निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न दो अंकों का होगा।

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प्रश्न – निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न दो अंकों का होगा। 
(क) अपने जीवन के अंतिम वर्षों में डॉ० सच्चिदानन्द सिन्हा की उत्कट अभिलाषा थी कि सिन्हा लाइब्रेरी के प्रबन्ध क़ी उपयुक्त व्यवस्था हो जाए। ट्रस्ट पहले से मौजूद था लेकिन आवश्यकता यह थी कि सरकारी उत्तरदायित्व भी स्थिर हो जाए। ऐसा मसविदा तैयाद करना कि जिसमें ट्रस्ट का अस्तित्व भी न टूटे और सरकार द्वारा संस्था की देखभाल और पोषण की भी गारंटी मिल जाए, जरा टेढ़ी खीर थी । एक दिन एक चाय-पार्टी के दौरान सिन्हा साहब मेरे (जगदीश चन्द्र माथुर ) पास चुपके से आकर बैठ गये। सन् 1949 की बात है। मैं नया-नया शिक्षा सचिव हुआ था, लेकिन सिन्हा साहब की मौजूदगी मे मेरी क्या हस्ती? इसलिए जब मेरे पास बैठे और जरा विनीत स्वर में उन्होंने सिन्हा लाइब्रेरी की दास्तान कहनी शुरू की तो मैं सकपका गया। मन में सोचने लगा कि जो सिन्हा .साहब मुख्यमंत्री शिक्षामंत्री और गवर्नर तक कैस आदेश के स्वर में सिन्हा लाइब्रेरी जैसी उपयोगी संस्था के बारे में बातचीत कर सकते हैं, वह मुझ जैसे कल के छोकरे को क्यों सर चढ़ा रहे हैं। उस वक्त तो नहीं किन्तु बाद में गौर करने पर दो बातें स्पष्ट हुई। एक तो यह कि मैं भले ही समझता रहा हूँ कि मेरी लल्लो-चप्पो हो रही है, किन्तु वस्तुतः उनका विनीत स्वर उनके व्यक्तित्व के उस साधारणतया अलक्षित और आर्द्र पहलू की आवाज थी, जो पुस्तकों तथा सिन्हा लाइब्रेरी के प्रति उनकी भावुकता के उमड़ने पर ही मुखारित होता था।
 निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर दें –
(i) सिन्हा साहब लाइब्रेरी के लिए कैसा मसविदा तैयार करना चाहते थे ?
(ii) माथुर साहब क्यों सकपका गये?
 (iii) सिन्हा साहब किसके साथ और किसलिए आदेशात्मक स्वर में बार कर सकते थे ?
 (iv) माथुर साहब जिले लल्लो-चप्पो समझते थे, वह वास्तव में क्या था ?
(v) कब और कौन नये-नये शिक्षा सचिव हुए थे?
अथवा,
(ख) अब्दुर्रहीम खानखाना का जन्म 1553 ई० में हुआ था। इनकी मृत्यु सन् 1625 ई० में हुई। ये अरबी फारसी और संस्कृत के विद्वान थे ही, हिन्दी के विख्यात कवि थे। वे सम्राट् अकबर के दरबार के नवरत्नों में थे। उनमें हिन्दी के एक अन्य प्रसिद्ध कवि गंग भी थे। रहीम कवि अकबर के प्रधान सेनापति और मंत्री थे। इन्होंने अनेक युद्धों में भाग लिया था। युद्ध में सफलता प्राप्ति के कारण अकबर ने उन्हें जागीर में बड़े-बड़े सूबे दिए थे। रहीम बड़े परोपकारी और दानी भी थे। इनके हृदय में दूसरे कवि के लिए बड़ा सम्मान का भाव रहता था। गंग कवि के एक छप्य पर रहीम ने उन्हें छत्तीस लाख रुपये दे दिए थे। जब तक रहीम के पास सम्पत्ति थी तब तक वह दिन खोलकर दान देते रहे । रहीम की काव्य उक्तियाँ बड़ी मार्मिक हैं, क्योंकि वे हृदय से स्वाभाविक रूप से निःसृत हुई हैं।
 निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर दें –
(i) रहीम का जन्म और मृत्यु कब हुआ था?
(ii) रहीम किन विषयों के विद्वान तथा किसके प्रसिद्ध कवि थे?
(iii) रहीम बड़े परोपकारी और दानी थे। कैसे ?
(iv) किनकी काव्य उक्तियाँ मार्मिक हैं और क्यों?
(v) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दें।
उत्तर –
(क) (i) ऐसा मसविदा तैयाद करना कि जिसमें ट्रस्ट का अस्तित्व भी न टूटे और सरकार द्वारा संस्था की देखभाल और पोषण की भी गारंटी मिल जाए। (ii) सिन्हा साहब ने जब विनीत स्वर में सिनहा लाइब्रेरी की दास्तान कहनी शुरू की तो माथुर साहब सकपका गये। (iii) सिन्हा साहब मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री और गवर्नर तक से सिन्हा लाइब्रेरी जैसी उपयोगी संस्था के बारे में आदेशात्मक स्वर में बात कर सकते थे। (iv) वस्तुतः वह उनकी सिन्हा लाइब्रेरी के प्रति भावुकता थी। (v) सन् 1949 में माथुर थे। साहब (जगदीश चन्द्र माथुर) नये-नये शिक्षा सचिव हुए
(ख) (i) रहीम का जन्म 1553 ई० में हुआ था। उनकी मृत्यु 1625 ई० में हुई थी। (ii) रहीम अरबी, फारसी और संस्कृत विषयों के विद्वान थे तथा हिन्दी के प्रसिद्ध कवि थे। (iii) इनके हृदय में दूसरे कवि के लिए बड़े सम्मान का भाव रहता था। गंग कवि के एक छप्पय पर रहीम ने उन्हें छत्तीस लाख रुपए दे दिए थे। (iv) रहीम की काव्य उक्तियाँ बड़ी मार्मिक हैं क्योंकि वे हृदय से स्वाभाविक रूप से निःसृत हुई हैं। (v) “हिन्दी के अनमोल रत्न : रहीम” ।

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