करने के लिए नोडल मंत्रालय होगा ।

राष्ट्रीय नीति के कार्यान्वयन से संबंधित मामलों का समन्वय करने के लिए एक अंतमंत्रालयी निकाय का गठन किया जाएगा। राज्य स्तरों पर इसी तरह की व्यवस्था को बढ़वा दिया जाएगा । इन निकायों में अग्रणी गैर-सरकारी संगठनों, विकलांग व्यक्ति संगठनों, समर्थक समूहों और माता-पिता/अभिभावकों के परिवार संघों सहित सभी स्टेक होल्डरों को प्रतिनिधित्व दिया जाएगा । राज्य और जिला स्तर पर भी ऐसी ही व्यवस्था की जाएगी। इस नीति के कार्यान्वयन संबंधी मामलों के समन्वय के लिए जिला विकलांगता पुनर्वास केन्द्रों की जिला स्तरीय समितियों के कार्यकरण में, पंचायती राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों को सहयोजित किया जाएगा ।

केन्द्रीय स्तर पर विकलांग व्यक्तियों के मुख्य आयुक्त और राज्य स्तर पर राज्य आयुक्त, अपने सांविधिक दायित्वों के अतिरिक्त, राष्ट्रीय नीति के कार्यान्वयन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे ।

इस राष्ट्रीय नीति के कार्यान्वयन में पंचायती राज संस्थाओं की मुख्य भूमिका होगी । ये स्थानीय स्तर के मुद्दों पर ध्यान देंगी तथा जिला और राज्य योजनाओं से एकीकृत उचित कार्यक्रम तैयार करेगा । ये संस्थाएँ अपनी परियोजनाओं में विकलांगता से संबंधित घटकों को शामिल करेंगी।

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