भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महात्मा गाँधी के योगदानों का उल्लेख करें । अथवा, सविनय अवज्ञा आंदोलन का वर्णन करें।
प्रश्न – भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महात्मा गाँधी के योगदानों का उल्लेख करें । अथवा, सविनय अवज्ञा आंदोलन का वर्णन करें।
उत्तर – भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महात्मा गाँधी सर्वाधिक लोकप्रिय हुए क्योंकि राष्ट्रीय आंदोलन के महत्त्वूपर्ण कालखण्ड 1919 से 1947 ई० के युग में राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व महात्मा गाँधी द्वारा ही किया गया और जिसमें वह सफल भी रहे। उन्होंने सर्वप्रथम बिहार के चंपारण जिले में नील की खेती करने वाले किसानों पर हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध संघर्ष किया। गाँधीजी ने ‘सत्याग्रह’ का सहारा लेकर सरकार को विवश किया कि वे नील की खेती करने वाले किसानों को सुविधाएँ प्रदान करें। 1919 ई० में जालियाँवाला बाग की घटना के बाद गाँधीजी ने अंग्रेजी शासन के विरुद्ध संघर्ष का बिगुल बजा दिया। 1920 ई० में महात्मा गाँधी ने अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध ‘असहयोग आंदोलन’ की नींव रखी जिसमें बड़ी संख्या में भारतीयों ने भाग लिया तथा इसे आशा से अधिक सफलता मिली। चौरा-चौरी की घटना के बाद गाँधीजी ने इसे स्थगित कर दिया और 1930 ई० में दाण्डी यात्रा कर नमक कानून का उल्लंघन किया तथा सविनय अवज्ञा आंदोलन को प्रारंभ किया। 1934 ई० तक यह आंदोलन चलता रहा। 1942 ई० में गाँधीजी ने ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की घोषणा की तथा भारतीयों को ‘करो या मरो’ का मंत्र दिया ।
महात्मा गाँधी ने राष्ट्रीयता की भावना को गाँव- गाँव तक पहुँचाया तथा काँग्रेस द्वारा चलाए जा रहे आन्दोलनों में परिवर्तित कर राष्ट्रीय आंदोलन को मजबूती प्रदान की।
अथवा,
गाँधीजी ने राष्ट्रीय आंदोलन को एक नई दिशा एवं दशा दी। औपनिवेशिक सरकार के विरुद्ध उन्होंने अहिंसा और सत्याग्रह नामक दो नए अस्त्रों का सहारा लिया। स्वतंत्रता आंदोलन को उन्होंने जनआंदोलन में परिवर्तित कर दिया।
1917-18 में उन्होंने चंपारण, खेड़ा और अहमदाबाद में सत्याग्रह का सफल प्रयोग किया। 1920 में गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन आरंभ किया। इसमें बहिष्कार, स्वदेशी तथा रचनात्मक कार्यों पर बल दिया गया। गाँधीजी का दूसरा व्यापक आंदोलन 1930 में हुआ। उन्होंने सरकारी नीतियों के विरुद्ध सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ किया। इसका आरंभ उन्होंने 12 मार्च, 1930 को दांडी यात्रा से किया। दांडी पहुँचकर नमक बनाकर उन्होंने ‘नमक कानून’ भंग किया। गाँधीजी का निर्णायक आंदोलन 1942 में हुआ। उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन आरंभ करने के लिए लोगों को प्रेरित किया तथा ‘करो या मरो’ का मंत्र दिया।
महात्मा गाँधी एक राजनीतिक नेता के साथ-साथ प्रबुद्ध चिंतक, समाजसुधारक एवं हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रबल समर्थक थे।
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