राष्ट्रपति निक्सन के हिन्द-चीन में शांति के संबंध में पाँच सूत्री योजना क्या थी? इसका क्या प्रभाव पड़ा? अथवा, प्रथम विश्वयुद्ध के भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के साथ अर्न्तसंबंधों की विवेचना करें।

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प्रश्न – राष्ट्रपति निक्सन के हिन्द-चीन में शांति के संबंध में पाँच सूत्री योजना क्या थी? इसका क्या प्रभाव पड़ा? अथवा, प्रथम विश्वयुद्ध के भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के साथ अर्न्तसंबंधों की विवेचना करें।

उत्तर – वियतनामी गृहयुद्ध में अमेरिका की भागीदारी को लेकर उसकी कटु आलोचना हो रही थी। इसलिए, 1965 से ही शांति वार्ता के प्रयास होने लगे थे, परंतु वे विफल रहे । माई ली की घटना के बाद आलोचना और दबाव से विवश होकर निक्सन ने 1970 में पाँच-सूत्री प्रस्ताव (योजना) प्रस्तुत किया। इसके अनुसार,
(i) हिंदचीन में सभी पक्षों को युद्ध विराम करते हुए यथापूर्व स्थिति बनाए रखनी थी।
(ii) अंतरराष्ट्रीय प्रेक्षकों और संबद्ध देशों को देखना था कि युद्धविराम का उल्लंघन नहीं हो।
 (iii) युद्ध-विराम के दौरान कोई देश अपनी शक्ति बढ़ाने का प्रयास नहीं करेगा।
 (iv) युद्ध – विराम के दौरान सभी प्रकार की लड़ाइयाँ, बमबारी और आतंकी कार्रवाइयाँ बंद रहेंगी।
 (v) युद्ध – विराम का अंतिम लक्ष्य समस्त हिंदचीन में संघर्ष का अंत होना चाहिए ।
निक्सन की यह योजना स्वीकार्य नहीं थी, अतः इसे अस्वीकृत कर दिया गया। अमेरिकी सेना ने पुनः बमबारी आरंभ कर दी। 1972 में निक्सन ने आठ-सूत्री योजना प्रस्तुत की।
अथवा,
प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान अनेक महत्त्वपूर्ण घटनाएँ घर्टी जिनका भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन पर व्यापक प्रभाव पड़ा।
(i) भारतीय नेताओं ने सरकार को युद्ध में स्वराज-प्राप्ति की आशा में सहयोग दिया, परंतु ऐसा हुआ नहीं। इससे राष्ट्रवादी गतिविधियाँ बढ़ीं।
(ii) सरकार की आर्थिक नीतियों की व्यापक प्रतिक्रिया हुई।
(iii) सरकार को युद्ध में व्यस्त पाकर क्रांतिकारियों ने अपनी गतिविधियाँ बढ़ा दीं।
(iv) भारतीयों में बढ़ते असंतोष को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने संवैधानिक सुधारों की घोषणा की।
(v) विश्वयुद्ध के दौरान भारतीय राष्ट्रवादी स्वराज-प्राप्ति और हिंदू-मुस्लिम एकता बनाए रखने हेतु प्रयासशील थे। एनीबेसेंट और तिलक ने गृह शासन की माँग के लिए वातावरण तैयार किया।

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